मैं वैवाहिक कार्यक्रम में अपने पैत्रिक गाँव आया हुआ था | यहाँ पेड़-पौधों की भरमार है जिसमे फलों का राजा कहे जाने वाले वृक्ष जिसका नाम है "आम" की बहुतायत है | वृक्ष फल से लदे हुए है | बहुत दिनों के पश्चात् मुझे अवशर मिला पके हुए पेड़ का आम के स्वाद लेने का | यहाँ आज कल खाने में पके हुए आम जम कर खाए जा रहे है | आम के फल ज्यादा फलने से यहाँ इसका दाम बहुत ही न्यूनतम स्तर पर है , जी हाँ लंगड़ा जैसे आम भी यहाँ ३ से ५ रुपैये किलो मिल जाता है |आज चलिए इसी वृक्ष और इसके फल के औषधि गुण के बारे में चर्चा करते है :-
आम का वैज्ञानिक नाम अंबज और फारसी में अम्ब कहा जाता है आम को हिंदी और बंगाली में आम, मराठी में आम्बा, गुजराती में आम्बी, सिन्धी और पंजाबी में अम्ब, कन्नड़ में अम्भ और तमिल में मंगा नाम से जाना जाता है | आम एनाकार्डीऐसी परिवार का वृक्ष है |
आम के वृक्ष सदाबहार और छायादार होता है | इसके आकार अलग-अलग जातियों के आधार से इसकी उंचाई १० मीटर से लेकर ४५ मीटर तक हो सकती है | लगभग १० वर्षों बाद फल देना शुरू कर देता है फिर लम्बे समय तक फल देता है | कई स्थान पर तो इसके आयु लगभग १०० भी पर कर चूका होता है | आम मूल रूप से गर्म भागों का वृक्ष है | यह शुष्क तथा आर्द्र दोनों प्रकार के जलवायु में उगाया जा सकता है |
मूल रूप से आम के वृक्ष दो प्रकार के होते है जंगली और फलदार | जंगली आम के वृक्ष पर फल नहीं लगते | आम के फलदार वृक्षों को भी दो भागों में विभाजित किया जा सकता है | स्वतः और सप्रयास | सप्रयास लगाए गए आम के वृक्ष दो प्रकार के होते है कलमी और बीजू | १५ दिन के अन्दर अगर आम के गुठलियों को जून या जुलाई माह में मॉनसून आते ही बो दिया जाता है | ऐसे में वृक्ष को बड़ा होने और फल देने में ८ से १० साल लग जाता है | इस प्रकार से वृक्षों से प्राप्त होने वाले आम को बीजू आम कहते है |
अप्रैल के मध्य में आम के फुल झड़ने लगते है और प्रायः अप्रैल के अंत तक आम के वृक्षों से फुल समाप्त हो जाते है |आम के वृक्षों पर, फुल को झाड़ते ही छोटे दाने जैसे फल आने लगते है | आम के बड़े और कच्चे फलों को अमिया कहते है | आम की विभिन्न प्रकार के प्रजातियाँ होने के कारण इसके आकार, रंग, स्वाद आदि में काफी विविधता होती है | फल के आकार एक बड़े बेर से लेकर छोटे बच्चे के सिर के बराबर तक हो सकता है |
सामान्य रूप से आम गर्मी के मौसम में फलता और पकता है, परन्तु मुंबई और दक्षिण भारत के आसपास के क्षेत्रों में सर्दी के मौसम में भी आम फलता है |
भारत में पाए जाने वाले आमों में बनारस के लंगड़ा, मुम्बई का अल्फ़ान्सो, लखनऊ का सफेदा, मुर्शिदाबाद का शाहपसंद और जरदालू, हाजीपुर का सुकुल, दरभंगा का सुंदरिय, बडौदा का वंशराज, रत्नगिरि का राजभोग, हैदराबाद का सुन्दर्षा, मालवा का ओलर, तमिलनाडु का रूमानी, आंध्रप्रदेश का रेड्डीपसंद, बंगाल का हिमसागर, उड़ीसा का दो फुल आदि प्रमुख है | दक्षिण भारत के मलगोवा और महमूदा तथा उत्तर भारत के चौसा और जाफरान की गणना भारत के विख्यात आमों में की जाती है |
