सियासी इलाके में महाराष्ट्र नगरपालिका व नगर परिषद चुनाव परिणाम के जो कयास लगाये जा रहे थे उसका बिलकुल उल्टा ही हुआ ! मतलब अण्णा ने खुलकर एन.सी.पी. और उनके मुखिया शरद पवार का निकाय चुनाव में विरोध किया था , परन्तु अण्णा की आंधी बस हवा हवाई नजर आई ! हैरतअंगेज तरीके से एनसीपी अब तक आए नतीजों यानि 177 नगरपालिका सीटों में नंबर वन पार्टी बनकर उभरी है जबकि कांग्रेस उसके पीछे यानि दूसरे नंबर पर है। जबकि बीजेपी और शिवसेना को तीसरे नंबर से संतोष करना पड़ा।
आशा थी की केंद्र सरकार में गठबंधन व अण्णा की आँधी, किसानों का आन्दोलन , भ्रष्टाचार के मुद्दा शायद एन.सी.पी पर भरी पड़ेंगे परन्तु थप्पड़ कांड के बाद उनकी पार्टी निकाय चुनाव में और भी मजबूत हुई है ! ग्रामीण इलाके में उनकी पैठ और भी मजबूत होती नजर आ रही है ! नगरपरिषद की कई सीटों पर कांग्रेस और एनसीपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। इसके बावजूद दोनों पार्टियां मजबूत होकर उभरीं।
मतलब कांग्रेस व एन.सी.पी. ने महाराष्ट्र चुनाव में अपना लोहा मनवा लिया है यानि विरोधियों को धुल चटा दिया ! यह चुनाव अण्णा बनाम एन.सी.पी. व कांग्रेस थी ! अण्णा की अन्नागिरी अपने ही गढ़ पुणे व अहमदनगर में भी बिलकुल बेअसर नजर आई !
हालांकि इन नतीजों से सबसे ज्यादा कोई मायूस नजर आया तो वो हैं राज ठाकरे। कई नगरपालिकाओं में तो उनकी पार्टी खाता भी नहीं खोल सकी। मायूस होने का वक्त न सिर्फ राज ठाकरे को है बल्कि शिव सेना व बी.जे.पी को सोचने का प्रयास करना चाहिए ! ये नतीजा विरोधियों के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है !
इस तरह के परिणाम की उम्मीद शायद ही अण्णा जी सोचे होंगे ! अब क्या कहना चाहेंगे अण्णा जी ? क्या वहां के जनता मुर्ख है ? उन्हें अण्णा व शरद पवार के बारे में जानकारी नहीं है ? आजकल के वयानबाजी के मुताबिक अण्णा जी जो चाहेंगे वही होगा ! परन्तु यह नतीजा शायद उनके भ्रम को बदल सकने के लिए काफी है ! जब घर के लोगों को अण्णा ने नहीं समझा पाए तो क्या खाक समझायेंगे देश के 125 करोड़ को !
सर्वप्रथम उन्हें खुद को समझने का प्रयास करना चाहिए ! हम सुधरेंगे, जग सुधरेगा ! मन में राम, बगल में छुरी ! घर में भ्रष्ट लोगों के बारे में जब बोलने की बारी आती है तो आज के पीढ़ी की गाँधी जी मौन ब्रत रख लेते है ! यह वही मॉडर्न गाँधी है जिन्होंने महाराष्ट्र में हुई पूर्वोत्तर राज्य से आये हुए परीक्षार्थी पर हुए एम्.एन.एस. यानि राज ठाकरे के गुंडे द्वारा हमले पर उनकी पुरजोर तारीफ की थी ! कहा था शाबाश, बहुत अच्छे यह है सच्ची राज्य भक्ति !
मराठा मानुष के नाम पर राजनीती करने वाले सरेआम गुंडागर्दी करते रहे परन्तु वो वजाय की उन्हें रोकते उनकी प्रसंशा की ! सिर्फ गाँधी जी के तस्वीर के समक्ष " वैष्णव जन को तेने कहिये जी पीर पराये जाने न " भजन करके गाँधी नहीं बना जा सकता है ! आचरण सर्वोपरि होनी चाहिए !
"वाह रे गाँधी क्या है तेरी आँधी
आया था लंगोट में बस गया हजार के नोट में !!
गैर सरकारी संस्था (Non-Goverment Organization ) को लोकपाल में नहीं रखने के पीछे क्या मनसा है ? क्या इससे किरण वेदी व अरविन्द कजरीवाल जैसे न जाने कितने एन.जी.ओ. में घोटाला पर पर्दा नहीं डाला जा रहा है ? आखिर एन.जी.ओ. को क्यों नहीं लोकपाल में लाना चाहते अण्णा जी ? कोई बताएगा ?
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2 comments
न तो कभी हमें वो गाँधी रास आया न ही ये आधुनिक गाँधी|
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