
हमारी त्वचा बेहतरीन सुरक्षा का अधिकारी है - आखिरकार क्या ये आप के शरीर का सबसे उजागर लेकिन सबसे कम सुरक्षित भाग नहीं है ? जरा कल्पना करें की कैसे दिनों, महीनो और सालों तक यह वक्त की सारी ताडनाएं सहता है , ज्यादातर चुपचाप और कभी-कभी फोड़ों, घावों या फिर सुस्त और निर्जीव त्वचा दर्शाते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त करता है | शरीर का यह सबसे बड़ा अवयव चुपचाप बदलते मौसम, धुल-मिट्टी, प्रदुषण, रासायनिक उत्सर्ग, कठोर पदार्थ, अस्वस्थ्य जीवन शैली, बढती उम्र इत्यादि के थपेड़े सहता है | क्या ये अच्छा नहीं होगा अगर हम अपने व्यस्त दिनचर्या में कभी-कभार थोडा सा...

आज हम एक ऐसे उत्पाद के बारे में चर्चा करेंगे ,जो इन दिनों की भयंकर तेज धुप से त्वचा को स्वास्थ्य रखने के लिए अत्यन्त आवश्यक है | वैसे सूर्य हमारे जीवनदायक है | यह एक निर्विवाद सत्य है की धुप की थोड़ी सी मात्रा न सिर्फ हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है साथ ही हमारी हड्डियों के लिए जरुरी विटामिन डी की भी आपूर्ति करती है | लेकिन विज्ञानं इस तथ्य को भी प्रमाणित करता है की धुप की ज्यादा मात्रा भी हमें न सिर्फ बाहरी तौर से वृद्ध बनाती है अपितु त्वचा सम्बन्धी कई अन्य समस्याएं भी उत्पन्न करती है | साधारण शब्दों में सूर्य से निकली पराबैंगनी ...
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वैसे तो सभी ऋतुएँ अपने नाम व गुण के अनुसार कुछ न कुछ तकलीफ देती ही है लेकिन गर्मी की ऋतू सबसे ज्यादा कष्टप्रद है | घर से बाहर निकलो तो चिलचिलाती धुप से शरीर भट्टी की तरह तपने लगता है | घर के अन्दर न तो कूलर से रहत मिलती न ही पंखे से , थोड़ी देर हवा चल जाए तो पसीना अवश्य सुख जाता है | इस असहनीय तापमान को झेलना हमारी-आपकी मज़बूरी है , क्यूंकि जब सभी जगह लू-लपेट का बोलबाला हो तो ऐसे में किया ही क्या जा सकता है ? आजकल पृथ्वी का तापमान भी पहले की अपेक्षा निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है ,क्यूंकि पर्यावरण का समीकरण दिन-प्रतिदिन बिगड़ रहा है | बढ़ते जा रहे हवा...

आज हमारे दिनचर्या में दही का विशेष महत्व है | प्रत्येक संस्कार यानि की गर्भ संस्कार से लेकर अंतिम संस्कार तक में हमारे यहाँ इसका उपयोग हो रहा है | यही उनकी पवित्रता और शुद्धता की पहचान है | जब कोई व्यक्ति अच्छे काम व व्यवसाय के लिए घर से निकलते है तो वे दही का सेवन जरुर करते है जिससे वे अपने काम में सफल हो सकेंगे, ऐसी मान्यता है | पर शायद आपको यह जानकर अत्यंत ख़ुशी होगी की दही का दैनिक आहार में सेवन करके मनुष्य अपने जीवन को और भी हष्ट-पुष्ट बना सकता है | आजकल आग उगलती तेज गर्मी जहाँ नित्य नए कीर्तिमान बना रहे है | आलम यह है की छाया भी खुद...

आयुर्वेद के समस्त औषधियों और जड़ी-बूटियों में तुलसी का अहम् भूमिका है | तुलसी से कोई अपरिचित नहीं है ,बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी जानते है | इसकी दो प्रजातियाँ होती है - सफ़ेद और काली | तुलसी में बहूत से गुण है | "राजबल्ल्भ ग्रन्थ" में कहा गया है ---- तुलसी पित्तकारक तथा वाट कृमि और दुर्गन्ध को मिटाने वाली है, पसली के दर्द खांसी, श्वांस, हिचकी में लाभकारी है | इसे सभी लोग बड़ी श्रद्धा एवं भक्ति से पूजते है|भारतीय चिकित्सा विधान में सबसे प्राचीन और मान्य ग्रन्थ "चरक संहिता" में तुलसी के गुणों का वर्णन एकत्रित दोषों को दूर करके सर का भारीपन, मस्तक...
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घरेलु नुस्खों से निकलकर भू-मंडलीय पर अंकित आयुर्वेद आज विश्वसनीयता के मानचित्र पर सबसे ऊपर दिखाई देने लगा है | वर्षों का सफ़र इस बात का संकेत है की इस आयुर्वेद में निश्चित ही विशिष्ट गुण निहित है जिसके कारण आयुर्वेद प्राचीन काल से अबतक इस धरा पर अपनी पहचान बना कर रखा है | आयुर्वेद का अस्तित्व का होना इस बात को भी इंगित करता है की ऋषि-मुनियों द्वारा देवों की चिकित्सा आयुर्वेद के माध्यम से होती थी और इसी परिपाटी को जीवित करते हुए आयुर्वेद आज मानव सेवा कर रहा है | प्राचीन काल से हमारे घरेलु उपचार की विधियाँ यहाँ के परिवार में रची-बसी रही है |आयुर्वेद...

