" "यहाँ दिए गए उत्पादन किसी भी विशिष्ट बीमारी के निदान, उपचार, रोकथाम या इलाज के लिए नहीं है , यह उत्पाद सिर्फ और सिर्फ एक पौष्टिक पूरक के रूप में काम करती है !" These products are not intended to diagnose,treat,cure or prevent any diseases.

Feb 11, 2010

सेहत का दुश्मन है गुटका पान मसाला |



आज के युवा सोसाइटी चाहे लड़कियों का हो या लड़कों की , सभी प्रकार के गुटका पाउच अपने पास रखने में गर्व महसूस करते है |
हर 15 से 20 मिनट में उस पाउच से मासाला निकालता और उसे ले लेते है |
दिन में आठ-दस-बारह पाउच गटक जाने वाले आज के युवा वर्ग को तन मन और धन से निर्जीव / खोखला बना रही है पर वो अपने आपको उस पाउच के साथ मॉडर्न, स्मार्ट के साथ ज्यदा समझदार भी समझते है |


असल में आज के दौर में क्या बच्चे क्या युवा सब इस तरह के ब्यसन की आदि हो गई है वो चाहते है उनके मुंह से गुटका पानमसाला या चुटकी की खुबसूरत मीठी महक आती रहे |

निरंतर पान मसाला ,तम्बाकू ,गुटका का सेवन करने वालों की म्युकिस ग्रंथियों में संकोचन / सिकुडन आ जाती है ,
जिससे कोई भी कड़ी बस्तुएं खाने या चबाने में दर्द होता है |
दरअसल पानमसाला में कई प्रकार के मादक पदार्थ मिलाया जाता है |
गुटका में मेंथोल ( Menthol )पाए जाते है जो मुंह के केंसर के लिए पर्याप्त काम करता है |

मुख्त्यः इसका प्रार्थमिक लक्षणों से मुंह में असमान्य धब्बे पड़ना है,चाहे वो जीभ पर हों या अंदर मुंह के इर्द-गिर्द देखी जा सकती है |
मुंह में रहा गुटका,चुटकी,पानमसाला--गला ,भोजन की नली ,पाचन संस्थान में पहुंचकर पतली तह के रूप में जम जाती है और धीरे-धीरे सुजन का रूप लेने लगता है इसकी तह अन्दुरुनी नर्म त्वचा पर जम जाती है , जो आसानी से साफ़ नहीं होती,आँतों में भी जम जाती है |

अगर लम्बे समय तक यह स्थिति कायम रही तो यह Cancer ( केंसर ) का रूप ले लेता है |
लोग ऐसा करने से पहले ये नहीं सोचते कि लाइलाज रोग को अपने शारीर के अंदर घर कर रहें है |
गुटकों का जहर पूरी तरह से शारीर में फ़ैल जाता है | शारीर में निकोटिन कि मात्रा टेनिन जे साथ बढती जाती है |
केंसर चाहें मुंह का बने या गले का या पाचन प्रणाली का, बात एक ही है परिणाम है लाइलाज रोग से मौत |


एलोवेरा के कोई भी स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद 30 % छूट पर खरीदने के लिए admin@aloe-veragel.com पर संपर्क करें और ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

ज्ञान दर्पण
ताऊ .इन

3 comments

Gyan Darpan February 11, 2010 at 9:18 AM

गुटका खाने का बढ़ता चलन वाकई चिंताजनक है |
गांवों में तो अब किसी मजदुर को काम के लिए बुलावो तो उसके लिए चाय बीडी के साथ गुटका भी लाना पड़ता है |

Udan Tashtari February 11, 2010 at 9:18 AM

सही कहा आपने..और गुटका वैसे भी अपनी लत बढ़वाता जाता है.

Ashok Suryavedi May 7, 2010 at 7:23 AM

यह सही है लेकिन अगर लत पड़ गयी हो तो उसे कैसे छोड़े और कैसे छुडवाएं ?

Post a Comment