" "यहाँ दिए गए उत्पादन किसी भी विशिष्ट बीमारी के निदान, उपचार, रोकथाम या इलाज के लिए नहीं है , यह उत्पाद सिर्फ और सिर्फ एक पौष्टिक पूरक के रूप में काम करती है !" These products are not intended to diagnose,treat,cure or prevent any diseases.

Feb 17, 2011

मधुमेह एक साइलेंट किलर -------


आइये एक बार फिर से मधुमेह से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में चर्चा करते है | वैसे तो कई तरह की समस्याएं होती है परन्तु चालीस से सत्तर प्रतिशत लोग अपनी टांगे कटवाने को मजबूर होते है | वर्तमान में ये आंकड़ा चौकाने वाली है की विश्व में प्रत्येक 30 सेकेण्ड में कोई न कोई मधुमेह का मरीज अपनी टाँगे गँवा बैठता है | गौरतलब है की डायबिटीज से 85 प्रतिशत अंगविच्छेदन पैरों में जख्म होने की वजह से ही होते है |

मधुमेह के मरीजों में टांग पर ही सबसे बड़ी खतरा रहता है | इसके तीन प्रमुख कारण है :-
1 . डायबिटीज न्यूरोपैथी की वजह से पैरों में संबेदन हीनता !
2 . पैरों में रक्त आपूर्ति घट जाना !
3 . डायबिटिक मरीजों के पैरों के जख्म व संक्रमण तेजी से ठीक नहीं होते कई अन्य जटिलताओं के कारण अधिकतर मरीजों को ऐसे जख्मों को तब तक पता नहीं लग पाता जब तक कि मामला गंभीर न हो जाए !

डायबिटिक फुट अल्सर का आसानी से पता नहीं लगता | बाहर से जख्म जैसा दिखाई देता है | वह तो मामले के एक छोटा हिस्सा होता है, जबकि भीतर संक्रमण कहीं अधिक गहरा होता है | पैरों के नाख़ून ब्लेड से काटना, नंगे पैर चलना,पैरों को काटने वाला जुटे पहनना | ये प्रमुख कारण है जिनसे पैरों में जख्म हो जाते है |


पैरों की साफ़ सफाई नियमित तौर पर नहीं करना भी एक अहम् वजह है | अगर पैरों में जरा सा भी खरोंच व असामान्यता दिखाई दे तो तुरंत उचित कदम उठाएं ! पैरों पर ज्यादा बोझ न पड़ने दे | ऐसा इसलिए कि मरीज को जख्म का एहसास नहीं होता, वह चलता रहता है |

यह स्थिति अक्सर मधुमेह कि दो जटिलताओं कि वजह से होती है |
1 . तंत्रिका क्षति 2 . कमजोर रक्त संचार |
तंत्रिका क्षति :- हाई ब्लडप्रेशर टांगों व पांवों की नसों को नुकसान पहुंचती है | क्षतिग्रस्त शिराओं की वजह रोगी की टांगो व पांवों में दर्द, गर्मी, ठंढ का एहसास नहीं होता | पैरों में सुजन व खरोंच बदतर हो जाती है , क्योंकि संबेदना जाती रहती है | इस अवस्था को डायबिटिक न्यूरोपैथी कहते है | छोटी सी समस्या बड़ी मुसीबत बन जाती है |
2 .ख़राब रक्त संचार :- मधुमेह प्रायः रक्त शिराओं को प्रभावित करता है | टांगो व पांवों में होने वाला रक्तसंचार घट जाता है | जिसमे सुजन या संक्रमण का ठीक होना मुश्किल हो जाता है | मधुमेह का रोगी धुम्रपान करता है तो रक्तसंचार की समस्या बिगड़ जाती है |

मस्तिस्क से सम्बंधित रोग :- 50 से 70 वर्ष की आयु में पक्षघात होने का खतरा आम आदमी से चार गुना अधिक मधुमेह के रोगियों को होता है |

गुर्दे सम्बंधित रोग :- मधुमेह में गुर्दे सम्बंधित रोग टाइप 1 मधुमेह टाइप 2 की तुलना में कहीं ज्यादा होता है | 20 वर्षों तक मधुमेह से पीड़ित रह चुकने के बाद जहाँ टाइप 2 मधुमेह में इस कुप्रभाव के होने की सम्भावना 16 प्रतिशत तक होती है , वहीँ टाइप 1 में सम्भावना 40 प्रतिशत तक रहती है | गुर्दे की पूर्णतया नष्ट हो जाने का मधुमेह दूसरा सबसे आम कारण होता है |

