रूप और सौन्दर्य दोनों ही मानव के अभीष्ट है | जिनकी ओर मनुष्य स्वाभावतः आकर्षित होता है, मुग्ध होता है | किन्तु उन सब साधनों व बातों से अनभिग्य रहता है की जो उसके रूप सौन्दर्य को स्थायित्व देते है, उसकी काया सदा जवान बनाए रखते है, सही मायने में वे साधन जो उनका कायाकल्प करते है | बढती हुई उम्र को वृद्धावस्था को पुनः यौवन की ओर ले जाते है |
यदि वर्तमान युग की बात करे, तो युवक-युवतियां दोनों ही अपने सौन्दर्य व अपनी काया को सुन्दर कोमल-सुदृढ़ बनाए रखने में प्रयासरत तो है लेकिन मात्र कोस्मेटिक के सहारे जिसका कुछ ही समय बाद दुष्प्रभाव उजागर होने लगता है |कोस्मेटिक से सौन्दर्य प्राप्त करना कोई स्थायी विकल्प नहीं है हाँ, यह हमारे रूप लावण्य, त्वचा, बालों, आँखों इत्यादि को कुरूप बनाने का तो जरुर स्थायी विकल्प हो सकता है |
कायकल्प का मतलब सिर्फ बाहरी तौर पर नवीन बनाना नहीं है बल्कि इसका आशय है तन और मन को बहार से और अन्दर से पुर्णतः स्वस्थ्य-सुदृढ़ और सुन्दर बनाना | अपने अन्दर बढती उम्र के अनुसार उत्पन्न होती कमजोरी को, थकावट, आलस्य, रोग-विकार, आदि कई रोगों को नष्ट कर अपनी बढती उम्र को वहीँ विराम देकर पुनः नवीनता की ओर अग्रसर करना |
अतः अपने सौन्दर्य व कायाकल्प की देखरेख में आपके संतुलित सात्विक आहार-विहार से लेकर शारीरिक व्यायाम आवश्यक है और इन सबके लिए अत्यधिक आवाश्यक है आपका प्रकृति से जुड़ना |
क्यूंकि हमारा शरीर प्रकृति से मिलकर बना है, अग्नि, वायु,मिटटी,आकाश,पानी अतः हमारी देखभाल भी इन्ही पंचतत्वों के उत्पन्न पदार्थों से ही संभव है, न ही कोस्मेटिक व कैमिकल्स डालकर बनाए गए क्रीम,लोशन और जेल इत्यादि से |
शारीरिक सौन्दर्य व आंतरिक सौन्दर्य यानि ( उदर,यकृत,किडनी,आँतों, ह्रदय की स्वस्थ्यता ) को लम्बे समय तक कायम व सुचारू रखने के लिए आवश्यक है- संतुलित एवं पौष्टिक आहार | कृत्रिम सौन्दर्य प्रसाधनो से प्राप्त सौन्दर्य कृत्रिम ही रहता है स्थायी नहीं |
कायकल्प में आहार की भूमिका :- भोजन में कार्बोहाईड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, शर्करा और खनिज लवण आदि पोषक तत्वों का समावेश शारीरिक सौन्दर्य के लिए आवश्यक है | शारीरिक -मानसिक स्वास्थ्य सौन्दर्य को द्रिघकाल तक स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए संतुलित आहार का सेवन बहुत आवश्यक है | संतुलित एवं सात्विक और संयमित भोजन का नियमित सेवन और सकारात्म्ल सोच, शारीरिक स्वास्थ्य एवं सौन्दर्य के लिए प्रार्थमिक आवश्यकता है |
शरीर में आवश्यक जल, रक्त तथा अन्य पोषक तत्वों की मात्र बनाए रखने के लिए भोजन में फल-सब्जियों का भरपूर सेवन करना चाहिए |
प्राकृतिक चिकित्सा में दूषित तत्वों को शरीर से निष्कासित किया जाता है,प्राकृतिक चिकित्सा में किसी औषधि का सेवन नहीं कराया जाता, फल, जूस व सब्जियां के माध्यम से पाचन क्रिया को तीव्र की जा सकती है, जिससे मॉल विसर्जन नियमित रूप से होता रहता है | इस प्रकार शरीर विभिन्न रोगों से मुक्त रहता है |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
कार्यालय की व्यस्तता के वजह से आज मैं काफी दिनों के बाद आपके सामने आ रहा हूँ | मस्तिष्क में एक साथ कई विचारों का टकराव चल रहा है | एक तरफ ज्वलंत विषय जैसे राष्ट्रमंडल खेल तो दूसरी और जम्मू कश्मीर की समस्या | और भी कई ऐसे विचार मन में उभर के आ रहा है परन्तु सबसे खुसी की बात यह है की दुनिया भर की थुक्क्म पैजार और घोटाले पर घोटाले की खुलासे के बाद अंततः राष्ट्र की गौरव राष्ट्र मंडल खेल की शुरुआत होने जा रही है | राहत की बात यह भी है की हामारे यहाँ करीब करीब दुनिया के सारे खिलाड़ी आ रहे है, जो की पहले मना कर दिए थे |
इन सब के लिए जिम्मेदार रहा अपने ही देश की मिडिया, जिन्होंने सम्पूर्ण संसार में अपने देश का नाम पर जी भर के कीचड़ उछाला | राष्ट्र मंडल खेल से सम्बंधित अगर कोई खबर कहीं छपी है तो भ्रष्टाचार, बैमानी,दुर्घटना, बदहाल सड़के,पुल इत्यादि | पर क्या इतने पड़े पैमाने पर जो आयोजन है इसमें कोई अच्छाईयां भी होगी या नहीं ?
