" "यहाँ दिए गए उत्पादन किसी भी विशिष्ट बीमारी के निदान, उपचार, रोकथाम या इलाज के लिए नहीं है , यह उत्पाद सिर्फ और सिर्फ एक पौष्टिक पूरक के रूप में काम करती है !" These products are not intended to diagnose,treat,cure or prevent any diseases.

Jul 31, 2010

कैंसर का घरेलु उपचार अलसी और पनीर से -2


कैंसर से मुक्ति के घरेलु उपचार के लिए अब आपके समक्ष पुनः दूसरा भाग लेकर उपस्थित है | दरअसल अलसी के तेल में अल्फ़ा-लिनोलेनिक एसिड ( ए.एल.ए ) नामक ओमेगा-३ वसा अम्ल होता है | डॉ बुद्विज ने ए.एल.ए की अद्भुत संरचना की गूढ़ अध्ययन किया | ए.एल.ए में कार्बन के परमाणुओं की लड़ी या श्रृंखला होती है , जिसके एक सिरे से, जिसे ओमेगा एण्ड कहते है, मिथाइल ( CH3) ग्रुप जुड़ा रहता है और दुसरे से, जिसे डेल्टा एण्ड कहते है,कर्बोक्सिल (-COOH) जुड़ा रहता है |

ए.एल.ए. में ३ द्विबंध तीसरे कार्बन के बाद होता है | इसीलिए इसको ओमेगा-३ वसा अम्ल ( N-3) कहते है | ए.एल.ए हमारे शरीर में नहीं बन सकते, इसलिए इनको'आवश्यक वसा' अम्ल कहते है और हमें इनको भोजन द्वारा लेना अति 'आवश्यक' है | ए.एल.ए. की कार्बन श्रृंखला में जहाँ द्वि बंध बनता है और दों हाईड्रोजन अलग होते है , वहां इलेक्ट्रोन का बड़ा झुण्ड या बादल सा, जिसे पाई-इलेक्ट्रोन भी कहते है , बन जाता है | और इस जगह ए.एल.ए. की लड़ मुद जाती है |

इलेक्ट्रोन के इस बादल में अपार विद्युत् आवेश रहता है जो सूर्य ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड से आने वाले प्रकाश की किरणों के सबसे छोटे घटक फोटों,जो असीमित, अनंत, जीवन शक्ति से भरपूर और उर्यवान है, को आकर्षित करते है , अवशोषण करते है | ओमेगा-३ ओक्सिजन को कोशिका में खींचते है, प्रोटीन को आकर्षित रखते है, ये पाई-इलेक्ट्रोन उर्जा का संग्रहण करते है और एक संग्राहक ( केपेसिटर ) की तरह काम करते है | यही है जीवन-शक्ति जो हमारे पुरे शरीर विशेषतौर पर मस्तिष्क, आँखों, ह्रदय, मांसपेशियां, स्नायुतंत्र,कोशिका भितियों आदि को भरपूर ऊर्जा देती है |

डॉ० योहाना बुड्विज का कैंसर रोधी आहार-विहार :- प्रातः ग्लास साँवरक्राट ( खमीर की हुई पतागोभी ) का रस या एग्लास छाछ क ले | साँवरक्राट में कैंसर रोधी तत्व होते है और पाचनशक्ति भी बढाता है | यह हमारे देश में उपलब्ध नहीं है परन्तु इसे घर पर पतागोभी को खमीर करके बनाया जा सकता है |
नाश्ता :- नाश्ते से अध घंटा पहले बिना चीनी की गरम हर्बल या हरी चाय लें | मीठा करने के लिए एक चम्मच शहद या स्टेविया का प्रयोग कर सकते है | यह पीसी हुई असली के फूलने हेतु गरम तरल माध्यम का कार्य करती है |


आगे आपके ' ॐ खंड' जो अलसी के तेल और घर पर बने वसा रहित पनीर या दही से बने पनीर को मिलकर बनाया जाएगा, लेना है | पनीर बनाने के लिए गाय या बकरी का दुध सर्वोतम रहता है | इसे एकदम ताजा बनाए, तुरंत खूब चबा-चबाकर आनंद लेते हुए सेवन करें | ३ बड़ी चम्मच यानि ४५ एम् .एल.अलसी का तेल और ६ बड़ी चम्मच यानि ९० एम्.एल. पनीर का मिश्रण मिक्स़र बिजली से चलने वाले क्रीम की तरह करें और तेल दिखाई देना नहीं चाहिए |
तेल और पनीर को ब्लेंड करने के बाद यदि मिश्रण गाढा रहे तो १ या २ चम्मच अंगूर का रस या दूध मिला लें |
अब दो बड़ी चम्मच अलसी ताजा पीसकर मिलाएं | मिश्रण में स्ट्राबेरी, रसबेरी, जामुन आदि फल मिलाये |
बेरों में एजेलिक एसिड होते है जो कैंसररोधी है |

आप चाहें तो आधा कप कटे हुए अन्य फल भी मिला लें | इस कटे हुए मेवे, खुबानी, बादाम, अखरोट,किशमिश, मुनक्के आदि सूखे मेवे से सजाये | मूंगफली वर्जित है | मेवे में सल्फर युक्त प्रोटीन वसा और विटामिन होते है |
दिन भर में कुल शहद ३-५ चम्मच से ज्याद नहीं लेना चाहिए |

याद रहें शहद प्राकृतिक व मिलावट रहित हो | डिब्बा बंद या परिष्कृत न हो | दिन भर में ६ या ८ खुबानी के बिज अवश्य ही खाएं | इनमे विटामिन बी-१७ होता है जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता है | यदि फिर भी भूख लगी हो तो टमाटर,मुली, ककड़ी अदि का सलाद के साथ कुटू, मुली,बाजरा आदि साबुत अनाजों के आते की बनी रोटी ले लें | कुटू को बुद्बिज ने सबसे अच्छा अन्न माना है | गेहूं में ग्लूटेन होता है और पचने में भरी होता है अतः इसका प्रयोग तो कम ही करें |


सुबह १० बजे :- नाश्ते के १ घंटे बाद घर पर ताजा बना गाजर, मुली, लौकी,चुकंदर,आदि का ताजा रस लें | गाजर और चुकंदर यकृत को ताकत देते है और अत्यंत कैंसर रोधी होते है |

दोपहर का खाना :- खाने के आधा घंटा पहले एक गरम हर्बल चाय लें | कच्ची सब्जियां जैसे चुकंदर, शलजम, मुली, गाजर,गोभी, पता गोभी, शतावर, बिंदी आदि के सलाद को घर पर बनी सलाद ड्रेसिंग या ओलियोल्क्स के साथ ले | ड्रेसिंग को १-२ चम्मच अलसी के तेल व १-२ चम्मच पनीर मिश्रण में एक चम्मच सेब का सिरका या निम्बू के रस और मसाले डालकर बनायें | सलाद मीठा करना हो तो अलसी के तेल में अंगूर, संतेरे या सेब का रस या शहद मिलकर ले |
यदि फिर भी भूख हो तो आप उबली या भाप में पकी सब्जियों के साथ एक-दो मिश्रित आटे की रोटी ले सकते है | सब्जियों व रोटी पर ओलियोलक्स ( इसे नारियल,अलसी के तेल,प्याज, लहसुन से बनाया जाता है ) भी डाल सकते है | मसाले, सब्जियों व फल बदल-बदलकर लें | रोजाना एक चम्मच कलौंजी का तेल भी लें | भोजन तनावरहित खूब चबा-चबाकर खाएं |

ॐ खंड की दूसरी खुराक :- अब नाश्ते की तरह ही बड़ी चम्मच अलसी के तेल व ६ बड़ी चम्मच पनीर के मिश्रण में ताजा फल, मेवे और मसाले मिलकर लें | यह अत्यंत आवश्यक है | हाँ, पीसी हुई अलसी इस बार न डालें |

दोपहर बाद :- अनानास,चेरी या अंगूर के रस में एक चम्मच अलसी को ताजा पीसकर मिलाएं और खूब चबा, लार में मिलाकर धीरे-धीरे चुस्कियां ले लेकर पियें | चाहे तो आधा घंटे बाद एक गिलास रस और ले लें |

