आज कल घरेलु नुस्खे ज्यादा कारगर साबित हो रहे है | रोग चाहे जैसा भी हो प्रकृति प्रदत औषधि लोगों की पहली प्राथमिकता होने लगी है |आज मैं चर्चा करने जा रहा हूँ ------- जो सबसे फायदेमंद है ये फल भी है और औषधि भी, जिसका नाम है अनार | अनार जिसको राजसिक फल कहते है | वह जितना खाने में स्वादिष्ट मधुर , मीठा होता है अनार हर प्रकार के रोगों में दिया जाता है | अनार रस पीना अत्यधिक फायदेमंद है |
ह्रदय रोग में 'एथिरोस्क्लेरोसिस' एक ऐसा रोग है, जिसमे धमनियों में जमाव ( एथिरोमा) होने से धमनियों के दीवारे मोटी और कठोर हो जाती है ,जिससे धमनी का रास्ता संकरा हो जाता है | इसमें रक्त के बहाव में रूकावट आती है | धमनी में ब्लोक इतने जमा हो जाते है की रक्त-प्रवाह के लिए बहुत कम खाली जगह बचती है |
अनार धमनियों के अवरोध ( Blockage ) को खोलता है | यह तथ्य नवीनतम वैज्ञानिक खोजों से सिद्ध हो गया है | अनार रक्तवाहिनियों की आंतरिक लाइनिंग ( अस्तर ) को अच्छा बनाते हुए रक्तचाप ( Blood pressure ) को संतुलिती रखकर तथा एल.डी.एल.से होने वाली हानी से बचाकर ह्रदय और रक्तवाहिनियों को सुरक्षा प्रदान करता है |
धमनियों के अवरोधों को खोलने के लिए अनार का रस सदा सालों-साल 50 मिली, ( अध कप ) पियें | शुरुआत में एक बार, फिर तिन-बार पीते रहें या मीठे अनार खाते रहें |
अनार के सेवन से ब्लड सुगर, एल.डी.एल. या एच.डी.एल, कोलेस्ट्रोल लेबल पर भी कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता | ह्रदय, गुर्दे और यकृत के कार्यों में भी कोई दिक्कत नहीं आती |
ह्रदय की धड़कन को सुचारू रूप से चलने रहने ( नियंत्रित रहने हुतू ) १५ ग्राम अनार के ताजे पते बहूत बारीक पीसकर आधा गिलास पानी घोलकर छानकर पियें | अनार का शरवत नित्य पिने से लाभ होता है |
गर्भाशय का बाहर आना, क्रीमी होना, सोरायसिस, दाद, रक्तविकार :- इन समस्याओं में अनार के पते ४ किलोग्राम, ले कर | पानी में धोकर छाया मं सुखाकर पीसकर बारीक छान ले, इसकी एक चम्मच पानी में नित्य एक बार फंकी लेते रहना लाभप्रद है |

टी.बी. ( राजयक्ष्मा) :-- अनार का रस पिने से टी.बी. में भी लाभ होता है, इन्हें नित्य सेवन करना चाहिए |
स्तन विकास एवं कठोरता :- 200 ग्राम तिल के तेल में अनार के पतों का रस एक किलो मिलाकर उबाले | उबालने पर जब तेल ही बचे तब ठंढा करके छानकर बोतल में भर ले | नित्य सोते समय इस तेल से स्तनों की मालिश दबाब देकर करें | इसके साथ एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गर्म धुध से सुबह-शाम लें | स्तन सुदृढ़ एवं बड़े हो जायेंगे |
सौन्दर्यवर्धक :- अनार के छिलके को सुखाकर बारीक पौडर बनाकर गुलाब जल के साथ मिलाकर उबटन की तरह लगाने से त्वचा के दाग,चेहरे की झाइयाँ भी नष्ट हो जाती है | अनार का रस त्वचा पर लगाने से त्वचा सुन्दर,स्वस्थ्य और जवान बनी रहती है | अनार छीलकर दाने निकलकर, सामान मात्रा में पपीते के गुदे में मिलाकर बारीक पीसकर चेहरे पर लेप करके आधे घंटे बाद धोएं |
अनार का सेवन नियमित करें और बढती उम्र के प्रभावों से बचें |
गर्भावस्था में उल्टियाँ :- गर्भावस्था में अनार खाएं, अनार का शर्बत पीयें, उल्टियाँ बंद हो जाएगी | प्रातः काल अनार का रस पिने से उलटी नहीं आती |
मोटापा :--- अनार रक्तवर्धक है इससे त्वचा चिकनी बनती है | रक्त का संचार बढ़ता है | यह शरीर मोटा करता है | अनार मूर्च्छा में, हाइपर टेंसन
,अम्लपित,एसिडिटी,मूत्र जलन, उलटी, जी-मचलना, खट्टी-डकारें, घबराहट, प्यास आदि में लाभप्रद है |
प्रतिदिन मीठा अनार खाने से पेट मुलायम रहता है तथा कामेन्द्रियों को बल मिलता है |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
भारतीय संस्कृति की अपनी विशेषता है जिसके कारण उनकी छवि स्वतः दुनिया के हर समाज से अलग है | इनका प्रमुख कारण है समाज की संचालन हमारे अनुभवी और समझदार लोग करते है और हमें उनकी सही सलाह व मार्गदर्शन मिलते रहते है |चाहे वो कोई भी पहलु हो
अभिवादन के तरीके को ही देखिये|
प्राचीन समय में जब दो व्यक्ति आपस में मिलते थे तो दूर से हाथ जोड़कर अभिवादन करते थे |
वो परमपरा अब लगभग समाप्त होने की कगार पर है |
चुकी अब भारत में भी पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण कर अभिवादन के साथ हाथ मिलाने की प्रचलन बढ़ता जा रहा है | बच्चों को भी बचपन से लेकर युवावस्था तक पहुँचते हुए अनेक प्रकार के आचरण को सिखाये जाते है | जैसे बड़े को सम्मान देना, माता-पिता व बुजुर्गों का आदर करना | पहले हम अपने से बड़े का अभिवादन उनके चरण स्पश कर किया करते थे और वो सर पे हाथ रखकर हमें आशीर्वाद देते थे |
