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Apr 28, 2010

गर्मी में स्वास्थ्यरक्षक आहार-विहार ( एलोवेरा )


वैसे तो सभी ऋतुएँ अपने नाम व गुण के अनुसार कुछ न कुछ तकलीफ देती ही है लेकिन गर्मी की ऋतू सबसे ज्यादा कष्टप्रद है | घर से बाहर निकलो तो चिलचिलाती धुप से शरीर भट्टी की तरह तपने लगता है | घर के अन्दर न तो कूलर से रहत मिलती न ही पंखे से , थोड़ी देर हवा चल जाए तो पसीना अवश्य सुख जाता है | इस असहनीय तापमान को झेलना हमारी-आपकी मज़बूरी है , क्यूंकि जब सभी जगह लू-लपेट का बोलबाला हो तो ऐसे में किया ही क्या जा सकता है ?

आजकल पृथ्वी का तापमान भी पहले की अपेक्षा निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है ,क्यूंकि पर्यावरण का समीकरण दिन-प्रतिदिन बिगड़ रहा है | बढ़ते जा रहे हवा के प्रदुषण से पृथिवी के चरों और उपस्थित 'ओजोन' परत में अब छेड़ हो गया है , जिससे सूर्य की किरने ज्यादा तेजी से पृथ्वी पर पड़ रही है , परिणामस्वरूप हम तरह-तरह के रोगों से घिरते जा रहे है |

वैसे हम सभी इस तरह के गर्मी के आदि बन चुके है
| हर समय इस गर्मी को कोसने से कुछ हासिल नहीं होने वाला है, ऐसे में अपने आहार-विहार पर ध्यान से ही इस असहनीय भयंकर गर्मी से कुछ रहत प् सकते है | लेकिन इसकी अवहेलना करने से गर्मी के भयंकर दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते है | क्यूंकि गर्मी के कारण मनुष्य के शरीर का कफ दोष पिघलकर कम हो जाता है और वायु दोष में वृद्धि हो जाती है |

जैसे गर्मी के कारण इन दिनों जलाशय पेड़-पौधों का जलीयंग कम हो जाता है , वैसे ही मनुष्य के शरीर का गर्मी के कारण शरीर में जल की कमी हो जाने से जठराग्नि मंद हो जाती है |वैसे में भूख कम लगती है और खाया हुवा खाना ठीक से पचता नहीं है | प्यास लगने पर मुख-गला सूखने जैसे लक्षणों का आभास होने लगता है | इसी कारण इस मौसम में अजीर्ण, उलटी, दस्त,कमजोरी, बेचैनी अदि परेशानियाँ बढ़ जाती है |ऐसे में कम भोजन व ठंढा पानी ( मटके वाली) हितकर होता है |

गर्मी के दिनों में ज्यादातर आहार हल्का पेय पदार्थ हो और सुपाच्य भोजन में ही भलाई है | क्यूंकि भीषण गर्मी के कारण गरिष्ठ भोजन आसानी से हज्म नहीं होता जिससे तरह-तरह के उदार रोग घेर लेते है | लेकिन देखा गया है की अधिकतर लोग आहार के प्रति बहूत ही लापरवाह होते है, यह लापरवाही चाहे अनजाने में हो या जानबूझकर , रोगों के कारण तो बनते ही है |

गर्मी के दिनों में ऐसे खाद्य पदार्थों का अधिकाधिक सेवन करना चाहिए जो, जो शीतल गुण वाले हो, बाहरी और शरीर की भीतरी गर्मी में राहत पाने के लिए सुबह सवेरे खाली पेट 50 ML एलोवेरा का जूस पीना चाहिए और अन्य पेय पदार्थ में मटके का पानी अधिक से अधिक पीना चाहिए | क्यूंकि गर्मी में शरीर से अधिक पसीना निकलने के कारण पानी की कमी हो जाती है , उसकी पूर्ति तरल पदार्थों से ही की जाती है | अतः पेय पदार्थ का सेवन इस ऋतू में विशेष लाभप्रद होता है |

इन दिनों में खाना भरपेट नहीं खाना चाहिए | अतः 'स्वल्पाहरी सजीवित' सिधांत के अनुसार भूख से थोडा कम खाना ही सेहत के लिए लाभप्रद है | गर्मी में मांस खाना और ठंढा भोजन करना वर्जित है , रात के भोजन में जौ या गेहूं की रोटी , हरी सब्जियां, प्याज , पुदीना या धनिया की चटनी का सेवन करना चाहिए | इस मौसम में कच्ची प्याज अवश्य खाना चाहिए |

सब्जियां में हरी सब्जी , बथुआ, टमाटर, करेला आदि के साथ नीबू का भी नियमित सेवन करना चाहिए | ऐसे मौसम में फलों की बहुलता रहती है जैसे खरबूजा, तरबूजा, आम, लीची फालसा आदि फल अधिक उपलब्ध होते है | इसका सेवन से अति लाभदायक होता है | और शरीर को निरोग रखने के लिए नित्य एलोवेरा जूस का सेवन करें |

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