लेकिन कहीं भी मिडिया ने उसे सुर्खियाँ में नहीं लाया | तो क्या मिडिया की दायित्व सिर्फ गलत और भ्रष्ट बातें ही आम लोगों में परोसने का है | देश की अच्छी तस्वीर भी है और हम अपने देश पर गर्व करते है, राष्ट्रमंडल खेल का सिर्फ हिस्सा ही नहीं बल्कि दुनिया को दिखा देंगे की इस तरह के आयोजन को सही और स्वस्थ्य तरीके से सम्पन्न कराने के लिए देश बिल्कुल समर्थ है |
खैर ये तो रहा स्वस्थ्य मानसिकता वाली बाते जो हमेशा लोगों में होनी ही चाहिए | साकारत्मक सोच से आप को सही मार्गदर्शन मिलती है | नाकारात्मक सोच लोगों में पेशानियाँ,बीमारियाँ जैसे मानसिक रोगी, रक्तचाप,ह्रदय रोग पैदा करती है | क्यूँ नहीं हम हमेशा एक अच्छी सोच के साथ दिनों की शुरुआत करें ,ताकि दिन का अंत भी खुशहाल एवं सुखद हो |
आज के प्रतिस्पर्धात्मक व तीव्र गति के आधुनिक जीवन शैली में "स्वस्थ्य ही धन है", जैसे शब्द का कोई मायने नहीं रह गया है | जीवन का आपाधापी भागमभाग, विकृत आहार विहार और पाश्चात शैली इत्यादि में लोगों को समय तालिका ही बिगार दिया है | आजकल तो लोग जागने के समय पर सोते है और सोने के समय पर जागते है | इससे क्या स्वस्थ्य मानसिक का विकाश संभव है ? कदापि नहीं , अगर ताउम्र हम स्वस्थ्य जीवन जीना चाहते है, तो हमें अपने जीवन शैली में सुधर लाना चाहिए |
इन्हीं सबके कारण आज कल आमतौर पर लोगों में गंभीर माने जाने वाले रोग का संक्रमण हो रहे है | छोटे उम्र में चश्मा, बालों में सफेदी,मधुमेह, घुटनों में दर्द आदि देखा गया है | बच्चों में भी आजकल तनाव का माहौल है |इसके कई कारण है , इसके लेकिन आज के मुख्य कारण है अकेला परिवार जहाँ दिन भर बच्चे अकेले घर में रहते है उनके माता-पिता काम पर चले जाते है | फिर अपने आप को अकेला महशुस कर बच्चे धीरे-धीरे तनाव में रहने लगते है | और बाद में कई समस्या बच्चों को बिमारी के रूप में घेर लेती है |
दिनचर्या में आप आजके सबसे प्रसिद्द आयुर्वेदिक औषधि एलो वेरा का जूस का नियमित सेवन करें और अपने बच्चों को बिट्स न पिचेज जरुर दें और देखें फर्क सिर्फ कुछ ही महीनो में बच्चे की सारी समस्या स्वतः समूल नष्ट हो जायेंगे | बच्चों के लिए खासकर अमृत है बिट्स न पिचेज |
इस उत्पाद के सेवन से बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकाश होंगे और मंद बुद्धि बच्चों लिए तो ये मस्तिस्क का खुराक जैसा काम करेगा यानि सर्वश्रेष्ट उत्पाद है | इस उत्पाद का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है | अतः अपने घर में एलो वेरा जूस और बिट्स न पिचेज लाये और घर को स्वस्थ्य बनाए |
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पेट में दर्द होना एक आम समस्या है ,जिससे लगभग सभी व्यक्तियों को जीवन में अनेक बार सामना करना पड़ता है | इनके कारण अनेक तथा अलग हो सकते है , किन्तु फिर भी पेट के किसी भी भाग में व स्थान में दर्द को सामान्यतः हम "पेट दर्द" के नाम से ही संबोधित करते है | तत्पश्चात यदि चिकित्सक के पास जाने की आवश्यकता पड़ जाय तो तो वो निदान कर के बताते है कि पेट दर्द किस कारण से हो रहा है और उसे फिर रोग विशेष का नाम देकर उपचार प्रारंभ करते है |
जैसे की गेस्ट्राईटिस, हायपर एसिडिटी, अपेंडीसाईटिस, कोलाइटिस, या अल्सरेटिव कोलाइटिस इत्यादि | कई बार ऐसा देखा गया है कि अचानक पेट में असहनीय दर्द के मरे व्यक्ति तड़पने व छटपटाने लगता है | अनेक बार वायु का गोला सा उठता है और कई बार ऐठन , मरोड़, सुई या शूल चुभने जैसा, आरी से काटने जैसी स्थिति हो जाती है | कभी कभी पेट में अफारा आकर पेट को ढोल की तरह फुल जाता है और ऐसा लगता है मनो पेट फटने वाला है , ऐसी हालात में पेट में तेज दर्द होने लगता है|
अब हम इनके प्रमुख कारणों पर गौर करेंगे : - पेट दर्द के अनेकों कारण हो सकते है | पेट अवस्थित अंगों में अन्न नलिका, आमाशय, ग्रहणी, छोटी आंत, बड़ी आंत, अपेंडिक्स, मलाशय, लीवर, तिल्ली, दोनों गुर्दे, मूत्र नलिका ( Ureter ) पेनक्रियाज, पिताश्य ( Gall bladder ),तथा स्त्रियों में गर्भाशय एवं अंडाशय ( दोनों ओवरीज ) प्रमुख है
इन अंगों में से किसी भी अंग में विकार होने से पेट में दर्द हो सकता है | किन्तु दर्द का स्थान और दर्द की प्रकृति भीं-भिन्न प्रकार से महसूस की जाती है | कब्ज़-गैस बनाना, अपच या अजीर्ण तथा कीड़े पेट दर्द के प्रमुख कारण माने जाते है |
