" "यहाँ दिए गए उत्पादन किसी भी विशिष्ट बीमारी के निदान, उपचार, रोकथाम या इलाज के लिए नहीं है , यह उत्पाद सिर्फ और सिर्फ एक पौष्टिक पूरक के रूप में काम करती है !" These products are not intended to diagnose,treat,cure or prevent any diseases.

Feb 28, 2010

बजट से निराश देश के किसान |

बजट महापर्व संसद के पटल पर रखा गया |
हमेशा की तरह इस बार भी नए लुभावने लोक कल्याणकारी योजनाएं लोगों के लिए पेश किये गये |
पर आम आदमी अब बजट के सुनहरे सपनो पर भरोसा नहीं करते |

चुकी सरकार बजट के नाम पर बड़ी बड़ी घोषणाएं करती है |
लेकिन आजादी के इतने वर्षों बाद भी जनता यदि पानी ,बिजली और सड़क जैसी बुनियादी सुबिधाएं से बंचित रहे तो सरकारी बजट पर घोषणाएं बैमानी और उसपर सवाल उठना स्वाभाविक है |

देश की 65 प्रतिशत आबादी की आजीविका कृषि पर आश्रित है |
हमारी कृषि की सबसे बड़ी समस्या है ,किसानो को फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाना |
खाद्यान्न पदार्थ की मूल्यों में वृद्धि भी किसानो के बजाय ये सटोरियों या ब्यापारी उठाते है |
गरीब किसानो के लिए सरकार ने कुछ भी नहीं किया है ?


जहां पर किसानो के कंधे पर हमारी देश की १२० करोड़ लोगों को आहार पूर्ति करने की जिम्मेद्दारी है |
उनकी हालात सुधारें बिना सम्पूर्ण विकाश का सपना पूरा नहीं हो सकता है |
हमारे यहाँ आनाज लगभग 22 करोड़ टन उत्पादन होता है जबकि पडोसी देश चाइना में 55 करोड़ टन है |
कृषि की पैदावार बढाए बगैर हम विकाश की गति को तेजी नहीं ला सकते |

आर्थिक सुधार के जिन योजना के तहत सरकार समाज के मानवीय चेहरा दिखाना चाहती है उसके लिए वर्तमान नीतिओं में भारी फेर-बदल की गुंजाइश है |

अपितु वास्तविकता यह है की योजना आयोग ने कभी भी राष्ट्रिय आर्थिक विकास और विभिन्न वर्गों के आर्थिक विकाश को ध्यान में रखकर निति बनाई ही नहीं है |
इसीलिए यहाँ करोडपति की संख्या 70 हजार से भी ज्यादा है और अरबपति 311 है , जिनके पास कुल 3 लाख 64 हजार करोड़ की सम्पति है |

राजस्व संग्रह में भ्रष्टाचार को समाप्त किये बिना राजस्व घाटा कम नहीं होगा |
जो बिक्री या आय कर सरकारी राजकोष में जाना चाहिए वह भरष्ट बाबु की जेब में चला जाता है |

आज केवल 10 प्रतिशत वर्ग को ध्यान में रखकर बजट का रूप रेखा तैयार की जाती है |
120 करोड़ के इस देश में 3 लाख सालाना वेतन पाने वाले कितने लोग होंगे ?
जिनको आयकर में छुट मिलेगी |

पर रातों रात डीजल और पेट्रोल में दाम बढ़ाकर इस से ज्याद आम आदमी से वसूलने की तयारी कर ली है |
मजदुर ,आम आदमी ,छोटे किसान जो कमरतोड़ महगाई का सामना कर रहे थे |
उसके लिए सरकार ने कुछ नहीं किया, उलटा लगता है डीजल और पेट्रोल की रातों रात दाम बढ़ाकर,खाद्यान्न पदार्थ के दामों में और भी वृद्धि होगी |
मतलब महगाई पर नकेल कसने की उम्मीद लगाईं जनता का आक्रोस और भी बढ़ा दिया है |
महगाई सुरसा जैसी राक्षसी की तरह अपना मुह फाड़े खड़ी है |
नित्य प्रतिदिन देश के गरीब जनता उनके शिकार हो रहे है |
सरकार पंगु की तरह मूक दर्शक है |

बेहाल लोगों की हाल पर सिर्फ और सिर्फ अपनी मजबूरी का रोना रोने का अलावा कुछ नहीं करते दिखाई दे रही है |
वो कहाबत है न "सर मुड़ाते ओले पड़े" ,बजट ने चरितार्थ कर दिखाया है |

"एक दिन हमारे आसू हमसे पूछ बैठे,हमे रोज़ -रोज़ क्यों बुलाते हो,
हमने कहा ---- -याद तो हम कभी नहीं करते ,पर बेबक्त तुम क्यों चले आते हो |"


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ताऊ .इन

Feb 27, 2010

ह्रदय का दौरा ( Heart Attack ) से कैसे बचे ?


