आइये एक बार फिर से मधुमेह से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में चर्चा करते है | वैसे तो कई तरह की समस्याएं होती है परन्तु चालीस से सत्तर प्रतिशत लोग अपनी टांगे कटवाने को मजबूर होते है | वर्तमान में ये आंकड़ा चौकाने वाली है की विश्व में प्रत्येक 30 सेकेण्ड में कोई न कोई मधुमेह का मरीज अपनी टाँगे गँवा बैठता है | गौरतलब है की डायबिटीज से 85 प्रतिशत अंगविच्छेदन पैरों में जख्म होने की वजह से ही होते है |
मधुमेह के मरीजों में टांग पर ही सबसे बड़ी खतरा रहता है | इसके तीन प्रमुख कारण है :-
1 . डायबिटीज न्यूरोपैथी की वजह से पैरों में संबेदन हीनता !
2 . पैरों में रक्त आपूर्ति घट जाना !
3 . डायबिटिक मरीजों के पैरों के जख्म व संक्रमण तेजी से ठीक नहीं होते कई अन्य जटिलताओं के कारण अधिकतर मरीजों को ऐसे जख्मों को तब तक पता नहीं लग पाता जब तक कि मामला गंभीर न हो जाए !
डायबिटिक फुट अल्सर का आसानी से पता नहीं लगता | बाहर से जख्म जैसा दिखाई देता है | वह तो मामले के एक छोटा हिस्सा होता है, जबकि भीतर संक्रमण कहीं अधिक गहरा होता है | पैरों के नाख़ून ब्लेड से काटना, नंगे पैर चलना,पैरों को काटने वाला जुटे पहनना | ये प्रमुख कारण है जिनसे पैरों में जख्म हो जाते है |
पैरों की साफ़ सफाई नियमित तौर पर नहीं करना भी एक अहम् वजह है | अगर पैरों में जरा सा भी खरोंच व असामान्यता दिखाई दे तो तुरंत उचित कदम उठाएं ! पैरों पर ज्यादा बोझ न पड़ने दे | ऐसा इसलिए कि मरीज को जख्म का एहसास नहीं होता, वह चलता रहता है |
यह स्थिति अक्सर मधुमेह कि दो जटिलताओं कि वजह से होती है |
1 . तंत्रिका क्षति 2 . कमजोर रक्त संचार |
तंत्रिका क्षति :- हाई ब्लडप्रेशर टांगों व पांवों की नसों को नुकसान पहुंचती है | क्षतिग्रस्त शिराओं की वजह रोगी की टांगो व पांवों में दर्द, गर्मी, ठंढ का एहसास नहीं होता | पैरों में सुजन व खरोंच बदतर हो जाती है , क्योंकि संबेदना जाती रहती है | इस अवस्था को डायबिटिक न्यूरोपैथी कहते है | छोटी सी समस्या बड़ी मुसीबत बन जाती है |
2 .ख़राब रक्त संचार :- मधुमेह प्रायः रक्त शिराओं को प्रभावित करता है | टांगो व पांवों में होने वाला रक्तसंचार घट जाता है | जिसमे सुजन या संक्रमण का ठीक होना मुश्किल हो जाता है | मधुमेह का रोगी धुम्रपान करता है तो रक्तसंचार की समस्या बिगड़ जाती है |
मस्तिस्क से सम्बंधित रोग :- 50 से 70 वर्ष की आयु में पक्षघात होने का खतरा आम आदमी से चार गुना अधिक मधुमेह के रोगियों को होता है |
गुर्दे सम्बंधित रोग :- मधुमेह में गुर्दे सम्बंधित रोग टाइप 1 मधुमेह टाइप 2 की तुलना में कहीं ज्यादा होता है | 20 वर्षों तक मधुमेह से पीड़ित रह चुकने के बाद जहाँ टाइप 2 मधुमेह में इस कुप्रभाव के होने की सम्भावना 16 प्रतिशत तक होती है , वहीँ टाइप 1 में सम्भावना 40 प्रतिशत तक रहती है | गुर्दे की पूर्णतया नष्ट हो जाने का मधुमेह दूसरा सबसे आम कारण होता है |
नेत्रों सम्बंधित रोग :- मधुमेह के रोगियों को अंधत्व का खतरा आम व्यक्ति की तुलना में 20 गुना ज्यादा होता है | कम आयु में मोतियाबिंद होने के कारण दृष्टिदोष होने पर मधुमेह सबसे प्रमुख कारण है |
कुछ टिप्स अपने दैनिक जीवन में उपयोग कर मधुमेह पर नियंत्रण की जा सकती है :-------
एलोवेरा जेल अपने दैनिक जीवन में नित्य सेवन करें ताकि इस तरह के रोग से आपके जीवन में घुसपैठ न कर सकें |इससे निदान के लिए और बहुत कुछ है जो हम अगले अंश में चर्चा करेंगे |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
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