तीसरे पहर :- पपीता या ब्लू बेर्री ( नीला जामुन) रस में एक चम्मच अलसी को ताजा पीसकर डालें खूब चबा-चबाकर, लार में मिलकर धीरे-धीरे चुस्कियां लेकर पियें | पपीते में भरपूर एंजाइम होते है |
सायंकालीन भोजन : - शाम को बिना तेल डाले सब्जियों का शोरबा या अन्य विधि से सब्जियां बनायें | मसाले भी डालें | पकने के बाद ईस्ट फ्लेक्स और औलियोलाक्स डालें | इस्ट फ्लेक्स में विटामिन 'बी' होते है जो शरीर में ताकत देते है | टमाटर,गाजर,चुकंदर,प्याज,पालक,पता गोभी,हरी गोभी,आदि सब्जियों का सेवन करें | शोरबे को आप उबले कुटू,भूरे चावल, रतालू,आलू,मसूर, राजमा, मटर.साबुत दालें या मिश्रित आटे के साथ ले सकते है |

शेष हम चर्चा करेंगे अगले अंश में जिसमे होगा परहेज और कुछ जानकारियां जो लगभग कैंसर रोगीओं के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है |
अतः बने रहिये मेरे साथ अगले और इस कड़ी की आखिरी अंश के लिए |


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Jul 30, 2010

कैंसर का घरेलु उपचार अलसी और पनीर से |


वर्तमान समय में कैंसर एक ऐसा महामारी का रूप ले लिया है, रोगी के लिए इसका नाम ही एक ऐसा प्रेतात्मा की तरह होता है की जबतक मौत की आगोश में न सुला दे तबतक चैन नहीं लेता | अपना देश हो या विदेश चारो तरफ यह रोग अपना शिकार बनता फिर रहा है |

क्या गरीब, क्या अमीर उनके लिए सब एक सामान है ? पैसे वाले तो कुछ दिन तक अपनी जिन्दगी की गाडी को धक्का दे देते है परन्तु गरीब वो इतने सारे पैसे कहाँ से लाये ? क्या करे? जिनके पास दो वक्त की रोटी न हो. न जाने उन्हें अपनी और अपने परिवार के भरण पोषण के लिए कितनी जद्दोजहद करनी पड़ती है ?

परन्तु एक खुसखबरी है ऐसे मरीजों के लिए जो चिकित्सक के पास मोटी फ़ीस नहीं भर सकते, अस्पतालों में अनाप सनाप जाँच नहीं करा सकते ? अपने घर में बैठे ही वो अपना रहन सहन,कैंसररोधी आहार विहार , फलों सब्जियों के माध्यम से उपचार कर सकते है |


अब आप सोच रहे होंगे क्या पागलों जैसी बाते कर रहा है ? जहाँ बड़े बड़े अस्पताल में भी इलाज संभव नहीं हो पाता, वहां क्या आहार विहार और फलों सब्जियों से इलाज हो पाना संभव है ? जी हाँ ऐसा मैं नहीं कह रहा हूँ ? दरअसल इसके पीछे मेरे पास कुछ ठोस व प्रमाणिकता है, जो मैं आपलोगों के साथ बांटना चाह रहा हूँ |

विश्वविख्यात जर्मन जीव रसायन विशेषग्य व चिकित्सक डॉ० योहाना बुड्विज (जन्म ३० सितम्बर १९०८, मृत्यु १९ मई २००३) जो भौतिक विज्ञानं, जीवरसायन विज्ञानं, औषधि विज्ञानं में मास्टर डिग्री हासिल की व प्राकृतिक विज्ञानं में पीएचडी की थी | वे यूरोप के विख्यात वसा और तेल विशेषग्य थी | उन्होंने वसा, तेल तथा कैंसर के उपचार के लिए बहुत शोध किये | उनका नाम नोबेल पुरस्कार के लिए ७ बार चयनित हुआ | वे आजीवन शाकाहारी रहीं | जीवन के अंतिम दिनों में भी वे सुन्दर , स्वस्थ व अपनी आयु से काफी युवा दिखती थी |

उन्होंने संतृप्त व असंतृप्त वसा का परिक्षण किया | शरीर के लिए आवश्यक वसा ओमेगा-३ व ओमेगा-६ पर शोध किया की फिर यह भी पाता लगाया की किस प्रकार ओमेगा-३ हमारे शरीर को विभिन्न बीमारियों से बचाते है तथा स्वस्थ शरीर को ओमेगा-३ व ओमेगा-६ बराबर मात्रा में मिलना चाहिए | उन्होंने पूर्ण व आंशिक हाईड्रोजिनेटेड ( वनस्पति घी ), ट्रांस-फैट व रिफाइंड तेलों के हमारे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव का पाता लगाया |

डॉ० ओटो वारबर्ग को कैंसर पर उनकी शोध के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था | उन्होंने पता लगाया था कि कैंसर को मुख्य कारण कोशिकाओं में होने वाली श्वसन क्रिया पर बाधित होना है | यदि कोशिकाओं को पर्याप्त ओक्सीजन मिलती रहे तो कैंसर का अस्तित्व ही संभव नहीं है | परन्तु वारबर्ग यह नहीं पता कर पाए कि कैंसर कोशिकाओं की बाधित श्वसन क्रिया को कैसे ठीक किया जाय |

डॉ० योहन ने वर्षो तक शोध करके पता लगाया इलेक्ट्रोन युक्त अत्यंत असंतृप्त ओमेगा-३ वसा से भरपूर अलसी,जिसे अंग्रेजी में Linseed या Flaxseed कहते है, का तेल खोशिकाओं में नई उर्जा भरता है, कोशिकाओं की स्वस्थ भितियों का निर्माण करता है और कोशिकाओं में ओक्सिजन को खींचता है | सल्फर युक्त प्रोटीन जैसे पनीर अलसी का तेल के साथ मिलाने पर तेल को पानी में घुलनशील बनाता है और तेल को सीधा कोशिकाओं को भरपूर ओक्सिजन पहुँचती है व कैंसर खत्म होने लगता है |


1952 में डॉ० योहाना ने ठंढी विधि से निकले अलसी के तेल व पनीर के मिश्रण तथा कैंसररोधी फलों व सब्जियों के साथ कैंसर उपचार का तरीका विकसित किया | इस तरह से डॉ० योहाना ने 1952 से 2002 तक लाखों रोगियों का उपचार करती रही | इस उपचार से सभी प्रकार के कैंसर रोगी कुछ महीनो में ठीक हो जाते थे |
वे ऐसे कई रोगीओं को ठीक किया जिन्हें अस्पताल से यह कह कर छुट्टी दे दी जाती थी की अब उनका कोई इलाज संभव नहीं है और उनके पास अब चंद घंटे या चंद दिन ही बचे है | कैंसर के आलावा इस उपचार से डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, आर्थराईटिस,ह्रदय घात, अस्थमा, डिप्रेशन आदि बीमारियाँ भी ठीक हो जाती है | उनके उपचार से 90 प्रतिशत तक सफलता मिलती थी |


कैंसर रोगी के आहार-विहार और अलसी व पनीर का सेवन विधि के बारे में हम अगले अंश में चर्चा करेंगे | किस तरह से आप अपने जीवन में कैंसर जैसे रोग से भी लड़ सकते है ? और उनपर विजय पान लगभग तय है | बस इंतज़ार कीजिये अगले अंश की |

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Jul 28, 2010

सस्ते व नकली एलोवेरा ( ग्वार पाठा ) जूस से सावधान |


एक बार फिर से सप्ताह उपरांत ब्लॉग पर कुछ लिखने का अवसर मिला | फिर से वही अंतरजाल की समस्या और इस बार तो कुछ ज्यादा ही परेशान किया | लेकिन अंततः हमारे रतन सिंह जी ने मसला का अंत किया | बेहद सुकून महसूस कर रहा हूँ | चुकी मस्तिस्क पटल पर ना जाने कैसे कैसे सवाल आते रहे और जाते रहे पर विवशता मेरी यह थी की अन्तरमन में सहेजने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं था | आज एक बार पुनः आपके समक्ष स्वस्थ्य से सम्बंधित कुछ जानकारी है जो( बेहद मार्मिक भी है और जागरूकता अभियान भी), लेकर चर्चा करने जा रहे है |

दरअसल एक जग प्रशिद्ध कहावत है " अच्छी सेहत सबसे बड़ी पूंजी है " | चुकी स्वस्थ्य तन में ही स्वस्थ्य मन का निवास होता है | मन अगर प्रसंचित है तो प्रत्येक वस्तु में आपको ख़ुशी नजर आएगी | परन्तु मन की अस्वस्थता लोगों को जीवन की आनंद से वंचित कर देता है | अतः सच्ची सुख उन्ही को है जो वास्तव में मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से स्वस्थ्य है |