नेत्रों सम्बंधित रोग :- मधुमेह के रोगियों को अंधत्व का खतरा आम व्यक्ति की तुलना में 20 गुना ज्यादा होता है | कम आयु में मोतियाबिंद होने के कारण दृष्टिदोष होने पर मधुमेह सबसे प्रमुख कारण है |

कुछ टिप्स अपने दैनिक जीवन में उपयोग कर मधुमेह पर नियंत्रण की जा सकती है :-------
एलोवेरा जेल अपने दैनिक जीवन में नित्य सेवन करें ताकि इस तरह के रोग से आपके जीवन में घुसपैठ न कर सकें |इससे निदान के लिए और बहुत कुछ है जो हम अगले अंश में चर्चा करेंगे |

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Feb 14, 2011

स्वस्थ्य जीवन के लिए जीवन शैली में परिवर्तन करें |

आज भी बिमारी मनुष्य के सामने ठीक उसी प्रकार के है जैसे की प्राचीन काल में थे, पर बिमारियों का स्वरूप बदल गया है |बाहरी तौर पर हम अच्छे खासे हष्ट-पुष्ट नजर आते है , तब मालूम पड़ता है बहुत खुशहाल है |परन्तु अन्दुरुनी हालात बहुत कुछ ठीक नहीं होता है | भिन्न-भिन्न प्रकार के बिमारियों से ग्रसित होते है | आज कल का जीवन शैली लोगो को घुट-घट कर मरने के सिवा और कुछ नहीं दे सकता है |

आदते इतनी वाहियात हो गई है कि उसने अपने कुल्हारी से अपनी ही टांगे काट डाला है | उसने अपनी सेहत को इतनी बुरी तरह से तबाह कर डाला है, जैसे की दुनिया में आज से पहले इतनी बुरी सेहत हुई नहीं थी | बीमारियाँ इस कदर दुनिया में फैली हुई है , उतनी बीमारियाँ तो दुनिया के मानचित्र पर , जबसे मनुष्य इस धरती पर पैदा हुआ है, तब से लेकर आजतक नहीं थी | आदमी वर्तमान में इतना कमजोर,बीमार,दुर्बल, रोगी और खोखला हो गया है की इतिहास में ऐसा कभी नहीं था | क्या यह सब मानव सभ्यता के विकाश के कारण है या उनकी बेअक्क्ली ? जरा सोंचे !

मानव शारीर प्रकृति कि एक अनमोल संरचना है | शरीर का विज्ञानं इतना जटिल है, जिस पर सदियों से सम्पूर्ण दुनिया के चिकित्सक शोध कर रहे है | इन्सान चाँद पर तो पैर रख दिए है लेकिन शरीर के विज्ञानं के विषय में केवल कुछ अंश भी समझ पाया है | शरीर की तंदुरुस्ती व आयु से जुड़े विज्ञानं को हम आयुर्विज्ञान अर्थात आयुर्वेद कहते है तथा इससे बने इलाज को आज दुनिया के तमाम बड़े-बड़े देश अपना रहे है |


इन्सान की जिन बिमारियों का इलाज आज की आधुनिक एलोपैथी चिकित्सा में नहीं हो पता, उन्ही लाइलाज बिमारियों का पक्का इलाज आयुर्वेदिक नुस्खों वाली दवाइयों से हो जाता है , जिसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव यानि की side effect भीं नहीं होता, जबकि आज की आधुनिक एलोपैथी चिकित्सा से मनुष्य के रोग थोड़े समय के लिए दब जरुर जाते है लेकिन उसके साथ कई और समस्याएं पैदा हो जाती है | आयुर्वेदिक इलाज में ऐसा नहीं होता क्यूंकि यह इलाज रोग व कमजोरियों को हमेशा के लिए जड़ से खत्म कर देता है |