आमतौर पर पेट दर्द का कारण हमारे खाने-पिने की विकृत होने से सम्बंधित ही होता है | व्यस्त जीवन शैली, जंक फ़ूड आजकल का सबसे प्रमुख आहार हो गया है | गरिष्ठ भोजन जो की वायु बनता है, उसका सेवन अधिक मात्रा में करना, ठंढा-बासी खाना, तेल-,मिर्च मसालेदार पदार्थों का अत्यधिक सेवन, पेट में गैस बनाना , कब्ज़ रहना,आमाशय -गृहणी अथवा आँतों में अल्सर, हायपर एसिडिटी, आँतों में सुजन भोजन के तत्काल बाद सो जाना, भोजन के तत्काल ही भागना, कूदना, फंदना , कोई विषाक्त पदार्थ खा लेना इत्यादि अनेक कारण से पेट में तेज दर्द हो सकता है |
घरेलु उपचार :- अब जैसे ही पेट दर्द की शिकायत कोई व्यक्ति अपने घर में करता है तो उसे तत्काल घरेलु उपचार कर उसे ठीक करने की कोशिस की जाती है | उस वक्त सिवाय इसके की क्या खाया-पिया था, पेट दर्द की वास्तविक जानकारी के बगैर अपनी समझ से घर पर मौजूद सुबिधाओं जैसे सोंठ, मेथीदान, काला नमक, अजवायन इत्यादि का प्रयोग आमतौर पर किया जाता है | प्रार्थमिक उपचार के तौर पर यह एक विशिष्ट औषधि माना जाता है | फिर भी अगर दर्द में लाभ नहीं मिल रहा हो तो तत्काल चिकित्सक को दिखाना ही बुद्धिमानी है |
पर अगर आपके घर में एलो वेरा जेल है तो आपके घर का समझिये वो खुद ही वैद्य है | एलो वेरा भारत में सदियों से लोकप्रिय है और इसे कई नाम से जाना जाता है जैसे कोरफड, कुमारी, घी कंवार, ग्वार पाठा, घृत कुमार, केतकी इत्यादि | एलो वेरा का सबसे अधिक चिक्तिसीय व औषधीय गुणों के भण्डार वाले पौधा बार्बाड़ेंसिस मिलर का ही प्रयोग करते है |
एलो वेरा में मौजूद लिग्निन और सेपोनिन प्राकृतिक तरीके से आपके पेट के अन्दर की आंत को अच्छी तरह से सफाई कर देते है | जब आपके पाचन प्रणाली का टाक्सिन निकल जाता है तो आप अन्दर और बाहर दोनों रूप से स्वस्थ्य हो जाते है | अतः एलो वेरा आपके घर का वैद्य है जब तक आपके पास है आपको प्रार्थमिक चिकित्सा की शायद आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी |
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एलो वेरा नेक्टर में है हमारे एलो वेरा जेल में पाए जाने वाले सभी पोषक घटक साथ ही, इसमें है क्रेनबेरी और एपल के अतिरिक्त पोषक गुण क्रेनबैरिज इतनी गुणकारी क्यों है? अपने मीठे स्वाद और मूत्रमार्ग को साफ करने के अपने अनोखे गुण के अलावा, क्रेनबैरिज में है विटामिन सी, यह पिक्नोजिनाल का भी एक उत्तम प्राकृतिक स्त्रोत है, जो ऐसा शक्तिशाली एंटीओक्सीडेंट है , जिसे कोलाजेन बनाए में सहायता मिलती है |
कोलाजेन इतना महत्वपूर्ण क्यों है ?
कोलाजेन का निर्माण शरीर के टिश्यु सैल्स, मसूड़ों,रक्तवाहिनियों,हड्डियों और दांतों के विकाश तथा मरम्मत के लिए अत्यावश्यक है | इतना ही नहीं, कोलाजेन एक ऐसा ग्लू है, जो वास्तव में पुरे शरीर को एक साथ जोड़े रखता है |
एलो बेरी नेक्टर:- इसमें क्रेनबेरी के जूस के अलावा एपल जूस भी मौजूद है | एपल जूस में मौजूद विटामिन ए और सी के अलावा पोटाशियम और पक्तिं भी होता है | यही नहीं, एपल्स में किसी भी अन्य फल या सब्जी के मुकाबले फास्फेट की मात्रा कहीं ज्यादा होती है |
आइये अब जानते है विटामिन सी इतना महत्वपूर्ण क्यों है ?
सबसे पहले तो यह समझ ले की हमारा शरीर विटामिन सी को शरीर में संग्रह नहीं रख सकता, इसलिए आपको हर दिन 200 से 400 मी.ग्रा. विटामिन सी लेना बहुत जरुरी है | कुछ स्त्रोत के अनुसार हर दिन 500 मी.ग्रा.विटामिन सी लेने की सिफारिस की जाती है |
हमारी रोगप्रतिकारक प्रणाली को मजबूत बनाने, फ्री रेडिकल्स से लड़ने और ह्रदय तथा आँखों के स्वास्थ्य के लिए हर दिन विटामिन सी लेना जरुरी है | यह कोई साधारण बात नहीं !
फास्फेट और विटामिन ए क्यों इतने आवश्यक है ?
लायनस पोलिन इंस्टीच्युट के अनुसार फॉस्फेट एक ऐसा अत्यावश्यक मिनरल है, जो शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली की हर कोशिका के लिए जरुरी है साथ ही, हमारी रोगप्रतिकारक प्रणाली के सामान्य रूप से काम करने के लिए भी विटामिन ए जरुरी है |
उप्रोत्क्त जानकारी के उपरांत ये बात तो आपको समझ में आ गई होगी की - क्यों एलो बेरी नेक्टर हर दिन लेना चाहिए ? हमें एलो बेरी नेक्टर पिने के असली कारणों को नहीं भूलना चाहिए ------ जो स्टेबीलाइज्ड एलो जेल है !
अब सबाल यह है की एलो वेरा जेल इतना क्यों महत्वपूर्ण है?
