पारम्परिक चिकित्सा पद्धति और आयुर्वेद में अदरक का प्रचलन बतौर औषधि प्राचीन कल से होता आ रहा है | अदरक को आयुर्वेद में महाऔषधि कहा जाता है | इसका वानस्पतिक नाम जिंजिबर ऑफिसिनेल है | अदरक को अंग्रेजी में " जिंजर " कहते है | हिंदी में आदि, अदरक, सोंठ कहते है | यह आद्र अवस्था में अदरक तथा सुखी अवस्था में सोंठ कहलाता है |
ताजी अदरक में 81% जल, 2.5% प्रोटीन, 1% वसा, 2.5% रेसे और 13% कार्बोहायड्रेट होता है | इसके अतिरिक्त इसमें आयरन, कैल्सियम लौह फास्फेट आयोडीन क्लोरिन खनिज लवण तथा विटामिन भी प्रयाप्त मात्र में होता है |
अदरक के सेवन से अपच, गैस दूर करने, पेट दर्द, सुजन दूर करने, पेट में कीड़े, पेशाब की मात्र बढाने, हाजमा ठीक करने तथा खांसी आदि के लिए व्यापक रूप से किया जाता है |
सुखी अदरक को सोंठ कहा जाता है | इसमें 9 से 10 प्रतिशत 15% प्रोटीन, 3 से 6 प्रतिशत वसा, 3 से 8 प्रतिशत रेशे, 60 से 70 प्रतिशत शर्करा तथा उड़नशील तेल 1 से 3 प्रतिशत होते है |
दुसरे देशों में भी पारम्परिक रूप से अदरक का सेवन शरीर के द्रव्य का बहाव सुचारू रूप से बनाए रखने के लिए भी किया जाता है | अदरक पुरे शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ा देता है | इसके सेवन से ह्रदय की मांसपेशियां ज्यादा शक्ति से संकुचित होती है , रक्त वाहिनियाँ फ़ैल जाती है, जिससे उतकों और कोशिकाओं का रक्त प्रवाह बढ़ जाता है और मांसपेशियों का अकड़न, दर्द, तनाव आदि से आराम मिलता है |
आधुनिक वैज्ञानिक शोधों से भी अदरक के लाभकारी प्रभाव की पुष्टि हो गई है | वैज्ञानिकों ने अदरक को पाचन तंत्र, ह्रदय रोग, संक्रमण, माइग्रेन, जोड़ों का दर्द, कैंसर इत्यादि विभिन्न प्रकार के रोगों में लाभकारी पाया है |
ह्रदय पर जोर कम पड़ता है | अदरक के प्रभाव से रक्त प्लेटलेट कोशिकाओं का चिपचिपापन कम हो जाता है जिससे रक्त में थक्का बनने की सम्भावना कम हो जाती है फलस्वरूप अनेक रोगों जैसे ह्रदय आघात, स्ट्रोक ( पक्षघात ) इत्यादि से बचाव हो जाता है | कोलेस्ट्रोल युक्त भोजन के बाद भी अदरक के सेवन से कोलेस्ट्रोल स्तर कम बढ़ता है |
जापान तथा यूरोपीय देशों में अदरक के शोधों से पता चला है की अदरक शरीर में कुछ खास किस्म के जैव रसायन ( बायो-केमिकल ) के निर्माण में सहायक करता है | जो न सिर्फ कुदरती तौर पर घाव के ठीक होने में मदद करता है बल्कि शरीर में इम्यून सिस्टम को भी बल प्रदान करता है |
शोधों से ज्ञात हुआ है की करीब एक ग्राम अदरक सेवन करने से यात्रा के दौरान सम्बेदनशील व्यक्तियों में होने वाली मितली और उलटी से आराम मिलता है | इसी प्रकार 250 मिली ग्राम सोंठ दिन में चार बार सेवन से महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होने वाली मितली व उलटी से आराम मिलता है और इसके सेवन से कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है|
शोधों से यह भी ज्ञात हुआ है की जोड़ो, हड्डियों के रोगों के कारण सुजन, दर्द, हाथ पैर चलाने में कठिनाई, पेट के कीड़े और खांसी आदि समस्या में अदरक सेवन करने से सुजन एवं अन्य लक्ष्ण उत्पन्न करने वाले रसायन हारमोन जैसे प्रोसटाग्लेनडीन, ल्यूकोट्रिन का उत्पादन कम हो जाता है |
डेनमार्क में हुए अध्ययनों से सिद्ध हुआ है की 0.5 से 1 ग्राम अदरक प्रतिदिन 3 माह तक सेवन करने से आस्टियो आर्थराइटिस, रुमेटाइड आर्थराइटिस तथा मांसपेशियों के दर्द के मरीजों को आराम मिलता है |
अदरक एक शक्तिशाली जिवानुनाशक भी है | शोधों से यह ज्ञात हुआ है की अदरक बड़ी आँत में पाए जाने वाली बैक्टीरिया का बढ़ना रोक देता है जिसके कारण गैस से राहत मिलती है | इसमें विद्यमान गुण के कारण कैंसर से भी बचा जा सकता है | इसमें एंटी-ओक्सिडेंट गुण भी होते है , इसके सेवन से कैंसर बचाव में सहायक एंजायम सक्रीय हो जाते है | अदरक में 400 से भी ज्यादा ऐसे कम्पाउंड ( यौगिक ) है जो अलग-अलग ढंग से अपना अच्छा प्रभाव शरीर पर डालता है |
भारतीय व्यंजन में अदरक का उपयोग बहुतायत से होता है | इसका सेवन सब्जी, चटनी, अचार, सॉस, टॉफी, पेय पदार्थों, बिस्कुट, ब्रेड इत्यादि में स्वाद व सुगंध के लिए किया जाता है | इसका प्रयोग से भोजन स्वादिष्ट और सुपाच्य हो जाता है साथ ही स्वास्थ्यवर्धक भी |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
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