आमतौर पर यह रोग 30 वर्ष की उम्र से शुरू होता है और 40 वर्ष की उम्र के लोगों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर देता है | 65 वर्ष के आसपास या उसके उपर तो दो तिहाई लोगों को किसी न किसी रूप में प्रभावित करता है |
मेरुदंड यानि ( स्पाइनल कॉर्ड ) रीढ़ की हड्डी में उत्पन्न विकार ही गर्दन, कन्धा, पीठ तथा कमर दर्द का प्रमुख कारण है | मेरुदंड की सबसे उपरी हिस्से यानि की गर्दन के क्षेत्र की मनकों में जब कोई विकृति आ जाती है तो गले या कन्धों में दर्द होता है इसी को सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस यानि की गर्दन की ओस्टीरियोआर्थीराइटिस ( गर्दन की गठिया) कहा जाता है |
इसके कई कारण होते है :-
> यदि गलत ढंग से बैठते है , लम्बे समय तक सर झुका कर काम करते है, सोते समय सिर के निचे मोटा तकिया लगाते है तो इस रोग की शिकायत हो सकती है |
> यदि आप ऐसा कम करते जिससे रीढ़ की हड्डी पर दबाब पड़ता है तो रीढ़ की लचक समाप्त होने से यह विकृति उत्पन्न हो सकती है |
> जन्मजात स्पाइनल केनाल यानि मेरुनाली का संकरा होना भी इस रोग की वजह बन सकता है |
> इनके अतिरिक्त मोटापा, वृद्धावस्था, संक्रमण, रयूमेटाइड रोग, तनाव आदि कारणों से भी सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस रोग की उत्पति हो सकती है |
बचाव के उपाय :-
जो लोग इस रोग से पीड़ित है और जो पीड़ित नहीं भी है उन्हें भी, निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए :-
> सोते समय बहुत पतला तकिया लगाए ! जो गर्दन के दर्द से पीड़ित हो वो तकिया ना लगाए ! सदा सख्त तख़्त पर सोयें , गद्दा मोटा नहीं होना चाहिए |
> लेटकर किताब न पढ़े, काम करते समय या लिखते समय गर्दन को अधिक न झुकाय, न अधिक समय तक गर्दन झुकाकर बैठे !
> ऐसा वाहन से सफ़र न करें जिससे शरीर को तेजी के साथ झटका लगे, चिंता और तनाव से बचकर रहे !
आप गर्दन के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज़ भी करा सकते है :-
1 . Aloe Vera Gel :- पाचन मार्ग को साफ़ करता है , उद्दीपन प्रतिरोधी
2. Forever Freedom :- दर्द से राहत , कार्टिलेज का पुनर्निर्माण,साइनोवायल द्रव का पुनरुत्पादन, उद्दीपन विरोधी |
3. Pomesteen Power :- गठिया प्रतिरोधी, उद्दीपन प्रतिरोधी |
4. Garlic Thyme :- मांसपेशियों को आराम करता है |
उपरोक्त लिखित उत्पाद का सेवन 4 से 6 महीने तक करें और गर्दन के अति कष्टदायक रोग से मुक्ति पाए |
एलोपैथिक चिकित्सा में इस रोग का उपचार प्रारंभिक अवस्था में गर्दन व कंधे की सिंकाई और मालिश के साथ फिजियोथेरैपी यानि गर्दन के व्यायाम के जरिये रोग पर काबू पाया जाता है , इसके अतिरिक्त रोगी के गले में एक कालर लगाईं जाती है जिसे सर्वाइकल कालर कहा जाता है | इस उपाय से गर्दन की हलचल यानि गति कम हो जाती है | गर्दन का हिलना- डुलना कम होने से इस रोग के कारण गर्दन में होने वाले और हाथ तक फैलने वाले दर्द से छुटकारा मिल जाता है |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
3 comments
Badhiya jankari
Pain in neck is really unbearable i have pain in my neck as i am really fat and due to this i am having to face a lot of problems but now i have painazone capsule for it now i don't feel any pain on my neck.
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