क्या है मानसिकता ?कौन है ऐसे लोग? क्या वो अपने ही समाज के लोग है या वो दूसरी दुनिया से आये हुए है ? है कोई जबाब ? कोई जबाब नहीं है ? जबाब होता तो इस तरह की घटना पुनरावृति कभी नहीं होती परन्तुं यहाँ बारम्बार हो रही है और होती रहेगी !
आखिर रेप करने वाले का किसीने क्या उखाड़ लिया ? पिछले साल तक़रीबन 600 से ज्यादा लोग रेप केस में पकडे गए थे ,लम्बे समय तक केस चलता रहा और बाद में सबके सब बड़ी हो गए ! कुछ केस थोडा संगीन था तो उसे हमारे ही देश की प्रथम राष्ट्रपति प्रतिभा जी ने जीवन दान दे दिया !
आजतक किसी भी रेपिस्ट को सजा मिली है जो कोई ऐसे अपराध करने के लिए एक दफा सोचने पर मजबूर हो ! उनके जहन में डर हो , की रेप करना एक अपराध है ऐसा करने से उन्हें सजा भी मिल सकती है ! इतिहास में आजतक किसी भी रेपिस्ट को कठोर सजा नहीं मिली है और यही विडंबना है इस देश की जहाँ अपराधी खुलेआम मौज मस्ती करते है ! उन्हें मालुम है उनका कानून कुछ भी नहीं कर सकता है !
कहाँ है कानून ? कहाँ है प्रशाशन ? क्या ये सब वर्तमान में ध्रितराष्ट्र की भूमिका में है ? अरे कुछ शर्म करो ! अंधे और गूंगे बनकर बैठे क्या सोच रहे हो ? और कौन सी बड़ी घटना को आमंत्रित करने की सोच रहे हो ? सरकार सचमुच में अंधी है , उन्हें सिर्फ और सिर्फ अपनी फ़िक्र है , भांड में जाय प्रजा, उन्हें तो राजनैतिक लाभ हो तो फटा-फटा कदम उठा लेते है अन्यथा वो अंधे बने बैठे रहते है ! ध्रितराष्ट्र तो वास्तव में जन्मजात अँधा था परन्तु आजकी सरकार तो गांधारी बनी बैठी है उसने अपने आँखों पे काली डाल रखी है ! कुछ भी उन्हें दिखाई नहीं दे रहा है !
आज हम सब इसके लिए जिम्मेदार है ! अपने देश में शर्म आ रही है की ऐसे लोगों को हमने संसद में बिठा रखा है ! ऐसे सम्बेदन हीन व्यक्ति हमारा प्रतिनिधत्व कर रहा है !अपनी आँखों पर से काली पट्टी को खोलो और जागो , सोचो देश किस ओर जा रही है ? बचाओ अपने देश को, देश की आबरू को , जो चंद मनचले लोग अपनी जायदाद समझते है ! वो कानून को अपनी रखैल से ज्यादा कतई नहीं समझते !
कौन है जिम्मेदार ? क्यों नहीं देश में सख्त कानून बन सकते ? अरे जब कानून बनाई गई थी तब शायद इस तरह के बात से वो लोग अनभिग्य थे ! क्या मालूम था की अपने देश में भी राक्षसों का समूह बसेंगे और भेडिओं के तरह हमारी माँ ,बहन,बहु ,बेटी की आबरू को सरेआम तारतार करेंगे ! शायद वो ख्वाब में भी ऐसी सोच नहीं लाये होंगे , कारण वो युग था जब स्त्री के लिए सम्मान, इज्जत दी जाती थी, उन्हें शक्ति स्वरुप मानते थे ! आज युग बदल गया है, लोग अपने घर के बहु ,बेटी, माँ,बहन को नहीं छोड़ते तो अनजान स्त्री के साथ कैसा वर्ताव कर सकते है यह घटना आपके सामने है !
आज सम्पूर्ण राष्ट्र , छोटे शहर से लेकर बड़े शहर तक लोग प्रदर्शन कर रहे है ! क्या वो सिर्फ अपने लिए मांग रहे है ? क्या उन्हें इसके बारे में खुद ठोस कदम नहीं उठानी चाहिए ? जब सार देश इन्साफ की गुहार लगा रहे है तो सरकार क्यों नहीं समझने का प्रयास करते है ! गुनाहगारों के लिए सख्त कानून का प्रावधान क्यों नहीं करते ?
क्यों डरते है सख्त कानून बनाने से ? सिर्फ समाचार चैनल पर बड़ी बड़ी बाते करने से कुछ नहीं होगा, वक्त आ गया है कुछ सोचो , इस लचर व बीमार कानून व्यवस्था को बदल दो ! जो खुद ही बीमार हो वो किसी मर्ज का भला कैसे इलाज हो सकता है ?
मत सोचो मानवाधिकार के बारे में , उन्होंने तो और हमारे देश की कानून व्यवस्था को बदल के रख डाला है ! मानवाधिकार के लोग जिसमे खासतौर पर महिला पुर्वाग्रस्त रोगी जैसे ही होती है ! वो सिर्फ गुनाहगारो को कैसे बचाया जाए ? उन्हें तो अपने देश की मान,सम्मान से ज्यादा आतंकबादी व रेपिस्ट ज्यादा अच्छे लगते है ! अब तो देश हर तबके के लोग, बच्चे,बूढ़े जबान सिर्फ सख्त कानून व्यवस्था की मांग कर रहे है ! तो सरकार के तरफ से क्या देरी हो रही है ! अबकी बारी सरकार को झुकना ही होगा !
अंत में मैं बस इतना कहना चाहूँगा की सरकार को ऐसे क्षण में कानून में परिवर्तन लाकर , रेपिस्ट को जल्द से जल्द व कड़ी से कड़ी सजा दे देनी चाहिए ताकि आने वाले लोग इस तरह के घृणित कार्य करने के लिए वो हजार दफा सोचे !
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