डायबिटीज को ही अगर लेते है तो वो डॉक्टर जो मरीजों को डायबिटीज के बारे में सलाह देते है , कई खुद रोगी होते है | ऐसा एक डॉक्टर से मैं मिल भी चूका हूँ | करीब पाँच साल से वो टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित है | ऐसा नहीं है की उन्होंने अपना इलाज नहीं कर रहा है परन्तु डायबिटीज की गोलिया बढ़ रही है और ज्यादा कुछ फायदा नहीं हो रहा है |


इस तरह के बिमारियों से बचने के लिए सिर्फ जीवन शैली में परिवर्तन की जरुरत है | अपने शिक्षक स्वयं बने | बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी अर्जित करें जो हमेशा ही फायदेमंद साबित होगा | एक जागरूक मरीज ही अपना इलाज पूरी तरह से करबायेगा या हिम्मत अंत तक बनाए रखे |

इस तरह से लाइलाज समझे जाने वाली बीमारियाँ के लिए कारगर औषधियों पर कई शोध हो चुके है | कुछ आयुर्वेदिक वनौषधियों का नाम प्रयोग करके यह देखा गया है की लाइलाज बिमारियों पर इस प्रयोग करने से बहुत ही फायदेमंद हुआ है | ऐसे ही वनौषधियों में से एक है ' एलोवेरा " | यह शरीर के लिए अमृत तुल्य है | हरेक तरह के बीमारियों में इसका प्रयोग फायदेमंद होता है |


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Feb 6, 2011

नजरिया को बदले - नज़ारे बदल जायेंगे ! जुड़ें एफएलपी के साथ


फरबरी महीने की पहले दिन हिमगिरी एक्स्रेस हादसा बहुत ही दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण था | किस तरह ट्रेन के ऊपर बैठे लोगों के जिस्म मुली, गाजर के तरह चीथड़े-चीथड़े हो गए | चश्मदीद के अनुसार करीब 35 से 40 लोग काल के ग्रास में समा गए | आखिर क्या है उनके अकाल मृत्यु के कारण ? कौन जिम्मेदार है ? विचार करने योग्य प्रश्न है |

सरकारी तंत्र की लापवाही का आलम तो देखिये सैकड़ों लोग ट्रेन के छत पर बैठ गए | रेलवे पुलिश क्या वहां ट्रेन के छत पर बैठे लोगों के तमाशा देख रहे थे | क्या रेलवे पुलिश ट्रेन में बैठे लोगों को परेशान करने के लिए भर्ती हुई है ? जहाँ सरीफ लोग मिले नहीं की टिकट के नाम पर वसूली चालू करते नजर आते है | खचाखच भड़ी बोगी व छत पर बैठे लोगों को नियंत्रण किया जा सकता था लेकिन उनके बाप का क्या गया ? न जाने कितने घरो के चिराग बुझ गए परन्तु हमारे नेता लोग इस हादसे पर भी अपनी राजनीती स्वार्थ सिद्धि के अलावा कुछ नहीं किया ?

इस घटना से एक और बात उजागर हुआ है बेरोजगारी | बेरोजगारी का आलम यह है की आईटीबीपी में ट्रेडमैन की भर्ती के लिए जहाँ लाखों लोगों ने आवेदन किये थे,जबकि सिर्फ सैकड़ों लोगों को भर्ती करना था | यह बहुत ही विकट समस्या है |

सरकारी नौकरियां के ग्राफ दिन व दिन घटता ही जा रहा है | यही वजह है लोग आजकल किसी राज्य सरकार में चपरासी और माली की पद पर भर्ती के लिए भी लम्बी कतार लग जाती है | सवाल यह नहीं की सरकारी नौकरियों के लिए लम्बी कतार लगाकर लोग खरे हो जाते है इसमें अहम् बात यह है की इस तरह के पद के लिए भी उम्मीदवारों में ढेर सारे एमबीए और एमसीए होते है |


यक़ीनन बढती हुई आवादी इसके प्रमुख कारण में से एक है, परन्तु हालत इतनी ख़राब नहीं हुई है की माली व चपरासी के लिए इंजीनियर्स या मेनेजर्स आवेदन करें |वैसे भी हमारे मन में हमेशा से सरकारी नौकरियों के प्रति अलग भाव रहा है | सरकारी नौकरी के लिए कुछ भी कर गुजरने की प्रयास हमारी मानसिकता है | यहाँ तक की लोग यह भी भूल जाते है की शिक्षा के अनुसार जिसके लिए वो पढ़ाई की है उस तरह के पद के लिए ही आवेदन करें |

