आज नवरात्र का पहला दिन था | कार्यालय में भी माहौल भक्तिमय व पवित्र लग रहा था | एक दुसरे से नमस्कार और गुड मोर्निंग के वजाय " जय माता दी" कहकर दिन का शुरुआत किया | एक बात यह की ज्यादातर लोग आज उपवास में थे |
कुछ पहला और आखिरी तो कुछ नौ दिन के लिए उपवास का संकल्प लिया हुआ था | मैं आपसे जो ख़ास बात करने जा रहा हु यह है उपवास के विधि विधान यानि तौर तरीका | उपवास के दौरान लोग का किस तरह का आहार विहार होना चाहिए और क्या आज के भक्त आहार में ले रहे है | आज यही चर्चा का विषय है |
दरअसल समय के साथ-साथ व्रत रखने का विधि-विधान, तौर तरीका भी बदल गया है | व्रत के दौरान जहाँ तक कुछ दशक पहले हम जब अपने गाँव में रहते थे, याद आता है बचपन में जब कोई व्रत रखते थे | बड़ी ही मुश्किल की घडी हुआ करता था | हमें पानी तक पिने नहीं दिया जाता था | अगर प्यास लगी तो पानी के साथ चीनी और निम्बू का मिश्रण जरुरी है | मतलब सदा पानी नहीं पी सकते वर्ना व्रत टूट जाएगी |
किन्तु वर्तमान में हालत पे गौर करें तो भक्त गन बड़े ही चाव से वो दिन भर सब कुछ खाते पीते नजर आते है | शीतल पेय हो चाय पे चाय और फल बगैरह दिन भर खाते रहते है |
विगत कुछ वर्षों में बड़े बड़े रेस्तरां में भी व्रत के नाम की थाली परोसने लगी है | अगर कभी थाली कास्वाद ले तो पता चलेगा की उस थाली का खाना दो लोगो के लिए पर्याप्त है | अगर एक व्यक्ति ने उस थाली का खाना खा लिया तो उन्हें रात के भी खाना खाने की जरुरत नहीं हो सकता है |
चुकी उस थाली में रोटी , दाल, पनीर की सब्जी , मिठाई, इत्यादि भरपूर मात्रा में होता है, जो की वर्तमान के हमारे माता के भक्त लंच समय में अपना उदर का भूख मिटाते है |
हमारे एक मित्र है जो पुरे नौ दिन का उपवास रखते है | किन्तु आज देखा तो बड़ा ही आश्चर्य लगा | उनका लंच बॉक्स पहले के अपेक्षा एक बॉक्स ज्यादा था | मैंने पूछा भाई साहब ये क्या आज व्रत में नहीं हो क्या ? बोला हाँ भाई व्रत का ही तो खाना है |
मैंने कहा क्या ? यह व्रत का खाना है- यार ये तो आपने पहले से एक लंच बॉक्स ज्यादा लाया हुआ है | बोला यार व्रत में तस्मय ;यानि खीर भी जरुरी है | कुटू के आंते की रोटी, आलू की सब्जी सेंधा नमक के साथ, दही, मीठा आलू , खीर आदि ये सब व्रत का खाना है | मैंने कहा भाई कमाल है अगर सामान्य दिन के अपेक्षा ज्यादा और स्वच्छ खाना मिले तो ऐसे व्रत रोज करना चाहिए |
दरअसल उपवास के दौरान अक्सर हमारे पाचन तंत्र सक्रीय नहीं रहता है | अतः इस अवधि में हमें तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए | पानी खूब पीना चाहिए , जिससे आपके आंत की सफाई हो जाएगी और आप चुस्त और दुरुस्त हो जायेंगे | वो कहाबत है न की अगर आंत और दांत स्वथ्य है तो शरीर स्वतः स्वस्थ्य होंगे |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
1 comments
बहुत सुन्दर और ज्ञानवर्धक जानकारी दी है आपने ........ आभार
थोडा समय यहाँ भी दे :-
आपको कितने दिन लगेंगे, बताना जरुर ?....
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