आज मैं आपसे बहुत ही अहम् भाग के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ , की किस तरह का परहेज हमें खाने पिने में शामिल करनी चाहिए ? आइये बात करते है बुद्विज उपचार के अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु :-
1.डॉ० योहाना कीमोथेरैपी, रेडियोथेरैपी,वनस्पति घी,ट्रांस फाइट, मक्खन, घी, चीनी,मिसरी,गुड़,रिफाइंड तेल,सोयाबीन व सोयाबीन से निर्मित दूध आदि, प्रिजर्वेटिव,कीटनाशक,रसायन,सिंथेटिक,कपड़ों,मच्छड मारने के स्प्रे ,बाजारमें उपलब्ध खुले व पेकेट बंद खाद्य पदार्थ, अंडा, मांस, मछली,मुर्गा, मैदा अदि से पूर्ण परहेज करने की सलाह देती थी |
2.इस उपचार में यह बहुत आवश्यक है कि प्रयोग में आने वाले सभी खाद्य पदार्थ ताजा, जैविक और इलेक्ट्रोन युक्त हों| बचे हुए व्यंजन फेंक दे |
3.अलसी को जब आवश्यकता हो तभी पिसे | पीसकर रखने से ये ख़राब हो जाती है तेल को तापमान (४२ डिग्री सेल्सियस पर ख़राब हो जाती है ) , प्रकाश व ओक्सीजन से बचाएं | यानि आप इसे गहरे रंग के पात्र में भरकर डीप फ्रिज में रखें |
4.दिन में कम से कम तिन बार हरी या हर्बल चाय लें |
5.इस उपचार में धुप का बहुत महत्व है थोड़ी देर धुप में बैठना है या भ्रमण करना है जिससे आपको विटामिन डी प्राप्त होता है | सूर्य से उर्या मिलेगी |
6.प्राणायाम, ध्यान व जितना संभव हो हल्का फुल्का व्यायाम या योग करना है |
7.घर का वातावरण तनाव मुक्त,खुशनुमा,प्रेममय,आध्यात्मिक व सकारात्मक रहना चाहिए | आप मधुर संगीत सुने, खूब हँसे,खेलें-कूदें, क्रोध न करें |
8.पानी स्वच्छ व फ़िल्टर किया हुआ पियें |
9.अपने दांतों कि पूरी देखभाल करें | दांतों को इन्फेक्सन से बचाना है |
10.सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस उपचार को जैसा ऊपर विस्तार से बताया गया है वैसे ही लेना है अन्यथा फायदा नहीं होता है |
इसके साथ ही कुछ और भी परहेज है जो निचे दिया जा रहा है :-
चीनी, गुड़ या मिसरी, अंडा,मुर्गा,मांसाहार,मछली, तली हुई चीजें, बेकरी खाद्य, घी, मक्खन, वनस्पति, वसा पूर्ण या आंशिक रिफाइंड तेल,चिप्स व कुरकुरे, नमकीन, पिज्जा, बर्गर ( जंक व फास्ट फ़ूड), बसी भोज्य पदार्थ, सोफ्ट ड्रिंक्स,शराब, मच्छड के स्प्रे, धुम्रपान, तम्बाकू, सिंथेटिक कपडे, फोम के गद्दे, क्रोध, मानसिक तनाव, रेडियोथेरैपी , टीवी,मोबाइल,कीमोथेरैपी आदि |
आप सोच रहे होंगे कि डॉ० योहाना की उपचार पद्धति असरदायक व चमत्कारी है तो यह इतनी प्रचलित क्यूँ नहीं है ? यह वास्तव में इंसानी लालच की पराकाष्ठ है | दरअसल डॉ० योहाना के पास अमेरिका व अन्य देशों के डाक्टर मिलने आते थे, उनके उपचार की प्रसंशा करते थे और उनके उपचार से व्यावसायिक लाभ उठाने हेतु आर्थिक सौदेबाजी की बात करते थे जो उन्हें बिलकुल पसंद नहीं |
जरा ठहरिये और सोचिये अगर कैंसर के सारे रोगी अलसी के तेल और पनीर से ही ठीक होने लगते तो कैंसर की महंगी दवाइयों व रेडियोथेरैपी उपकरण बनाने वाली बहुराष्ट्रिय कंपनियों का कितना बड़ा आर्थिक नुकसान होता |
इसलिए उन्होंने किसी भी हद तक जाकर डॉ० योहाना के उपचार को कभी भी आम आदमी तक नहीं पहुँचने दिया | मेडिकल पाठ्यक्रम में उनके उपचार को कभी भी शामिल नहीं होने दिया | उनके सामने शर्त रखी गई थी की नोबेल पुरस्कार लेना है तो कीमोथेरैपी व रेडियोथेरैपी को भी अपने इलाज में शामिल करों, जो डॉ० योहाना को कभी भी मंजूर नहीं था |
यह हम पृथ्वीवासियों का दुर्भाग्य है की हमारे शरीर के लिए घातक व बीमारियाँ पैदा करने वाले वनस्पति घी के निर्माता पाल सेबेटियर और विक्टर ग्रिग्नार्ड को 1912 में नोबेल पुरस्कार दे दिया गया और कैंसर जैसी बीमारी के इलाज की खोज करने वाली डॉ० योहाना नोबेल पुरस्कार से बंचित रह गई |
क्या कैंसर के उन करोड़ों रोगियों, जो इस उपचार से ठीक हो सकते थे, कि आत्माएं इन लालची बहु राष्ट्रिय कंपनियों को कभी क्षमा कर पाएंगी?
लेकिन आज हमारे पास यह जानकारी है और हम इसे कैंसर के हर रोगी तक पहुँचाने का संकल्प लेते है | डॉ० योहाना का उपचार श्री कृष्ण भगवन का वह सुदर्शन चक्र है जिससे किसी भी कैंसर का बच पाना मुश्किल है |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
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