आजकल हमलोग इतना व्यस्त है की हमें खाने के लिए भी समय निकाल पाना कठिन लगता है | बड़े शहरों की हालात यह है की घर के ज्यादातर सदस्य काम काजी होते है | चाहे वो महिला हों या पुरुष , अपने अपने क्षेत्र में सबके सब व्यस्त होते है | सुबह के आहार की आधी तयारी रात को ही कर ली जाती है | ज्यादातर घर में फ्रिज का उपयोग बची हुई ( गुंथी हुई ) आटा ,सब्जी वगैरह रात को रख देते है और सुबह इसका इस्तेमाल कर लेते है |लेकिन क्या आप जानते है ? आटा व बेसन अगर पानी के साथ मिलने के बाद तत्काल इस्तेमाल न हो तो अपना गुण खो देता है |
शोध में पाया गया है की फ्रिज का आटा शरीर के लिए खतरनाक बैक्टेरिया पैदा करता है जो मधुमेह के लिए विशेष हानिकारक है |
अगर आप सुबह-सुबह आटा गूंथने की परेशानी से बचने के लिए रात को ही ज्यादा आटा गुथकर फ्रिज में रख देते है या सुबह के आटे से रात को रोटी बनाते है तो घर में डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप और गठिया की दवाएं भी रख लीजिये | पर उनके लिए तो ज्यदा नुकसानदेह हो सकता है जो पहले से मधुमेह से पीड़ित है |
डॉक्टरों का कहना है की आटा गूंथने के आधे घंटे में रोटी न बना लिया तो गुथे हुए आटे में फंगस आ जाता है और अगर फ्रिज में रख दिया जाए तो फंगस बनाने की प्रक्रिया में ६ गुना ज्यादा तेज हो जाती है | अगर परिवार में फ्रिज का आटा ही इस्तेमाल हो रहा हो तो बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगी,पेट फूलेगा, गैस, जलन जैसी समस्या घर के हर सदस्य को हो सकती है |
फ्रिज के आटे की रोटी रोजाना खाने पर लीवर पर बुरा असर पड़ता है और ऐसा लगातार होते रहे तो गठिया,मधुमेह के साथ रक्तचाप की बिमारी होना लगभग तय है | डॉक्टरों का कहना है की डायबिटीज़ और गठिया के लिए जो तत्व जिम्मेद्दार होते है, वो फ्रिज के आटा में है | विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी के बाद मरीजो से उनके खान-पान के बारे में पूछने से पता चला की अस्सी फीसदी परिवारों में महिलाये फ्रिज में रखा आटा इस्तेमाल करती है |
मधुमेह रोगी के लिए परहेज का सबसे बड़ा योगदान होता है | यह एक ऐसी बिमारी है जिसमे दवा से ज्यादा डॉक्टरों के सलाह को मानना जरुरी है | नियमित व्यायाम एवं भोजन की सलाह न अपनाकर केवल दवा से शुगर नियंत्रण के सहारे रहने पर धीरे-धीरे दवा की मात्रा बढानी पड़ती है |
लोगों की अवधारना गलत है की आयुर्वेद से घातक रोगों को ठीक नहीं किया जा सकता | बल्कि जितने प्रकार के लाइलाज बीमारियाँ है वो सबके सब में आयुर्वेद की दवाइयां ही कारगर सिद्ध हो रही है | जड़ी-बूटी ( एलोवेरा व मधुमक्खी ) के उत्पाद के माध्यम से हम आज २२० प्रकार के बीमारियों में फायदा पहुंचा रहे है | भारत जैसे विकास शील देश में जहाँ मधुमेह रोगी की संख्या निरंतर बढती ही जा रही है और आने वाले समय और भी भयावह है ,ऐसे में एलोवेरा जेल व पौष्टिक पूरक का इस्तेमाल कर अपने जीवन को मधुमेह जैसे समस्या पर नियंत्रित कर सुखद भविष्य की ओर अग्रसर हो सकते है |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
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