मुख्य रूप से आम दो प्रकार के होते है - गुदे वाले और रस वाले | गुदे वाले आम में दशहरी, चौसा, लंगड़ा आदि आम आते है | चूसने वाले आमों में बिहार का सुकुल प्रमुख है | वृक्ष के पके हुए फल केवल इनके निकट रहने वाले व्यक्ति को ही मिल पाते है | व्यावसायिक उपयोग के लिए आम को प्रायः पुआल के निचे आम को बंद कमरों के भीतर रख कर पकाते है , इस प्रक्रिया में करीब ७ दिन लग जाता है | कहीं-कहीं आम को पकाने के लिए रासायनिक पदार्थों का भी उपयोग किया जाता है | इस प्रकार पकाए गए आम स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है तथा अनेक प्रकार के रोगों को फैलाते है | अतः आमों को ख़राब होने से बचने के लिए तथा इनका भण्डारकरण करने के लिए शीतगृह सर्वाधिक उपयोगी है |
आम के वृक्ष का औषधीय गुण :- इसके तने और शाखाओं की छाल से अनेक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियां तैयार की जाती है |
१- वृक्ष के ताजे छाल का रस पेचिश में लाभदायक होता है |
२- छाल के काढ़े से धोने पर पुराने से पुराना घाव भरने लगता है | यह घाव के दर्द को भी कम करता है |
३- आम के वृक्ष से बाबुल के सामान ही गोंद निकलता है और इसका उपयोग भी बाबुल के गोंद के सामान किया जाता है | बाजार में आम के गोंद के नाम से बिकता है |
४- आम के हरे व ताजे पत्ते को चबाने से मशुढ़े मजबूत होते है और दाँत के बहुत सारे रोग को जड़ से समाप्त कर देते है |
५-आम की ताज़ी पत्तियों को तोड़कर उन्हें साफ़ करके छाया में सुखा कर, इन्हें कूट-पीसकर बारीक़ चूर्ण बना ले | यह चूर्ण २-३ ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से मधुमेह के रोगियों के लिए रामबाण औषधि जैसे निश्चित रूप से लाभ होता है |
६- आम के छिलके को ताजे पानी में पीसकर पिलाने से हैजे के रोगी को विशेष लाभ होता है |
७- कच्चे आम के छिलकों को साफ़ करके सुखा कर फिर कूट-पीसकर महीन चूर्ण बना ले | इस चूर्ण को शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से खुनी पेचिस ठीक हो जाती है |
८- पका हुआ आम का फल ह्रदय रोगी के लिए विशेष लाभ दायक होता है | इसका सेवन शरीर स्वास्थ्य,बलशाली,पाचनशक्ति बढाने और शुक्राणु सम्बंधित दोषों को दूर करने की क्षमता होती है |
९- गर्मियों के मौसम में पका हुआ फल का सेवन से प्यास और थकान का अनुभव नहीं होता है | आम को लम्बी आयु प्रदान करने वाला फल कहा गया है |
१०- आम के पके हुए फल में ग्लूकोज, कार्बोहाईड्रेट, सुक्रोस, फ़्रकट्रोस, माल्टोस,विटामिन A , लंगड़ा में विटामिन C आदि प्रचुर मात्रा में होते है |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
4 comments
हमारे लिए भी ले आना |
इस बार पेड़ पर पके आम यानि टपके वाले अभी तक खाए नहीं है :)
अच्छा तो ऐश हो रही है ।
उत्तर भारत का दशहरी और गौरजीत भी काफी उम्दा और चर्चित किस्में हैं ।
ऐसा कोई आम बताओ जो घर में उगाया जा सके और कम से कम समय में फल देने लगे।
वाह वाह जी , ये तो बढिया नुस्खा है ,
हम भी खूब आम खाएंगे और सेहत को बनाएंगे ,
जब भी राम जी बुलाएंगे , हम दौड के आएंगे
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