इसके अलावा उनके गार्जियन इस तरह के उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए मोटी मोटी फ़ीस भरी थी | प्रतियोगिता से भरे आज के दौर में आने वाली कठिनाइयों को सब बखूबी जानते है | एक ओर जहाँ उच्च शिक्षा प्राप्त करने के वाबजूद उनके पसंद के मुताबिक नौकरी नहीं मिल पाती है ,दूसरी ओर एमबीए पास आउट विद्यार्थी प्राईवेट बैंक में क्रेडिट कार्ड बनाते नजर आते है | बेरोजगारी की बेबसी को तो हमसब जानते है , लेकिन क्या ऐसा नहीं हो सकता की हमसब सरकारी नौकरी का कोई विकल्प को तलाशे ?

सरकारी नौकरी को सोने के अंडे देने वाली मुर्गी न समझे न ही इसे लौटरी के रूप में देखें | क्यों नहीं हम सेल्फ इम्प्लोय्मेंट की बात सोचते है ? शायद हम खुद के काम को किसी हारे हुए खिलाडी की मज़बूरी की तरह देखते है | ऐसा बिलकुल भी नहीं है , खुद का काम किसी भी तरह से कमतर नहीं है | यह आपकी आत्म संतुष्टि की पहचान है |


जरुरत है पुराने मानसिकता में परिवर्तन की -------- आइये आप फॉर एवर लिविंग प्रोडक्ट्स में हमारे साथ जुड़ें और जिन्दगी के सारे सपने को साकार करे | यहाँ आप वो सबकुछ पा सकते है जिसकी आपको तलाश है | सिर्फ कुछ महीनो में अपनी कीमती समय को लगाकर , मेहनत और इमानदारी के साथ जीवन को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बना सकते है |

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Feb 2, 2011

दिल को रखें दुरुस्त - एलोवेरा जेल से !


आज एक बार फिर से आइये चर्चा करते है ह्रदय सम्बंधित समस्याएं और निदान ? दुनिया भर ह्रदय रोगियों की संख्या गुणात्मक रूप से वृद्धि हो रही है | चिंता की बात यह है की ह्रदय घात यानि दिल का दौरा का औसतन आयु सिमट कर 40 और 30 के बिच हो गई है | जिस रफ़्तार से यह घटती जा रही है न जाने आगे क्या होगा ? कहना बहुत ही मुश्किल है परन्तु यह बहुत ही भयावह तस्वीर बनती जा रही है |

भारतीय युवाओं में खासकर यह बिमारी दुनिया के देशों से दोगुनी है | विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में वर्तमान में ह्रदय रोगीओं की संख्या लगभग पाँच करोड़ है और यह आंकड़ा दोगुना हो जायगा जब दुनिया के साठ प्रतिशत ह्रदय रोगी भारतीय होंगे |


युवाओं में यह बीमारियाँ बढ़ने के प्रमुख कारण आज का जीवनशैली को जाता है | भागमभाग व तनाव ग्रस्त जीवन जीने को मजबूर है | प्रतिस्पर्धा के दौर में युवाओं का ध्यान अपनी सेहत पर कम और कमाने पर ज्यदा होता है |

ख़राब दिनचर्या, खानपान में समुचित मात्रा में पोषक तत्व की कमी भी प्रमुख कारन है | रही सही कसर पश्चात् शैली के खान-पान जैसे पिज्जा,बर्गर,नुडल, पेस्ट्री,डिब्बा बंद खाना, कोल्ड ड्रिंक, ज्यूस इत्यादि पूरा कर देती है | सोने व जागने का समय बिलकुल ठीक नहीं है लोग सोने के समय पर जागते है और जागने के समय पर सोते है जिससे शरीर में कई प्रकार की समस्याएं आ जाती है |

लेकिन ह्रदय रोग लाइलाज समस्या बिलकुल भी नहीं है | परन्तु अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की तरह यदि रोगी को यह प्रारम्भिक अवस्था में पता चल जाय तो इससे मुक्ति पाने में आसानी हो जाता है | अतः ह्रदय सम्बंधित रोग के बारे में जांच कर उचित इलाज जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए |

