शरीर की उचित वृद्धि और विकास के लिए कम से कम १० खनिजों की जरुरत होती है | इनमे से कैल्सियम और फ़ोस्फ़ौरस तत्वों की आवश्यकता काफी अधिक पड़ती है और सब्जियों को छोड़कर किसी भी खाद्य पदार्थ में इनकी प्रयाप्त मात्रा नहीं पाई जाती है | इनमे औषधीय गुण भी होते है | संतुलित आहार, पाचन क्रिया की दुरुस्ती तथा स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सब्जियां अति आवश्यक होती है |
भारत जैसे देश में जहाँ अधिकांस लोग शाकाहारी होते है ,सब्जियों का महत्व और अधिक है फिर भी हमारे यहाँ और देशों के अपेक्षा सब्जी का उपयोग बहूत ही कम होता है | एक आहार विशेषज्ञों के अनुसार , एक व्यक्ति को प्रतिदिन संतुलित आहार के लिए ३६० ग्राम सब्जी,जिसमे ११५ ग्राम पतेवाली हरी सब्जी,११५ ग्राम अन्य सब्जी तथा ६० ग्राम जड़ वाली हो, प्रयोग करनी चाहिए |
यह भी प्रमाणित हो चूका है की जिन सब्जियों को सीधे सूर्य से प्रकाश प्राप्त होता है, उनसे हमें शक्ति प्राप्त होता है ,हरी साग-सब्जियों में सूर्य की किरणे निहित रहती है ,परिणामस्वरूप यह हरेपन में विद्यमान रहने से हमारे पेट में जाकर विषाक्त रोगाणुओं का नाश करती है ,रोगमुक्त करती है,और हमें निरोग रखती है | हरी सब्जियों को पचाने के लिए शरीर के विशेष उर्या की खपत भी नहीं होती है जिसे दुर्बल से दुर्बल व्यक्ति भीआसानी से पचा सकता है |
विटामिन्स से युक्त हरी सब्जियां -------------- सब्जियों में लगभग सभी विटामिन्स पाए जाते है | विटामिन ‘ए’ की कमी से रतौंधी ,पथरी, मुहांसे, त्वचा विकार आदि उत्पन्न हो जाते है | हरी सब्जियों में विटामिन ए की मात्रा अधिक या कम होना सब्जी की किस्म और उगाने के मौसम पर निर्भर करता है | और्सतन १२० ग्राम हरी सब्जी में विटामिन ए की २००० से १२००० तक अंतर्राष्ट्रीय इकाइयां पाई जाती है जो किसी भी व्यक्ति की दैनिक आवश्यकता के लिए प्रयाप्त है |
विटामिन ‘बी’ --------- इसे थायमिन भी कहा जाता है | इनकी कमी से बेरी-बेरी रोग,भूख में कमी तथा शरीर के तापमान में गिरावट आदि विकार उत्पन्न हो जाते है | शरीर की वृद्धि एवम जनन के लिए यह जरुरी है, हरी पतियाँ विटामिन बी की धनि होती है ,सलाद, हरी मिर्च, गाजर, प्याज जैसी सब्जियों में विटामिन बी का वितरण अनियमित होता है तथा सेम व मटर में पतियों की अपेक्षा बीजों में इसकी अधिक मात्रा पाई जाती है |
विटामिन ‘सी’ ---- ----- यह एक विलेय विटामिन है तथा इसकी कमी से गठिया, स्कर्वी रोग ,दांत व मसूढ़ों का कमजोर होना आदि विकार उत्पन्न होते है, मेथी, पलक, सलाद,हरीमिर्च तथा अन्य हरी सब्जियों में विटामिन सी की प्रचुर मात्रा पाई जाती है |
विटामिन ‘डी’ ‘इ’ ‘जी’ ------------- यह भी हरी सब्जियों में प्रयाप्त मात्र में पाई जाती है | सब्जियों के रेशेदार भाग पाचन क्रिया में सहायक होते है तथा कब्ज़ को रोकते है | अधिकांश सब्जियों, विशेषकर पतेवाली जैसे -- पालक, सलाद तथा विभिन्न सागों में जल तथा सेलुलोज या रेशे अधिक होते है | इनका और अधिकांश जड़दार सब्जिओं का उपयोग पेशियों, विशेष रूप से आँतों की पेशियों के सुचारू ढंग से कार्य करने में सहायक होता है |
सामान्य रोगों को दूर करने में सहायक ---------
सब्जियों के उपयोग से सामान्य रोग दूर किये जा सकते है , जब कभी भी चर्म रोग, रतौंधी तथा बच्चों में वृद्धि रुकने की शिकायत हो तो शकरकंद , पालक,शलजम की पतियाँ, गाजर, टमाटर तथा हरी मटर आहार में शामिल कर लेनी चाहिए |
जब परिवार में भूख न लगती हो, कब्ज़ हो, स्फूर्ति की कमी, अंत व तंत्रिका तंत्र में विकार आदि की शिकायत हो तो दैनिक आहार में पालक,शलजम की पतियाँ ,सेम तथा सलाद की प्रचुर मात्रा लेनी चाहिए |
मशुढ़े, दंत विकार आदि होने पर टमाटर, पालक, फूलगोभी, आलू, मटर, खीरा-ककड़ी, प्याज, सलाद जैसी ताजी सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए , बच्चों में हड्डियों का सही विकास न हो रहा हो, उनके दांत कमजोर हों तथा वे शुखा रोग से पीड़ित हों तो उनके भोजन में आलू, सेम तथा पालक की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए |
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