मिट्टी आसानी से हरेक जगह उपलब्ध हो जाती है इसीलिए उसे उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता है | परन्तु मिट्टी के एक टुकड़े को यदि प्रयोगशाला में जाँच कराया जाय तो उसमे अनेकों प्रकार के क्षार , विटामिन्स, खनिज, धातु, रासायन रत्न, रस आदि निकालेंगे |
क्या आपने कभी अनुभव किया है मिट्टी में एक बहुत ही खास गुण होता है | शरीर के जिस भाग में गीली मिट्टी के लेप लगाकर बांधा जाय तो उस अंग विशेष का विषैला अंश खींचकर मिट्टी में चला जाता है | मिट्टी के अंदर विश्हरण शक्ति होता है | रोगुक्त अंग पर गीली मिट्टी के बाँधने के कुछ देर पश्चात् खोला जाय तो मिट्टी में मनुष्य के शरीर का विष बहुत अधिक मात्रा में मिलेगा |
औषधियां कहाँ से आती है? जबाब होगा पृथ्वी , मतलब सारे के सारे औषधियां के भंडार होता पृथ्वी | अतः जो तत्व औषधियों में है, उनके परमाणु पहले से ही मिट्टी में उपस्थित रहते है | मिट्टी के उपयोग द्वारा स्वस्थ्य सुधारने में हमें बहुत सहायक साबित हो सकती है इसके लाभ से बंचित न रहे, और निर्दोष,पवित्र भूमि पर पैदल यानि नंगे पाँव चलना चाहिए |
हरियाली , हरी भरी छोटी-छोटी घास पर नंगे पाँव टहलना शरीरी के लिए बहुत ही ज्यादा अच्छा होता है | जमीन पर सोने के लिए मुलायम बिस्तर लगाया जाय तो बहुत ही अच्छा है , यदि ऐसा नहीं हो सकेगा तो चारपाई जमीन से बिलकुल करीब हो ताकि मिट्टी से निकलने वाली वाष्प अधिक मात्रा में मिलता है |
सैम्पू और साबुन से स्नान करने का प्रचलन फैशन के इस दौर में बढा है | वैसे मिट्टी का प्रयोग साबुन के अपेक्षा हजार दर्जे अच्छा है | साबुन में मौजूद कास्टिक सोडा त्वचा में खुश्की पैदा करता है जबकि मिट्टी में यह बात नहीं है ,वह मैल को दूर करती है , त्वचा को कोमल , ताजा, चमकीली एवं प्रफुल्लित कर देती है | शरीर पर मिट्टी लगाकर स्नान करना एक अच्छा उबटन माना जाता है |
दिनों में उठने वाली घमौरियां और फुंसियाँ इससे दूर हो सकती है | सिर के बालों को मुल्तानी मिट्टी से धोने का रिवाज अभी तक मौजूद है | इससे मैल दूर होता है,काले बाल, मुलायम, मजबूत और चिकने रहते है तथा मस्तिस्क में बड़ी तरावट पहुँचती है |
साफ़ स्थान की मिट्टी चिकित्सा कार्य में उपयोग किया जाता है | खासकर चिकनी मिट्टी सर्वोत्तम माना गया है | इसकी पट्टी प्रायः हर बीमारी में फायदा करती है | ऐसा भ्रम न मन में पालें की इससे ठंढ लग जाएगी | यह अनेक परिक्षण के बाद गलत साबित हुआ है |
अन्दुरुनी भाग के विकार में जहाँ दबा का असर ठीक तरह से नहीं पहुंचा सके, वहां मिट्टी के उपचार से अच्छे परिणाम की उम्मीद की जा सकती है | इससे आप गुर्दे की खराबी,मूत्राशय रोग,पेट के भीतरी फोड़े,गर्भाशय सम्बंधित विकार,मासिक धर्म की अनियमितता व पेडू की सुजन,दिल की धड़कन के तीव्र होना या अति मंद हो जाना,फेफड़ो का क्षय रोग,जिगर व लीवर की सुजन व दर्द आदि शरीर के अधिक भीतर भाग में होने वाले रोगों में, उदर या छाती पर मिट्टी की पट्टी बांधने से भीतरी विष धीरे-धीरे खिंच जाता है और वे प्राण घातक रोग अच्छे हो जाते है |
पेट दर्द,कब्ज़, आँतों का दाह, पेचिश, जलोदर आदि के लिए पेट पर मिट्टी का लेप लगाकर बांधने से बहुत फायदेमंद साबित होता है | फुंसी, फोड़ा,जख्म, गाँठ, गिल्टी, नासूर, सुजन, खुजली, दाद, दर्द आदि के लिए उस स्थान पर मिट्टी बंधनी चाहिए जहाँ तकलीफ हो | मसूढ़ों के दर्द में गाल के ऊपर आस-पास मिट्टी बांधनी चाहिए |
जहरीले जानवर के काटे हुए स्थान पर मिट्टी की टिकिया या लेप तुरंत फायदा पहुंचाती है | बर्र, बिच्छु, ततैया,मधुमक्खी, कनखजूरा, चूहा,मेढक,छिपकली , मकड़ी,कुता, बन्दर आदि के काट लेने पर उस स्थान पर मिट्टी की टिकिया बांध देनी चाहिए, दर्द शीघ्र बंद हो जाएगा और जहर नहीं चढ़ने पायेगा |
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3 comments
वाह ! आज तो बहुत बढ़िया जानकारी दी आपने ,मेरे ख्याल से तो हमें एक आध माह में एक बार पुरे शरीर पर चिकनी मिटटी का लेप जरुर करना चाहिए
आभार इस उम्दा जानकारी का.
मिटटी के गुणों को जानकर अभिभूत हूँ।
………….
सपनों का भी मतलब होता है?
साहित्यिक चोरी का निर्लज्ज कारनामा.....
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