आप क्या सोचते है की करेल में जहर था या लौकी जहरीला था ? जबकि ये बात भी सामने आई है की वो दम्पति ये जूस लगातार सेवन करते आ रहे थे | तो आखिर क्या बात हुई ? हमसब को आत्म मंथन करने की जरुरत है | जहाँ तक मेरा मानना है की वो जरुरत से जायदा रासायनिक उपज हो सकता है जिसके फलस्वरूप वो ज्यादा कड़वी और पिने लायक नहीं रहा होगा और शारीर उसको नहीं झेल सका |
वर्तमान में स्थिति कुछ ऐसी ही है और ये कहीं न कहीं होता ही रहेगा, दरअसल हमारे किसान भाई अपने फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए जिस तरह से अंधाधुंध कीटनाशक व खरपतवार नाशक दवाई व रासायन के छिडकाव करते है, उसका ही यह दुष्परिणाम है |
क्या आप जानते है - की वो रसायन जो कीटनाशक के रूप में छिडकाव की जाती है , वो कहाँ जाता है ? क्या जमीन निगलती है या वो कीट-फतिंगो जिनके लिए छिडकाव की जाती है वो सारे खाकर मर जाते है ?
आमतौर पर ये सारे के सारे रसायन उस जमीन के अन्दर ही होती है और फसल जो भी उगते है उसके फली के अन्दर उसी रासायन की मात्रा होती है |
दरअसल पैदावार बढाने की प्रतियोगता में किसान भाई रासायन रूपी भष्मासुर का छिडकाव करते है जो आगे चलकर हमारे ही शरीर के लिए अभिशाप साबित होता है |
कौन सा रोग कब किसे हो जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता | सुबह उठकर दिन भर कार्य-व्यापारों के निपटाने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति अचानक हार्ट अटैक से देवलोक गमन कर जाते है, तो सभी को आश्चर्य होता है |
तमाम काम अधूरे पड़े रहे मेरे
मैं जिन्दगीं पे बहुत एतबार करता था |
दरअसल आज के युग में ऐसे बहुत कम लोग मिलेंगे जो पुर्णतः स्वस्थ्य हो, अन्यथा किसी न किसी बीमारी से घिरे व्यक्ति ही ज्यादा मिलेंगे | यदि आप अपने को पूर्ण स्वस्थ्य मानते है तो डॉक्टर के यहाँ जाँच कराये, विभिन्न जांच के उपरांत कई रोगों से घिरे हुए हो सकते है |
यहाँ तक की स्वयं डॉक्टर को भी नहीं मालूम होगा की वह कितनी बिमारियों को ढो रहा है |
कई रोग अपने लक्षणों से रोगी तक सन्देश दे देते है जबकि कुछ रोग ऐसा छुपा रुस्तम होता की सहज पकड़ में नहीं आता और चुपचाप अपने आतंकी कामों में लगा रहता है , और बाद में अपने मंसूबों को पूरा कर लेते है | ज्यादातर रोग आज कल व्यक्ति के आहार विहार, रहन-सहन पर निर्भर करते है | कुछ रोग मेहनती व्यक्ति से दूर रहते है जबकि आराम पसंद से चिपक जाते है |
एक समय था जब तपेदिक ( टी.बी ) रोग राजाओं , धनाढ्य व्यक्ति को ही हुआ करता था , इसीलिए इसका नाम "राजयक्ष्मा" रखा गया | आज सबसे ज्यादा यह रोग गरीबों को ही सता रही है | मोटापा,हृदयरोग,हाइपरटेंशन और मधुमेह जैसे रोग पहले " अमीरों" के रोग कहे जाते थे लेकिन अब तो ऐसा लगता है की रोगों ने भी "समाजवाद" का रास्ता अख्तियार करके गरीब-आमिर सभी को अपनी गिरफ्त में ले लिया है |