अपने प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाले विटामिन्स और मिनरल्स एक साथ, एलो वेरा हमारी रोगप्रतिकारक प्रणाली और पाचन प्रणाली को प्राकृतिक रूप से सहायता करता है | एलो वेरा जेल में शामिल है :- विटामिन ए , बी 1 ,बी 2 ,बी 6 ,बी 12 , सी, ई, फालिक एसिड और निआसिन- ऐसे सभी विटामिन, जो हमारा शरीर तैयार नहीं कर सकता, तो एलो बेरी नेक्टर पीजिये और शरीर की रोगप्रतिकारक प्रणाली को शक्तिशाली बनाइये.... प्राकृतिक रूप से !
एलो बेरी नेक्टर कैल्सियम,सोडियम,आयरन, पोटाशियम,क्रोमियम,मैग्नेशियम,मेंग्निज,कॉपर,और जिंक भी उपलब्ध कराता है, है न मिनरल्स का खजाना ! शरीर को अपने सुडौल-स्वस्थ आकार में बनाए रखने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है? आपकी त्वचा इन पोषक तत्वों का भौपुर इस्तेमाल करेगी, जिनमे है भरपूर एंटीओक्सीडेंट क्षमता आपके शरीर को हर दिन पोषक तत्वों की जरुरत पड़ती है
आपके शरीर के टिश्यु,सैल्स,मसूड़े, रक्तवाहिनियाँ,हड्डियाँ और दांत भी आपका शुक्रिया अदा करेंगे | तो चलिए , इस पोषक तत्वों के एक ही खजाने से चुनिए अनेक फायदे के लिए !
उपयोग करने का निर्देश :-
हर दिन, दिन में एक या दो बार सुबह सबसे पहले और रात को सोने से पहले पीना न भूलें..... बशर्ते आप रात का खाना जल्द खा लेते हों, ग्लास में डालने से पहले इसे अच्छी तरह हिलाएं | एक बार सील तोड़ने के बाद हमेशा इसे रेफ्रिजरेटर में रखें | एक बिना खुला डिब्बा आप चार साल तक रख सकते है और खोलने के बाद रेफ्रिजरेटर में रखा डिब्बा आपको 3 महीने के भीतर इस्तेमाल करना होगा |
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स्वाइन फ्लू यानि इन्फ़्लुएन्ज़ा ( एच1 एन 1 ) एक ऐसा वाइरस है जिन्होंने पूरी दुनिया में अपना दस्तक दे चुके है | शायद ही कोई ऐसा देश हो जो इनका शिकार नहीं हुआ हो | वैसे तो यह साधारण फ्लू जैसे ही होते है परन्तु अगर सही वक्त पर इसका इलाज नहीं किया गया तो यह जानलेवा भी सवित हो सकती है |
आमतौर पर यह सूअरों से होने वाली साँस संबधी बीमारी है | वैसे तो यह बीमारी सूअरों में ही होता है परन्तु कई बार सूअरों के सीधे सम्पर्क में आने से यह मनुष्यों में भी फ़ैल जाती है इसके अलावा संक्रामक बीमारी है | बलगम और छींके से भी यह बीमारी फलती है |
स्वाइन फ्लू के लक्ष्ण :-
इसमें 100 डिग्री से ज्यादा का बुखार आना लगभग आम है | खांसी,काफ आना, जुकाम या नाक बहना , बदन दर्द और सर दर्द , ठंढ लग्न, साँस लेने के तकलीफ , थकावट, उल्टियां और दस्त ,गले में खराश महशुस होना आदि इनके मुख्य लक्ष्ण है |
बेकाबू हो रही स्वाइन फ्लू के रोकथाम के लिए नित्य नए कदम उठाये जा रहे है ताकि इसपर नकेल लगाया जा सके |
खासकर गर्भवती महिलायें, छोटे बच्चे और बुजोर्गों को इससे ज्यादा सावधान रहने की जरुरत है | इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति मधुमेह, अस्थमा, फेफड़ों, किडनी या दिल की बीमारी, अर्थात कमजोर प्रतिरक्षा तन्त्र वाले व्यक्ति को विशेष सावधान रहने की जरुरत है |
लेकिन आप घबराए नहीं , सरल उपाय से इस तरह के महामारी को बढ़ने से रोक सकते है |
> बहार से आने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से साबुन से धोएं |
> नाक, मुंह अथवा हाथ को छूने से पहले तथा बाद में हाथ को साफ़ जरुर करें |
> शारीरिक रूप से सक्रीय रहें और रोज व्यायाम करें तथा भरपूर नींद लें |
> भीडभाड वाले स्थान में अनावश्यक न जाए |
> हाथ मिलाना, लोगों से गले मिलना और चुम्बन अथवा छूकर लोगों का स्वागत करने के अन्य तरीके से बचे | चिकित्सक के परामर्श से ही दवाई ले | खुली जगह पर ना थूके |
जैसा की मैं अक्सर चर्चा करता रहता हूँ दुनिया के सर्वश्रेष्ट औषधि के बारे में, जी हाँ एक बार फिर से मैं दुहरा रहा हूँ अगर कोई व्यक्ति आज के धरती का अमृत एलोवेरा जेल का सेवन करें तो ये छोटी मोटी रोग उन्हें छू भी नहीं सकती | यहाँ तक की बड़े से बड़े असाध्य रोग भी अगर शरीर के अंदर बन रहा होगा तो वह भी स्वतः नष्ट हो जायेगा | यह वास्तव में मानव के लिए अमृत तुल्य है |
जेल में उपस्थित 200 से भी ज्यादा घटक होते है, 20 मिनरल्स,18 अमीनो एसिड्स और 12 विटामिन सहित 75 पोषक तत्व है | खासकर एलोवेरा में 8 आवश्यक अमीनो एसिड होते है जिनकी जरुरत इंसान को होती है परन्तु शरीर स्वतः निर्माण नहीं कर सकता |
अगर कोई व्यक्ति डायबिटीज,उच्च रक्तचाप, एसिडिटी, कब्ज़, गठिया, मानसिक रोग, ह्रदय रोग यानि की कब्ज़ से लेकर कैंसर तक पुराने रोग से पीड़ित हो | ऐसे में उन्हें रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही कम हो जाती है |
इसिलए उन्हें विशेष प्रकार की जड़ी बूटी से निर्मित फॉर एवर लिविंग प्रोडक्ट्स के पोषक पूरक और एलो वेरा जेल से सम्पूर्ण फायदा मिल सकता है | अगर आप ऐसे किसी भी व्यक्ति को जानते है तो उन्हें इसके बारे में जरुर बताएं | शायद आपका सलाह किसी के जीवन में उम्मीद की नई किरण ला सके |