पर आज पाश्चात्य संस्कृति का ऐसा जादू है अपने समाज में, की बच्चे भी अपने से बड़ों को हाय-हेल्लो का संबोधन कर हाथ मिलाते है | अब आप इसे विकास का परिवर्तन कहेंगे या पाश्चात्य सभ्यता का अपने समाज में पैठ करना ? हाथ मिलाने को देश दुनिया में एक सामजिक परंपरा के रूप में देखा जाता है |
लेकिन अब हमें इस परमपरा में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है क्यूंकि हाथ मिलाना सेहत के दृष्टिकोण से भी खतरनाक साबित हो सकता है |
संक्रमण की दृष्टि से यह अतिसंबेदंशील है क्यूंकि यह एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में संक्रमण फ़ैलाने का कारण बन सकता है |
हानी यह है की हम सब जब भी खांसते है या छिकते है उस समय मुह पर अक्सर हाथ रख लेते है , जिससे रोगों की जीवाणु या विषाणु हमारे हाथ पर आ जाते है | उसी दौरान (काल्पन करें) जब हम किसी दुसरे व्यक्ति से हाथ मिलाते है तो यही विषाणु व जीवाणु उसके हाथ में आ जाते है | अनजाने ही दिन में कितने बार चहरे पर हाथ घुमा लेते है या बिना हाथ धोए कुछ खा लेते है तो ये विषाणु या रोगाणु सीधे उसके शरीर में पैठ पर उन्हें बीमार बना देंगे |
इसे ही हम अप्रत्यक्ष रूप से ड्रॉपलेट इन्फेक्सन कहते है | हाथ मिलाना स्वस्थ्य के लिए हानिकारक है | हाथ मिलाना किसी भी घातक बिमारी का न्योता देने के बराबर है | यदि आप बधाई देना चाहते है तो दोनों हाथ जोड़कर अभिवादन करें | अन्यथा आप पेट के रोग, क्रीमीरोग, एच१ एन१ फ्लू , सामान्य सर्दी-जुकाम खांसी जैसे अनेक प्रकार के संक्रमक रोगों से ग्रस्त हो सकते है, क्यूंकि इनके फैलने की आशंका हाथ मिलाने से अधिक हो सकती है |
साथ ही हाथों की स्वच्छता का भी ख्याल रखना चाहिए - कुछ भी खाने से पहले हाथों को अछि तरह से साफ कर लें क्यूंकि हाथ से विभिन्न प्रकार के काम करते है जाने-अनजाने ही सही हम कितनी अच्छी बुरी वस्तुओं को छू लेते है | जिसके कारण हमारे हाथ में बैक्टेरिया या वायरस आ जाते है |
भीड़ वाले इलाके में जाने से बचे - क्यूंकि उस स्थानों में अधिक व्यक्ति के होने से धुल उड़ने से श्वास की बिमारी होने का खतरा रहता है | किसी के खांसने या छींकने पर ड्रॉपलेट संक्रमण से होने वाले रोगों का खतरा बढ़ जाता है | कहीं भी पान की पीक या खराश थूकने पर उस पर बैठने वाली मक्खियाँ भी रोगों का वाहक होती है | अतः भीड़ भरे स्थानों पर अति-आश्यकता हो तो ही जाए ,अन्यथा बचें |
इसके अतिरिक्त जितने भी रोग उत्पन्न होते है उनका मुख्य कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होना भी है |
अतः इन रोगों से बचाव के लिए रोगों से लड़ने की क्षमता को बढाए, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने वाली आयुर्वेद में अनेक जड़ी-बूटिया व औषधियां है जैसे गिलोय, तुलसी,अदरक, हल्दी,कालीमिर्च,मुलेठी,अभ्रक, स्वर्ण भष्म,और
सबसे बेहतरीन होगा अगर आप नियमित तौर पर एलो वेरा जूस का सेवन करें |
साथ ही हमें अपने आचरण में बदलाव लाने की जरुरत है | पश्चमी सभ्यता की छाप कई बीमारियों का कारण है अतः हाथ मिलाने के वजाय हाथ जोड़कर अभिवादन कर कई बिमारियों से बचे |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
आज के मशीनी युग में हम सब एक मानव मशीन बनकर रह गए है | प्रत्येक व्यक्ति एक दुसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे हुए है | ज्यदातर लोगों की सोच धन अर्जन करने के बारे में होता है स्वस्थ्य की तनिक भी परवाह नहीं होता है | मनुष्य आज नित्य-नए प्रकार के रोगों से ग्रसित हो रहे है , जिसका प्रत्येक साल कुछ न कुछ नया नाम दे दिया जाता है | भारत ही नहीं, विश्व के सम्मुख उत्पन्न यह समस्या अब विकराल रूप ले चुकी है | बड़े आश्चर्य एवं दुःख का विषय है की तमाम प्रकार के प्रयोगों और अन्वेषण के बाबजूद भी रोग एवं उनके प्रभाव अत्यधिक विस्तारित होकर 21 सदी में एक प्रमुख समस्या बन चुके है |
आज हमारे देश में पाश्चात्य चिकित्सा अत्यधिक पनप रही है | इस पद्धति ने हमारे स्वास्थ्य और हमारे देश को काफी नुकसान पहुँचाया है | आज एक कुशल चिक्तिसक की सलाह भी मोटी फ़ीस दिए बिना नहीं मिल पाती |
खोज और अनुसन्धान निरंतर चलता रहता है | जिस तरह से चिकित्सक वर्ग कई क्षेत्र में कीर्तिमान बनाते रहते है ठीक उसी प्रकास से रोग भी आज अपनी ओर से नए-नए आयाम को छू रहे है |
वैसे भी अधिकांशतः रोगी और चिकित्सक का समबन्ध अन्य व्यवसायों की तरह घटिया स्तर की सौदाबाजी का सम्बन्ध होकर रह गया है | ऐसा होना मानवीय मूल्यों की घोर उपेक्षा और चिकितिस्क के चरित्र के सर्वथा प्रतिकूल है |
अनेक गरीब वर्ग केवल पैसे के आभाव में साधारण बीमारी को असाध्य बनाकर शरीर से चिपटाए कष्टप्रद जीवन जीते हुए मृत्यु की घड़ियाँ गिनते रहते है |
कदाचित इसका प्रमुख कारण अनाध्यात्मिकता के अतिरिक्त कुछ नहीं है , जबकि हमारे ऋषिओं-मुनियों के सिद्धांत अनादिकाल से अभी तक वैसे ही चले आ रहे है और वे सभी के लिए लाभदायक ही है | जिसका एक मात्र कारण अध्यात्मिक शक्ति ही है |