लेकिन स्वस्थ्य व्यक्ति किसे कहा जा सकता है ? सेहतमंद होने का क्या लक्ष्ण है जिनके आधार पर हम यह जान सके की हम रोगी है या निरोगी ? यों तो अधिकांश व्यक्ति अपनी सेहत को लेकर सजग यानि जागरूक होते है और थोड़ी सी परेशानी महसूस होने पर चिकित्सक के पास दौड़ पड़ते है |

विगत सप्ताह की समाचार को ही ले लीजिये :- आप सब ने जरुर ध्यान दिया होगा, एलो वेरा के बारे में आज तक पर चर्चा हो रही थी |
समाचार देखकर पहले तो मैंने सकारात्मक सोच के साथ बैठा और सोचा- शुक्र है आज तक जैसे नंबर एक चैनल पर दुनिया की नंबर एक आयुर्वेदिक औषधि एलोवेरा की चर्चा हो रही है चलो ये बहुत ही अच्छा साधन है प्रचार प्रसार का |
दरअसल विगत कुछ सालों से एलोवेरा एक सर्वश्रेष्ठ बनौषधि के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल साबित हुई है, वर्तमान में तो प्रत्येक चैनल पर एलो वेरा अपने किसी न किसी रूप में नजर आते ही है |

परन्तु आज तक चैनल पर जब मुद्दा उभरकर जब सामने आया तो मैं सन्न रह गया- एक बार फिर से एलोवेरा जूस के साथ घोटाला | जी हाँ आज तक जैसे सर्वश्रेष्ठ चैनल का खुलासा था एलोवेरा जूस पीकर दो विदेशी बेहोश हो गए |
गायत्री एलोवेरा एक जाने माने नाम है:-
Gayatri Herbals Pvt.Ltd.Thane (W) Maharashtra,Phone +(91)-(22)-65768937/25475080 Fax :+(91)-(22)-२५४७५०८० Mobile :+(91)-९८३३९७६१८० |

दोनों विदेशी शैलानी भारत आई हुई थी और जाते वक्त एलो वेरा जूस लेकर अपने वतन लन्दन को चली गई और वहां जाने के बाद इस जूस का सेवन किया , तुरंत बाद ही वो बेहोश हो गई ऐसा एक नहीं दूसरी औरत भी ठीक उसी प्रकार से पिने के बाद बेहोश हो गई जिससे पुरे लन्दन में जंगल की आग के तरह यह समाचार फ़ैल गई की गायत्री एलोवेरा जूस अगर मिले तो वहां के पुलिश को बताएं |

जैसा की मैंने कई बार चर्चा किया है की एलो जूस का परिरक्षित रखना अगर किसी के पास भी हो जाए तो वो व्यक्ति अपने आप में हिंदुस्तान का सबसे बड़ा वैज्ञानिक सिद्ध हो सकता है पर हर्बल पद्धति के तहत हो ताकि जूस सालों साल तक सुरक्षित रखा जाए |
दूसरी बात यह है की ३०० प्रकार के पौधों में ११ पौधा जहरीला भी होता है , अब कौन जाने किसके भाग्य में वो जहर वाली पौधा का जूस लिखा है?

चुकी यहाँ लोग ज्यादा से ज्यादा पैदावार बढ़ाने और जल्द से जल्द कटाई करके अपने जेब भरने के लिए अधिक मात्रा में रासायनिक खाद का प्रयोग करते है , जो शारीर के लिए घातक भी सिद्ध हो सकता है | बड़े से बड़े कंपनी भी आज एलोवेरा का पत्ते राजस्थान, अलीगढ , और ना जाने कहाँ कहाँ से मंगवाते है जबकि पत्ते भी काटने के २ से ३ घंटे बाद ही अपनी गुणवता खो देती है और ओक्सीडाई होकर एक प्रकार से विषैला भी हो सकता है जो शरीर के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है |

एक बात और बता दें अगर एलोवेरा जूस को परिरक्षित रखना इतना आसन होता तो तो मुकेश अम्बानी जी का रिलायंस कंपनी शोध में लाखों बर्बाद करके पीछे नहीं हट सकता था |
आज फॉर एवर लिविंग प्रोडक्ट जो दुनिया का नंबर एक कम्पनी है एलोवेरा के क्षेत्र में ३० साल तक शोध में लगाने के बाद वह सूत्र मिल पाया जिसे पेटेंट करबा दिया ताकि कोई और इस सूत्र से जूस नहीं बना सकें | परन्तु आज सस्ते एलो जेल के वजह से व्यक्ति फंस जाता है और उन्हें लाभ के वजाय हानि उठाना पड़ता है |


अतः आप इस तथ्य को समझे और किसी ऐरे - गैरे ब्रांड के झांसे में न आये, जूस अगर पीना ही है तो सिर्फ ब्रांडेड अन्यथा न पियें नहीं तो अगली बारी किसी की भी हो सकती है चुकी लोकल ब्रांड में गुणवता को कायम रखना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है | तो अगली बार सेहत से कोई समझौता नहीं और जूस अगर मिलता है बाजार का तो इसमें IASC, NO TESTED ON ANIMAL, ISLAMIC SEAL OF APPROVAL,IDSA ये कुछ प्रमाणीकरण होनी ही चाहिए | अगर ये सब प्रमाणीकरण बोतल में है तो आप जरुर प्रयोग में ला सकते है |

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Jul 18, 2010

एलोवेरा शरीर के आन्तरिक व बाहरी सुरक्षा के लिए |

आज एक बार फिर से बात करने जा रहा हूँ एलोवेरा के जेल पर | दरअसल हम चर्चा करेंगे कि एलो किस प्रकार बाहरी और आंतरिक रूप से काम करता है |
एलो की अणुका ( मोलेक्युलर ) संरचना इतनी छोटी है की वह त्वचा की उपरी परतों के माध्यम से अंतिम परत तक पहुँच सकता है | सबसे उपरी परत एपिडर्मिस है उसके निचे डर्मिस और सबसे निचली परत हायपोडर्मिस है |
एलो में "लिग्निन" नामक तत्व है जो इसे कोशिकीय स्तर तक पहुँचने में मदद करता है | इसमें " सैपोनिन" नामक एक अन्य तत्व भी है जो प्राकृतिक रूप से सफाई करने का काम करता है | ये दोनों तत्व एक साथ मिलकर त्वचा के कोशिकीय स्तर तक पहुचते है और त्वचा की परतों से जहरीले पदार्थ को सतह पर लाते है और धीरे-धीरे प्रणाली में से निकाल देते है |

इसके अलावा, यह त्वचा को पोषण भी देता है और पोषको की पुनः पूर्ति भी करता है | चित्र में त्वचा की तिन विभिन्न परते और एलो बाहरी तौर पर काम करने का तरीका दिखाया गया है |
एलो के बारे में कहा जाता है की वह " अन्दर से बहार की ओर " काम करता है - यानि की यह अन्दर तक पहुँचता है और सारे विषों को हटाता या साफ़ करता है और प्रणाली में से निकाल बहार करता है |

अब अनुसन्धानकरता मानते है की सभी रोगों में से ९०% की शुरुआत पाचन तंत्र से होती है | इसलिए, सही और अच्छी सेहत के लिए पोषण का सही पाचन, शोषण और परिपाचन जरुरी है |

विषैले पदार्थ भीतरी परत में बाधा उत्पन्न करते है, पोषकों और विटामिनो के शोषण की प्रभावशीलता घटाते है, इसलिए वे शोषित हुए बिना आपकी प्रणाली में से सीधे बहार निकल जाते है | विषैले पदार्थ- वे है जो शरीर में जमा होते जाते है और शरीर को नुकसान पहुंचाते है |

जब आपके शरीर को आपके आहार से पोषण नहीं मिलता, तब आपके शरीर में कमियां हो जाती है और इस तरह से रोग हो जाते है |
जब एलो वेरा लिया जाता है, तब वह पाचन तंत्र में से इन विषैले पदार्थों को हटाता है क्यूंकि इसमें विषैले पदार्थों को तोड़ने और कोमलता से निकालने की योग्यता है, इस तरह से यह भीतरी परत को साफ़ करता है और शरीर को हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन के पोषक तत्वों का पूरा फायदा उठाने के योग्य बनाता है |

इतने सालों से आप जो कुछ भी खा रहे हो उसका पूरा फायदा शरीर को न मिलने का कारण हमारी पाचन लाइनिंग में जमे हुए विषैले पदार्थ है , सक्षम पोषकों की अतिरिक्त खुराक और एलो से हमें अपनी प्रणाली को सहीं संतुलन में लाने में मदद मिलेगी |
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Jul 17, 2010

फॉरएवर किड्स ( Forever Kids )