प्रत्येक व्यक्ति सुविधा पसंद होता जा रहा है , श्रम युक्त दिनचर्या से मुंह मोड़ने लगे है, दूसरी खान पान भी दूषित सेवन करता है | वर्तमान में मिलावटी खाद्य पदार्थों का ऐसा बोलबाला है की कई बार मध्यस्थ बना दूकानदार भी नहीं जान पाता की वह जिस चीज को बेच रहा है, वह मिलावटी या नकली है |
ऐसे में कई प्रकार के रोग अब व्यापक बनते जा रहे है | बात करे मधुमेह की, तो करोड़ों लोग इससे पीड़ित है, औ तो और असंख्य दम्पति भी मधुमेही मिलेगे | यानि पति-पत्नी दोनों ही मधुमेह से पीड़ित मिलेंगे | मधुमेह से ग्रसित नमी गिरामी हस्तिया तो है ही | नमी-गिरामी डॉक्टर और बैद्य भी इसके जाल में फंसे हुए मिलेंगे | उच्च वर्ग से लेकर मध्यम वर्ग तक तो मधुमेह फैला हुआ है ही,अब तो अल्प आय वर्ग भी शुगर की बीमारी वाले मिलने लगे है |
यह ऐसा रोग है जो आसानी से पकड़ में नहीं आती और चुपचाप अपना गलत काम करता रहता है | हाँ, कुछ लक्ष्ण से आपको संकेत मात्र देंगे की आप सचेत हो जाए , तुरंत जाँच करवाय और शर्करा बढ़ी हुई निकले तो उसके प्रति लापरवाह न बने तुरंत खान-पान, दिनचर्या में आवश्यक परिवर्तन करें | यथाशीघ्र आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां वाली औषधीय का सेवन कर दें ताकि शर्करा का स्तर नियंत्रित रहें |
हमारे पास इस रोग से छुटकारा पाने के लिए रामवाण औषधि है, जो निम्नलिखित है :-
१. एलो वेरा जेल
२. गार्लिक थाइम
३. जिन चिया
३. लाइसियम प्लस
उपरोक्त उत्पाद सभी के सभी फॉर एवर लीविंग प्रोडक्ट USA के मिलेंगे जिसका किसी भी प्रकार के कोई दुष्प्रभाव नहीं होंगे |अतः इस प्रकार के पथ्यापथ्य तथा समुचित सावधानियों के अपनाकर मधुमेह के साथ भी सामान्य जीवन जिया जा सकता है |आयुर्वेदिक औषधि के रूप में उपरोक्त लिखित उत्पाद रामवाण साबित हो सकता है |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
3 comments
वाह कमाल की औषधियां बताई । अब इन्हे खरीदें कहांसे ?
बढ़िया जानकारी !
लोग ताजा रस पीने के चक्कर में पौधों का सीधे रस निकालते है पर वे यह ध्यान नहीं देते कि पौधा किन परिस्थितियों में उगा है | प्रदूषित जगह उगे पौधे में जहरीले तत्व समा जाते है |
जबकि लोग यह मानते है कि पौधे जमीन खाद्य पदार्थ फ़िल्टर करके ग्रहण करते है पर ये बात पूरी तरह सच नहीं | यदि एसा होता तो पंजाब के किसानों के खून में सबसे ज्यादा यूरिया की मात्र नहीं होती |
एलोवेरा जैसे पौधे तो प्रदूषण को सोखते है इसलिए प्रदूषित वातावरण में पनपा पौधा दूषित हो जाता है और हम उसका रस ताजा समझ सेवन कर उलटे बीमार पड़ जाते है या जान से हाथ धो बैठतेहै
आशा जी हार्दिक धन्यबाद, आपने लेख को पसंद किया |
प्रोडक्ट आप अपने देश में हो या विदेश में कहीं से भी खरीद सकते है
कम्पनी का अपना कार्यालय है पुरे दुनिया के करीब १४५ देशों में
तो आप जहाँ हो वहीँ से ले सकते है | बस थोड़ी सी औपचारिकता है वह करना होगा |
जब आप मन बनायेंगे तो आप अपना पता सहित जन्मतिथि फोन पिन कोड के साथ हमें लिखें |
आभार |
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