वैसे कलयुग में आध्यात्मिक शक्ति का जितना विस्तार देखा जा रहा है , आध्यात्मिक चेतना उतनी ही कम होती जा रही है | व्यवसायिकता के चलते बड़े-बड़े कम्पनियां नई-नई दवाओं के माध्यम से रोग निदान का दावा करती है , लेकिन अंततः रोगों की निवृत सही मायनों में नहीं हो पा रही है |
वर्तमान में डायबिटीज ,ब्लड प्रेसर, हार्ट प्रोब्लेम्स, माइग्रेन,गठिया इत्यादि एक बहूत बड़ी जनसँख्या को अपनी गिरफ्त में ले चूका है | उन्मुक्त जीवन शैली और प्राकृतिक नियमों की अवहेलना के चलते ये समस्याएं तेजी से बढ़ रही है | जिससे शारीरिक और मानसिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है |
ग्रामीण क्षेत्र में कई व्याधियां तो प्राथमिक स्तर पर ही क्षेत्रीय जड़ी-बूटियों से ठीक हो जाती है पर इनका समुचित प्रचार-प्रसार न होने कारण इनका लाभ नहीं लिया जा रहा है | हमने एलोपेथी चिकित्सा को ही एक मात्र वैज्ञानिक और सफलतम चिकत्सा पद्धति मान लिया है | जबकि ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपनी पारंपरिक चिकित्सा यानि की जड़ी-बूटी को ही मूल चिकत्सा मानती है |
वैसे तो मानवजाति को सदैव सवास्थ्य रहने के लिए रोग प्रतिरोधक तंत्र शरीर के अन्दर ही प्रदान किया हुआ है लेकिन कई कारणों से प्राणियों की, खासकर मनुष्यों की यह स्वास्थ्य शक्ति क्षीण होती जा रही है | रही सही कसार मौजूदा जीवन शैली ने पूरी कर दी है |
ऐसे में स्वस्थ्य रहने का दायित्व स्वयं मनुष्य पर ही है की वो अपने जीवन में आध्यातिमिक विचार को अपनाकर किन्तु पाश्चात्य शैली को छोड़कर एक सादगी और स्वच्छ जीवन शैली को अपनाए और रोग मुक्त होकर अपने जीवन को हर्षोल्लास से व्यतीत करें |
अगर आप किसी भी प्रकार के असाध्य रोग से पीड़ित हों तो निराश न हों एलोवेरा और उनके पौष्टिक पूरक का नित्य सेवन करें और लाइलाज कहे जाने वाले रोग से मुक्ति पाए |
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आयुर्वेद तथा प्रचलित परम्पराओं को आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 80% ग्रामीण जनता की पहली प्राथमिकता होती है | वैसे तो प्रकृति ने मानव जाती को सदा स्वस्थ्य रहने के लिए अनेक उपयोगी वनस्पतियाँ प्रदान किया हुआ है | उन सब में एलो वेरा आज विभिन्न प्रकार के औषधियों में प्रमुख औषधि माना जाता है | हजारों साल का इतिहास इस बात का गवाह है की प्रकृति का अनुपम उपहार मानव जाती के सम्पूर्ण स्वस्थ्य में पुर्णतः सहभागी है |
मिस्र की राजकुमारी क्लेओपेट्रा से लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी तक अपने जीवनी में एलो वेरा जेल के बारे में बखूबी बखान किया हुआ है | क्लेओपेट्रा की खूबसूरती इतिहास के पन्ने में दर्ज है |राजकुमारी सदा एलो वेरा जूस से स्नान करती थी और जूस का सेवन भी करती थी | महात्मा गाँधी का शारीरिक व मानसिक स्वस्थ्य का राज था एलो वेरा जूस ,जैसा की वो अपने बायोग्राफी में लिखा है | वे लम्बे-लम्बे उपवास में एलो वेरा के सेवन से सदा उर्जावान रहते थे |
एलो वेरा के बारे में आज मैं आप लोगों के साथ एक अहम् जानकारी बताना चाहूँगा | सुनना चाहेंगे आप - दरअसल मेरे वेबसाइट पर तकरीवन प्रतिदिन ७५ से ८० नए लोग आते है | गूगल खोज से यह पता चलता है की उसमे से ज्यादा लोग एलो वेरा लिखकर खोजते हुए मेरे वेबसाइट पर आते है | जिससे मेरे वेबसाइट एलेक्सा रैंकिंग में उम्मीद से ज्यादा सुधार नजर आ रही है | मतलब साफ है की एलो वेरा के बारे में लोगों की रुझान ज्यादा देखा जा रहा है | वेबसाइट के माध्यम से लोग अपने देश से ही नहीं अपितु विदेश से भी कई फोन कॉल आते है और लोग अपनी समस्या को लेकर चर्चा करते है |
जानकारी के उपरांत लोग मुझसे उत्पाद भी मंगवाते है | उत्पाद का उपयोग और जानकारी लेने के बाद अपने-अपने राज्य में एलो वेरा का व्यवसाय भी कर रहे है |
वो लोग बेहद संतुष्ट है | इसके माध्यम से लोग शारीरिक स्वस्थ्य के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी स्वस्थ्य महसूस करते है | इस तरह लोग अपने जीवन में साकारात्मक सोच के साथ सामाजिक बदलाव भी महसूस करते है | दरअसल वर्षों से परेशान मरीज को कुछ महिना ही एलोवेरा और पौष्टिक पूरक का सेवन करबाने से अच्छा महसूस करते है |
पर विडंबना यह है की आज बाज़ार में एलोवेरा के उत्पादों की भंडार है | ग्राहक को समझना बड़ा कठिन है की कौन सा या किस कंपनी का एलो जेल ले? पर क्या कोई भी एलो जेल आपके मकसद पर खरी उतड़ेगी ? निसंदेह मेरा जवाव होगा नहीं |
अपने देश के प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक कंपनी जैसे डाबर,वैद्यनाथ,हिमालय,झंडू व हमदर्द इत्यादि ने एलो जेल बाजार में नहीं उतारा है |
