मेरी जिज्ञासा तीसी के बारे में इसलिए बढ़ा जब सुना की इसके अंदर अपार शक्ति है जैसे की प्रोटीन्स,विटामिन,ओमेगा-३ ओमेगा-६,लिग्नेन ,फैबर इत्यादि -------
आजकल अलसी ( तीसी ) के बारे में समाचारपत्र,टीवी ,इंटरनेट के माध्यम से बहूत कुछ सुनने को मिल रहा है | यह शीत ऋतू में पैदा होने वाली एक वर्षीय तिलहन फसल है | अपने देश में इसका पैदावार काफी मात्रा में होती है | अलसी यानि तीसी के फुल नीले रंग का होता है | इसके पाँच हिस्से होते है ,इनमे चपटे व भूरे रंग के बीज होते है | इन्ही बीजों को निकालकर खाद्य पदार्थ बनाने व तेल निकालने के लिए किया जाता है | विश्व स्वास्थ्य संगठन ( W.H.O.) ने अलसी को सुपर स्टार फ़ूड का दर्जा दिया है |
तीसी की ढेरो प्रजातियाँ पायी जाती है | कुछ प्रजातियाँ गर्म मौसम में भी उगाए जाते है |बीज से तेल व खली प्राप्त की जाती है | इसके तेल से बिभिन्न प्रकार के खाद्य सामग्री तैयार की जाती है जो अत्यंत स्वादिष्ट व कोलेस्ट्रोल रहित होते है |
अलसी का बोटानिकल नाम है लिनम युजिटेटीसिमम ( Linum Usitatissimum ) यानि अति उपयोगी बीज है | इसे अंग्रेजी में लिनसीड ( Linseed ) या फ्लेक्स्सीड (Flexseed), गुजराती में जवास,कन्नड़ में अगसी,बिहार में तीसी,बंगाल में तिशी ,तेलगु में अविसी जिन्जालू,मलयालम में चेरुचना विदु,तमिल में अली विराई और उड़िया में पेसी कहते है |
तीसी में प्रचुर मात्रा में रोगनिवारक व पोषक तत्व पाए जाते है जिनमे कर्बोहाईड्रेट , शुगर ,रेशा, वसा,प्रोटीन, विटामिन्स , कैल्शियम, पोटाशियम,मैग्नेशियम,फोस्फोरस, लोहा, जस्ता, आदि प्रमुख है | इसके अलावा प्रत्येक १०० ग्राम तीसी में ऊर्जा ५३० कैलोरी पायी जाती है |
पहले इसका प्रयोग भोजन, कपडा, व रंगरोगन बनाने के लिए होता आया है | अलसी में अपार पोष्टिक तत्व है | यह बचपन से बुढ़ापे तक के लोगों को फायदेमंद है | महात्मा गाँधी ने स्वास्थ्य पर भी शोध किया व बहूत से पुस्तक भी लिखी | उन्होंने अलसी पर भी शोध किया, इसने चमतकारी गुणों को पहचाना और एक पुस्तक में लिखा था ------" जहाँ अलसी का सेवन किया जायेगा ,वह समाज, स्वास्थ्य व समृधि रहेगा |
तीसी में लिग्निन और ओमेगा-३ वसा अम्ल पाया जाता है ,यह कई तरह के ट्यूमर को बढ़ने से रोक देता है | एक शोध से यह पता चला है की इसमें कैंसर रोधी तत्व भी पाए जाते है |स्तन कैंसर व प्रोस्टेट कैंसर में भी उपयोगी है | यह डायबीटिज में रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखता है | इससे रक्त संचार में वृद्धि होती है और खून ज्यादा गाढ़ा नहीं होने देता जिससे उसमे थक्के नहीं जमते | यह ह्रदय रोगी के लिए उपयुक्त पथ्य है,सर्दी-जुकाम में भी उपयोगी है | तीसी खाने वाले व्यक्ति को ह्रदय घाट की सम्भावना बहूत कम रहती है |
यह थोड़ी मिठास के साथ हल्का सुगन्धित होता है,यह तैलीय,उष्ण,शक्तिवर्धक,भरी तथा कामशक्ति को बढ़ाने वाला है | थोड़ी मात्रा में ली गई तीसी वात,कफ, पित, और नेत्र रोगों में लाभकारी है |
हमारे शारीर के स्वास्थ्य संचालन के लिए ओमेगा-३ व ओमेगा-६ दोनों ही आवश्यक होते है | अब यूँ मान लीजिये ओमेगा-३ नायक,और ओमेगा-६ खलनायक है | ठीक उसी प्रकार जैसे एक अच्छी फिल्म के लिए नायक और खलनायक दोनों ही आवश्यक है | पिछले कुछ दशकों से हमारे भोजन में ओमेगा-६ की मात्रा बढती जा रही है | और ओमेगा-३ की कमी होती जा रही है |
मल्टीनेसनल कंपनियों द्वारा परोसे जा रहे डिब्बा बंद फ़ूड व जंक फ़ूड ओमेगा-६ फैटी एसिड से भरपूर होते है | शोध से पता चला है की हमारे विकृत हुई आहार शैली से हमारे भोजन में ओमेगा-३ की कमी और ओमेगा-६ बढ़ोतरी के वजह से हम हाई ब्लडप्रेशर, हार्ट अटैक,स्ट्रोक,डायबिटिज, मोटापा, गठिया, डिप्रेसन, दमा, कैंसर आदि रोगों के शिकार हो रहे है | ओमेगा-३ की यही कमी रोज 30-60 ग्राम अलसी ( तीसी) खाकर आसानी से पूरी कर सकते है |
इसी कारण अलसी को सुपर स्टार फ़ूड का दर्जा दिलाते है |
अलसी हमारे दिमाग को शांत,चित्प्रसन्न रखता है | तनाव दूर होता है,बुद्धिमता व स्मरण शक्ति बढती है तथा क्रोध नहीं आता | इससे एक दैविक शक्ति और एनर्जी का प्रवाह होता है | अलसी बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रंथि, सेक्स उतेजना में कमी ,शीघ्रपतन आदि में भी बहुत ही लाभदायक है | यदि माँ के स्तन में दूध नहीं आ रहा है तो उसे अलसी खिलाने के 24 घंटे के भीतर ही स्तन में दूध आने लगता है | यदि माँ अलसी सेवन करती है तो उसके दूध में ओमेगा-३ प्रयाप्त मात्रा में रहेगा जिससे बच्चा अधिक बुद्धिमान व स्वस्थ्य पैदा होता है | एक शोध से यह भी पता चला है की जल्दी ही लिग्नेन एड्स का सस्ता,सरल और कारगर इलाज साबित होने वाला है |
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ताऊ .इन
6 comments
ये अलसी क्या तिल को ही कहते है ?
ये अलग चीज है | अलसी तिल से आकार में थोडा बड़ा होता है |
आपका यह लेख अलसी उपयोग को प्रोत्साहित करेगा और लोगों को सस्ते में अच्छा स्वास्थ्य मिलेगा। आभार!
aap bahut aacha likh rahe hen
राम बाबु जी मै माउथ कैन्सर का मरीज हू २ साल पहले ऑपरेशन हुवा था मै तिशी का प्रयोग कैसे करू मेरा gmail adress hai draibjp@gmail.com
राम बाबु जी मै माउथ कैन्सर का मरीज हू २ साल पहले ऑपरेशन हुवा था मै तिशी का प्रयोग कैसे करू मेरा gmail adress hai draibjp@gmail.com
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