शराब अपनी जड़ें बट वृक्षों के भांति जमा रखी है | ऐसा प्रतीत होता है की इनके सेवन से होने वाले दूषपरिणाम से बिलकुल अनभिग्य है | जबकि इसके भयकर परिणाम की गाथा से सड़क,गलियारे,सिनेमा हौल,चौराहे आदि पटे हुए होते है | मिडिया भी इससे होने वाले दुष्परिणाम से बराबर अवगत कराता रहता है |
इस प्रकार स्पष्ट हो जाता है की शराब की सेवन से लाभ कुछ नहीं, हानी ही हानी है | उससे थकान मिटने और स्फूर्ति मिलने की बात सिर्फ कोरी बकबास के अलावा और कुछ भी नहीं है |
अक्सर इसकी शुरुआत बड़े ही शौकिया ढंग से होती है परन्तु बाद में वह मज़बूरी बन जाती है | शराब की हानियों के देखने के लिए दैनिक जीवन में शराब पिने वालों की दुर्दशा देखना ही पर्याप्त होता है | शराबियों की बुद्धि व स्मृति दोनों ही अस्त-व्यस्त हो जाती है |
मद्यपान से कई भयंकर रोग होने की संभावनाएं निश्चित तौर पर हो जाती है :-
"कोसिकोफ़" नामक मानसिक रोग होने की अधिकांस संभावना रहती है | इस रोग से व्यक्ति की स्मरण शक्त कमजोर पड़ते पड़ते वस्तुतः क्षीण हो जाती है |
आँखों में एक तरह का रोग भी होने का भय रहता है, जिसमे एक वस्तु की दो वस्तुएं दिखाई पड़ने लगती है |
ह्रदय रोग विशेषग्य के अनुसार प्रायः सभी शराबियों का ह्रदय अपने सामान्य आकार से कुछ बड़ा हो जाता है और इस कारण उसे साँस लेने में कठिनाई होने लगती है |
मद्यपान पेट और आंत की झिल्लियों को भी सीधा क्षति ग्रस्त करता है | तेजाब की मात्रा बढ़ जाने से अल्सर की शिकायत होने का डर रहता है | बहुत अधिक पिने के कारण कभी-कभी खून की उल्टियाँ भी होने लगती है |
बदहजमी और अपच की शिकायत रहना तो जैसे शराबियों के लिए आम बात है और इस कारण उसका वजन तेजी से घटने लगता है | इससे पैंक्रियाज ग्रन्थि और पेट को जोड़ने वाली नलिका कभी कभी सूजन के कारण बंद हो जाती है | ऐसी स्थिति में उदर में भंयकर शूल उठता है |
रक्तचाप तेजी से गिरने लगता है | अगर तुरंत उपचार न हो तो यह स्थिति जीवन संकट भी उपस्थिति कर देती है |
पैंक्रियाज ग्रन्थि का यह रोग बराबर बना रहता है और शराब के कारण ख़राब हो जाने से बहुत कम मात्र में इंसुलिन बनाती है | इस कारण मधुमेह रोग होने की संभावना भी रहती है |
मद्यपान के कारण जिगर को होने वाली सिरोसिस बिमारी इतनी भानकर है की 6 महीने तक रोगी को बुरी तरह तडपा-तडपा कर प्राण हरण कर लेती है |
इसके अलावा ह्रदय की भांति ही जिगर का आकार भी फैलने लगता है | मरने वाले शराबियों में 90 प्रतिशत प्रायः जिगर के रोगों से मरते है, क्योंकि इस विषैले तत्व को परास्त करने और उससे संघर्ष करने में शराब को ही अधिक मेहनत करनी पड़ती है |
इन्हीं सब कारणों है मद्यपान करने वाले व्यक्ति कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त होने लगते है क्योंकि उनकी जीवनी शक्ति, जो शरीर के क्रियाकलापों का संचालन और नियमन करती है वह शराब के माध्यम से आए अतिरिक्त अल्कोहल को पचाने में नष्ट हो जाती है और सामान्य रोगों का आक्रमण रोकने की शक्ति भी शरीर को नहीं रह जाती है |
इससे बचने के लिए इक्षा शक्ति होनी चाहिए, साथ में पौष्टिक पूरक और एलो वेरा जेल का नियमित सेवन करें जिससे की शराब के कारण शरीर में हुए क्षति को दुरुस्त किया जा सके | एलो वेरा जेल, बी प्रोपोलिस tablet , पोमेस्टीन पॉवर आदि का सेवन करें और अपने जीवन की कायाकल्प करें |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !