
योग गुरु बाबा रामदेव जी हो या सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे जी दोनों में कोई ज्यादा फर्क नहीं समझना चाहिए , दोनों ही राजनैतिक महत्वकांक्षा अनतर्मन में संजोये हुए है ! बस वक़्त और सही घटना कर्म का इंतज़ार है ! जनलोकपाल के नाम पर जिस तरह से टीम अण्णा ने देश में लोगों के साथ विश्वासघात किया है यह भी हम सब जानते है !
टीम अण्णा ने जन भावना की भलाई को लेकर अगर कुछ सार्थक प्रयास करते तो शायद आज देश में तस्वीर कुछ और ही होती परन्तु उन्होंने तो मात्र अपनी लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास में लगे रहे और कुछ हद तक कामयाब भी हुए ! अगर साफ नियत से जनलोकपाल...