आज सोच रहा था क्यूँ नहीं कुछ बच्चों के सम्बंधित उपयोगी उत्पाद की चर्चा की जाए | आधुनिक वातावरण में स्वस्थ्य रहना बहुत बड़ी चुनौती है | प्रदूषित वातावरण व विकृत जीवन शैली बच्चों के स्वस्थ्य को पहले प्रभावित करता है |

अपने बच्चों को रोज आवश्यक पोषकों को चबाने वाले मल्टीविटामिन्स के रूप में बढ़ते बच्चों के बेहतरीन उत्पाद दें जिसका नाम है " फॉरएवर किड्स " | मजेदार आकारों और स्वादिष्ट मल्टीविटामिन्स वयस्कों और बढ़ते बच्चों ( दो या उससे ज्यादा उम्र वाले ) को महत्वपूर्ण विटामिन्स, खनिज पदार्थ और फाटोन्यूट्रीएन्स प्रदान करते है
जिसकी उनमे कमी हो सकती है | फाटोन्यूट्रीएन्स सब्जियों और फलों में पाए जाने वाले पौधों के पोषक तत्व है |

प्रक्रिया करने की नई तकनीक हमें कच्चे फलो और सब्जियों को एमल्सीफाय, ड़ीहाईड्रेट और फ्लैश-ड्राय करने और हमारे शरीर के लिए आवश्यक अमूल्य फाटोन्यूट्रीएन्स, विटामिन्स, खनिज पदार्थों और एन्जाइम्स को सहेजने की योग्यता देती है |
इन सबसे बनता है बेहतरीन स्वाद वाला मल्टीविटामिन, जिसे खाने में मजा आता है और फॉरएवर लिविंग द्वारा पेश किये जाने वाले अन्य पूरकों के रेंज के साथ उचित रूप से कम करता है |
यह शक्कर,एस्पारटेम, कृत्रिम रंगों या परिरक्षकों के बिना बनाया जाता है और फाटोन्यूट्रीएन्स का आधार कैरेट्स, असेरोला, ब्राकली, पालक, पत्ता गोभी, सेबों, क्रैन्बेरिज, टमाटरों और नींबूवर्गीय फलों जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थों से लिया जाता है |
आप और आपके बच्चे संतेरे और आप भी अंगूर की प्राकृतिक खुशबु को बहुत पसंद करेंगे और आप भी बच्चों को हरी सब्जियां खिलाने के परेशानी से निजात पा लेंगे |

चार साल से बड़े बच्चों और वयस्कों के लिए, आहारीय पूरक के रूप में रोजाना चार टेबलेट्स ले |
दो से चार साल के बच्चों के लिए, किसी व्यस्क की देख-रेख में रोजाना दो टेबलेट्स दे |


किसी भी प्रकार के कृत्रिम रंगों या प्रिजर्वेटिव की गैर मौजूदगी इसे बच्चों के लिए एकदम सुरक्षित बनती है |
फाटोन्यूट्रीएन्स पौधों की सामग्री से पाए जाने वाले पोषक तत्व है जिन्हें मनुष्यों की जीवन क्षमता के लिए आवश्यक माना गया है |

PRODUCT #198 MRP:Rs. 662.09 ( tablets 120 )

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Jul 16, 2010

निम्बू खाए रोगमुक्त हो जाए |

आइये आज चर्चा करते है अनेक औषधीय गुणों से युक्त, शरीर के विषैले तत्वों को नष्ट करने की अद्भुत क्षमता और सालोसाल पाए जाने वाले रसोई घर की शान कहे जाने वाली, जी हाँ अब तो आप समझ ही गए होंगे-- मेरा मतलब है "निम्बू " | इस जानलेवा गर्मी में निम्बू की तक़रीबन प्रत्येक मनुष्य नित्य सेवन किसी न किसी रूप में करते है | निम्बू में कोई अवगुण नहीं है , जी हाँ इसमें गुण ही गुण है |

आयुर्वेद में निम्बू की अत्यधिक प्रशंसा की गई है, यह बहुत ही गुणकारी और उपयोगी होता है | यह देश के हर कोने में उपलब्ध आसानी से हो जाता है | इसे अमृतफल कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, अर्थात इसके सेवन से किसी भी प्रकार के हानि नहीं होती है |

निम्बू का पेड़ प्रायः १२ से १५ फीट तक तक ऊँचा होता है | कच्चा निम्बू हरा होता है और पक जाने के उपरांत पीला हो जाता है | फल का छिलका मोटा तथा फल की मज्जा अम्ल, हलके पीले रंग का होता है |
निम्बू की कई किस्मे होती है, जैसे मीठा निम्बू, बिजौरा निम्बू, जंबीरो निम्बू आदि, रसोईघर में इसकी उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है | यह सभी को अतिप्रिय है, औषधि के लिए इसका फल, पता दोनों उपयोगी है |

निम्बू को संस्कृत में निम्बुक तथा हिंदी में निम्बू ही कहते है | बंगला में पालितेबू, मराठी में लिंमू, गुजरती में कागदी लिंमू,तमिल में एलूमिच्चे और अंग्रेजी में( द लेमन ऑफ़ इंडिया ) कहते है | इसका लैटिन नाम है "साइट्रस लाइमोन" |

निम्बू का सेवन स्वस्थ्य व्यक्ति करते है तो आरोग्य की प्राप्ति होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रबल होती है | खट्टापन निम्बू का प्राकृतिक गुण है, हर निम्बू में खटास होती है, कोई अधिक तो कोई कुछ कम खट्टा होता है |

यह पाचक रसो को उत्तेजित करता है, मन्दाग्नि वालो की भूख जागृत करता है और पाचन क्रिया में सुधार लाता है | इसके रस से रोगोत्पादक कीटाणु नष्ट हो जाते है | यह रक्तपित-स्कर्वी रोग में बहुत ही लाभदायक सिद्ध होता है | इसके नियमित सेवन से संक्रामक रोगों से बचाव होता है | निम्बू का सेवन खाली पेट करने से ज्यादा लाभ होता है |


इसके सेवन के विधि :- निम्बू का रस विशुद्ध रूप में न पिए, पानी में मिलाकर पिए ,शुद्ध रस में तेजाब होता है, जिससे दाँत के इनैमल को हानी पहुंचा सकती है |
दूसरी बात इनके रस का सेवन हमेशा खाली पेट करें, तभी वह पूर्ण उपयोगी सिद्ध होगा अन्यथा लाभ अवश्य करेगा पर कुछ कम |
अगर प्रातः काल खाली पेट एक- दो गिलास ठंढे पानी में निम्बू का रस शहद मिलाकर लेने से शरीर की अच्छी सफाई हो जाती है |

निम्बू में रासायनिक तत्व :- रासायनिक दृष्टि से निम्बू में पानी ८५%,प्रोटीन १%, वसा ०.९%, कर्बोदित, ११.१% रेशे १.८%, कैल्सियम, .०.०७ फोस्फोरस ०.०३, लौह २.३ मिलीग्राम / १०० ग्राम और विटामिन सी , इन सबके आलावा निम्बू में थोड़ी मात्रा में विटामिन 'ए' भी होता है |


विभिन्न प्रकार के रोगों में आप निम्बू के रस की सहायता ले सकते है :-
अजीर्ण ( अपच ) :- इसकी शिकायत होने पर निम्बू, अदरक और सेंधा नमक मिलाकर भोजन से पहले खाना चाहिए, ऐसा करने से अपच नष्ट हो जाता है और वायु कब्ज़, कफ, आमवात ( गठिया ) का नाश होता है |
अम्लपित :- गर्म पानी में निम्बू का रस डालकर शाम को पिने से अम्ल्पति में राहत
उदरशूल :- निम्बू का रस १५ ग्राम, चुने का पानी १० ग्राम और मधु १० ग्राम तीनो मिलाकर २०-२० बूंद की मात्रा दिन में ३-४ बार लेने से उदरशूल में लाभकारी है |
अरुचि :- निम्बू के रस को गर्म कर उसमे शक्कर व इलायची चूर्ण मिलाकर सेवन करने से लाभ होती है |
सर्दी जुकाम ,दस्त, पथरी ,कमर दर्द, जवारा ज्वर, विच्छु का ज्वर , लीवर विकार,जीभ के छाले, चला जाता है | रक्तस्त्राव मौसमी बुखार जैसे हैजा आदि में बहुत ही उपयोगी औषधि है |
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Jul 15, 2010