आज फिर से इच्छा जागृत हुई की क्यूँ नहीं सर्वप्रिय विषय एलोवेरा के सन्दर्भ में कुछ लिखा जाये | इसके विषय में जितनी बार चर्चा की जाए कम लगता है |विगत कुछ साल से जिस तरह से एलोवेरा ने अपनी पहचान बनाई है वह कविले तारीफ है | हमें लोगों से एलोवेरा के बारे में ज्यादा बताने की जरुरत नहीं पड़ता |चुकी लोग इसके गुण के बारे में पहले से परिचित होते है |लोग इसे अलग-अलग शहर में इसे अलग-अलग नाम से जानते है | पर इतना जरुर जानते है की एलोवेरा इस धरती पर मनुष्य के लिए कुदरत का नायाब तोहफा है | कहीं इसे ग्वारपाठा ,घृतकुमारी,घी ग्वार, कुमारी तथा वनस्पति विज्ञानं...

शरीर की उचित वृद्धि और विकास के लिए कम से कम १० खनिजों की जरुरत होती है | इनमे से कैल्सियम और फ़ोस्फ़ौरस तत्वों की आवश्यकता काफी अधिक पड़ती है और सब्जियों को छोड़कर किसी भी खाद्य पदार्थ में इनकी प्रयाप्त मात्रा नहीं पाई जाती है | इनमे औषधीय गुण भी होते है | संतुलित आहार, पाचन क्रिया की दुरुस्ती तथा स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सब्जियां अति आवश्यक होती है | भारत जैसे देश में जहाँ अधिकांस लोग शाकाहारी होते है ,सब्जियों का महत्व और अधिक है फिर भी हमारे यहाँ और देशों के अपेक्षा सब्जी का उपयोग बहूत ही कम होता है | एक आहार विशेषज्ञों के अनुसार , एक व्यक्ति...

खुबसूरत आँखों के बारे में तारीफ सुनना किसे नहीं अच्छा लगता है | अगर कोई आपके आँखों के बारे में कहे -------- तेरे आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है ? तन और मन दोनों प्रसन्नचित हो उठता है |आँख शरीर का ऐसा अंग है जिसे प्रकृति ने उसकी रचना द्वारा स्वयं उसे संरक्षण प्रदान किया है | आँख शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जिसके बिना दुनिया का सारे सुख और सौन्दर्य अर्थहीन लगता है | यह प्रकृति का सर्वोत्तम व खुबसूरत तोहफा है | नेत्र है तो हम दुनिया के आसपास की रंगीनी को देख पाते है वर्ना चरों और अँधेरा ही अँधेरा |आँखों को एक हड्डी के खंड में रखा गया है...

आजकल लोग मल्टीविटामिन्स की गोलियां बाजार से बिना कुछ सोचे समझे अपने सेहत को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए उपयोग कर रहे है | पर अगर आप यह सोचकर मल्टीविटामिन्स गोलियां ले रहे है की इनसे कोई आपका फायदा होगा तो आप कुछ और नहीं बल्कि अपने बक्त के साथ-साथ पैसे व सेहत दोनों का नुकसान कर रहे है |एक प्रसिद्ध न्यूट्रीसन के मुताबिक , हर साल 4838 करोड़ रूपये उगाही करने वाली ऐसी कम्पनी लोगों के पैसे लुट रही है |मसलन कुछ मामले में तो यह लेना खतरनाक भी हो सकता है |अगर जो लोग मछली का तेल लेने के आलावा मल्टीविटामिन्स भी ले रहे है तो आने वाला समय में उनकी...

