होलिका दहन क्यों ?
एक पौराणिक कथा के अनुसार, हिरन्यकश्यप नामक एक राक्षस था | उसे सर्वत्र हिरन्य (कनक) यानि सुवर्ण ही दिखाई देता था | भोग विलास ही उसके जीवन का प्रमुख उद्देश्य था | राक्षस का अर्थ " खाओ, पीओ और मौज करो" वाली मानसिकता का मानव | भोग और स्वार्थ के सिवा उन्हें कुछ भी नहीं दिखाई देता है | स्वयं को भगवन समझने वाला दुसरे भगवन को कैसे स्वीकार करता ?
लेकिन वो कहावत है न - कीचड़ में ही कमल खिलता है और कमल की तरह उसके यहाँ प्रहलाद जैसे भक्त पुत्र का जन्म हुआ | प्रहलाद गर्भ में था तब उसकी माता नारद के आश्रम में रही थी , वहां के संस्कार का असर प्रहलाद पर पड़ा था | परन्तु राक्षसी प्रवृति का पिता यह बात सहन कैसे कर सकता ?
प्रहलाद को मार डालने के लिए अनेक प्रकार के प्रयास किये उनमे से एक प्रयास यह था की उसे जिन्दा जला दिया जाए | प्रहलाद अग्नि में उठकर भागे न इसके लिए उन्होंने बुआ जी के गोद में उसे बिठाया | हिरन्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान मिला था की अग्नि उसे जला नहीं सकेगी ? अपने भाई के आग्रह से होलिका ने प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का निश्चय किया, परिणाम हुआ की होलिका जलकर भष्म हो गई भक्त प्रहलाद हँसता खेलता बाहर आया | अतः यह हमारे लिए होली का एक अनोखा सन्देश देता है |
अगले दिन यानि की कल होली का त्यौहार जो की रंगों का त्यौहार होता है | रंगोत्सव ( धुलैंडी ) जिसमे लोग एक दुसरे के साथ रंग व अबीर लगाकर खुशियाँ मानते है | वैसे तो फाल्गुन का आना स्वतः मालूम हो जाता है जब प्रकृति में बदलाव होने लगते है | ठंढ कम हो जाता है | पेड़ों पर नए पत्ते आने लगते है | आम के वृक्ष मंजरने लगते है | भंवरों का मडराने जैसे प्रकृति में चारो और मादकता की अनुभूति होने लगता है | मनो जहाँ सारा वातावरण सुगन्धित हो गया हो |
कुल मिलकर कुदरत में भी रौनकता दिखाई देने लगती है , जिससे प्राणियों में भी एक अदृश्य शक्ति का संचार होने लगता है | नए जोश, उमंग के साथ प्राणी होली के महा उत्सव के लिए बिन पिए ही मदमस्त दिखाई देते है |अतः होली के रंग को लेकर कर आने वाला फाल्गुन हमें नवजीवन का सन्देश देता है !एक ओर जहाँ होली सद्विचार,सदमिलन,मित्रता, एकता,भाईचारा का पर्व है , दूसरी ओर इस दिन द्वेष -भाव त्याग कर सबसे सप्रेम मिलने का पर्व के रूप में मनाया जाता है |
आप सबको होली की अनंत शुभकामनाएं !!
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
1 comments
विचार अच्छे हैं पर पढ़ने में काफी मुश्किल हो रही है फॉण्ट साइज को यदि थोडा कम कर लेंगे तो लाइन एक दूसरे के ऊपर नहीं आयेंगी
कमेन्ट में लिंक कैसे जोड़ें?
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