जिदगी एक सफ़र है सुहाना, यहाँ कल क्या हो किसने जाना |

हमारा जीवन एक उत्सव के सामान है | जो लोग आशावादी होते है और जीवन को सकारात्मक सोच के साथ जीते है, उनके सामने सुख हो या दुःख, वे खुशी-खुशी से सामना करते है | निराश और हताश व्यक्ति ऐसी सोच नहीं रखते है | उनके लिए जीवन काँटों का सेज होता है | आपके लिए आपकी सोच बहुत महत्वपूर्ण होती है | आप जैसा सोचते है, वैसे ही विचार आपके मन में फूलते-फलते है |

उदहारण के लिए पानी का कोई आकार नहीं होता है | जैसा हमारा पात्र होता है, पानी का आकार वैसा ही हो जाता है | हम पानी को घड़े में रखे, गिलास में रखे या जमीं पर बहा दे | पानी नहीं, बल्कि पात्र में अंतर होता है |

जीवन परमात्मा की अभूतपूर्व कृति है | हमारे जीवन में कभी सुख के फूल खिलते है तो कभी दुःख के | हमें इन दोनों फूलों का स्वाद चखना चाहिए, न कि दुःख मिलने पर निराश-परेशान हो जाना चाहिए |

वास्तव में, इस जीवन का उपयोग कर कुछ लोग शिखर पर पहुँच जाते है, तो कुछ लोग इसका दुरूपयोग कर अपनी लक्ष्य-प्राप्ति कि राह में भटक जाते है |

सच तो यह है कि जो लोग आशावादी होते है, वे निर्माण करते है और जो निराशावादी होते है, वे तोड़फोड़ करते है |
नकारात्मक सोच रखने वाले लोगों ने अपने जीवन को घृणा से भर लिया है | ऐसे लोगों को अपने आसपास रहने वाले लोग दुश्मन नजर आते है, क्यूंकि इनके भीतर गंदगी भरी हुई है |यदि आपका मन गन्दा है, तो आपकी सोच भी वैसी ही होगी |

हमें अपने जीवन के हर पल को सुगन्धित बनाने का प्रयास करना चाहिए | हमारे देश में अनेक महापुरुष हुए है, राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर जैसे लोगों ने अपने जीवन को एक उत्सव के रूप में जिया है और साथ ही भारत कि संस्कृति और संस्कारों कि रक्षा भी की है |

सार्थक लोग ही अपने जीवन को उत्सव के रूप में जीते है | ऐसे लोग न केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज होते है, बल्कि राष्ट्र पुरुष भी बनते है |

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Jul 12, 2010

आयुर्वेदिक बनौषधि ( एलो वेरा) अचूक है असाध्य रोगी के लिए

अंतरजाल के जाल में ऐसे उलझे की सप्ताह उपरांत जाकर सुलझे है | आज सबकुछ ठीक हुआ है, बहुत बेरंग लगता है बगैर अंतरजाल के | ऐसा प्रतीत होता है जैसे जीवन इसके बगैर अधूरी है | परन्तु आज मैं राहत और ख़ुशी महसूस कर रहा हूँ- आपलोगों से मुखातिब होकर | मन में बहुत कुछ चल रहा था की आपसे कुछ ज्वलंत विषय पर चर्चा करें , जैसा की पिछले सप्ताह की मार्मिक घटना जो एक बुजुर्ग की जान गावानी पड़ी | समाचार पात्र और टेलीविजन पर देखा था की करेला और लौकी के जूस पीकर एक बुजुर्ग दम्पति में पुरुष तुरंत काल के ग्रास बन गए और महिला अभी भी अपनी जिन्दगी और मौत के बिच अस्पताल में जूझ रही है |

आप क्या सोचते है की करेल में जहर था या लौकी जहरीला था ? जबकि ये बात भी सामने आई है की वो दम्पति ये जूस लगातार सेवन करते आ रहे थे | तो आखिर क्या बात हुई ? हमसब को आत्म मंथन करने की जरुरत है | जहाँ तक मेरा मानना है की वो जरुरत से जायदा रासायनिक उपज हो सकता है जिसके फलस्वरूप वो ज्यादा कड़वी और पिने लायक नहीं रहा होगा और शारीर उसको नहीं झेल सका |

वर्तमान में स्थिति कुछ ऐसी ही है और ये कहीं न कहीं होता ही रहेगा, दरअसल हमारे किसान भाई अपने फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए जिस तरह से अंधाधुंध कीटनाशक व खरपतवार नाशक दवाई व रासायन के छिडकाव करते है, उसका ही यह दुष्परिणाम है |
क्या आप जानते है - की वो रसायन जो कीटनाशक के रूप में छिडकाव की जाती है , वो कहाँ जाता है ? क्या जमीन निगलती है या वो कीट-फतिंगो जिनके लिए छिडकाव की जाती है वो सारे खाकर मर जाते है ?

आमतौर पर ये सारे के सारे रसायन उस जमीन के अन्दर ही होती है और फसल जो भी उगते है उसके फली के अन्दर उसी रासायन की मात्रा होती है |
दरअसल पैदावार बढाने की प्रतियोगता में किसान भाई रासायन रूपी भष्मासुर का छिडकाव करते है जो आगे चलकर हमारे ही शरीर के लिए अभिशाप साबित होता है |

कौन सा रोग कब किसे हो जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता | सुबह उठकर दिन भर कार्य-व्यापारों के निपटाने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति अचानक हार्ट अटैक से देवलोक गमन कर जाते है, तो सभी को आश्चर्य होता है |
तमाम काम अधूरे पड़े रहे मेरे
मैं जिन्दगीं पे बहुत एतबार करता था |

दरअसल आज के युग में ऐसे बहुत कम लोग मिलेंगे जो पुर्णतः स्वस्थ्य हो, अन्यथा किसी न किसी बीमारी से घिरे व्यक्ति ही ज्यादा मिलेंगे | यदि आप अपने को पूर्ण स्वस्थ्य मानते है तो डॉक्टर के यहाँ जाँच कराये, विभिन्न जांच के उपरांत कई रोगों से घिरे हुए हो सकते है |
यहाँ तक की स्वयं डॉक्टर को भी नहीं मालूम होगा की वह कितनी बिमारियों को ढो रहा है |

कई रोग अपने लक्षणों से रोगी तक सन्देश दे देते है जबकि कुछ रोग ऐसा छुपा रुस्तम होता की सहज पकड़ में नहीं आता और चुपचाप अपने आतंकी कामों में लगा रहता है , और बाद में अपने मंसूबों को पूरा कर लेते है | ज्यादातर रोग आज कल व्यक्ति के आहार विहार, रहन-सहन पर निर्भर करते है | कुछ रोग मेहनती व्यक्ति से दूर रहते है जबकि आराम पसंद से चिपक जाते है |

एक समय था जब तपेदिक ( टी.बी ) रोग राजाओं , धनाढ्य व्यक्ति को ही हुआ करता था , इसीलिए इसका नाम "राजयक्ष्मा" रखा गया | आज सबसे ज्यादा यह रोग गरीबों को ही सता रही है | मोटापा,हृदयरोग,हाइपरटेंशन और मधुमेह जैसे रोग पहले " अमीरों" के रोग कहे जाते थे लेकिन अब तो ऐसा लगता है की रोगों ने भी "समाजवाद" का रास्ता अख्तियार करके गरीब-आमिर सभी को अपनी गिरफ्त में ले लिया है |

प्रत्येक व्यक्ति सुविधा पसंद होता जा रहा है , श्रम युक्त दिनचर्या से मुंह मोड़ने लगे है, दूसरी खान पान भी दूषित सेवन करता है | वर्तमान में मिलावटी खाद्य पदार्थों का ऐसा बोलबाला है की कई बार मध्यस्थ बना दूकानदार भी नहीं जान पाता की वह जिस चीज को बेच रहा है, वह मिलावटी या नकली है |

ऐसे में कई प्रकार के रोग अब व्यापक बनते जा रहे है | बात करे मधुमेह की, तो करोड़ों लोग इससे पीड़ित है, औ तो और असंख्य दम्पति भी मधुमेही मिलेगे | यानि पति-पत्नी दोनों ही मधुमेह से पीड़ित मिलेंगे | मधुमेह से ग्रसित नमी गिरामी हस्तिया तो है ही | नमी-गिरामी डॉक्टर और बैद्य भी इसके जाल में फंसे हुए मिलेंगे | उच्च वर्ग से लेकर मध्यम वर्ग तक तो मधुमेह फैला हुआ है ही,अब तो अल्प आय वर्ग भी शुगर की बीमारी वाले मिलने लगे है |

