कार्यालय के काम में ब्यस्त चल रहा था | थोडा बक्त मिला तो सोचा क्यूँ नहीं कुछ लिखा जाए |
अब सोचने लगा की आखिर कहाँ से शुरू किया जाए ? कई बाते एक साथ मस्तिष्क पटल पर उभर कर आया |
फिर सोचा चलो आज मस्तिष्क के सम्बंधित कार्य क्षेत्र पर ही कुछ लिखा जाए |
क्या आपने कभी सोचा है ,अपने सोचने की क्षमता के बारे में |
बचपन की कोई मजेदार या पीड़ादायी घटना ,कई वर्षों बाद भी आपको एक एक करके याद होना |
आखिर कैसे ? कुछ देर के लिए सोचें , कुछ देर के लिए पढ़ना बंद करें और अपने घर की खिड़की के पास जाकर बाहर का नज़ारा देखें |
कितनी अद्भुत और खुबसूरत ,रंगीन है यह दुनिया |
यह सब आप कैसे देख पाते है ? तो यह समझ ले की यह इश्वर की अनुपम और सर्वश्रेष्ठ रचना है जिसका नाम है " मस्तिष्क " |
दिमाग हमारा सबसे मूल्यवान अंग है ,क्योंकि अगर यह अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य न करें तो आप सिर्फ एक जीती जागती हुई लाश बनाकर रह जाएंगे |
हमारी भावनाएं ,विचार,सोचने ,याद करने,देखने,सुनने समझने और बाहरी दुनिया से संपर्क स्थापित करने की सारी क्षमता इसी पर निर्भर करती है |
सोचने का तरिका विकृत हो जाने पर सामान्य परिस्थितियाँ भी प्रतिकूल दिखायी देती है और उनसे डरा , घबराया हुआ ब्यक्ति अपना संतुलन खो बैठता है |
झाडी का भुत बन जाना ,रस्सी का साँप दिखाई पढ़ना ,भ्रम की प्रतिक्रया को प्रत्यक्ष कर देता है | मनुष्य हर परिस्थिति में गुजारा कर सकने योग्य मन लेकर जन्मा है |
शारीर की तुलना में मस्तिष्क का मूल्य हजारों गुना अधिक है |
इसी तरह से शारीरिक रोगों की तुलना में मानसिक रोगों द्वारा अधिक क्षति होती है |
मस्तिष्क स्वास्थ्य हो तो मनुष्य अनेक मानसिक पुरुषार्थ कर सकता है ,किन्तु मस्तिष्क विकृत हो जाए तो शारीर के पूर्ण स्वस्थ होने पर भी सब कुछ निरर्थक बन जाएगा |
कुछ दशक पूर्व हमारे देश में लोग 40-45 के बाद ही अपने आप को बुढ़ा मान बैठते थे |
पर 55 के बाद तो लोगों के जुवान पर एक ही बात होती थी अब बुढ़ापे का शरीर है |
समय से पूर्व बुढ़ाने की प्रबृति रहन-सहन का स्तर स्वास्थ्यप्रद न होना तथा चिकित्सा सुबिधाओं के आभाव की वजह से पनपी |
लेकिन वर्तमान में रहन-सहन के स्तर में कुछ सुधार हुआ |
लेकिन इन सबके बाबजूद लोगों के जिदगी अभी भी सुखी नहीं कहा जा सकता है भले ही जीवन स्तर सुधर गया हो पर नकली मिलावटी तथा प्रक्रिया वाले बंद डिब्बा का खाना, दोषपूर्ण दिनचर्या से जीवन तो सुधरी है पर स्वास्थ्य रह पाना बहूत ही कठिन हो गया है |
आज युवा वर्ग भी रोगों के घेरे में फंसे हुए है |
प्रौढ़ा अवस्था और वृद्धा अवस्था में तो शरीर मानो " रोगों का घर " ही बन जाता |
वृद्धा अवस्था में वैसे तो कई रोग पीड़ा दायक बनाने को तैयार रहते है जिसमे से एक रोग है जिसका नाम है " पार्किन्सन" यानि की " कम्पवात "|
"oxidative stress" के कारण स्नायु तंत्र ,और मस्तिष्क दोनों को होने वाली क्षति के कारण ही अल्जाइमर डिमैन्टिया ,पार्किन्सन,इत्यादि जैसी दिमागी बीमारियाँ होती है |
बिशेष कारणों के वजह से मस्तिष्क और स्नायु तंत्र को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस भी ज्यादा होता है :--
1. मस्तिष्क आकार की तुलना में ,अन्य अंगों से छोटा होने के बाबजूद इसमें ऑक्सीजन का संचार ज्यादा होता है | फलस्वरूप, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस भी ज्यादा होता है |
2. स्नायु ( Nurves ) में सन्देश को आगे बढाने के लिए बहूत ही तीब्र रासायनिक प्रक्रिया होती है ,इससे बहूत ज्यादा फ्री रेडिकल पैदा होता है |
3. हमारा केन्द्रीय नर्वस सिस्टम ( स्नायु तंत्र ) ,करोड़ों, ऐसी कोशिकाओं से बना है जिन्हें बदला नहीं जा सकता है | अर्थात मरने के बाद उन कोशिकाओं का स्थान कोई और नहीं ले सकता |
4. मस्तिष्क और स्नायुतंत्र में तुलनात्मक रूप से कम एंटी ओक्सिडेंट की मात्रा होती है |
5. हमारा मस्तिष्क और स्नायु तंत्र बहूत कुछ,आधुनिक विद्युत् तंत्र की तरह कार्य करती है | पूरी तंत्र में कहीं भी छोटी सी समस्या किसी अंग विशेष को एकदम ध्वस्त कर सकती है |
इसके लक्षण है ------- झुका हुआ शरीर,बदन में एईठन ,धीरे धीरे कदम संभाल के रखना,बुरी तरह से कांपते हाथ,लाचार बेजान देखकर पार्किन्सन बिमारी की भयावता का एहसास होता है |
बैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि पार्किन्सन का मूल कारण भी फ्री रेदिकाल्स से होने वाला oxidetive स्ट्रेस ही है | दिमाग के एक विशेष भाग के 80 प्रतिशत cell को बेकार कर देते है | जिससे दिमाग अपनी पूरी क्षमता से कार्य नहीं कर पाता है |
प्रारंभिक अवस्था में पता चलने से बहूत से रोगी प्राकृतिक पूरक को अपनाकर इस बिमारी को बढ़ने से रोका |
इसमें विटामिन इ और विटामिन सी की भारी मात्रा में देने से मरीजों को बहूत फायदा हुआ |
इस तरह से आप आज एलो वेरा जेल और साथ में पूरक पोषक लेकर इस बिमारी को अपने शारीर में आने से रोक सकते है |
जैसे 1 . Aloe vera gel 2. Royal Gelly 3. Absorbent C 4. Ginchia 5. Garlic Thyme etc.
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ज्ञान दर्पण
ताऊ .इन
2 comments
एलोवेरा जेल लेते हुए ३ माह हो गये..बहुत शानदार प्रोडक्ट है पूरी शरीर के लिए.
बहुत उपयोगी
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