मनुष्य की रक्त धमनियों के अन्दर वाली झिल्ली एन्डोथिलियम कहलाती है |
यह शारीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि है जिसका कुल वजन 2 किलोग्राम है |
एन्डोथिलियम रक्त धमनियों में दो तरह के स्त्राव पैदा करती है |
पहला एन्डोथिलियम डेराइवड रिलोक्सिंग फेक्टर ------
यह नाइट्रिक ऑक्साइड पैदा करता है ,जो की ह्रदय की धमनी को फैलाता है |

दूसरा एन्डोथिलियम डेराइवड कान्ट्रेकटिंग फेक्टर का रिसाव पैदा होता है |
यह एन्डोथिलियम 1,2,3 व एन्जियोटेनीसन -II पैदा करते है जो कि ह्रदय की धमनी को सिकोड़ता है |
एन्डोथिलियम के ये सामान्य कार्य उच्च रक्त चाप ,मधुमेह
खून में अत्यधिक चर्बी का होना
एवं धुम्रपान की उपस्थति में सुचारू रूप से नहीं हो सकते है तथा
नाइट्रिक ऑक्साइड कम मात्रा में एवं एन्डोथिलियम -II व एन्जियोटेनीसन-II प्रचुर मात्रा में पैदा करती है जिससे की ह्रदय की धमनी बन्द हो जाती है
तथा ह्रदय घात की स्थिति पैदा हो जाती है |
एन्डोथिलियम की अनियमितता को छोटे उम्र में ही रोका जाना चाहिए
क्यूंकि खून कि नालियों में चर्वी जमाव छोटी उम्र में ही आरम्भ हो जाता है |
जिससे कि अत्यधिक महँगी व जोखिम पूर्ण एन्जियोप्लास्टी एवं बाइपास सर्जरी के मरीजों की संख्या घटाई जा सके |



ह्रदय की मांसपेशियों को कम रक्त पहुँचने या बिलकुल भी रक्त न पहुँचने की वजह से दिल का दौरा पड़ता है |
आमतौर पर दिल के दर्द में , छाती में बेचैनी ,पसीने का होना |
बिना दर्द के भी दिल का दौरा पड़ सकता है |
या फिर ब्यक्ति को हलकी सी थकावट ,छाती में जलन एवं पेट में बेचैनी महसूस हो सकती है |

दिल का दर्द कभी एक स्थान पर सिमित नहीं होता |
यदि कोई दर्द को सिर्फ छाती पर दर्शाए ,तो उसे दिल का दर्द नहीं हो सकता |
दर्द आता और जाता रहे ,तो भी ये दिल का दर्द नहीं हो सकता है
ह्रदय के दौरे के वजह से होने वाला दर्द आमतौर पर 20 मिनट से भी ज्यादा समय तक रहता है |
ऐसा अक्सर सुबह-सुबह ही देखा जाता है |



ह्रदय का दौरा एवं अचानक मौत दोनों ही जल्द सुबह 2 घंटे एवं ठंढे मौसम में ज्यादा होती है |
इसलिए छाती का दर्द जो सुबह -सुबह हो,उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए |
सुबह के 2 घंटे में रक्तचाप भी बढ़ा हुआ रहता है |
इसमें सिर्फ ह्रदय के दौरे का ही नहीं ,बल्कि लकवे
एवं दिमाग की नस फटने (ब्रेन हम्रेज ) का ख़तरा भी काफी अधिक रहता है |


अक्सर ह्रदय के धड़कन रुकने के पीछे कोई कारण जरूर होता है |
कुछ लोग थकावट वाला शारीरिक श्रम जैसे की ज्यादा खाने के बाद डांस करना
कार को धक्का लगाना,बलपूर्वक दरवाजा बंद करना इत्यादि हो सकते है |