यह ऐसा रोग है जो आसानी से पकड़ में नहीं आती और चुपचाप अपना गलत काम करता रहता है | हाँ, कुछ लक्ष्ण से आपको संकेत मात्र देंगे की आप सचेत हो जाए , तुरंत जाँच करवाय और शर्करा बढ़ी हुई निकले तो उसके प्रति लापरवाह न बने तुरंत खान-पान, दिनचर्या में आवश्यक परिवर्तन करें | यथाशीघ्र आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां वाली औषधीय का सेवन कर दें ताकि शर्करा का स्तर नियंत्रित रहें |
हमारे पास इस रोग से छुटकारा पाने के लिए रामवाण औषधि है, जो निम्नलिखित है :-
१. एलो वेरा जेल
२. गार्लिक थाइम
. जिन चिया
३. लाइसियम प्लस
उपरोक्त उत्पाद सभी के सभी फॉर एवर लीविंग प्रोडक्ट USA के मिलेंगे जिसका किसी भी प्रकार के कोई दुष्प्रभाव नहीं होंगे |अतः इस प्रकार के पथ्यापथ्य तथा समुचित सावधानियों के अपनाकर मधुमेह के साथ भी सामान्य जीवन जिया जा सकता है |
आयुर्वेदिक औषधि के रूप में उपरोक्त लिखित उत्पाद रामवाण साबित हो सकता है |
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Jul 6, 2010

याददाश्त को बढ़ाये, forever Bit's N Piches अपनाए |

वर्तमान समय की भाग-दौड़, अनियमित दिनचर्या, असंयमित और अस्त-व्यस्त जीवनशैली का सीधा असर हमारे दिमाग पर पड़ता है | देर से उठाना, देर रात तक सोना, युवा वर्ग की एक आदत बन गई है | जिसके कारण कुछ दिनों के पश्चात् नींद आँखों से गायब होने लगती है, फिर चिडचिडापन, तनाव आदि परेशानियों से व्यक्ति गुजरता है और यादाश्त क्षीण होने लगती है |

एक ओर जहाँ अव्यवस्थित जीवनशैली का हमारी याददाश्त पर प्रतिकूल असर पड़ता है वहीँ रोजमर्रा की जिन्दगी में तकनीक के बढ़ते दखल ने हमें बेहद आराम परस्त बना दिया है |
जो बाते पहले हमारे मस्तिष्क में सुरक्षित होती थी पर आज हम मोबाइल व कंप्यूटर पर सुरक्षित रखने लगे है | इससे मस्तिष्क की याद रखने की क्षमता पर असर पड़ता है |
एक ही समय में कई प्रकार के काम करने से भी यह परेशानी होने लगती है | इस दिनचर्या का असर बच्चों पर भी पड़ा है |
उनमे ये समस्या आहार-विहार, लापरवाही या फिर जन्म जात भी हो सकती है | लेकिन व्यस्को में यह परेशानी अत्यधिक काम, चिता, पोषक तत्वों की कमी, धुम्रपान, मद्यपान आदि का परिणाम होती है |


धीरे-धीरे क्षीण होती स्मरण शक्ति के कारण कई बार व्यक्ति अवसाद ग्रस्त हो जाता है, इसीलिए पहले से सतर्कता जरुरी है | इस समस्या का समाधान भी है , लेकिन इसके कारण जानना आवश्यक है - मानसिक व स्नायु दुर्बलता के कारण एकाग्रता का आभाव, पोषक तत्वों की कमी एवं अनियमित दिनचर्या आदि स्मरण शक्ति को प्रभावित करते है |

स्मरण शक्ति को बढाने व तेज करने के लिए हमें मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ्य , सबल और निरोग रहना होगा | मानसिक रूप से स्वस्थ्य, सशक्त हुए बिना आप अपनी याददाश्त को प्रबल नहीं रख सकते | आप किसी भी काम को करते वक्त पूरा ध्यान उसी पर केन्द्रित करें | आप ऐसा तभी कर सकते है, जब आप एकाग्रचित हों | आपके मन में अन्य कोई और विचार नहीं आने चाहिए, जिस तरह से साउंड प्रूफ कमरे में कोई अन्य ध्वनि प्रवेश नहीं कर पाती |

भोजन में पौष्टिक खाद्य पदार्थों को शामिल करके भी स्मरण शक्ति को बढ़ाया जा सकता है | अतः नित्य "एलो बीट'स न पिचेज" का सेवन जरुर करना चाहिए | तथा बच्चों के भोजन में फास्ट फ़ूड , कोल्ड ड्रिंक को स्थान न दें , उन्हें समय पर सुलाए जिससे उनकी नींद भी पूरी हो सके और ब्रह्म मुहूर्त में टहलने से दिमाग और शरीर स्वस्थ्य रहते है |

याददाश्त को बरक़रार रखने में सहायक औषधियां निम्नलिखित है :-
१. एलो बीट'स न पिचेज (Forever Aloe Bit's N Piches) बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकाश के लिए बेहद उपयोगी जूस है |
२. रोयल जेली ( Forever Royal Jelly ) : - ये मस्तिष्क सम्बंधित ,व त्वचा सम्बंधित, शारीरिक शक्ति प्रदान करती है |
. जिंक्गो प्लस ( Forever Ginkgo Plus ) :- स्नायु तंत्र को प्रबल करता है, स्मरण शक्ति बढ़ाता है , दमा रोग में बेहद उपयोगी है |
अतः उपरोक्त लिखित औषधि का सेवन कम से कम तीन महिना तक करें इसके साथ तली हुई , मशालेदार, मिर्च वाले भोज्य पदार्थ का सेवन न करें |

इससे निश्चित ही आप तीक्ष्ण और विलक्ष्ण स्मरण शक्ति के मालिक होंगे |
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एलो वेरा ( ग्वारपाठा) एक चमत्कारयुक्त वनस्पति

किसी ने सच ही कहा है स्वास्थ्य ही धन है | वास्तव में बगैर अच्छे स्वास्थ्य के कुछ भी ठीक नहीं लगता | अच्छा स्वास्थ्य पाना मुश्किल नहीं है बस जरुरत है संयमित और अनुशासित जीवन व्यतीत करने की | मनुष्य को इसके महत्व को समझना आज समय की आवश्यकता बन गई है | बेहतर स्वास्थ्य हम किस प्रकार से पा सकते है और क्या कोई ऐसा आयुर्वेदिक वनस्पति है जिसका सेवन मात्र से हम चुस्त-दुरुस्त रह सकते है ? जी हाँ आज आपके साथ चर्चा करने जा रहा हूँ एक बार फिर से वही पौधा जो धरती पर मानव जाती के लिए अद्भुत और वरदान स्वरुप है जिसका नाम है एलो वेरा ( ग्वारपाठा) |

घी ग्वार जिसे ग्वारपाठा भी कहते है , अपने देश में ही नहीं अपितु दुनिया के प्रत्येक देश में इसकी पैदावार होती है | इसके रस को सुखाकर भरी मात्रा में एक पदार्थ बनाया जाता है, जिसे आमतौर पर मुसब्बर कहा जाता है और संस्कृत में कुमारी रस हिंदी में एल्बा कहते है |

भाषा और क्षेत्र के आधार पर इनके अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे- संस्कृत में घृतकुमारी, हिंदी में घी गुवार, घृतकुमारी, मराठी में, कोरफड, कोरकांड, गुजरती में कुंवार्पथा, बंगला में घृत कोमरी, तेलगु में चित्रकट बांदा, कलबंद, तमिल में चिरुली, कतालै , चिरुकतारें, मलयालम में कुमारी, कन्नड़ में लोलिसार, फारसी में दरख्ते सिब्र, अंग्रेजी में एलो, लेटिन में एलोवेरा |


ग्वारपाठा के गुणधर्म के बारे में तो हजारों साल से प्रायः दुनिया के प्रत्येक धर्मग्रंथ और पौराणिक किताबे में चर्चा की गई है |
कहीं इसे घर का वैद्य, कहीं इसे भुत भगाओ पौधा, तो कहीं इसे संजीवनी लता, तो कहीं इसे घरों के गमले में रखने से घर को प्रदूषित रहित बनाने आदि अनेक प्रकार के काम के लिए मनुष्य इसे अपने जीवन में उपयोग कर रहे है | वैसे एलोवेरा मानव शरीर के लिए सम्पूर्ण पौष्टिक आहार है |

इसका सेवन से शरीर में शीतलता, नेत्रों के लिए हितकारी,बलवीर्यवर्धक, पलीहा व यकृत के विकार, अंड वृद्धि, रक्तविकार, त्वचा रोग, आंत सम्बंधित रोग आदि अनेक प्रकार के विकारों को दूर करने में बहुत ही उपयोगी औषधि का काम करता है |

