उदहारण के लिए पानी का कोई आकार नहीं होता है | जैसा हमारा पात्र होता है, पानी का आकार वैसा ही हो जाता है | हम पानी को घड़े में रखे, गिलास में रखे या जमीं पर बहा दे | पानी नहीं, बल्कि पात्र में अंतर होता है |
जीवन परमात्मा की अभूतपूर्व कृति है | हमारे जीवन में कभी सुख के फूल खिलते है तो कभी दुःख के | हमें इन दोनों फूलों का स्वाद चखना चाहिए, न कि दुःख मिलने पर निराश-परेशान हो जाना चाहिए |
वास्तव में, इस जीवन का उपयोग कर कुछ लोग शिखर पर पहुँच जाते है, तो कुछ लोग इसका दुरूपयोग कर अपनी लक्ष्य-प्राप्ति कि राह में भटक जाते है |
सच तो यह है कि जो लोग आशावादी होते है, वे निर्माण करते है और जो निराशावादी होते है, वे तोड़फोड़ करते है |
नकारात्मक सोच रखने वाले लोगों ने अपने जीवन को घृणा से भर लिया है | ऐसे लोगों को अपने आसपास रहने वाले लोग दुश्मन नजर आते है, क्यूंकि इनके भीतर गंदगी भरी हुई है |यदि आपका मन गन्दा है, तो आपकी सोच भी वैसी ही होगी |
हमें अपने जीवन के हर पल को सुगन्धित बनाने का प्रयास करना चाहिए | हमारे देश में अनेक महापुरुष हुए है, राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर जैसे लोगों ने अपने जीवन को एक उत्सव के रूप में जिया है और साथ ही भारत कि संस्कृति और संस्कारों कि रक्षा भी की है |
सार्थक लोग ही अपने जीवन को उत्सव के रूप में जीते है | ऐसे लोग न केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज होते है, बल्कि राष्ट्र पुरुष भी बनते है |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
1 comments
वाह जी ! बहुत बढ़िया कही हम तो जिन्दगी को उत्सव मानकर ही जी रहे है इसीलिए मन हमेशा प्रसन्न रहता है !
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