हमारी सोच का सीधा असर हमारे भौतिक शरीर पर पड़ता है | अपनी सोच को बदल डालिए आपका भाग्य ही बदल जाएगा | आरोग्य के साथ -साथ समृधि भी आपके द्वार पर दस्तक देगी | मन के माध्यम से आप अपने दृष्टिकोण को बदल सकते है तथा दृष्टिकोण के द्वारा जीवन की परिस्थितियों में परिवर्तन किया जा सकता है | इस प्रकार मन की शक्ति का उपयोग कर जीवन में अपेक्षित परिवर्तन संभव है | मन द्वारा हम सभी प्रकार के ब्याधियों का उपचार कर सकते है |
टी.बी. के रोगाणु तो हर जगह मौजूद है लेकिन सभी उनसे प्रभावित क्यूँ नहीं होते ? मतलब साफ़ है की हमारा मन ही है जो इन रोगाणुओं को आमंत्रित करता है | मन ही शारीर की रोगों से रक्षा करने वाली प्रणाली को सुदृढ़ करता है तथा मन ही इस प्रणाली को कमजोर बनाता है | क्यूंकि बीमारियों का उदगम मन है इसलिए यदि मन मान ले कि हम स्वस्थ्य है ,अमुक बिमारी से पिडित्त नहीं है तो बिमारी स्वतः ठीक हो जाएगी | लेकिन ये मन है कि मानता नहीं |इसीलिए आप अपने मन को मनाइए और रोग को दूर भगाइए |
जो ब्यक्ति हमेशा मन से परेशान रहता है अथवा जिसमे आत्मविश्वास की कमी होती है या जो सदैव राग-द्वेशादी नकारात्मक मनोभावों से ग्रस्त रहता है उसको विभिन्न प्रकार के रोग जकड लेते है | नकारात्मक सोच अथवा मनोदशा की अवस्था में हमारे शरीर की अंतःस्त्रावी ग्रंथियों से जिन हारमोंस का उत्सर्जन होता है उनका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है | यही अनुपयोगी हार्मोंस या घातक रासायन ही हमारे जोड़ों में जमा होकर शरीर के विभिन्न अंगों की गति को प्रभावित करते है |
मन के द्वारा हम सभी प्रकार के शारीरिक ब्याधियों का उपचार कर सकते है चाहे वे नयी हों अथवा पुरानी | सिरदर्द,पेट दर्द ,बदन दर्द,थकान सुस्ती, चोट जैसे सामान्य बीमारियों से लेकर मधुमेह, उच्च तथा निम्न रक्तचाप, ट्यूमर व कैंसर जैसी खतरनाक कहे जाने वाली बीमारियों का नियंत्रण अथवा इलाज भी मन के द्वारा ही संभव है | एलर्जी तथा त्वचा संबंधी कई रोगों का स्थायी उपचार यदि संभव है तो वह केवल मन के द्वारा ही हो सकता है|
---------------------- एक मित्र के यहाँ गया तो देखा कि उनके घर में तोड़-फोड़ चल रही थी | पूछने पर पता चला कि उनकी पत्नी के घुटने में दर्द रहता है अतः पुराने शौचालय को तोड़कर उसके स्थान पर पाश्चात्य शैली का शौचालय बनबाया जा रहा है ताकि शौच जाने में असुविधा या कष्ट ना हो |
" पर क्या शौचालय बदलवाने की जगह घुटनों को नहीं बदलवाया जा सकता ?" मैंने मित्र से मजाक किया | मित्र संजीदा होकर बोले--- " तुम्हे तो हमेशा मजाक ही सूझता है | क्या घुटने बदलवाना इतना आसान है ?"घुटने बदलवाना अत्यंत मुश्किल और कष्टप्रद है लेकिन क्या मात्र शौचालय बदलवाना ही एक मात्र उपचार है ? क्या इस ब्याधि का अन्य कोई कष्टरहित व सरल उपचार नहीं ?
वास्तव में घुटने बदलवाना या शौचालय बदलवाना घुटनों के दर्द का सम्पूर्ण उपचार नहीं | यह मात्र बाह्य परिवर्तन या उपचार है स्थायी उपचार नहीं | किसी भी ब्याधि अथवा समस्या का सम्पूर्ण उपचार है आतंरिक परिवर्तन और वो संभव है मनोभावों में परिवर्तन द्वारा | जहां तक घुटनों अथवा जोड़ों में दर्द का संबंध है इसके कई कारण हो सकते है | लेकिन इसका प्रमुख कारण ब्यक्ति की नकारात्मक सोच अथवा मनोदशा या भावधारा भी है |
जोड़ों के दर्द के लिए घुटने बदलवाने की अब कोई जरुरत नहीं होगी | मैंने एक बार पहले भी जोड़ों के दर्द से आजादी कैसे पाए ,वो लिख चूका हूँ |
उस लेख में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है कृपया उस लेख को एक बार अवस्य अवलोकन करें | ताकि आप आस-पास में ऐसे ब्यक्ति जो इस कष्टदायक रोग से पीड़ित हों तो उसका वो लाभ उठा सके |
जोड़ों के दर्द ( Arthritis )से पायें सदा के लिए आजादी |
3 comments
जानकारी का आभार.
वाह ! क्या तरीका निकला आपके दोस्त ने !
बजाय घुटनों के दर्द का इलाज करने के बाथरूम बदल रहे है !! अरे भाई जब इलाज मौजूद है तो इलाज कराईये | और एलोवेरा से बढ़िया इसके लिए क्या होगा |
आपके ब्लॉग का ट्राफिक विश्लेषण देखकर लोगों का एलोवेरा के प्रति जानने का रुझान साफ़ दिख रहा है | विश्लेषण में गूगल सर्च से आये पाठकों की बढती संख्या इस बात का प्रमाण है | ज्ञान दर्पण पर भी एलोवेरा शब्द सर्च कर आने वाले पाठकों की संख्या अच्छी खासी रहती है |
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