आपको क्या लगता है? वो एलो जेल के गुण से अपरिचित होंगे ? ऐसा नहीं है, दरअसल वो अपने अनुसंधान पर बहूत सारे वक्त और पैसा लगा चुके है | पर जूस को सालों-साल सुरक्षित रखने की जो सूत्र है वो नहीं मिल पाया , फिर उन्होंने अपने मन से एलो जेल का खयाला छोड़ दिया | ताकि उन्हें अपनी बनाई हुई प्रतिष्ठा पर कोई आंच ना आ जाय |
मतलब साफ़ है, जो कम्पनी एलो जेल बाजार में बेच रही है वो ना तो कोई बड़ी प्रतिष्ठित कंपनी है , ना ही उन्हें अपनी छवि ख़राब होने का कोई डर है | उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता इस चीज से की एलो जेल से लोगों को लाभ हो रहा है या नहीं पर ऐसे कम्पनी का लाभ जरुर हो रहा है | ग्राहक अक्सरहा सस्ते के चक्कर में फंस जाते है, जिसका उन्हें फायदा होने के वजय कई बार नुकशान उठाना पड़ता है |
अतः आप एलो जेल प्रमाणीकरण वाली कम्पनी जैसे इंटरनेसनल एलो सायंस कौंसिल , कोसर रेटिंग, इंडियन डायरेक्ट सेलिंग एसोसिअसन और नोट टेस्टेड इन एनिमल्स वाले मुहर देखकर ही खरीदें , जिससे वर्तमान में मधुमेह, रक्तचाप, ह्रदय विकार व मनोविकार इत्यादि सब प्रकार के असाध्य रोग में सहायक सिद्ध होंगे |
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आजकल हमलोग इतना व्यस्त है की हमें खाने के लिए भी समय निकाल पाना कठिन लगता है | बड़े शहरों की हालात यह है की घर के ज्यादातर सदस्य काम काजी होते है | चाहे वो महिला हों या पुरुष , अपने अपने क्षेत्र में सबके सब व्यस्त होते है | सुबह के आहार की आधी तयारी रात को ही कर ली जाती है | ज्यादातर घर में फ्रिज का उपयोग बची हुई ( गुंथी हुई ) आटा ,सब्जी वगैरह रात को रख देते है और सुबह इसका इस्तेमाल कर लेते है |लेकिन क्या आप जानते है ? आटा व बेसन अगर पानी के साथ मिलने के बाद तत्काल इस्तेमाल न हो तो अपना गुण खो देता है |
शोध में पाया गया है की फ्रिज का आटा शरीर के लिए खतरनाक बैक्टेरिया पैदा करता है जो मधुमेह के लिए विशेष हानिकारक है |
अगर आप सुबह-सुबह आटा गूंथने की परेशानी से बचने के लिए रात को ही ज्यादा आटा गुथकर फ्रिज में रख देते है या सुबह के आटे से रात को रोटी बनाते है तो घर में डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप और गठिया की दवाएं भी रख लीजिये | पर उनके लिए तो ज्यदा नुकसानदेह हो सकता है जो पहले से मधुमेह से पीड़ित है |
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डॉक्टरों का कहना है की आटा गूंथने के आधे घंटे में रोटी न बना लिया तो गुथे हुए आटे में फंगस आ जाता है और अगर फ्रिज में रख दिया जाए तो फंगस बनाने की प्रक्रिया में ६ गुना ज्यादा तेज हो जाती है | अगर परिवार में फ्रिज का आटा ही इस्तेमाल हो रहा हो तो बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगी,पेट फूलेगा, गैस, जलन जैसी समस्या घर के हर सदस्य को हो सकती है |
फ्रिज के आटे की रोटी रोजाना खाने पर लीवर पर बुरा असर पड़ता है और ऐसा लगातार होते रहे तो गठिया,मधुमेह के साथ रक्तचाप की बिमारी होना लगभग तय है | डॉक्टरों का कहना है की डायबिटीज़ और गठिया के लिए जो तत्व जिम्मेद्दार होते है, वो फ्रिज के आटा में है | विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी के बाद मरीजो से उनके खान-पान के बारे में पूछने से पता चला की अस्सी फीसदी परिवारों में महिलाये फ्रिज में रखा आटा इस्तेमाल करती है |
मधुमेह रोगी के लिए परहेज का सबसे बड़ा योगदान होता है | यह एक ऐसी बिमारी है जिसमे दवा से ज्यादा डॉक्टरों के सलाह को मानना जरुरी है | नियमित व्यायाम एवं भोजन की सलाह न अपनाकर केवल दवा से शुगर नियंत्रण के सहारे रहने पर धीरे-धीरे दवा की मात्रा बढानी पड़ती है |
लोगों की अवधारना गलत है की आयुर्वेद से घातक रोगों को ठीक नहीं किया जा सकता | बल्कि जितने प्रकार के लाइलाज बीमारियाँ है वो सबके सब में आयुर्वेद की दवाइयां ही कारगर सिद्ध हो रही है | जड़ी-बूटी ( एलोवेरा व मधुमक्खी ) के उत्पाद के माध्यम से हम आज २२० प्रकार के बीमारियों में फायदा पहुंचा रहे है | भारत जैसे विकास शील देश में जहाँ मधुमेह रोगी की संख्या निरंतर बढती ही जा रही है और आने वाले समय और भी भयावह है ,ऐसे में एलोवेरा जेल व पौष्टिक पूरक का इस्तेमाल कर अपने जीवन को मधुमेह जैसे समस्या पर नियंत्रित कर सुखद भविष्य की ओर अग्रसर हो सकते है |
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आपने अक्सर लोगों से कहते सुना होगा की समय ही धन है | पर शायद उनकी बात पर तरीके से गहन अध्ययन न किया हो क्यूंकि हम जीवन में बहूत सी बातों को यूँ ही अनसुना कर देते है | एक बात से आप सब सहमत होंगे की समय हम सब के लिए दिन में २४ घंटे ही होते है | पर ठहरिये और थोडा सा ध्यानपूर्वक निम्नलिखित तथ्यों को जानिये |