आइये ग्वारपाठा पौधे के बारे में थोड़ी जानकारी लेते है- इस पौधे के पते ही होते है जो जमीन से ही निकलते है, यह २ से ३ फिट लम्बे और ३ से ४ इंच चौड़े होते है जिनके दोनों तरफ नुकीली कांटे होते है | इनके पते गहरे हरे रंग के मोटे, चिकने और गूदेदार होते है | जिन्हें काटने या छिलने पर घी जैसे गुदा ( जेल ) निकलता है | इसीलिए इस पौधे को घृतकुमारी व घी ग्वार भी कहा जाता है |

आजकल ग्वारपाठा के उपयोग कर कई प्रकार के सौन्दर्य प्रसाधन व आयुर्वेदिक औषधियां बनाई जाती है | वैसे सही मायने में इस पते में औषधि आने के लिए कम से कम ढाई से तिन साल तक समय चाहिए परन्तु हमारे यहाँ दुर्भाग्य की बात है की तिन साल के दौरान तो न जाने कितनी बात कटाई कर ली जाती है | इसलिए इसके औषधीय गुण के सम्पूर्ण लाभ हमें नहीं मिल पाता है |

हमारे कंपनी ऍफ़.एल.पी एलो जेल को सुरक्षित रखने के लिए स्थिरीकरण प्रक्रिया के द्वारा परिरक्षित करती है जिसके जेल चार साल तक उपयोग में ला सकते है |
विश्व में करीब ३००० कंपनी आज एलो जेल बनती है परन्तु एकलौती हमारी कंपनी है जिसका आज का बाजार पर ८५% अधिकार है |


वैसे इसका प्रयोग कई प्रकार के रोगों की चिकित्सा में किया जाता है जिसके वर्णन निचे दिया जा रहा है :-
फोड़ा व गाँठ :- इसके पतों का गुदा करके जरा सी पीसी हल्दी मिलकर पुल्टिस तैयार करें और गांठ,फोड़े पर रखकर पट्टी बांध दे | फोड़ा पक कर स्वतः फुट जायेगा और मवाद निकल जायेगा |
जले हुए स्थान पर तुरंत इसके गुदे का लेप कर देने से जलन शांत होती है और फफोले नहीं पड़ते है | शहद के साथ मिलकर जेल का प्रयोग करने से जले का निशान भी चला जाता है |

कान दर्द में इसके गुदे का रस को आंच पर गर्म कर जो आराम से सहन कर सके जिस कान में दर्द हो उसकी दूसरी तरफ के कान में दो बूंद रस डालने से कान दर्द ठीक होता है |

सिरदर्द के लिए इसके जेल को सर लगाने से सिरदर्द दूर होता है |
बवासीर रोगीं के लिए तो यह रामबाण औषधि है | इसकी सब्जी बनाकर खाने से लाभ होता है और इसका रस पिने से पेट ठीक रहेगा |

गठिया रोगों में इसके दो फांक कर इसमें हल्दी भरकर हल्का गर्म करें और प्रभावित भाग पर लगातार पट्टी करने से गठिया, जोड़ो में दर्द,मोच या सुजन में विशेष लाभ होता है |

जोड़ो के दर्द में एलोवेरा जूस का सेवन सुबह-शाम खली पेट करें और प्रभावित जोड़ो पर लगाने से विशेष फायदा होता है |

कब्ज़ में रोज एलो वेरा जूस का सेवन करें बहुत ज्यादा फायदा होगा

यकृत की सुजन में इसके गुदे का सुबह-शाम सेवन से यकृत की कार्यक्षमता बढती है वो पीलिया रोग दूर होता है |

छोटे बच्चों के कब्ज़ के लिए जूस व हिंग मिलकर नाभि के चरों और लगा दे ,इससे लाभ मिलेगा |

गुदा का सेवन खली पेट करने से यदि मलेरिया का प्रकोप बार-बार होता है तो ठीक होता है |

त्वचा सम्बंधित रोगों में इसका महत्वपुर भूमिका है | एलोवेरा का प्रयोग बहुतायत से सौन्दर्य प्रसाधन के रूप में प्रयोग किया जाता है, एलो वेरा जेल चेहरे पर लगाने से चेहरे पर कांटी आभा व मुहांसे, झाइयाँ दूर होती है | इसके बाहरी प्रयोग से त्वचा में निखार आती है |

बालों के लिए भी इसके जूस को सिर में लगाने से बाल मुलायम, घने, काले व बालो का झाड़ना बंद होता है | अगर बाल जड़ चूका है तो इसका रस नियमित सिर पर लगाते रहने से नए उगने लगते है |

यह रोग प्रतिरोधक तंत्र को मजबूती प्रदान करती है | इसका सेवन से बुढ़ापा समय से पहले नहीं आता |

ह्रदय रोग होने का मुख्य कारण मोटापा कोलेस्ट्रोल का बढ़ना और रक्तवाहिनियों में वसा का जमाव होना है | ऐसी स्थिति में इसका जूस बेहद फायदेमंद है |
अतः यह औषधि बहुमूल्य है ,इसमें गुणों का भंडार है इस औषधि के बारे में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जानी चाहिए |

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Jul 4, 2010

फॉरएवर फ्रीडम 2 गो ( स्वस्थ्य रहें, हमेशा )!!!


जब प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाले घटक जैसे ग्लुकोसोमिन सल्फेट, कॉन्ड्राइटिन सल्फेट और मिथाइल सल्फोनिल मीथेन ( एम एस एम ) का मेल ऐसे अद्भुत फलों के रस के आश्चर्यनक गुणों से होता है, जिन्हें उच्च ORAC ( ऑक्सिजन रेडिकल एब्जोर्बेंस कैपिसिटी ) होता है जैसे अनार, मैंगोस्टीन, रास्प बैरी, ब्लैक बेरी, ब्लूबेरी और अंगूर के तत्वों तो आपको मिलते है ऐसे लाभ------- जो आपने पहले न कभी देखे, न सुनो | फॉर एवर फ्रीडम २गो--- बढियां स्वाद युक्त बायो-अवेलेबल ( (जैबिक रूप से उपलब्ध) का अनोखा कॉकटोल और स्वाथ्य बेहतर बनाने वाला फ्रूट ज्यूस | जिसमे है स्टाबिलाइज्ड पेटेनटेड एलो वेरा जेल यानि 'मनुष्य के लिए इश्वर का सबसे अनमोल उपहार' क्यूंकि एलो भीतर तक समाकर सभी पोषक तत्वों का बढ़िया तरीके से अवशोषण करता है |

ग्लुकोसोमिन सल्फेट और कॉन्ड्राइटिन सल्फेट :-
सामान्यतया जब शरीर से आप कोई भी हलचल करते है तो हड्डियों के बिच मौजूद कार्टिलेज घिसने लगता है और हड्डियों का आकर बिगड़ने लगता है , लेकिन आराम की स्थित में यह वापस सामान्य आकर में आ जाती है यदि ग्लुकोसोमिन का स्तर कम हो जाता है, तो इसके पुनः ठीक होने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है ऐसा माना जाता है कि कॉन्ड्राइटिन उत्तकों में तरल को भीतर खींचकर, कार्टिलेज को अधिक लचीला बनाता है और इन्हें हानिकारक एन्जाइम्स से सुरक्षित रखकर, कार्टिलेज की घिसावट को कम करता है |
जोडक तंतुओं के निर्माण के लिए आवश्यक घटक तैयार करने के अलाबा, कॉन्ड्राइटिन, कार्टिलेज को नष्ट करने वाले एंजाइम को रोक करके मौजूदा कार्टिलेज को समय से पहले नुक्सान पहुँचने से भी सुरक्षित रख सकता है |
ग्लुकोसोमिन सल्फेट और कॉन्ड्राइटिन सल्फेट का मिला जुला उपयोग करने पर यह " सिनर्जीस्टिक" ( सह क्रियात्मक प्रभाव दिखता है |


अनार :- विटामिन ए सी और इ के अलावा फोलिक एसिड का उत्कृष्ट माध्यम है पालीफिनौल्स, टैनिन्स और एंथो सियनिन्स -- ये सभी लाभदायक एंटीऑक्सीडेन्ट्स
है और ये इस फल में भरपूर मात्रा में पे जाते है | यह कहा जाता है की इनमे एंटीऑक्सीडेन्ट्स गुण, " रेड वाइन " और ग्रीन टी, से भी अधिक होते है |