कई बार भावनात्मक कारण भी हार्ट अटैक का कारण होता है |
सिगरेट पीने वाले ब्यक्ति भी दिल का दौरा पड़ने पर अचानक मौत का शिकार हो जाते है
ऐसा अक्सर जवान ब्यक्तियों में ज्यादा देखने को मिलता है |
ह्रदय का दौरे को रोकने का तरिका है ------------बचाव एवं नियमित जांच ( मधुमेह, कोलेस्ट्रोल इत्यादि )
एलो वेरा जेल के साथ में अगर प्रभावित ब्यक्ति आर्टिक - सी का सेवन करता है
तो निश्चय ही ह्रदय से सम्बन्धित किसी भी प्रकार के समस्या से बचा जा सकता है |



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ताऊ .इन

Feb 25, 2010

ग्वार पाठा (एलो वेरा जेल )से रखें तनाव पर नियंत्रण |


हजारों साल पहले मानव जाती पहाड़ के कंदराओं में रहा करते थे |
अपने आहार के लिए वे लोग जंगली जानवर के शिकार पर ज्यादा निर्भर रहा करते थे |
उनका जीवन ज्यादा कठिन और संघर्षपूर्ण था |
इतिहास पुरुष कहे जाने वाले वो लोग दिनचर्या के
आहार और कार्य कलाप के लिए निरंतर प्रयासरत रहा करते थे |
दरअसल भविष्य का कोई अविष्कार नहीं होता ,
वो तो जो आप प्रतिदिन कार्य अच्छे या बुरे करते है उससे भविष्य का निर्माण होता है |

दूसरी बात ,तनाव का मुख्य कारण उस समय यह था
की शिकार के बक्त खुद भी जानबरों का शिकार ना हो जाए |

हिमयुग के मनुष्य की दिनचर्या के अनुसार ऐसा लगता है कि वे लोग बड़े मस्त और मनमौजी थे |
उनका जीवन दिलचस्प था |
हो सकता है ऐसा भी हो लेकिन एक विकार से वे भी पीड़ित थे ,जिसका नाम है,तनाव |


माना जाता है कि तनाव का इतिहास मानव जीवन के इतिहास से जुडा हुआ है |
भले ही कारण बदलते रहे हों लेकिन तनाव जैसा तेजी से फैलता-फूलता विकार और कोई नहीं है |
जहां पहले कुछेक कारण से यह होता था, वहीँ आज अनेकानेक कारण है |
वर्तमान का हर मनुष्य तनावग्रस्त जीवन जी रहा है |

आज के आधुनिक युग में भी लोग भिन्न -भिन्न प्रकार के समस्याओं के वजह से लोग तनावग्रस्त है |
चाह कर भी लोग पूरी तरह से मुक्ति नहीं पा सकता |
मसलन महानगर जैसे शहर में आज ज्यादातर लोग अकेला परिवार में रहता है |


कुछ साल पहले तक लोग ज्यादातर संयुक्त परिवार में रहा करते थे
जिसके कारण थोड़ी बहूत तनाव कम हुआ करता था |
अगर कुछ परेशानीयां आती ,तो लोग मिल बांटकर उसको निबटा लेते |


कमरतोड़ महगाई और उपरी आडम्बर इतना ज्यादा है
की दो वक़्त की रोटी के लिए दोनों मियां बीबी को काम करने के बाबजूद
उनका निर्वाह बड़ी मुश्किल से हो पाता है |


किसीको नौकरी नहीं है तो वो इसके लिए तनाव में है
तो कोई नौकरी करते हुए अपने कार्य क्षेत्र में बढ़ता दबाब से तनावग्रस्त है |
किसीके के पास पैसा नहीं है इसीलिए ,तो कोई ज्यादा पैसे के वजह से तनावग्रस्त है |
किसीको बच्चे नहीं है इसिलए ,तो कोई अपने बच्चे के वजह से तनावग्रस्त है |
कोई अपनी या अपने परिजन की सेहत को लेकर तनावग्रस्त है
तो कोई ब्यापारिक मसलों पर |
कोई जीवनजापन के लिए तो कोई अपनी महत्वाकांक्षाओं की तुष्टि के लिए
है सभी तनावग्रस्त |
मसलन आज के समय में लोग किसी न किसी वजह से जरूर तनावग्रस्त देखे जा रहे है |