सर्दी के मौसम में आसानी से उपलब्ध बथुए के साग को भोजन में अवश्य सम्मिलित करना चाहिए ,बथुए के पतों का साग पराठे,रायता बनाकर या साधारण रूप में प्रयोग किया जाता है | कब्ज़ में बथुआ अत्यंत गुणकारी है,अतः जो कब्ज़ से अक्सर परेशां रहते है उन्हें बथुए के साग का सेवन अवश्य करना चाहिए |पेट में वायु हो गोला और इससे उत्पन्न सिरदर्द में भी यह आरामदायक है, आँखों में लाली हो या सुजन बथुए के साग के सेवन से लाभ होता है |इसके अलावा चरम रोग ,यकृत विकार में भी बथुए के साग के सेवन से लाभ होता है |बथुआ रक्त को शुद्ध कर उसमे वृद्धि करता है | बुखार और उष्णता में इसका...

आज चर्चा करने जा रहा हूँ जो ( गाँव की शान है ,सेहत की जान है,) आम लोगों को आसानी से आहार में मिलता रहा है | इसकी गणना हरी पतेदार सब्जी में की जाती है | जो लौह तत्व और कल्स्शियम से भरपूर है | हमारे पूर्वजों की सबसे पसंदीदा शाक ( साग ) है जिसका नाम है बथुआ | बथुआ में प्रायः शरीर के सभी पोषक तत्व पाए जाते है | मौसम के अनुसार उपलब्ध इसका सेवन करके छोटे-छोटे रोगों से अपना बचाव स्वयं किया जा सकता है | वैज्ञानिक शोधों से पता चल चूका है कि जिन सब्जियों को शीधे सूर्य से प्रकाश प्राप्त होता है,वे पेट में जाकर विषाणु-कीटाणुओं का नाश करती है | बथुआ...

आज मैं आपके सामने बच्चों के स्वास्थ्य से सम्बंधित बीमारियाँ के बारे में चर्चा करेंगे | विगत वर्ष एक बहूत ही अच्छी ,साफ-सुथरी फ़िल्म बच्चों पे आधारित था |जो बच्चों के अन्दर छुपा हुआ गुण और अबगुण के बारे में खूबसूरती से चित्रित किया था | जिसके अन्दर आमिर खान साहेब जिस बीमारी के बारे में चर्चा कर रहा था वो था डिस्लेक्सिया ( Dyslexia ) | डिस्लेक्सिया वह तंत्रिका गरबड़ी है जो बच्चों को होती है | ऐसे बच्चे अक्सर अक्षर और शब्दों को पहचानने में भ्रमित हो जाता है | उन्हें लिखा हुआ अक्षर नाचते हुए या उल्टा नजर आता है | जिसका असर उसकी बोलने,पढने व लिखने...

आज बाजार में बिक रही हर चीज में मिलावट है , दालें,अनाज,दूध,घी से लेकर सब्जी और फल तक कोई भी चीज मिलावट से अछूती नहीं है | ये मिलावट इतनी बारीकी से की जाती है कि मूल खाद्य पदार्थ तथा मिलावट वाले खाद्य पदार्थ में भेद करना काफी मुश्किल हो जाता है |मिलावट युक्त खाद्य पदार्थ का उपयोग करने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा शरीर में विकार उत्पन्न होने कि आशंका बढ़ जाती है |आमतौर पर प्रतिदिन इस्तेमाल किए जाने वाले अनाज भी हानिकारक रसायनों के प्रभाव से अछूते नहीं है , हर अनाज में कुछ प्रतिशत रसायन जरूर रहता है |विगत कुछ दिन फरीदाबाद के समाचार पत्र...

इससे पहले के लेख में मैंने आपको अलसी के गुण से अबगत कराया है | आज आपको इसके औषधीय गुण के बारे में चर्चा करेंगे | चुकी किसी भी वनस्पति में अगर गुणों की भंडार हो तो उसके उपयोग से रोग से पीड़ितों को लाभ मिलेगा | ऐसी कई बीमारियाँ है जो अपने आप में लाइलाज कहा जा सकता है पर आप इसके उपयोग से निश्चित तौर पर आपका फायदा मिलेगा |कमर तथा जोड़ों का दर्द ------------------- अलसी ( तीसी ) के तेल में सोइठ का चूर्ण तथा नमक मिलाकर गर्म करके मालिश करने से कमर तथा पीठ दर्द दूर हो सकता है | अथवा अलसी के तेल को सिद्ध करके रख ले ,जरुरत पड़ने पर इसका प्रयोग करें |...

मेरी जिज्ञासा तीसी के बारे में इसलिए बढ़ा जब सुना की इसके अंदर अपार शक्ति है जैसे की प्रोटीन्स,विटामिन,ओमेगा-३ ओमेगा-६,लिग्नेन ,फैबर इत्यादि -------आजकल अलसी ( तीसी ) के बारे में समाचारपत्र,टीवी ,इंटरनेट के माध्यम से बहूत कुछ सुनने को मिल रहा है | यह शीत ऋतू में पैदा होने वाली एक वर्षीय तिलहन फसल है | अपने देश में इसका पैदावार काफी मात्रा में होती है | अलसी यानि तीसी के फुल नीले रंग का होता है | इसके पाँच हिस्से होते है ,इनमे चपटे व भूरे रंग के बीज होते है | इन्ही बीजों को निकालकर खाद्य पदार्थ बनाने व तेल निकालने के लिए किया जाता है | विश्व...