आमतौर पर एक आम भारतीय अपने जीवन में अगर:-
8 घंटे प्रतिदिन सोता है जो एक महीने में 240 घंटे अर्थात 10 दिन सोता है यानि 3 साल में एक एक साल यानि एक आम भारतीय अपने 70 वर्ष के औसतन जीवन काल में लगभग 23 साल सोने में निकाल देते है |
ये एक अकेला क्षेत्र नहीं है जहाँ हमारे जीवन का ज्यादातर समय निकलता है |
ऐसे और भी बहूत क्षेत्र है यथा --------
निचे एक आम भारतीय की औसतन 70 वर्ष के जीवन को अलग-अलग भागों में बांटा गया है | ये आवश्यक नहीं है की हर किसी के साथ इसी तरह हो लेकिन ये वास्तविकता है की आमतौर पर एक आम भारतीय अपने जीवन में से लगभग :-
१. 23 वर्ष सोने में
२. 23 वर्ष अपने व्यवसाय अथवा नौकरी में |
3. तीन वर्ष नित्यकर्म में
४. पाँच वर्ष अनावश्यक जामों / पंक्तियों में खड़े होकर व आवागमन में
५. एक वर्ष डॉक्टरों / नर्सिंग होम इत्यादि में
६. दो वर्ष सामजिक कार्यों तथा विवाह आदि समारोह में भाग लेकर
७. एक वर्ष अपने अव्यवस्थित घर में से अपने व्यक्तिगत सामान को ढूंढने में
८. एक वर्ष फालतू की ई- मेल चैक करने में
९. दो वर्ष मोबाईल पर गपशप करने में
१०. तीन वर्ष प्रतिदिन तीन बार भोजन करने में
११. दो वर्ष राजनीती गपशप में
१२ तीन वर्ष टेलीविजन पर न्यूज ,क्रिकेट मैच, धारावाहिक देखने / अख़बार पढने इत्यादि में निकालता है |
अब जरा सोचिये कि अगर :-
एक व्यक्ति रोजाना मात्र 1 घंटा रोज का कम सोयें अर्थात 8 कि जगह 7 घंटा सोये तो वो एक महीने में 30 घंटे, एक साल में 365 अर्थात लगभग 15 दिन प्रतिवर्ष और अपने 70 वर्ष के जीवन काल में लगभग 3 साल और कमा सकते है |
ये एक अकेला क्षेत्र नहीं है जहाँ हम अपना समय बचा सकते है ऐसे न जाने कितने अनगिनत क्षेत्र है जहाँ पर हम अपना समय बचा कर किसी भी ऐसी जगह पर लगा सकते है जहाँ पर उसकी उत्पादकता ज्यादा हो | पर हम ये चर्चा कर क्यूँ रहे है ?
1. Rs.20000/- कमाना चाहते है तो आपके प्रत्येक घंटे की कीमत Rs.27.77 आपकी प्रत्येक मिनट की कीमत Rs.0.46 प्रतिघंटा/प्रतिदिन के हिसाब से एक वर्ष की कीमत होगी Rs.10136
2. Rs.50000/- कमाना चाहते है तो आपके प्रत्येक घंटे की कीमत Rs.69.44 आपकी प्रत्येक मिनट की कीमत Rs.1.15प्रतिघंटा/प्रतिदिन के हिसाब से एक वर्ष की कीमत होगी Rs.25347( यह तालिका में वर्ष में 360 दिन और प्रतिदिन के 24 घंटों को आधार माना गया है )

अब अगर हम ये माने की आप रु.50000 प्रतिमाह कमाना चाहते है ( मैं जानता हूँ की में आपके लिए कम लिखा है ; आप इससे भी कहीं ज्यादा कम सकते है ) और आप 8 घंटा के जगह 7 घंटा सोते है तो आप रु.25347 प्रतिवर्ष अतिरिक्त कमा सकते है और ये ही फ़ॉर्मूला आप अन्य अनावश्यक कार्यों में लगे समय को बचाकर भी कर सकते है |
मुझे उम्मीद है की अबतक आपको बहूत सारी कैलकुलेसन समझ आ गयी होगी और आपको ये पूर्ण रूप से स्पष्ट हो गया होगा की वास्तव में समय ही धन है किन्तु अब हमे ये समझना होगा की फोरेवर लिविंग प्रोडक्ट के साथ व्यापार करते समय हमें अपने बहुमूल्य समय किस प्रकार प्रयोग करना है |
कई बार अपना समय ऐसे लोगों पर लगाते है जहाँ से हमें कोई विशेष उत्पादकता नहीं आ रही होती | अगर आप सिर्फ अपने मस्तिष्क में ये तथ्य बिठा ले की आपके प्रत्येक मिनट या घंटे की इतनी कीमत है तो मैं आपको विश्वास दिला सकता हूँ की आपकी कार्यशैली में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आ जायेगा | परन्तु आपको ये अवश्य सुनिश्चित करना होगा की आप अपने प्रत्येक घंटे की आंकी गयी कीमत को वसूल करने के लिए स्वयं से पूर्ण रूप से कटिबद्ध है |
क्या आपने सोचा की अगर आप आपने जीवन में अनावश्यक कार्यों में लगे समय से थोडा-थोडा समय प्रतिदिन बचाकर अपने पुरे जीवन में सिर्फ पाँच वर्ष भी बचा ले और आपको फोरेवर लिविंग प्रोडक्टस के व्यवसाय से मात्र Rs. 500000 प्रतिवर्ष की आय आ रही हो तो आप आपने बच्चों/ परिवार के लिए इस बचे समय का सदुपयोग करने के कारण मात्र Rs.3 करोड़ कमा सकते है ? निर्णय आपका |
जब यह साफ़ लगने लगे की लक्ष्य को पाना नामुमकिन है तो बदलाव अपनी कोशिस में करें , लक्ष्य में नहीं" |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
विगत कुछ महीनो से हम एलोवेरा जेल और मधुमक्खी से बना उत्पाद के बारे में यहाँ चर्चा कर रहे थे की वह किस तरह से हमारे विकृत जीवन शैली , तनाव ,अवसाद शारीरिक व मानसिक तौर पर अस्वस्थ्य में एक अद्भुत और चमत्कार की तरह से काम करता है |
आज अचानक मेरे मन में ख्याल आया क्यूँ नहीं इतने अद्भुत उत्पाद को बनाने और हमारे तक पहुँचाने वाले कंपनी के मार्केटिंग प्लान के बारे में और हमारे लिए क्यूँ फॉर एवर लिविंग प्रोडक्ट का व्यवसाय जरुरी है इसके बारे में आपसे चर्चा करें ? अब आप पूछेंगे की भाई ऐसा क्या है ?