अतः मनुष्य को आज के वायरस वाले वातावरण में अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए इस तरह के पूरक का सेवन करना नितांत आवश्यक हो गया है |
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ल्यूकोरिया वर्तमान समय में स्त्रियों की एक आम समस्या है | इससे ज्यादातर स्त्रियाँ प्रभावित होती है | इसे आयुर्वेद में "श्वेत प्रदर" और आम भाषा में लोग " पानी जाना" कहते है | इस रोग से किसी भी उम्र की महिलायें प्रभावित हो सकती है यहाँ तक की अविवाहित लड़कियां भी इस रोग की शिकार हो जाती है | ज्यादातर महिलायें जिन्हें बिना परिश्रम के भोजन मिल जाता है, या जिनका चलना फिरना कम होता है अर्थात जो मौज मस्ती एशो आराम की जिन्दगी जीती है | वे स्त्रियाँ इस रोग से शीघ्र ग्रसित हो जाती है |
यह रोग गर्भाशय की स्लैष्मिक कला में सुजन उत्पन्न हो जाने के फलस्वरूप हो जाता है | इस रोग में गर्भाशय से सफ़ेद रंग का तरल पानी आने लगता है, जिस प्रकार पुरुषों में प्रमेह की आम शिकायत होती है, ठीक उसी प्रकार यह स्त्रियों का रोग है | स्त्री के इस धातुस्त्राव में दुर्गन्ध आती है और उसकी योनी से जब तब चौबीस घंटे पतला-सा स्त्राव होता रहता है |
ल्यूकोरिया के मुख्य कारण पोषण की कमी तथा योनी के अंदर रहने वाले जीवाणु है | इसके अतिरिक्त और भी कई कारण होता है जो श्वेद प्रदर होने की संभावना रहती है | जैसे :- गुप्तांगों की अस्वच्छता , खून की कमी तथा अति मैथुन.अधिक परिश्रम, अधिक उपवास आदि है |
इस रोग के दुसरे कारण जीवाणु का संक्रमण, गर्भाशय के मुख पर घाव होना , यौन रोग , मलेरिया आदि से श्वेत प्रदर गंभीर रूप धारण कर लेता है | इस तरह से यह रोग बहुत ही कष्टदायक हो जाता है अतः रोग कैसा भी क्यूँ न हो कभी भी शर्म से या लापरवाही से छिपाना नहीं चाहिए |
श्वेत प्रदर के प्रारम्भ में स्त्री को दुर्बलता का अनुभव होता है | खून की कमी के वजह से चक्कर आने लगते है , आँखों के आगे अँधेरा छा जाने जैसे लक्ष्ण उत्पन्न हो जाते है | कुछ महिलाओं में स्त्राव के कारण जलन और खुजली भी होती है | रोगग्रस्त महिला क्षीण व उदास बनी रहती है उसके हाथ पैरों में जलन और कमर दर्द बना रहता है |
रोगी की भूख में कमी आने लगती हैं कब्ज़ बनी रहती हैं तथा पाचन शक्ति दुर्बल हो जाती है | इनके अतिरिक्त बार-बार मूत्रत्याग, पेट में भारीपन, जी मचलाना आदि लक्षण पाए जाते है | इस अवधि में रोगी का चेहरा पिला हो जाता है | मासिक धर्म में भी गरबड़ी आ जाती है फलस्वरूप स्त्री चिडचिडी हो जाती है |
ल्यूकोरिया सामान्य हो या असामान्य सर्वप्रथम इसके मूल कारणों का निवारण करना चाहिए | रोगिणी को खान-पान में सावधानी रखनी चाहिए | खट्ठी-मिट्ठी चीजें, तेल-मिर्च, अधिक गर्म पेय तथा मादक पेय का त्याग करना चाहिए | गुप्तांगो को नियमित साफ़ करना चाहिए | खून की कमी को पूरा करने के लिए आहार या आहारीय पूरक का प्रयोग करना चाहिए | बार-बार गर्भपात कराने से बचें | रोग को शर्म से छिपायें नहीं और न ही ज्यादा चिंता करें |
इसके लिए बाहरी उपचार जैसे योनी को किसी अच्छे साबुन से दिन में दो बार धोएं |
फिर आयुर्वेदिक औषधि से आप वो सब कारणों का इलाज़ कर सकते है जिससे वो समूल नष्ट हो जायेगा | जो की निचे लिखा जा रहा है और यह ल्यूकोरिया के लिए एक अचूक औषधि है :-
1 . एलो बेरी नेक्टर
2 . पोमेस्टिन पावर
3 . गार्लिक थाइम
4 . फील्ड्स ऑफ़ ग्रीन
5 . बी प्रोपोलिस
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क्या आप एसिडिटी और मोटापे की समस्या से परेशान है ? या किसी काम में अपने मन को एकाग्रचित नहीं कर पा रहे है ? यादास्त की भी समस्या हो रही है? अगर ऐसा आपके साथ हो रहा है, तो आपका जरुर सोने और जागने का समय ठीक नहीं हो सकता है |
वर्तमान की भागम-भाग जिन्दगी की सबसे बड़ी समस्या है दिनचर्या की उचित ढंग से पालन नहीं करना | इसका प्रतिकूल असर हमारे सेहत पर पड़ता है | सूर्योदय से पहले यानि ब्रह्म मुहूर्त में जागना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद सिद्ध होता है | सुबह की तरोताजा हवा, विशुद्ध वातावरण हमारे मन, शरीर व दिमाग को प्रफुलित कर देता है |
ऐसे में मन को एकाग्रचित करना बेहद सुखद अनुभूति होता है | ब्रह्म मुहूर्त में जागने से हमारे शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र में भी मजबूती आती है |
और भी कई फायेद है सुबह जल्दी जागने का :-
> पेट साफ़ रहता है कब्ज़ और अपच जैसे समस्या नहीं होती है |
> दिनभर अपने आपको हल्का और खुशहाल महशुस करेंगे |
> दिन भर के कार्यक्रम बनाने में भी आसान होता है |
> मानसिक तौर पर भी मजबूती मिलेगी, यादास्त बढ़ेगी |
> उगते हुए सूरज को देखना, बहुत अच्छा संकेत माना जाता है |