आप सब जानते है की ह्रदय रोग का प्रमुख कारण है "कोलेस्ट्रोल" | परन्तु सच तो यह है की कोलेस्ट्रोल नहीं है ,बल्कि मुख्य कारण है रक्त नलिकाओं की सूजन ( inlflammation of blood vessels ) है | अतः हमें कोलेस्ट्रोल के वजाय धमनियों की सूजन के कारण को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की जरुरत है |

सभी कोलेस्ट्रोल ख़राब नहीं होते है | HDL ( high density lipoproteins ) कोलेस्ट्रोल फायदेमंद होता है और इसकी अधिक मात्रा हमारे लिए फायदेमंद होता है, लेकिन LDL ( low density lipoproteins ) कोलेस्ट्रोल हमारे लिए हानिकारक होता है | LDL कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवार की भीतरी सतह पर जमा होकर प्लाक ( plaque ) बनाता है और उन्हें संकरा कर देता है | इसके साथ आने वाला HDL कोलेस्ट्रोल तो वास्तव में धमनियों में सफाई का काम करता है |


रक्त नलिकाओं के सूजन के लिए सिर्फ LDL कोलेस्ट्रोल ही जिम्मेदार नहीं होता है | इसके लिए होमोसिस्टीन तथा धुम्रपान, उच्च रक्त चाप , वसायुक्त भोजन और डायबिटिज से उत्पन्न होने वाले स्वतंत्र तत्व ( free radicals ) भी जिम्मेदार होते है |

अतः स्वतंत्र तत्व को प्रभाव को समाप्त करने के लिए आपको ज्यादा से ज्यादा एंटी ओक्सिडेंट का सेवन करें | जिससे की शारीर में अनचाहे मेहमान जो की free radicals के रूप में है वह सब समाप्त हो जायेगा | और आपका धमनी बिलकुल दुरुस्त हो जायेगा |

जीवन शैली में परिवर्तन लाकर इन जोखिम को कम किया जा सकता है | हरी सब्जियां व फल का ज्यादा से ज्यादा अपने आहार में शामिल करें जिसमे विटामिन बी-6 ,सी, मग्नेशियम व भरपूर मात्रा में एंटी ओक्सिडेंट फ्लेवोनायडस और कैरोटेनायड्स हो |


ह्रदय रोगी को अक्सर कम वसा, कम कार्बोहायड्रेट और कम प्रोटीन का आहार लेना फायदेमंद होगा | सेब,अनार का जूस, आंवले का मुरब्बा ह्रदय को ताकत देता है और ये ह्रदय को सुचारू रूप से काम करने में मदद करते है |
प्याज और लहसुन से कोलेस्ट्रोल का स्तर घटते है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित करते है |

कैरोटेनायड्स एंटी ओक्सिडेंट के लिए टमाटर का सेवन करें जिसमे लायकोपिन का भंडार होता है | जो की दिल को सही से चलाने में सहायता करता है |

करौंदा में पॉलीफेनोलिक एंटी ओक्सिडेंट होते है जो रक्त संचार को सुचारू करते है | अनाज, अखरोट, अलसी के बिज, बादाम, सोयाबीन ये सब कोलेस्ट्रोल के अलावा ट्रीग्लिसेरायड्स स्तर को भी घटते है | इसमें रक्त के थक्के जमने की आशंका काफी कम हो जाती है |


इन प्रकृति उपचार के अलावा सेहतमंद जीवन जीने के लिए नियमित परहेज से रहना, नियमित शारीरिक व्यायाम करना और डॉक्टरों से नियमित पूर्वक जांच भी कराते रहना चाहिए |

वैसे फॉर एवर लिविंग प्रोडक्ट के पास इसमें अचूक उत्पाद है जिसके माध्यम से ह्रदय सम्बंधित किसी भी परेशानी से मुक्त हो सकते है जो की निचे दी जा रही है
Aloe Vera Gel , Garlic Thyme , Artic Sea Omega - 3 , Pomesteen Power इत्यादि इसका सेवन चार से छह महीने करने के बाद किसी भी प्रकार के धमनियों का सूजन पर नियंत्रिती की जा सकती है | अतः ह्रदय रोग से मुक्त पाने के लिए उपरोक्त एलोवेरा के उत्पाद अपने जीवन में शामिल अवश्य करें और जीवन को खुशहाल बनाए |

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