सोचा क्यूँ नहीं कुछ आज खान-पान से सम्बंधित लेख लिखा जाय |
चुकी यह त्यौहार तो विशेषकर खाने पिने के लिए होता है |
इस त्यौहार की अलग ही पहचान है |
आप कोशिस करें रंग और गुलाल जो प्रयोग करें वो रसायन रहित हो
ताकि आपकी होली आपके त्वचा को दुष्प्रभाव ना करें |
क्यूंकि बाज़ार में आजकल रंगों की भरमार है और खासकर रासायनिक रंग |
होली जरूर खेले ,मन से खेले लेकिन
जरूर ध्यान रखे की कहीं ऐसी वैसी रंग आपके होली को बेरंग न कर दे |
और दूसरी बात रहा खाने की ,तो आज हमारे यहाँ भी बहूत तरह के ब्यंजन बन रहा है |
मिठाई भी है और साथ में चुकी हम सुद्ध शाकाहारी है तो यहाँ
पनीर की सब्जी, साग और ,कुछ हरी सब्जी बन रही है |
वायु प्रदुषण एवं जल प्रदुषण के विषय में तो अनेक वर्षों से बहूत कुछ सूना जाता रहा है|
हम जिस हवा में हम सांस ले रहे है उसमे कार्बनडाईऔक्साइड ,कार्बन मोनोक्साइड
सल्फर डाईऔक्साइड,सीसा कैडमियम, क्लोरिन इत्यादि
की मात्रा कई शहर में तो अपने निर्धारित मापदंड की सीमारेखा भी लाँघ कर कई गुना ऊपर तक पहुँच चुकी है |
यानि यहाँ की हवा साँस लेने योग्य नहीं रह गयी है |
इसी तरह रंग-रोगन ,चमडा,दवाई और रासायनिक उद्दयोगों ने अपने प्रदूषित बयर्थ पानी से, पानी के स्त्रोतों को भयंकर रूप से विषाक्त कर दिया है |
और अब तो यह भी खबर मिल रही है की जिन कीटनाशकों को हम अपने घर,खेत-खलिहान में मक्खी -मच्छरों ,चूहों,काक्रोच और फसली कीटों पर छिडकते है , वह वर्षा के द्वारा इन पानी के स्त्रोतों तक पहुंचकर आखिर हमें ही ज्यादा नुकसान पहुंचाने लगे है |
जिन डिब्बा-बंद और प्रक्रिया वाले खाद्य पदार्थों को हम चटकारे ले-ले कर बड़े चाव से खाते है ,वह भी हमारे सेहत के लिए ज्यादा खतरनाक है |
क्यूंकि उनको तैयार करते समय ज्यादा आकर्षक ,स्वादिष्ट,सुगन्धित और खराब होने से बचाने के लिए अनेक प्रकार के विषाक्त रासायन मिलाये जाते है |
जैसे की आम, संतरा,अनानास,लीची,आदि फलों या जूसों को डिब्बा बंद करते समय उनमे बेन्जोइक एसिड मिलाया जाता है |
यह इतना तेज एसिड होता है की अगर एक बूंद नर्म त्वचा पर पर जाय तो फफोले उभर आते है |
इसी तरह से डिब्बा बंद जूसों,शर्बतो,जैम,सॉस आदि में सोडियम बेन्जोइक भी आमतौर पर मिलाया जाता है |
यह इतना तीब्र है की इसकी 2 ग्राम की मात्र एक ब्यास्क कुत्ते की जान लेने के लिए काफी है |
डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों को ख़राब होने से बचाने के लिए उनमे फिटकरी,मग्निसियम क्लोराइड ,कैल्सियम नाइट्रेट जैसे रसायनों का उपयोग भी किया जाता है |
यह रसायन अपने विषाक्त प्रभाव से अंतड़ियां में जख्म और छेद तक कर देते है |
इनके नियमित सेवन से मसूड़े सूज जाते है ,गुर्दे पूरी तरह से ख़राब हो सकते है और शारीर में कैंसर की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है |
लेकिन खेद तो इस बात का है जो खाद्य पदार्थ हमारे लिए जीने के लिए अपितु स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है ( हरी-साग सब्जियों,फल,दूध,दही,अंडे ) आदि भी अब धीरे-धीरे कीट और खरपत बार नाशक दवाओं के अँधा धुन्ध छिडकाव से अत्यंत विषैले और शारीर व स्वास्थ्य के लिए घातक बनते जा रहे है |
दरअसल यह जहर हमारे शारीर के अन्दर यकृत,ह्रदय और मस्तिस्क सम्बंधित रोगों को तो जन्म देते ही है |
घातक कैंसर की संभावना को भी बढ़ा देते है |
एक बात और पता चली है की कीट नाशकों की उपस्थति केवल जानवरों से प्राप्त दुध तक सिमित नहीं है | यह माताओं के दूध में भी खतरनाक सीमा से 3 से 4 गुना तक ज्यादा पायी गई है |
खाद्य पदार्थ में बढ़ रही इन कीट नाशक दवाई के पीछे कई कारण है |
इनमे प्रमुख कारण है अधिकांस किसान को न तो कीटनाशक के दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी है और न ही इसके उपयोग के बारे में ठीक से जानते है |
जबकि इनसे जुड़े कंपनी किसान को अधिकाधिक प्रोयोग करने के लिए उत्साहित करती है |
ऐसे स्थिति में रास्ट्रीय जागरूकता ही इस खामोश हत्यारे से जीवन को सुरक्षित रख सकती है |
एक बेहद जरूरी बात यह भी है की अगर हम दिल्ली में रहते है तो हम साँस लेने के लिए शिमला या कश्मीर तो रोज नहीं जा सकते है |
हमारी मजबूरी है की हमें यहीं का प्रदूषित वातावरण में जीना पडेगा | खाना भी जो हमें यहीं का खाना पडेगा |
दुःख तो जब होता है जब सब्जी वाले अपनी रेडी लेकर जमुना की प्रदूषित पानी में रोज सब्जी को साफ़ करते देखे जाते है |
अब उन्हें कौन समझाई ,भाई ये सब्जी तुम साफ़ कर रहे हो या और उसे विषाक्त |
रोज सब्जी वाले हरी सब्जी को गाय और भैंस की तरह माँज-माँज के चमकाने की कोशिस करते है |
मतलब जमुना का पानी बिलकुल किसी भी तरह से आम आदमी के रसोई के काम का नहीं है |
ऐसा हम नहीं सरकारी तंत्र और उनसे सल्गन जो संस्था है उनकी रिपोर्ट है |
पर कोई बात नहीं हम अपने आप को प्राकृतिक पोषण से इस तरह के दुष्प्रभाव से बच सकते है |
हमने कई बार अपने विश्व प्रसिद्ध एलो वेरा जेल के बारे में बात कर चुके है |
वास्तविकता यह है की हमें आजकल के प्रदूषित वातावरण में अगर शारीर को स्वास्थ्य रखना है |
तो एलो वेरा जेल जो शारीर के शुद्धिकरण और अन्दर से जहर को बाहर निकालने का एक मात्र कारगर उपाय है |
और फिर इसके बाद किसी भी प्रकार के रासायनिक दुष्प्रभाव से आपके शारीर पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ सकता है |
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ज्ञान दर्पण
ताऊ .इन
1 comments
सही कह रहे है आप ! अनाज दूध और सब्जियों में कीट नाशक , यूरिया और डी ए पी जैसे रासायनिक तत्वों का स्तर बढ़ता जा रहा है जिसे हम जाने अनजाने में खा रहे है और अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे |
होली की शुभाकामनाएं
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