सुबह दिनचर्या के काम से पहले नाश्ता जरुर करें | सुबह का नास्ता को "व्रेन फ़ूड" कहा जाता है | चुकी दिन भर का महत्वपूर्ण आहार है सुबह का नास्ता | रात के खाने के बाद और सुबह के नाश्ते के बिच का लम्बा अंतराल हो जाता है और अगर सुबह का नास्ता नहीं किया जाय तो अंतराल और भी बढ़ जाता है |
हम बेशक सोते है परन्तु मस्तिस्क नींद में भी सक्रीय होता है | ऐसे में दिमाग को ग्लूकोज की आवश्यकता होती है | अर्थात सुबह का नास्ता न करने से ग्लूकोज की कमी होने लगती है | ऐसे में शारीरिक व मानसिक क्षमता का हास होने लगती है, जो सेहत के लिए हानिकारक होता है |
विशेषज्ञों के अनुसार सुबह का नास्ता करने से दोपहर में भूख कम लगती है जिससे आप आवश्यकता से अधिक कलोरी नहीं लेते है और फैट नहीं बढ़ता है |
सुबह का नास्ता संतुलित होना चाहिए | इसमें काल्सियम,( दूध या दूध से बनी चीजें ), प्रोटीन, रेशेदार पदार्थ ( अंकुरित आनाज ), और एंटीओक्सीडेंट( सेब,स्ट्राबेरी,केला,संतरा ) और विटामिन होना चाहिए | और नित्य एलो वेरा जूस का सेवन करें , एसिडिटी और पेट के किसी भी प्रकार के रोगों से मुक्ति पायें |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
आज जहाँ स्वास्थ्य रक्षा में आयुर्वेद का अपना विशेष महत्व है वहीँ बीमारियों की चिकित्सा पद्धति के रूप में भी अपना अस्त्तित्व को बुलंद किया हुआ है |
जहाँ कई तरह के चिकित्सा पद्धति बीमारियों पर असफल हो सकती है, उसे आयुर्वेद में माध्यम से ठीक किया जा सकता है | आयुर्वेद हमेश से लोगों की मान्यता पर खरा उतरता है | साथ ही यह लोगों में विश्वास पैदा करने में सफल हो चुकी है की, आयुर्वेद रोगों का समूल नाश करने वाली चिकित्सा है | इससे रोग को शरीर से स्थायी निराकरण संभव है |
वर्तमान में विकृत जीवनशैली व आहार विहार के कारण रोगों की लंबी श्रृंखला है किन्तु गुदा की बिमारियों में आयुर्वेद का अपना विशेष अधिकार रहा है | यह बात सर्वमान्य है की आज पाइल्स का इलाज में आयुर्वेद से अच्छी चिकित्सा पद्धति नहीं हो सकती है यह स्वयं का अनुभव भी है | अतः आज हम इस क्रम में पाइल्स की बिमारी पर चर्चा कर रहे है क्यूंकि इस बिमारी से ज्यादातर लोग पीड़ित होते है | सामान्य तौर पर अर्श का मतलब है पालीप्स तथा गुदा में होने वाले अर्श को पाइल्स के नाम से जाना जाता है | गुदा में स्थित शिराओं के फुल जाने का नाम ही अर्श है |
इनके प्रमुख कारण है आहार विहार की अनियमितता , अनेक प्रकार के संक्रमण भी एक कारण हो सकते है |
इन कारणों के आलावा आयुर्वेद में शोक , क्रोध,चिंता, मोह, आलस्य आदि के साथ-साथ मद्यसेवन अत्यधिक मैथुन, अत्यधिक व्यायाम आदि भी इनके लिए जिम्मेदार होते है | ह्रदय रोगियों में अर्श होना सामान्य बात होती है |
इस तरह से सामान्य कारणों से लेकर बीमारियों के उपद्रव भी पाइल्स हो सकते है | यह एक ऐसे दुश्मन है जो शरीर के विनाश में लम्बा समय लेते हुए कष्ट के साथ जीवन जीने को मजबूर करते है |
आजकल हर गली के चौक चौराहें व मुख्य मार्ग पर पाइल्स या और भी कई प्रकार के बीमारियों का शर्तिया इलाज करते हुए चिकित्सक अपना बोर्ड व पर्चा चिपकाए नजर आते है | परन्तु कई बार देखा गया है की इन्ही निम् हकीम के वजह से लोग और भी मुसीबत में पर जाते है | अर्थात इस प्रकार से पर्चे वाले चिकित्सक से आपको सावधानी से काम करना चाहिए |
पाइल्स के इलाज़ के लिए आप हमारे एलोवेरा जूस के साथ भी शुरू कर सकते है | चुकी आयुर्वेद के अनुसार अगर आपका आंत और दांत स्वस्थ्य है तो आप को किसी भी प्रकार के कोई रोग हो ही नहीं सकता | अतः आप अपने आहार को ठीक रखें जिससे आपक पेट ठीक रहे |
नई या पुरानी, साधारण या भयंकर, कैसी भी समस्या हो, कहीं का भी बीमारी हो, एलोवेरा बिमारी के पैदा होने के मूल कारणों को ही शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है | एलोवेरा इस प्रकार से नई बिमारी को पैदा नहीं होने देता है | जिस प्रकार गाड़ी की सर्विस कराते है, एलोवेरा ठीक उसी प्रकार से शरीर को अन्दर से सर्विस करता है | नहाने से शरीर की बाहरी भाग की सफाई होती है | एलोवेरा से शरीर के अन्दुरुनी भाग की सफाई होती है | जाहिर सी बात है अगर आप अंदर से साफ़ है तो कोई बिमारी आपको छू भी नहीं सकता है |
पाइल्स के लिए हमारे पास निम्नलिखित उत्पाद है जो इस्तेमाल कर कर इससे मुक्ति पा सकते है :-
1 . एलो वेरा जेल
2 . फील्ड्स ऑफ़ ग्रीन
3 . फॉर एवर अल्ट्रा लाईट
4 . एलो लिप्स
5 . गार्लिक थाइमस
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
जैसा की मैंने पहले अंश में दिल्ली के कुछ सुप्रसिद्ध पर्यटन स्थल के बारे में संक्षेप में लिखा हुआ है, उसी के विषय में यहाँ आज वृहत रूप से चर्चा करेंगे |
दिल्ली की दर्शनीय स्थल जो दिल्ली की शान है : -
कुतुबमीनार :- कुतुबमीनार के निर्माण को लेकर लोगो में मतभेद है | लेकिन इस सम्बन्ध में कोई शक नहीं की 1199 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस का निर्माण कार्य शुरू करबाया और उस की मौत के बाद दुसरे शासकों ने इसे पूरा किया !
