महर्षी दयानानद जी ने सत्य कहा है " शारीरिक और मानसिक विकास ,बिना ब्रह्मचर्य और ब्यायाम के असम्भव है | किसी कवि ने भी इसका समर्थन इस रूप में किया है " A Sound Mind in a Sound Body अर्थात स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ्य मस्तिस्क रहता है
शरीर का स्वस्थ्य रहना तीन बातों पर निर्भर करता है ------- आहार ,निद्रा और ब्रह्मचर्य | सूक्ष्म दृष्टि से देखा जाये तो इन तीनो में भी आहार की उपयोगिता सर्वोपरि है | आहार शुद्ध होने पर मन की शुद्धि होती है और बुद्धि के शुद्ध होने पर स्मृति बढती है | आहार के शुद्धि से तात्पर्य है की हम जो भी जीविका कर रहे है जो भी धनोपार्जन कर रहे है उससे किसी भी जिव के आयु और भोग में बिघ्न पैदा नहीं होना चाहिए | ब्रह्मचर्य और निद्रा का सम्बन्ध भोजन से ही है | इसलिए उत्तम स्वस्थ्य हेतु आहार का शुद्ध होना आवश्यक है |
"प्रभु ने तुमको कर दान किए ,
मन वांछित वस्तु विधान किए ,
समझो न अलभ्य किसी धन को,
नर हो न निराश करों मन को" |
( राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त )
युवा वर्ग के लिए आज की प्रवृतियों में ज्यादा जरुरी हो गया है की उन्हें अपने शारीरिक,मानसिक व आत्मिक बल को बढ़ाना होगा | जहाँ तक मानव विकास की बात है तो यह क्रमबद्ध रूप से होता हुआ आज समुन्नत अवस्था में पहुँच चूका है |
कुछ लोग कहते है की लाखों साल से चल रहा मानव विकास का क्रम लगभग पूरा हो चूका है जबकि अनेक विद्वानों का मत इसके विपरीत है,इनके अनुसार विकास की यह प्रक्रिया अभी आगे भी जारी रहेगी और मानव,महामानव बनने के रास्ते पर चलता चला जाएगा | यह अच्छा ही होगा की आगामी पीढियां महामानव के रूप में अपनी पहचान बनाएं |
लेकिन यह तभी संभव होगा जब ब्यक्ति रोगों से पुर्णतः मुक्त होगा, रोग ,ब्याधि का भय मनुष्य को न रहने पर आजीवन उत्साहपूर्वक कार्य करने के अवसर मिलते रहेंगे | इसीलिए आज के इतनी ब्यास्त्तापूर्ण जीवनशैली में आत्मिक,मानसिक बलवर्धन करना बेहद ही जरुरी है | हम अपना आत्मिक बल किस प्रकार बढाए इसके लिए हमें अपने विचारों,अपने संस्कारों,आचरण पर खास ध्यान देना होगा और साथ ही बेहद जरुरी है अपने खान-पान पर भी ध्यान देना | एक कहाबत है " जैसा खाए अन्न वैसा होय मन"
युवा वर्ग आज फास्टफूड ,नानवेज की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहा है ,जिससे हमारा शारीरिक स्तर तो निचे गिरता ही है
हमारा आत्मिक बल ,हमारे आचरण व बिचारों में भी नास्तिकता आ रही है |
अतः हमें अपनी जीवन शैली को सात्विकता प्रदान करने के लिए सात्विक ,सुपाच्य आहार ही सेवन करने चाहिए
हमें समय पर दिनचर्या भी शुद्ध होनी चाहिए , हमें समय पर जल्दी सोना व जल्दी जागना और योग को जीवन में धारण करना चाहिए |
यदि दिनचर्या हमने अपना ली तो हमारा शारीरिक और मानसिक स्वस्थ्य सही रहेगा और आत्मिक बल भी बढेगा |
यदि वर्तमान पर नजर डालते है तो स्थिति उलटी ही दिखाई देती है | आज भले ही हम अपने को आधुनिक युग में जीवन ब्यतीत करने की बात करें लेकिन स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमारी स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती | कब्ज़ से लेकर कैंसर तक अनगिनत रोग ब्यक्ति से ऐसे लिपटे-छिपते है की उसे चैन से नहीं रहने दे रहे है | कई रोग तो ऐसे हठीले है कि आने के बाद जाने के सोचते ही नहीं |
शरीर में लग गए तो बस अगला सारा जीवन इन्ही के साथ गुजारने कि बाध्यता बन जाती है | ऐसा ही एक रोग है ,मधुमेह | यह उस बदमिजाज बिन बुलाए मेहमान की तरह है जो मेजबान से अपनी पूरी सेवा करवाना चाहता है और जरा सी लापरवाही पर अपने तेवर दिखाने लगता है,यदि उसके तेवरों पर ध्यान नहीं दिया जाए तो बाहर से बदमाशों को बुलाकर परेशान करने लगता है |
यही स्थिति मधुमेह की है ,पथ्यपाथ्य ,आहार-विहार में थोड़ी सी लापरवाही होते ही शुगर स्तर बढ जाता है | यदि अनियंत्रित और बढ़ रही शुगर का ध्यान नहीं दिया जाए तो सिर से लेकर पाँव तक अनेकानेक रोग,(जिनमे हाइपर टेंसन,हार्ट डिजीज ,किडनी इन्फेक्सन,लीवर डिजीज शामिल है ) भी पनपने लगता है और रोगी का आगे का जीवन बेहद मुश्किलों से भर जाता है |
इस रोग से रोगियों के बढती संख्या तथा इस रोग की घातकता को ध्यान में रखकर न सिर्फ मधुमेह रोगियों के लिए बल्कि जो मधुमेही नहीं है उनके लिए भी और साथ में चिकित्सको के लिए भी बेहद जरुरी है | मधुमेह एक ऐसा रोग है जो अपने साथ रोगों का गिरोह लेकर चलता है |
यदि आपने सम्यक औषधोपचार तथा खान-पान,जीवनचर्या का ध्यान रखा तब तो आप उस रोगों के गिरोह को रोक कर सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते है |
लेकिन किसी भी प्रकार की लापरवाही आपके शेष जीवन को खासा दर्दीला बना सकने की ताकत रखते है और सेहत पर डाका डालते रहते है |
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1 comments
सही कहा रामबाबू आपने !
हम ने तो यह एलोवेरा रस रूपी एंटी वाइरस अपनी बॉडी में इंस्टाल कर लिया और रोज सुबह 50ML एलोवेरा रस पीकर इसे अपडेट कर देते है ताकि ये पुरे दिन शरीर पर हमला करने वाले वायरसों से मुकाबला करता रहे |
जब से इस एलोवेरा रस का प्रयोग शुरू किया कार्य क्षमताएँ बढ़ गयी |
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