आजकल sequel का दौर चल रहा है ! हरामखोरों के फेहरिस्त दिन -व दिन लम्बी होती जा रही है ! ग्राहक से बात कुछ करते है और जब एक बार उन्हें अपने जाल में फंसा लिए फिर वो सब किये गए वादे से मुकर जाते है ! वैसे मुकर जाना तो उनकी फितरत होती है पर उनके कर्मचारियों के द्वारा की गई बेबकूफी के वजह से ग्राहक को परेशां किया जाता है ! दरअसल मैं रतन सिंह जी के ब्लॉग "एयरटेल में भी शुरू हो गई हरामखोरी" से प्रभावित होकर अगली कड़ी जोड़ दी है जिसका नाम है " एक और हरामखोर "
जलील करने के लिए लगता है उनके पास एक अलग से विभाग बना दिया जाता है जो सिर्फ और सिर्फ ग्राहक...