लालकिला :- लाल पत्थरों से बना लाल किला ऐतिहासिक धरोहर ही नहीं, अपितु देश की शान भी है | हर स्वतंत्रता दिवस पर इसी ऐतिहासिक किले की प्राचीर से तिरंगा फहरा कर प्रधानमंत्री जी देशवासियों को संबोधित करते है | 3 किलोमीटर में फैले इस कीले का निर्माण 1638 में मुग़ल बादशाह शारजहाँ ने करबाया , जिसे पूरा होने में पुरे 10 वर्ष लगे | बहादुर शाह जफ़र यहाँ राज करने वाले अंतिम मुग़ल शासक रहे |
जामा मस्जिद :- लाल किला के ठीक सामने सडक के दूसरी ओर स्थित जामा मस्जिद देश की सब से बड़ी मस्जिद है | लगभग 25 हजार लोग इसके विशाल प्रांगन में एकसाथ नमाज अदा कर सकते है |
पुराना किला :- महाभारत काल में पांडवों ने इस का निर्माण कराया था , जिसे तब इन्द्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था | प्राचीन समय के कला का अनूठी मिसाल यह किला अब खंडहर में तब्दील हो चूका है | माना जाता है की कभी इस पुराना किला से शेरशाह सूरी का भी सम्बन्ध रहा था |
चिड़ियाँ घर :- पुराने किला से सटे हुए चिड़ियाँ घर में कई प्रकार के विलक्ष्ण पशु और पक्षियाँ यहाँ के लोगों के आकर्षण का केंद्र है | कई प्रकार के जीवजन्तु के अलावा सफ़ेद बाघ भी यहाँ मिल जाता है | रविबार का दिन यहाँ ज्यादा भीड़ नजर आती है | बच्चों में चिड़ियाँघर के प्रति ज्यादा जिज्ञासा देखनो को मिलाता है |
इंडिया गेट :- तक़रीबन 90 हजार सैनिक जो प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान शहीद हुए थे उनकी याद में 42 मीटर ऊँचे इस शहीद स्मारक का निर्माण 1931 में किया गया था | राजपथ के अंतिम छोर पर बने भव्य दरबाजे को इंडिया गेट कहते है | शहीदों की याद में यहाँ हमेशा अमर जवान ज्योति जलती रहती है |
जंतरमंतर :- कनाट प्लेस के नजदीक संसद मार्ग पर स्थित जंतरमंतर
का निर्माण 1725 में जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह ने कराया था | यहाँ की बनी धुप घड़ी, गृह नक्षत्रों की दशा और खगोलीय घटनाओं से सम्बंधित जानकारी देती है !
राष्ट्रपति भवन :- राजपथ के एक छोड़ पर स्थित 340 कमरों वाले राष्ट्रपति भवन में देश के राष्ट्रपति का निवास स्थान है | आजादी से पहले यह वायसराय का निवास स्थान हुआ करता था | सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहाँ आम जनता को जाने की इजाजत नहीं है | राष्ट्रपति भवन के एक हिस्से में में स्थित मनमोहक फूलो की विभिन्न प्रजातियाँ एवं पेडपौधे से सुसज्जित मुग़ल गार्डेन है | आम जनता को देखने के लिए यह गार्डेन 15 फरबरी से एक महीने के लिए खोल दिया जाता है !
