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Apr 7, 2010

फर्जी डॉक्टर से साबधान रहे ( Aloe Vera your's family doctor )

डॉक्टर और मरीजों के बीच आज दुरी और अविश्वास इस कदर बढ़ा हुआ है की लोग हैरान परेशान रहते है |
डॉक्टर की ना तो पहले वाली भाषा रही ना ही वो सम्बन्ध जिसके लिए उन्हें भगवान् का दर्जा दिया जाता है |
इन सबके पीछे सिर्फ और सिर्फ वो खुद ही जिम्मेदार है |


सरकारी अस्पताल के डॉक्टर आज राजनेताओं की कठपुतली बन गई है ,जैसा वो चाहते है वैसा ही वो करते है जिसके वजह से समाज में उनकी गिरती छवि साफ़ नजर आ रही है |
दवा कम्पनी के प्रलोभन में आकर चिकित्सक उन कम्पनी की महँगी दवा मरीजों को लिखते है ,जिसकी पूर्ति कम कीमत की दवा से भी हो सकती है |


डॉक्टर समाज के एक कुलीन मनुष्य की श्रेणी में आते है ,लेकिन इस तरह से वे अपने आपको ही गन्दा कर रहे है |
आज दुःख होता है जब देवता का दर्जा पाने वाले चिकित्सक को दानव के रूप में देखा जाता है |
इस स्थिति के लिए वे कहीं ना कहीं स्वयं ही कसूरवार है |


डॉक्टर अपनी मूल कर्तव्य को भूल कर अक्सर वो मरीजों की आर्थिक हालात को मद्देनजर रखकर उनका इलाज करते है |
मतलब आर्थिक हालात मरीजों की डॉक्टर के लिए पहली प्राथमिकता होती है |

आज हर गली के नुक्कड़ पर एक डॉक्टर का तख्ता नजर आता है | उनके पास पर्याप्त प्रमाण पत्र नहीं होता है जिससे की वो मरीजों को उचित इलाज कर सकें | ऐसा लगता है जैसे साग सब्जी की दूकान है ,कहीं भी रेड़ी लगा दो चलना तो है ही |


जब तक देश में गरीबी और बेरोजगारी पर अंकुश नहीं लगेगी ,तबतक ऐसे झोले छाप डॉक्टर की रेड़ी फलती-फूलती ही रहेगी |
मरीजों की अज्ञानता और निरक्षरता के वजह से आज ऐसे नुक्कड़ के डॉक्टर की दुकान चमक रही है |
कई तो डॉक्टर के पास थोड़ी बहूत जानकारी हासिल कर ली और लगा दी कहीं और जगह जाकर अपनी रेड़ी |

दरअसल उन्हें मरीजों से कोई लेना देना नहीं है वो तो अपनी जेब भरने के लिए मरीजों की जान भी आफत में डाल देते है | ऐसे डॉक्टर के करतूत से कई बार मरीजों को आर्थिक और मानसिक रूप से भारी कीमत चुकानी पड़ती है |


कबतक हम ऐसे पेशेवर लोगों के चंगुल में फंसते रहेंगे ? जिन्होंने डॉक्टर के पेशा को ही बदनाम कर दिया है |
जहाँ डॉक्टर के नाम से इज्जत और प्रतिष्ठा मिलती है ,वहाँ आज रोज गली के आसपास झोले छाप से लड़ते रोगी भी मिल जाते है |
कारण साफ़ है मानसिक कमजोरी , अज्ञानता , मरीजों और बिमारियों के बारे में जानकारी का आभाव , विचारों में दरिद्रता ये सब के सब झोले छाप में मिलता है |


पर क्या सरकार और डॉक्टर का संघ इसके बारे में कुछ नहीं कर सकती है ? क्या मालूम नहीं है सरकारी तंत्र को , किस तरह से तख्ता लटकाए हुए डॉक्टर गली,चौराहे पर अपनी दुकान सजाये हुए है | हमारी जागरूकता ही ऐसे गली चौराहे में मौत बेच रहे डॉक्टर से बचा सकती है |

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ताऊ .इन

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