और हम एफ एल पी का ही व्यवसाय क्यूँ करें ? जैसा की आप सब जानते है की आज कम समय में अगर आपको ज्यादा धन कमाना है तो नेटवर्किंग ही एक सही रास्ता है, जहाँ यह संभव है |
जैसे की अधिक आमदनी , आर्थिक आजादी, नौकरी की सुरक्षित, आप खुद अपने बॉस है, दूसरों की सहायता का आनन्द, व्यक्तिगत संतुष्टि, अच्छी सेहत, पेंशन की फ़िक्र नहीं, अपनी परिवार के लिए बड़े सपने, बच्चों को बड़े स्कुल में भेजने की समर्थता वगैरह |
" हर एक के जीवन में उडान भरने का समय आता है | तब अपने सपनों को शब्दों में प्रकट करना चाहिए और पंख फ़ैलाने की कोशिश करनी चाहिए.......अपने सपनों तक पहुँच जाइए और अपने नए पंख फैलाइये.... उडान भरिए"......जौन फर्मन |
जो लोग इस लेखन को पढने वाले है उनके जीवन में कुछ सपने है -- यह सोचकर आज मैं इतने बड़े मंच पर चर्चा कर रहे है | दरअसल लोग सपना देखने से डरते है --- उन्हें डर होता है नाकामयाबी का, सपने पुरे करने के लिए पैसे कहाँ से लाएँ ? अपने आप को एक सिमित दायरे में बाँध देते है | पर यहाँ आप एफ एल पी से जुड़ने के बाद आप चाहे जितना बड़ा सपना देखे, उस सपना को पूरा करने की सारी क्षमता है, बशर्ते आप मेहनत के लिए तैयार हों | इससे भी महत्वपूर्ण है क्या आप सिखने के लिए तैयार है ?
जो लोग अबतक नाकामयब हुए है या फिर अभी तक सफल नहीं हो पाए है, वो अपने आप से पूछे की उन्होंने सिखने के लिए कितना समय दिया है ? कितनी प्रशिक्षण में भाग लिया और कितना सिख पाए ?
क्या वो सोचते है की सिखने जरुरी है ? अगर हमें कामयाब व्यक्ति बनना है,तो सीखना होगा | 
अब हमें धन तो लाखों में चाहिए लेकिन सिखने को तैयार नहीं | सपने तो देखा है लेकिन सपने को साकार करने के लिए जो मेहनत करनी चाहिए, जिस लगन और श्रद्धा से काम करना चाहिए वो करने को तैयार नहीं है |
कहाँ से मिलेगी आजादी? कहाँ से पुरे होंगे सपने? तो आइये , पुरानी नकारात्मक बातों को छोड़ दें |
अपने पंख फैलाइए और उडान भरिए |
साधारणतः जिन्दगीं चलने के लिए हमारे पास दो पर्याप्त विकल्प है --नौकरी और निजी व्यवसाय |
नौकरी :- हम उदाहरण लेते है आम आदमी का जिसे तक़रीबन २० से २५ हजार मासिक बेतन मिलती है | इसके लिए उसे कितनी साल शिक्षा ली? पहली कक्षा से ग्रैजुएसन तक कम से कम १८ साल | फिर कम से कम २ साल कुछ खास कोर्स ,जैसे कंप्यूटर वगैरह ---तो अनुमानतः कुल मिलाकर २५ साल की उम्र में इस व्यक्ति की बेतन शुरू हुई और ६० साल की उम्र में वह सेवा निवृत हुआ |
अतः ५८ साल की उम्र तक इस व्यक्ति ने ३३ साल की नौकरी की ( ५८-२५ =३३ ) |
उस व्यक्ति की बेतन कितनी होगी? चलो मान लेते है ५० हजार रुपैये प्रति माह | लेकिन ५० हजार रुपैये इस सज्जन को मिले सिर्फ २ से ४ साल क्यंकि ६० साल के उम्र में यह व्यक्ति सेवा निवृत हो गया | अगर इस सज्जन को पेंसन भी मिलता है तो कितना मिल पाएगा? १५ से २० हजार रुपैये , ज्यादा से ज्यादा? तो सवाल ये उठता है की क्या १५ से २० हजार की पेंसन क लिए इस व्यक्ति ने ३३ साल कड़ी मेहनत की और १८ साल से भी ज्यादा सिखने में लगाया वो अलग? लेकिन , सच्चाई ये है की ९० प्रतिशत लोग इसी तरह काम करते है ----एक रास्ता ये भी है जीने का |
और दूसरा रास्ता है , फॉर एवर लिविंग प्रोडक्ट्स का-- यहाँ भी सीखना है कम से कम एक साल | लेकिन सीखना मतलब, मिलिट्री प्रशिक्षण की तरह सीखना पड़ेगा |
पूरी गंभीरता से- नोट्स बनाएं, ज्यादा से जयादा प्रशिक्षण में भाग ले , वन टू वन करना सीखें | किसी भी कंपनी की रीढ़ की हड्डी होती है उसके उत्पाद | इसलिए प्रोडक्ट्स, कंपनी और मार्केटिंग प्लान की पूरी जानकारी होना जरुरी है | एक साल इस ढंग से सीखो जैसे आपकी फायनल परीक्षा हो | और फिर अगले पाँच साल कड़ी मेहनत |
अगर आपको अपनी और अपने आसपास के लोगों की जिन्दगी बदलनी है तो मेहनत का कोई विकल्प नहीं |
विकल्प १ :- फॉर एवर लिविंग प्रोडक्ट्स सिखने में लगे --- १ साल
मेहनत खुद की आर्थिक स्वतंत्रता के लिए ------- ५ साल
व्यवसाय विस्तार करने में समय -------------------------------४ साल
आय क्षमता --- ४ से ५ लाख रुपैये प्रतिमाह ( आपके नेटवर्क और मेहनत पर आधारित )
तो आपको चुनना है इन दो विकल्पों में से | ऍफ़ एल पी में पैसा बहूत है,आप लेते-लेते थक जाओगे लेकिन कंपनी देते-देते नहीं थकती-- शर्त सिर्फ इतनी है की आप सिखने और मेहनत करने से पीछे नहीं हटें |
एक सर्वेक्षण के अनुसार दुनिया में ५० प्रतिशत लोग अपने समय और शरीर का इस्तेमाल करके अपनी जिन्दगी जीते है | ये होते है नौकरीपेशा लोग - ८ से १० घंटे काम किया तो एक मर्यादित बेतन मिलती है |