प्रगति मैदान :- यहाँ राष्ट्रिय और अंतरराष्ट्रिय स्तर की प्रदर्शनियों का आयोजन सालोभर होता रहता है | यहाँ 14 से 27 नवम्बर तक चलने वाला अंतरराष्ट्रिय व्यापर मेले के अलावा पुस्तक मेले के चलते इस को खासी शोहरत मिली है | यहाँ विभिन्न राज्यों के स्थायी गुम्बजदार इमारत बने हुए है, जहाँ जा कर सैलानी उन प्रदेशों की प्रगति और वहां की सांस्कृति की झलक देख सकते है |
हुमायूं का मकबरा :- 1565 -1566 के बिच हुमायूं ने अवध के नवाब सफदरजंग की याद में यह मकबरा बनबाया | सफदरजंग एअरपोर्ट के निकट स्थित इस मकबरे को हुमायूं के मकबरा निर्माण परम्परा का अंतिम मकबरा माना जाता है | हुमायूं के अन्य मकबरों की तुलना में यह काफी कम क्षेत्र में बना है |
राष्ट्रीय संग्रहालय :- इंडिया गेट के निकट जयपुर हॉउस में और राष्ट्रपति भवन व इंडिया गेट के बीचोबीच जनपथ रोड पर राष्ट्रीय संग्रहालय के दो अलग-अलग भवन है | दोनों भवनों में पुरातन वस्तुओं, कलात्मकता व पुरातत्वीय वस्तुएं संग्रहित है | संग्रहालय में स्थित वस्तुओं से जुडी बातें जानने के लिए यहाँ फिल्मे भी दिखाई जाती है |
डौल्स म्यूजियम :- आईटीओ के पास बहादुरशाह जफर मार्ग पर स्थित इस संग्रहालय में विश्व के लगभग 85 देशों की 600 गुडियाएँ राखी गई है | देश के विभिन्न राज्यों की पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित ये गुड़ियाएं बच्चों को बेहद पसंद आती है | सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक यह संग्रहालय सोमवार के अलावा सभी दिन खुला होता है |
समाधियाँ :- देश की महान विभूतियों की समाधियाँ जमुना नदी से सटे रिंग रोड के दूसरी ओर स्थित है | राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की राजघाट, लालबहादुर शास्त्री की विजय घाट, इंदिरा गाँधी की शक्ति स्थल,तथा राजिव गाँधी की समाधि वीरभूमि पर बनाई गई है | इन समाधियों के आसपास लगे हरी भरी घास पर बैठकर पर्यटक अपनी थकान मिटाते है |
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जय श्री कृष्णा !
सपनो की नगरी दिल्ली की अपनी अलग पहचान है | यहाँ भारत के भिन्न भिन्न प्रान्त से आये लोग अपने लिए जीविकोपार्जन करते है | राजनीती गहमागहमी की शहर दिल्ली, का बिता हुआ कल अपने में कई यादे समेटे हुए है | सदियों से यहाँ शासन करने वाले शासक में परिवर्तन होते रहे है और प्रत्येक नए शासक के दौर में दिल्ली एक नए रूप में उभरकर सामने आती रही है |अनंगपुर के आसपास और आरावली की पहाड़ियों की चट्टाने इस बात की पुष्टि करती है की यहाँ आदि मानवों का बसेरा भी रहा था |
ईसापूर्व कोई हजार वर्ष पहले के काली मिट्टी से बने बरतनों के अवशेषों से इस बात की पुष्टि हुई है की महाभारत काल में यह पांडवों की राजधानी इन्द्रप्रस्थ रही होगी | ईसापूर्व तीसरी सदी के मध्य यहाँ मौर्य शासकों का तो 11वीं सताब्दी में तोमर वंश के शासक अनंगपाल का शाशन रहा | भारत की सबसे ऊँची पत्थर की इमारत कुतुबमीनार की नींव डालने वाला कुतुबद्दीन ऐबक 1206 में यहाँ का पहला मुग़ल बादशाह बना |
इसके बाद खिलजी, तुगलक और लोदी वंशों ने क्रमशः राज किया | 16वीं सताब्दी में हुमायूं ने यहाँ दीनपनाह की नींव रखी थी जो आज पुराना किला है | लेकिन बाद में शेरशाह सूरी ने इसे दुबारा पुराने किले के रूप में तैयार कराया |
यहाँ अकबर और जहाँगीर के शासन में भी निर्माण कार्य होते रहे थे लेकिन 1639 में शाहजहाँ की बनाई गई मुगलों की राजधानी शाहजहानाबाद 1857 तक बतौर मुगलों की राजधानी के रूप में मशहूर रहा |
1911 में अंग्रेज दिल्ली से शासन कार्य करने लगे | इस दौरान उन्होंने भी कई निर्माण कार्य कराये दिल्ली के बीचोबीच आज का कनाट प्लेस अंग्रेजों की ही देन है |
आज के आजाद भारत में भी निर्माण कार्य बहुत तेजी से चल रहा है | फ़्लाइओवर और मेट्रो ने दिल्ली शहर को एक बार फिर नया रूप दे दिया है | वर्तमान में राष्ट्रमंडल खेल के कारण सडको, फ़्लाइओवर और मेट्रो के निर्माण कार्य में दिन और रात चल रहा है | यमुना किनारे बसी दिल्ली को दो भागों में बांटा गया है - पुराणी दिल व नै दिल्ली |
यहाँ दर्शनीय स्थल बहुत सारे है जैसे कुतुबमीनार,लालकिला,जामामश्जिद,पुराना किला, चिड़ियाँघर , इंडिया गेट, जन्तर मन्त्र, राष्ट्रपति भवन,प्रगति मैदान, आपुघर,हुमायूं का मकबरा, सफदरजंग का मकबरा, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्स म्यूजियम, देश में महान विभूतियों की समाधियाँ यमुना नदी से सटे है |
दिल्ली के आसपास आगरा, मथुरावृन्दावन, सूरजकुंड, बड़खल व सोहना जैसे पर्यटन स्थलों पर सुविधानुसार जा कर घुमने का आनंद लिया जा सकता है | इन दिनों दिल्ली में मेट्रो द्वारा भूमिगत और सड़क से ऊपर की यात्रा का आनंद लिया जा सकता है | दिल्ली में चांदनी चौक, करोल बैग,कनात प्लेस, सरोजनी नगर मार्किट मुख्य है, जहाँ आप खरीददारी भी कर सकते है |
और भी बहुत कुछ है जिसके बारे में मैं अगले अंश में चर्चा करेंगे , खासकर पर्यटन स्थल की खासियत और उनसे जुडी कुछ यादें | अगले भाग के लिए इन्तेजार कीजिये और आज का पावन पर्व जन्माष्टमी की आप सब को बहुत बहुत बधाईयाँ |
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ताऊ और ताऊ की भैंस अक्सर ये बाते करते हैं....!
....कुत्ते- कैसे कैसे?