अब आपको तनाव तथा उनके द्वारा होने वाला दुस्प्रभाव को दूर करने के लिए
जिसके कारण अल्सर,अस्थमा,अनियमित धड़कन,ह्रदय का जोरों से धडकना
उच्च रक्तचाप ,कब्ज़,दस्त,चिडचिडापन और हाथ पैरों का ठंढा होना जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है |

फॉरएवर लिविंग प्रोडक्ट का विश्वस्तरीय शुद्ध एलो वेरा जेल और साथ में कुछ पौष्टिक पूरक लेकर इस तरह के तनाव और उनके कुप्रभावों से अपने आपको सुरक्षित रख सकते है |

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ताऊ .इन

माँ का आचल-1


दिहाड़ी मजदूरी करने वाली एक औरत ,एक माँ की ये लघु कहानी है |
आजकल के समाज में अक्सर देखा गया है कुछ निठल्ले ब्यक्ति होते है |
जो काम के नाम पर घर में बैठ कर ताश खेलना ,बेकार के काम लगा रहना |
सबसे अहम् बात यह भी है की अगर आप उनसे कोई काम की बात करें ,
तो वो इतना ब्यस्त होते है की समय बिलकुल नहीं होता
ऐसे बिना काम के ब्यस्त रहने वाले लोगों के पास |
और ऐसे लोगों से दुनिया भरी पड़ी है |

कुछ ऐसा ही घटना जो मेरे मानस पटल पर चित्रित हो रहा है ,आज आपके समक्ष रख रहा हूँ |
दिन भर कमरतोड़ मेहनत करने के बाद घर में घुसते ही
निठल्ले बैठे उनके पति कहते है ---अरे सुनो आज दिहाड़ी तो मिल ही गया होगा,
चल जल्दी से बीस रुपैये का नोट निकाल , इंतज़ार में मैं कब से बैठा पडा हूँ
मालूम है न कई दिन हो गए कंठ सुख रहा है |
अध्धा या पौआ कुछ तो ले आऊं, बेचैन हो रहा हूँ |


पत्नी के कान में जैसे ही ये आवाज आई, वो बुदबुदाने लगी और बोली ---
निठल्ला खुद तो दिन भर कुछ करता नहीं है और आ गया मांगने |
और फिर बोल पड़ी-------- नहीं है मेरे पास रुपैये तुम्हे देने के लिए |
इतना सुनते ही पतिदेव का पौरुष शक्ति जाग पड़ी और फिर से जोर से चिल्लाकर बोला--------
अरे सुनाई नहीं दिया तुम्हे ----जल्दी निकाल वर्ना ??
पत्नी फिर से बोल पड़ी--------बोली न नहीं है मेरे पास |


इसके बाद वो गुस्सा से आगबबुला होकर वो सामने आकर बोला-------------
देख चुपचाप रुपैये निकाल ----वरना घुस्सा मरकर अधमरा कर डालूँगा -----
दिमाग मत ख़राब कर मेरा-------अब जल्दी निकाल------|
चल बीस नहीं तो दस ही निकाल |इतने में ही काम चला लूंगा |
पत्नी बोली-------- नहीं है मेरे पास दस रुपैये |
इतना सुनते ही घुस्से और लात अपनी पत्नी पर बरसाने लगा
और रात भर वो मर्दांगी अपने दिन भर की मेहनत करके आई पत्नी पर दिखाता रहा |


सुबह हुई उनके घर में एक छोटा सा बच्चा
जो डरा सहमा हुआ माँ की गोद में आया और बोला-----------
माँ---माँ -- आज फिर मेरी स्कुल में पिटाई होगी
क्यूंकि किताब के लिए रुपैये नहीं होगा देने के लिए |
कल ही मैडम ने रुपैये लेकर आने के लिए बोला -------नहीं तो पिटाई की बात कही है |

माँ ने बेटा को बड़े प्यार से अश्रु आँख में लिए-------
और खुश होकर बोली------ बेटा तुम्हारी स्कुल में मार न खानी पड़े
इसलिए तो मैं सारी रात तेरे बात से मार खाती रही |

फिर ब्लाउज से बीस रुपैये निकालकर ----- अपने बेटे को दिए |
बच्चे ने अपनी माँ की ओर देखा और गले लगा लिया |
ऐसे होते है भारत जैसे विशाल देश की विशाल ह्रदय वाली माँ |