आजकल पाश्चात्य शैली के शौचालय का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है क्यूंकि लोगों को इससे सुविधा होती है | शौच जाते समय पैरों या घुटनों को कष्ट नहीं उठाना पड़ता है | फिर आराम ही आराम ,बेफिक्र होकर वहीँ बैठकर अखबार पढो या लैपटॉप पर काम करो या लोगों से मोबाईल पर व्यव्शायिक बाते करों | अब अखबार पढने या अन्य कार्य करने की प्रक्रिया में चाहे मूल क्रिया को ही भूल जाओ | पर क्या वास्तव में ये ठीक है ? शायद नहीं | कितनी विकृत हो गई है हमारी जीवन शैली और हमारी आदतें ? जीवन में सम्पूर्ण परिवर्तन व उपचार के लिए विकृत विचारों के साथ-साथ विकृत जीवनशैली और आदतों को...
डॉक्टर और मरीजों के बीच आज दुरी और अविश्वास इस कदर बढ़ा हुआ है की लोग हैरान परेशान रहते है |डॉक्टर की ना तो पहले वाली भाषा रही ना ही वो सम्बन्ध जिसके लिए उन्हें भगवान् का दर्जा दिया जाता है |इन सबके पीछे सिर्फ और सिर्फ वो खुद ही जिम्मेदार है | सरकारी अस्पताल के डॉक्टर आज राजनेताओं की कठपुतली बन गई है ,जैसा वो चाहते है वैसा ही वो करते है जिसके वजह से समाज में उनकी गिरती छवि साफ़ नजर आ रही है |दवा कम्पनी के प्रलोभन में आकर चिकित्सक उन कम्पनी की महँगी दवा मरीजों को लिखते है ,जिसकी पूर्ति कम कीमत की दवा से भी हो सकती है |डॉक्टर समाज के एक कुलीन मनुष्य...

आज का युग विकाश युग है | जहाँ आबादी निरंतर घनी से घनी होती जा रही है | जहाँ जंगल हुआ करते थे आज वहां बहुमंजिला इमारत ,एवम खुबसूरत व्यव्शायिक केंद्र बन गया है | पहले शुद्ध हवा एवम जल मिला करता था पर आज हमारी खुद की कर्मों के वजह से दूषित हवा तथा जल हमें पुरूस्कार स्वरुप मिल रहा है |दरअसल वर्तमान में होने वाला विकास पेड़-पौधों के विनाश की कीमत पर है | किसी ज़माने में अनेक प्रकार के दिव्य वनस्पतियाँ भारत में यहाँ-वहां कदम-कदम पर बिखरी पड़ी थी ,वहां आज वे सभी लुप्त है | और जो हमारे आसपास है तो उनकी दिव्यता की जानकारी नहीं है |अमृत का नाम सुनते है...

सफलता का मूल मन्त्र अपने जीवन के उद्देश्य को जानना और उसे प्राप्त करने के लिए दृढ आत्मविश्वास रखना यही सफलता की ओर पहला कदम है|यह अदम्य विचार कि मैं अवश्य सफल होऊंगा और उस पर पूरा विश्वास ही सफलता पाने का मूल मन्त्र है | याद रखिये विचार संसार की सबसे महान शक्ति है यही कारण है की सफलता पाने वाले लोग पूर्ण आत्मविश्व रखते हुए अपने कर्मों को पूरी कुशलता से करते है ,दूसरों की सफलता के लिए भी वे सदा प्रयत्नशील रहते है | प्रत्येक विचार,प्रत्येक कर्म का फल अवश्य मिलता है अच्छे का अच्छे ओर बुरे का बुरा | यही प्रकृति का नियम है | इसमें देर हो सकती है पर...

हिन्दू धर्म की संस्कृति संस्कारों पर आधारित है | मानव जीवन को पवित्र व मर्यादित बनाने के लिए संस्कारों का निर्माण किया गया है |भारतीय ऋषि-मुनियों की यह धारणा रही है की प्रत्येक व्यक्ति यदि स्वयं को संस्कारवान कर ले तो पूरा समाज सुसंस्कृत और शिष्ट हो जाएगा | हिन्दू संस्कारों की इस सन्दर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका है |संस्कार का अर्थ है मन-वाणी और शरीर का सुधार | धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी हमारे जीवन में इन संस्कारों का विशेष महत्व है |हमारे धर्मशास्त्र में मुख्य रूप से 16 संस्कारों की व्याख्या की गई है इनमे सर्वप्रथम गर्भाधान और मृत्यु...