४७ प्रतिशत लोग अपने शरीर और दिमाग का इस्तेमाल करते है -- ये लोग है डॉक्टर, वकील, इंजिनियर वगैरह | सिर्फ ३ प्रतिशत लोग ऐसे होते है जो अपने समय और दिमाग का इस्तेमाल कर पैसे कमाते है -- इस श्रेणी में जो काम टाटा, बिडला, अम्बानी वगैरह करते है, एफ एल पी के साथ जुड़े हुए लोग भी तक़रीबन वही काम कर रहे है -- तो हमें बड़े फक्र से, बड़ी शान से एफ़,एल पी का काम करना चाहिए |
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है की कुछ लोग इस व्यवसाय में बहूत जल्दी हताश हो जाते है | हमें नहीं भूलना चाहिए की इस व्यवसाय में सफलता अनुपात सिर्फ ३ प्रतिशत है --- मतलब अगर ३ अच्छे, मेहनती और कामयाब लोग ढूंढने है तो आप को करीब १०० लोगों से बात करनी पड़ सकती है | बहूत से लोग १०-१५ लोगों से बात करने के बाद रुक जाते है , छोड़ देते है | ऐसे लोग ने फोरेवर को ठीक से समझा नहीं है | इस व्यवसाय में उच्च कोटि के लोगों की जरुरत है - ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिले और बात करे |
सीखे, मेहनत करें, नए सपने देखे | सपनो को साकार करें और पंख फैलाकर नई उडान भरें |
" हमारी कामयाबी कभी न गिरने में नहीं है , बल्कि गिरकर खड़े होने और फिर चलने में है" |
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संतरा मानव के लिए पौष्टिक फल है | संतरा जिसे नारंगी भी कहते है ,गुणों में एकदम संत सामान है | ये फल विटामिनो से भरपूर है , इसमें विटामिन 'सी', 'ए', 'बी' के अलावा फोस्फोरस, कैल्सियम, प्रोटीन और ग्लूकोज भी पाया जाता है | लोहा और पोटाशियम भी इसमें काफी मात्रा में होता है | इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है की इसमें विद्यमान फ्रुक्टोज, डेक्सट्रोज, खनिज एवं विटामिन शरीर में पहुँचते ही उर्जा देना प्रारंभ कर देते है | यदि पुरे मौसम में एक या दो संतेरे सुबह -सुबह खली पेट खाएं तो कई रोगों से बचा सा सकता है |
संतेरे में मौजूद विटामिन सी जहाँ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है , वहीँ कैल्सियम और खनिज लवण दांतों व हड्डियों को मजबूत बनाते है | यह अनेक रोगों के लिए रामबाण दवा है, संतरा केवल स्वास्थ्यवर्धक ही नहीं, खूबसूरती को संवारने वाला फल भी है |
संतरा ठंडा, तन और मन को चुस्ती-फुर्ती प्रदान करता है | जिनकी पाचन शक्ति ख़राब है उनको नारंगी का रस तिन गुने पानी में मिलाकर सेवन करना चाहिए | इसके सेवन से भूख खुलकर लगती है , खाना जल्दी हजम होता है | कब्ज़ होने पर इसका रस पिने से कब्ज़ की समस्या से निजात मिलती है | पेट में दर्द होने से संतेरे के रस में थोड़ी सी भुनी हुई हींग मिलाकर देने से लाभ मिलता है , उलटी होने या जी मिचलाने पर संतेरे के रस में शहद मिलाकर सेवन करें | पेचिस की शिकायत होने पर संतेरे के रस में बकरी का दूध मिलाकर लेने से फायदा होता है | संतेरे का नियमित सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है |
बच्चों के लिए तो संतेरे अमृततुल्य है गर्भवती महिलाओं को इसका रस देने से बच्चा तंदुरुस्त होता है | बच्चों को स्वस्थ्य व हष्ट-पुष्ट बनाने के लिए दूध में चौथाई भाग मीठे संतेरे का रस मिलाकर पिलाने से यह टॉनिक का कम करता है | बच्चों को बुखार या खांसी होने पर एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच संतेरे के छिलकों का पाउडर और नमक या चीनी मिलाकर देने से बुखार में राहत मिलती है | यह किडनी ,दिल और त्वचा के लिए भी फायदेमंद है | दिल के मरीज को संतेरे का रस में शहद मिलाकर देने से आश्चर्यनक लाभ मिलता है | इसका एक गिलास रस तन-मन को शीतलता प्रदान कर थकान व तनाव दूर कर मस्तिष्क को नई शक्ति व ताजगी से भर देता है |
संतेरे के सूखे छिलकों का महीन चूर्ण गुलाब जल या कच्चे दूध में मिलाकर पीसकर लेप लगाने से कुछ ही दिनों में चेहरा साफ,सुनार और कांतिवान हो जाता है | किल-मुंहासे से छुटकारा मिलता है और झाइयाँ व संवालापन दूर होता है |
संतेरे का छिलका को मत फेंके ,इन छिलकों और रेशों में भी विटामिन और कैल्सियम होता है संतेरे की फांक धीरे-धीरे चूसिये और केवल बीज थूकते जाइए | इनका पतला आवरण और रेशे में जो पल्प है वह आँतों में चिपके मल की सफाई करता है |
इन्हें धुप में सुखाकर कूटकर उबटन बनाकर अपने त्वचा पर प्रयोग करें और तवचा को चिकनी और मुलायम बनाए |
