लगता है दिल्ली की राजनीती में जैसे कबड्डी मैच चल रही हो ! एक तरफ टीम केजरीवाल जो आम आदमी पार्टी के संस्थापक और वर्त्तमान मुख्य मंत्री जी है और सामने प्रतिद्विंदी दिल्ली की पुलिस है और रेफरी यहाँ के केंद्रीय गृह मंत्री सुशिल कुमार शिंदे है ! मैच का परिणाम चाहे जो भी हो जनता की हार हर हाल में सुनिश्चित नजर आ रही है ! जनता अब क्या करें? कहाँ जाएँ ? अपनी दुखड़ा किसके पास लेकर जाये? क्योंकि केजरीवाल जी भूल चुके है की वही यहाँ के मुख्यमंत्री है ! परन्तु व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर अनायास आन्दोलन की कोई खास जरुरत यहाँ नजर नहीं आ रही है ? पहले यहाँ के जनता से किये हुए वायदे को पूरा कर लेते इसके बाद जो आन्दोलन का कीड़ा उनके अंदर है वो भी पूरा कर लेते ! इन सब आपाधापी में जनता बिचारी अपनी भाग्य को कोश रही है की क्या हमने इन्हे सिर्फ रोड छाप राजनीती करने के लिए वोट दिया है या सचिवालय में बैठ कर भी कोई नेक काम जो जनता के हक़ में हो उसकी लड़ाई लड़ी जा सकती है ?
दिल्ली की नव निर्वाचित सरकार जिस प्रकार अपना सचिवालय चौराहे पर लगा रखी है यहाँ तक की कुछ जरुरी कागजाते भी वहीँ पर हस्ताक्षरित किये जाते नजर आ रहे थे ! उससे दिल्ली कि अंतराष्ट्रीय पटल पर केजरीवाल साहेब क्या सन्देश देना चाहती है ? क्या यह देश और सचिवालय जैसे प्रतिष्ठित संस्था की गरिमा के साथ छेड़छाड़ नहीं है ? और तो और आजकल उनकी भाषा भी अनपढ़ और सामयवादी लम्पटवाद जैसे हो रही है ! मानसिक स्थिति जैसे असंतुलित हो गया हो, कुछ भी बोल रहे है ? मुख्यमंत्री जी शिंदे को नहीं पहचानते, और वो कहते है कौन होता है शिंदे मुझे बताने वाले कि मैं कहाँ धरना पर बैठूं , मैं दिल्ली का मुख्यमंत्री हूँ मेरी मर्जी कहीं भी बैठ सकता हूँ , मैं बता सकता हु कि शिंदे को कहाँ बैठना है ? अब यह कितना मर्यादित और संयमित भाषा है हमारे आम आदमी पार्टी की आप ही निष्कर्ष निकाले !
केजरीवाल साहेब को एक बात और मान लेनी चाहिए की "काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ा सकते है " और हाँ महोदय जनता बिलकुल जागरूक है जैसा कि आप जानते है ! आप के लाइट एक्सन और मिडिया प्रेम भी अच्छी तरह से समझने लगे है ! अगर अपनी औकात में समय से पहले आ जाये तो बेहतर होगा वर्ना आम आदमी की ताकत भला आप से अच्छा और कौन जान सकता है ? वो जब सर आँखों बिठा सकता है तो जमीं पर पटकने में भी उन्हें जायदा वक्त नहीं लगेगा !
आम आदमी पार्टी अब आम आदमी के लिए अभिशाप साबित होने लगा है ! आज के तारीख में दिल्ली वासियों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत अगर कोई है तो वो है आम आदमी पार्टी और उनके मुखिया अरविन्द केजरीवाल, जो अनरगल कार्यों और अपने आप को मीडियामय करने के लिए तरह तरह के ड्रामा करने में लगे रहते है !
अपने घरों में खुद आग लगाकर हाथ सेक रहे है और दूसरे लोगों के बारे में बड़ी बड़ी बाते कर रहे है ! जब घर मुखिया को कोई फिर्क नहीं हो तो दूसरा कोई क्यों चिंता करने लगे ?मुख्यमंत्री जी दिल्ली की महिला सुरक्षा को लेकर इतना सख्त है ये पता नहीं था ? जहाँ उनकी रिहायश है, जो उत्तरप्रदेश मे है क्या वो महिला सुरक्षा के दृष्टिकोण से बिलकुल सुरक्षित है ? धरना अब उत्तरप्रदेश में भी तयारी करनी चाहिए ! " करना न धरना , सिर्फ करते रहो धरना "
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