" "यहाँ दिए गए उत्पादन किसी भी विशिष्ट बीमारी के निदान, उपचार, रोकथाम या इलाज के लिए नहीं है , यह उत्पाद सिर्फ और सिर्फ एक पौष्टिक पूरक के रूप में काम करती है !" These products are not intended to diagnose,treat,cure or prevent any diseases.

Sep 13, 2010

स्त्रियों की गंभीर समस्या ल्यूकोरिया !

ल्यूकोरिया वर्तमान समय में स्त्रियों की एक आम समस्या है | इससे ज्यादातर स्त्रियाँ प्रभावित होती है | इसे आयुर्वेद में "श्वेत प्रदर" और आम भाषा में लोग " पानी जाना" कहते है | इस रोग से किसी भी उम्र की महिलायें प्रभावित हो सकती है यहाँ तक की अविवाहित लड़कियां भी इस रोग की शिकार हो जाती है | ज्यादातर महिलायें जिन्हें बिना परिश्रम के भोजन मिल जाता है, या जिनका चलना फिरना कम होता है अर्थात जो मौज मस्ती एशो आराम की जिन्दगी जीती है | वे स्त्रियाँ इस रोग से शीघ्र ग्रसित हो जाती है |

यह रोग गर्भाशय की स्लैष्मिक कला में सुजन उत्पन्न हो जाने के फलस्वरूप हो जाता है | इस रोग में गर्भाशय से सफ़ेद रंग का तरल पानी आने लगता है, जिस प्रकार पुरुषों में प्रमेह की आम शिकायत होती है, ठीक उसी प्रकार यह स्त्रियों का रोग है | स्त्री के इस धातुस्त्राव में दुर्गन्ध आती है और उसकी योनी से जब तब चौबीस घंटे पतला-सा स्त्राव होता रहता है |


ल्यूकोरिया के मुख्य कारण पोषण की कमी तथा योनी के अंदर रहने वाले जीवाणु है | इसके अतिरिक्त और भी कई कारण होता है जो श्वेद प्रदर होने की संभावना रहती है | जैसे :- गुप्तांगों की अस्वच्छता , खून की कमी तथा अति मैथुन.अधिक परिश्रम, अधिक उपवास आदि है |

इस रोग के दुसरे कारण जीवाणु का संक्रमण, गर्भाशय के मुख पर घाव होना , यौन रोग , मलेरिया आदि से श्वेत प्रदर गंभीर रूप धारण कर लेता है | इस तरह से यह रोग बहुत ही कष्टदायक हो जाता है अतः रोग कैसा भी क्यूँ न हो कभी भी शर्म से या लापरवाही से छिपाना नहीं चाहिए |


श्वेत प्रदर के प्रारम्भ में स्त्री को दुर्बलता का अनुभव होता है | खून की कमी के वजह से चक्कर आने लगते है , आँखों के आगे अँधेरा छा जाने जैसे लक्ष्ण उत्पन्न हो जाते है | कुछ महिलाओं में स्त्राव के कारण जलन और खुजली भी होती है | रोगग्रस्त महिला क्षीण व उदास बनी रहती है उसके हाथ पैरों में जलन और कमर दर्द बना रहता है |

रोगी की भूख में कमी आने लगती हैं कब्ज़ बनी रहती हैं तथा पाचन शक्ति दुर्बल हो जाती है | इनके अतिरिक्त बार-बार मूत्रत्याग, पेट में भारीपन, जी मचलाना आदि लक्षण पाए जाते है | इस अवधि में रोगी का चेहरा पिला हो जाता है | मासिक धर्म में भी गरबड़ी आ जाती है फलस्वरूप स्त्री चिडचिडी हो जाती है |


ल्यूकोरिया सामान्य हो या असामान्य सर्वप्रथम इसके मूल कारणों का निवारण करना चाहिए | रोगिणी को खान-पान में सावधानी रखनी चाहिए | खट्ठी-मिट्ठी चीजें, तेल-मिर्च, अधिक गर्म पेय तथा मादक पेय का त्याग करना चाहिए | गुप्तांगो को नियमित साफ़ करना चाहिए | खून की कमी को पूरा करने के लिए आहार या आहारीय पूरक का प्रयोग करना चाहिए | बार-बार गर्भपात कराने से बचें | रोग को शर्म से छिपायें नहीं और न ही ज्यादा चिंता करें |


इसके लिए बाहरी उपचार जैसे योनी को किसी अच्छे साबुन से दिन में दो बार धोएं |
फिर आयुर्वेदिक औषधि से आप वो सब कारणों का इलाज़ कर सकते है जिससे वो समूल नष्ट हो जायेगा | जो की निचे लिखा जा रहा है और यह ल्यूकोरिया के लिए एक अचूक औषधि है :-

1 . एलो बेरी नेक्टर
2 . पोमेस्टिन पावर
3 . गार्लिक थाइम
4 . फील्ड्स ऑफ़ ग्रीन
5 . बी प्रोपोलिस

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2 comments

John peter July 15, 2018 at 11:40 AM


Hi...! I really like this post. Your tips are good, female health is very important. Leucorrhoea treatment is so important with natural herbs and its free from all kind of side effect.

Daisy May 31, 2021 at 4:37 PM

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