वर्चस्व की लड़ाई हमेशा से इस संसार में प्रत्येक परिवार, समाज और देश में गुण-अवगुण, अच्छाई-बुराई के साथ-साथ चलती है और जबतक मानवजाति का अस्तित्व रहेगा, ये साथ-साथ ही रहेंगे |अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए गुणों पर बार करने में लगा रहता है, अच्छाइयों को समाप्त करने की कोशिश करता है पर अंततः जीत हमेशा अच्छाई की ही होती है |
बुराई के अनेक स्वरुप है, इनमे से सबसे विनाशकारी स्वरुप है घमंड | घमंड एक ऐसी बुराई है जो मनुष्य के अन्दर के हजारों अच्छाइयों को दबा देता है | उनके द्वारा किया गया प्रत्येक क्रिया-कलाप में घमंड की छाया साफ़ तौर से देखी जा सकती है | ऐसे व्यक्ति के अन्दुरुनी घमंड की वजह से चेहरे की कान्ति समाप्त हो जाती है | वह अपनेआप को सर्वश्रेष्ठ और दूसरों को हिन् समझने लगता है | उनके व्यवहार में एवं प्रत्येक क्रिया-कलाप में बहुत तीव्रता होती है ,उसके भीतर का घमंड उन्हें कोई भी कार्य सहजता के साथ नहीं करने देता है |
घमंडी लोगों के बारे में विचारकों का मानना है की घमंड से ग्रस्त व्यक्ति अन्य लोगों को अपने समक्ष तुक्ष समझते है और इसी वजह से खुद भी दुसरे लोगों के साथ सामान्य नहीं बना रह पाता है | घमंड भीतर से उत्पन्न होता है किन्तु उसका असर बाहरी स्तर पर दिखाई देता है | एक व्यक्ति को अचानक ढेर सारा दौलत मिल जाता है | वह धनी हो जाता है ,फिर उनके अपने करीबी लोगों के प्रति व्यवहार तथा दृष्टिकोण बदल जाता है | ऐसे व्यक्ति अनेक लोगों के बीच होते हुए भी स्वयं को अकेला अनुभव करता है | धीरे-धीरे उसके साथी भी उससे दूर होने लगता है |
एक व्यक्ति जब पिता की कुर्सी पर बैठता है , और कल्पना करें उनके पिता का व्यवसाय कई करोड़ों में हो | प्रतिष्ठित व्यावसायिक पुत्र होने के कारण अचानक उन्हें वो सब कुछ मिल जाता है जो की उनके पिता ने अपनी कड़ी मेहनत व खून-पसीने से बनाई है |पुत्र अपने पिता का करोड़ों के सम्पति का इकलौता वारिस है तो घमंड आना स्वाभाविक होगा | वो स्वयं को सबसे ज्यादा बुद्धिमान समझते है और उनके कंपनी के कार्यरत समस्त व्यक्ति को गौण जिन्होंने कंपनी के लिए सालों-साल दिया है और जिनके वजह से कंपनी एक छोटी इकाई से लेकर आज कई सौ करोड़ों में व्यवसाय कर रही है | एक मात्र व्यवसाय उतराधिकारी होने के कारण , पिता की कुर्सी पर बैठते ही घमंड की अनुभूति होने लगी |
सामान्य रूप में माना जाता है की किसी भी चीज की अधिकता घमंड पैदा करने का बहुत बड़ा कारण बन जाती है | यदि व्यक्ति के पास बहुत पैसा है व बहुत योग्यता है , तो वह घमंडी बन सकता है | पर इस स्थिति में व्यक्ति यदि साकारात्मक सोच के साथ सही दिशा में कार्य करें तो वह महान भी बन सकता है |
लकड़ियाँ इक्कट्ठा कर आग जलाकर कसी के घर जलाया जा सकता है तो उस पर खाना पकाकर पेट भी भरा जा सकता है | एक विशेषज्ञ चिकित्सक अपनी योग्यता के बल दिन-हिन् लोगों का उपचार कर समाज सेवा कर सकता है तो वहीँ बीमार लोगों से मनमाना धन ऐंठकर उनके लिए परेशानी भी बढ़ा सकते है |
आमतौर पर देखा गया है की दुर्गुणों का विकास बड़ी तेजी के साथ होता है जबकि दुर्गुणों का विकास धीमी गति से होता है | यह अलग बात है की उतनी ही तेजी रफ़्तार से दुर्गुणों को दंड भी प्राप्त हो जाता है | यह दंड सभी को मिलता है चाहे वह राजा ही क्यूँ न हो |
रावण महाप्रतापी और परम विद्वान थें | रावण विद्वता को स्वयं भगवान राम ने भी स्वीकार किया था | इसीलिए उन्होंने लक्ष्मण को रावण के पास भेजा था ताकि रावण मरने से पहले उसे कुछ ज्ञान दे जाये | इतना विद्वान और बलशाली होने के पश्चात् भी रावण का अन्त हो गया | उसके अन्त का कारण केवल उसका घमंड था उसे ? इस बात का घमंड था की उसके दस सिर, उसके भाई एवं पुत्र बहुत बड़े शूरवीर और बहुत बड़े योद्धा है | बहुत बड़ी सेना है | सोने की लंका है | स्वयं भी सर्वाधिक बलशाली था | इन्ही सब कारणों से उसके भीतर घमंड उत्पन्न हो गया | वह प्रकाण्ड विद्वान था किन्तु घमंड ने उसकी इस श्रेष्ठता को दबा दिया, उसे उभरने नहीं दिया | इसी के चलते उसने सीता का हरण किया और बाद में श्री राम के हाथों मारा गया |
यह होता है घमंड का परिणाम | आज भी घमंडी लोगों का परिणाम इससे भिन्न नहीं होता है | इसके उपरांत भी कई लोग घमंड जैसी बुराई को अपने साथ चिपकाए घूम रहे है |
अतः जो व्यक्ति घमंड के निकट खड़े है उन्हें एक बार अवश्य अपने भीतर झाँकने का प्रयास करना चाहिए | उन्हें जरा सा भी आभास हो तो तुरंत घमंड से अपने आपको दूर करने का प्रयास करना चाहिए |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
1 comments
बहुत बड़ी नसीहत ! आभार !!
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