आहार्र्च्छगतीति आयु अर्थात जो लगातार कम होती है उसे आयु कहते है | वृद्धावस्था जीवन की ऐसी वास्तविकता है जो घटती आयु एवं निरंतर अग्रसर होती क्षीणता को दर्शाती है | मतलब यह है की आयु का क्षरण या लगातार कम होना ही वृद्धावस्था कहा गया है |
समय के साथ-साथ उम्र का बढ़ना तो लाजमी है , पर बुढापा अचानक नहीं आता बल्कि यह प्रक्रिया 30 की उम्र के बाद शुरू होती है | इस अवधि में शरीर की कोशिकाओं में लाखों सूक्ष्म परिवर्तन आते है उनमे से कुछ हमें स्पष्ट दिखाई देते है जैसे :- त्वचा पर झुर्रियां, बालों में सफेदी,मांसपेशियां में ढीलापन आदि |
आयुर्वेद वृद्ध या जरा- चिकित्सा विज्ञानं को प्रमुखता देता है जिसे आधुनिक विज्ञानं जिरियोट्रिक्स कहता है | जिरियोट्रिक्स शब्द ग्रीक शब्द है, जेरी अर्थात वृद्धावस्था एवं येट्रिक्स अर्थात केअर या ध्यान रखना है | इसका अर्थ होता है वृद्धों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना | अर्थात कोशिकाओं का बूढ़ा होना ही वृद्धावस्था है |
संतुलित आहार से बढती उम्र में अपने आपको स्वस्थ्य रख सकते है :- आवश्यकता है कुछ आहार में परिवर्तन की, जैसे जरुरत से ज्यादा मात्रा में भोजन नहीं करें ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है | आयुर्वेद में स्पष्ट उल्लेख है की भोजन करते समय आमाशय का एक तिहाई हिस्सा भरना चाहिए बाकि रिक्त रखना चाहिए जिससे अन्न का पाचन व्यवस्थित होता है | भोजन में विटामिन, प्रोटीन, खनिज तत्वों की भरपूर मात्रा होनी चाहिए , गरिष्ठ भोजन, तेल, घी, शर्करायुक्त पदार्थ न खाएं |
नियमित व्यायाम :- रोज नियमित रूप से हल्का व्यायाम करना मनुष्य को कई प्रकार के रोगों से दूर और फुर्तीला बनाए रखता है | सुबह खुली हवा में पैदल टहलना एक सर्व्श्रेस्थ व्यायाम है | सुबह की हवा में ऑक्सीजन की मात्र अधिक होती है |
प्रयाप्त निद्रा :- आज के ज़माने में कई लोगों को नींद नहीं आती है ऐसे लोग मानसिक बिमारियों क शिकार हो जाते है |आयुर्वेद में निद्रा का विशेष महत्व दिया है समृद्ध स्वास्थ्य, सौन्दर्य व चिरतरुण बने रहने के लिए रात्रि में सात-आठ घंटे की नींद जरुरी है |
तनावमुक्त जीवन शैली :- रोग की जड़ मानसिक तनाव को समझा जाता है | मानसिक स्वास्थ्य अगर अच्छा नहीं है, तो मनुष्य कुंठित आयुष्य जीता है | तनाव मुक्त रहने के लिए अच्छे दोस्तों के साथ रहें, मधुर संगीत सुने, अच्छा साहित्य पढ़ें, खुद को व्यस्त रखे क्युकी खाली दिमाग शैतान का घर होता है |
रसायन चिकत्सा :- आज कई ऐसे अद्भुत औषधियां पाए जाते है जिनका आयुर्वेद चिकत्सा में प्राचीन काल से ही किसी न किसी प्रतिष्ठित ग्रन्थ में उल्लेख किया गया है | उनमे से एक औषधि है जो आज के युग में मानव जाती के लिए प्रकृति का वरदान साबित हो रहा है | वो कोई और नहीं, जी हाँ एलो वेरा ही है | जिनका गुणगान कई ग्रन्थ, प्राचीन इतिहास और आज हर घर के लिए एक आवश्यक हो गया है |
एलो वेरा जूस सर्वगुण सम्पन्न है , शरीर के लिए जरुरी पूर्ण पोषक तत्व है | एलोवेरा जेल के सेवन से शरीर का अन्दुरुनी तौर पे सफाई हो जाता है जिससे मनुष्य का पाचन प्रणाली एक दम दुरुस्त हो जाता है | रोज 50 ML सुबह और शाम अगर खाली पेट सेवन किया जाय तो निश्चित तौर पर मनुष्य तन व मन से स्वस्थ्य रहेगा |
एलो वेरा जेल के अन्दर एक और भी गुण है जिसका नाम है एंटी-एजिंग | मतलब एलोवेरा सेवन करने वाले सदा शारीरिक व मानसिक रूप से जवान रहेंगे | मनुष्य यदि चिरतरुण बनाना चाहता है तो उन्हें प्रकृति के अनमोल उपहार ( एलो जेल ) का नित्य सेवन करना ही चाहिए |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
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