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यदि आपने कभी डायटिंग की हो तो आप का पाला फैट ( चर्बी, चिकनाई ) शब्द से अवश्य पड़ा होगा, लेकिन हर फैट आपके लिए बुरा नहीं है | शरीर को पोषण देने वाला एक आवश्यक तत्व है , फैटी एसिड्स | यह लाभकारी फैट है जिसे हम एसेंशियल फैटी एसिड्स (EFA's ) भी कहते है | इसके आभाव में आप सोचना, देखना, सुनना, पुनरुत्पादन, दौड़ना इत्यादि नहीं कर पायेंगे |
फैटी एसिड्स फैट बनाने की प्रक्रिया का मूल आधार है | कुछ फैटी एसिड्स आवश्यक होते है क्यूंकि वो जीवन के लिए अनिवार्य है, लेकिन क्यूंकि हमारा शरीर उन्हें बनता नहीं, हमें भोजन के द्वारा उन्हें ग्रहण करना पड़ता है | फैटी एसिड्स के दो मुख्य रूप है , Omega-3 और Omega-6 | एक तीसरा फैटी एसिड्स है Omega-9, जो ओलिव आयल से प्राप्त किया जाता है |
यह जीवन के लिए अनिवार्य तत्व है | कोशाणुओं के रक्षात्मक परत को सुरक्षित रखता है जिस के कारण पोषक तत्वों का शरीर में सुचारू रूप से संचालन तथा कोलेस्ट्रोल नियंत्रण में सहयोग मिलाता है |
Omega-3 फैटी एसिड्स एसेंशियल फैटी एसिड्स है, जो स्वस्थ्य शरीर के लिए आवश्यक है | लेकिन चुकी उन्हें शरीर नहीं बना सकता, हमें भोजन द्वारा इसे ग्रहण करना जरुरी है | यह हमें सालमन, टूना इत्यादि समुद्री मछलियाँ से और बादाम के तेल से प्राप्त होते है | Polyundsaturated Fatty Acids ( PUFA ) के नाम से जाने जानेवाले ये Omega-3 फैटी एसिड्स दिमाग की सुचारू प्रक्रिया और शरीर के सामान्य संवृधि के लिए जरुरी है |
Omega-3 ट्रायग्लिसरायड नामक दुश्मन से लडनेवाला हथियार है - इस तर्क का शायद ही कोई विकल्प हो | इस तर्क के पुष्टिकरण के लिए अनेकों वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद है |
जहाँ तक बढ़ते बच्चों का सवाल है, ऐसा माना जाता है की ओमेगा-३ और उसके व्युत्पन्न बच्चों के दीमाग के विकास और आँखों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है | यह प्रमाणित है की ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, खासकर DHA ( Docosahexaenoic acid ) बच्चों के दिमागी विकास, संचालन कौशल, भाषा कौशल, चिंतन कौशल, तेज दृष्टि, गहरी निद्रा और इनेक ऐसे कार्यों में मदद पहुंचा सकती है |
Omega-9 एक अन्य प्रकार का फैटी एसिड्स है Oleic Acid, Omega-9 monounsaturated fatty Acids और यह प्राप्त होता है ओलिव आयल , मूंगफली और एवोकेडो से | यह एसेंशियल नहीं है क्योंकि Omega-3 और Omega-6 polyunsaturated EFA's की तुलना में शरीर छोटी मात्रा में इसका उत्पादन कर सकती है | शरीर इसका उपयोग सुजन से लड़ने, atherosclerosis ( fat deposits on the artery walls ) को नियंत्रित करने, Blood sugar को संतुलित करने तथा शरीर को नैसर्गिक सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए करता है |
आपने तय कर लिया की आपको बेहतरीन गुणवता वाला Omega-3 खाद्यपूरक चाहिए | तो आपके लिए यह गर्व की बात है की फोरेवर लिविंग प्रोडक्ट्स ने न्यूनतम अनुसंधानों पर आधारित यह बेहतरीन गुणवता वाला खाद्यपुरक तैयार किया है | ओमेगा-३ और ओमेगा-९ के अनोखे संयोजन से बना यह खाद्यपुरक Blood cholesterol तथा triglyceride के नियंत्रण में सहयोग देता है | श्रेष्ठतम तरीके से निर्मित और आर्कटिक सी के शुद्ध प्रान्त से व्युत्पन्न फोरेवर आर्कटिक सी Super Omega-3 vegetable और pharmaceutical grade fish oil के बेहतरीन संगम से प्रदान करता है एक संतुलित खाद्यपुरक |
तो अगली बार जब आप अच्छे फैट्स को चयन करने की दुविधा में हों तो ले फोरेवर आर्कटिक सी ; आज और हर रोज, बेधड़क |
निम्नलिखित प्रक्कर के रोगों में आप आर्कटिक सी का प्रयोग कर सकते है :-
यह ह्र्द्य रोग ,उच्च रक्त चाप , रक्त संचालन सिस्टम को स्वस्थ रखने मे मदद करता है ।
यह हार्ट अटैक एवं हार्ट स्ट्रोक की संभावना को कम करने मे मदद करता है । यह रक्त मे थक्का बनने की प्रक्रिया को कम करता है ।
यह ट्राईग्लाईसेराड्स के स्तर को कम करने मे मदद करता है । जो मोटापे एवं ह्र्दय रोग का एक महत्त्वपुर्ण कारण है । यह त्वचा के रोगों मे लाभदायक है । यह गठिया बाय मे काफ़ी लाभदायक है । यह रक्त मे कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करने मे मदद करता है । यह रक्त मे अल्कोहल के असर को कम करने मे मदद करता है ।
यह ट्यूमर के बढने की गति को कम करने मे सहायक है ।
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