मैंगोस्टीन (Mangosteen) :- " फलों का राजा " कहलाने वाले यह फल एक उत्कृष्ट फल के रूप में भी जाना जाता है और उत्कृष्ट पोषक तत्वों भी होते है | मांगोस्टीन" के प्राथमिक सक्रीय घटक को जेंथोंस कहते है , जो कई तरह से लाभदायक है | ये सुजन रोधी, एलर्जी रोधी असर दिखने के अलावा, ऐंठन रोधी प्रभाव भी दिखाते है |

रैस्पबेरी ( Raspberry) :- यह एन्थोसियानिंस का उत्कृष्ट स्त्रोत है जो शक्तिशाली एंटीओक्सिडेंट होने के अलावा फलों का उनका गहरा रंग देते है |
ये उम्र के ढलते असर को कम कर सकते है , कैंसर की रोकथाम में मदद कर सकते है और ह्रदय की बिमारियों का जोखिम भी कम कर सकते है |
एंटीओक्सिडेंट की विशिष्ट शक्ति के कारण रैस्पबेरी को फलों में सबसे उच्च स्थान पर रखा जा सकता है |

ब्लैकबेरी ( Blackberry) :- ये असरकारक फ्री रेडिकल की सफाई का काम करता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है | इस फल में कई सूक्ष्म पोषक तत्व होते है, जैसे फाइबर की अधिक मात्रा, कार्बोहायड्रेट्स, पॉलीअन्सैचुरैटेड वसा और प्रोटीन के अलावा, उच्च सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे विटामिन, एंटीओक्सिडेंटस और मिनरल्स ये खास तौर पर विटामिन ए, पोटेशियम और कैल्सियम का उत्कृष्ट माध्यम है |

ब्लूबेरी ( Blueberry) :- एंटीओक्सीडेंटस फायटोन्यूट्रीयंट्रस यानि एंथोसियानीडीनस से समृद्ध ब्लूबेरी, कोशिकाओं एवं उत्तकों के कोलाजन मैट्रिक्स को पहुँचने वाले फ्री रेडिकल्स के नुकसान को बेअसर बनाते है | एन्थोसियानिन्स, ब्लू-रेड पिगमेंट, यह ब्लुबेरिज में पाया जाता है, जो शिराओं एवं सम्पूर्ण रक्तवाहिनी प्रणाली में आधार संरचना की अखंडता बेहतर बना सकता है |

अंगूर के बीजों के सत्व (Grape Seed Extracts) :- अंगूर के बीजों के सत्व में इनेक स्वाथ्यवर्धक गुण होते है जैसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहायड्रेटस और पॉलीफेनौल्स, फ्लेवोनाइड्स एक ऐसा पौध रसायन है, जो अपनी उच्च एंटीओक्सिडेंटस शक्ति के लिए जाना जाता है और इसीलिए यह शरीर को ओक्सीडेटिव एवं फ्री रेडिकलस के नुक्सान से सुरक्षित रखता है |
यह माना जाता है की पॉलीफेनौल्स की एंटीओक्सिडेंट शक्ति विटामिन ई से २० गुना और विटामिन सी से ५० गुना अधिक होती है |


अब आप कल्पना कीजिये की यदि आपके शरीर को पोषक तत्वों के रूप में इन अलग-अलग और अद्भुत फलों के गुण मिलते रहे तो क्या हो || फॉर एवर फ्रीडम२गो ने अब इन्हें आपके लिए बिलकुल आसान बना दिया है ---- बस उठाइये , खोलिए और पी जाइए इस स्वादिष्ट ड्रिंक को | कहने की जरुरत नहीं की आपकी दैनिक खुराक को एक बहुत ही आकर्षक, लाने-ले-जाने में आसान पाउच पैक में किया गया है |

पिने का तरीका :- पिने से पहले पाउच को अच्छी तरह हिलाएं, हर दीन एक या दो बार, हो सकें तो भोजन के पहले एक पाउच ले, अगर बच जाये तो फ्रीज में रख दें, लेकिन ध्यान रहे बेहतर परिणाम के लिए घंटे के भीतर इस्तेमाल कर ले |

यह उत्पाद गठिया रोग से प्रभावित मरीजों के लिए आशा की नई किरण है | जो भी इस रोग से पीड़ित हो इस पाउच रूपी ड्रिंक का सेवन करें और निजात पाए ऐसे लाइलाज रोगों से |

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Jul 1, 2010

नीम का औषधीय गुण


आज मैंने सोचा क्यूँ नहीं कुछ लिखा जाये ? परन्तु तय नहीं कर पा रहा था, फिर ख्याल आया 'नीम' के औषधि गुण के बारे में आपके साथ चर्चा करते है |
नीम जो प्रायः सर्व सुलभ वृक्ष आसानी से मिल जाता है | यह वृक्ष अपने औषधि गुण के कारण पारंपरिक इलाज में बहुपयोगी सिद्ध होता आ रहा है |

नीम को संस्कृत में निम्ब, वनस्पति विज्ञानं में आजादिरेक्ता-इण्डिका ( Azadirecta-indica) कहते है | ग्रन्थ में भी इनके गुण के बारे में चर्चा इस तरह है :-
निम्ब शीतों लघुग्राही कतुर कोअग्नी वातनुत |
अध्यः श्रमतुटकास ज्वरारुचिक्रिमी प्रणतु ||

नीम शीतल, हल्का, ग्राही पाक में चरपरा, ह्रदय को प्रिय, अग्नि, वाट, परिश्रम, तृषा, अरुचि, क्रीमी, व्रण, काफ, वामन, कोढ़ और विभिन्न प्रमेह को नष्ट करता है |

नीम स्वाभाव से कड़वा जरुर होता है परन्तु इसके औषधीय गुण बड़े ही मीठे होते है,
तभी तो नीम के बारे में कहा जाता है की ' एक नीम और सौ हकीम दोनों बराबर है |'
इसमें कई तरह के कड़वे परन्तु स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ होते है , जिनमे मार्गोसिं, निम्बिडीन, निम्बेस्टेरोल प्रमुख है |
नीम के सर्वरोगहारी गुणों से ही यह हर्बल ओरगेनिक पेस्टिसाइड साबुन, एंटीसेप्टिक क्रीम, दातुन, मधुमेह नाशक चूर्ण, कोस्मेटिक आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है | एड्स जैसे भयंकर लाइलाज बीमारी पर भी नीम के उपयोग से काबू पाया जा सकता है |

चैत नवरात्री हमारे लिए नववर्ष का शुभारम्भ होता है | तब दादी माँ के नुस्खे यानि स्वास्थ्य रीती व परम्परानुसार नीम के रस का सेवन ९ दिनों तक प्रातः ही करना चाहिए ताकि हम पुरे वर्ष चुस्त व तंदुरुस्त रहें | वैसे किसी भी मौसम में नीम के पत्ते हमारे शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होता है | इनके अनगिनत गुणों के वजह से अमेरिका ने हमारे नीम को अपने लिए पेटेन्ट करा दिया , निसंदेह यह हमारे लिए गर्व की बात है और भारतीय जीवनशैली व आयुर्वेद की विजय है | नीम हमारे लिए अति विशिष्ट व पूजनीय वृक्ष है |

चैत नवरात्रि पर नीम के कोमल पत्ते होते है, इसिलए इसके कोमल पत्तों को पानी में घोलकर सील बट्टे या मिक्सी में पीसकर इसकी गोली तैयार कर ले, इसमें थोडा नमक और कुछ काली मिर्च डालकर उसे ग्राह्य योग्य बनाया जाता है |
इस गोली को कपडे में छाना जाता है, छाना हुआ पानी गाढ़ा या पतला कर प्रातः खली पेट एक कप से एक गिलास तक सेवन करना चाहिए |
लगातार ९ दिनों तक इसी अनुपात में लेने से पुरे साल की स्वास्थ्य गारंटी हो जाती है |

सही मायने में चैत्र नवरात्री स्वास्थ्य नवरात्री है | यह इन दिनों बच्चों के चेचक से बचाता है यह रस एंटीसेप्टिक, एंटी बेक्टेरियल, एंटीवायरल, एंटीवर्म, एंटीएलर्जिक, एंटीट्यूमर आदि गुणों से भरपूर है | ऐसे सर्वगुण संपन्न अनमोल नीम रूपी स्वास्थ्य रस का उपयोग प्रत्येक व्यक्ति को चैत्र नवरात्री में करना चाहिए , जिन लोगों को बार बार बुखार और मलेरिया का संक्रमण होता है उनके लिए यह रामवाण औषधि है |
वैसे तो आप प्रतिदिन पांच ताज़ा नीम की पत्तियां चबा ले तो अच्छा है, प्रतिदिन इसका प्रयोग करने पर मधुमेह रोगियों के रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाता है |
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