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ताऊ .इन

Feb 23, 2010

जोड़ों के दर्द ( Arthritis )से पायें सदा के लिए आजादी |


आथ्राईटीस ( Arthritis )
आज के घटते पौष्टिक आहार और बढ़ते डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ का सेवन से हमारे जीवन में एक भयंकर कष्टदायक रोग बनकर उभरता हुआ एक नाम है |


आज कल तो यह एक आम बिमारी है जो शरीर के जोड़ों को प्रभावित करती है |
पहले तो यह बिमारी 55 से 60 साल के बिच में हुआ करता था ,
पर आजकल सामान्यतः 40 से 45 साल के उम्र में ही जोड़ों के दर्द होने लगती है |


इनके मुख्य कारण है शरीर में एसिड का मात्रा बढ़ जाना | दुसरे शब्द में अगर हम कहें तो आथ्राईटीस का मतलब है जोड़ों में सुजन | ये दो तरह के होते है -- ऑस्टियो आथ्राईटीस ( Osteo Arthritis ) और रयूमेटाइड आथ्राईटीस (Rheumatoid Arthritis )|


शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना ही इनका प्रमुख कारण होता है |
शरीर में इसके बढ़ने में सालों साल लग जाते है |


जबतक अल्कलीज खान -पान शरीर में यूरिक एसिड को प्रभावी होने नहीं देते है तबतक तो कोई बात नहीं ,
पर किसी कारणबश शरीर में यूरिक एसिड अतिरिक्त बनने लगते है तो अंत में यह जोड़ों के बिच में जाकर हड्डियों या पेशियों पर इकठ्ठा होना शुरू जो जता है ,तो मस्क्युलर आथ्राईटीस के रूप में जाना जाता है |


आथ्राईटीस और रयूमेटीज्म ये दोनों ही अपने आप में बहूत ही तकलीफदेह और कष्टदायक बिमारी है |
इनमे मरीज की हालात इतना पीड़ादायक हो सकती है की वो चलने फिरने में भी असमर्थ हो सकता है |

अक्सरहाँ इससे प्रभावित ब्यक्ति को शरीर के हरेक जोड़ों में दर्द महसूर होता है |
कलाइयाँ,अंगुलियाँ,पैरों और टखनों के जोड़ , कूल्हों एवं कंधों के जोड़ इत्यादि सभी आथ्राईटीस के वजह से होता है | महिलाओं में यह पुरुषों के अपेक्षा तीन गुना ज्यादा देखा गया है |
कुछ परिवार में यह अनुवांशिक रूप में मिलता है |

जोड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए हमारे पास है विश्व स्तरीय स्टेबलाईज्द एलो वेरा जेल और साथ में है कुछ पौष्टिक पूरक तत्व है :- अगर कोई ब्यक्ति हमारे इस उत्पाद को इमानदारी और आत्मविश्वास के साथ 6 महीना तक प्रयोग में लाता है तो निश्चित तौर पर आथ्राईटीस से सदा सदा के लिए मुक्ति मिल सकता है |


उत्पाद निम्नलिखित है ( Arthritis ) के लिए :-
1. Aloe Vera Gel :- उद्दीपन रोधी , दर्द में राहत , पीड़ा नाशक , आंत की समस्याओं के लिए |
2. Forever Freedom :- कार्टिलेज का पुनर्निर्माण ,साइनोवायल द्रव का पुनरुत्पादन ,दर्द से राहत
3. Artic Sea - कोशिका झिल्ली को बरकरार रखना ,आवश्यक फैटी एसिदों की आपूर्ति, चर्बी को कम करना |
4. Garlic Thyme :- पाचक ,निरोधी प्रणाली में सुधार ,एंटीबायोटिक , खून को पतला करना |


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ताऊ .इन

Feb 13, 2010

स्वाइन फ्लू से बचें Immune System को बढ़ाकर

विगत कुछ समय से हम सब प्रतिदिन समाचार पत्र और टेलीविजन की सुर्ख़ियों में जगह बना रही |
स्वाइन फ्लू के बढ़ते आतंक की गाथा पढ़ते आ रहे है |
स्वाइन फ्लू आज के समय पुरे संसार में ये अपना जाल फैलाया हुआ है |
सुरुआत अमेरिका से हुई और जबतक वहां के तंत्र इस महामारी के बारे में कुछ जानकारी हासिल कर पाती |


तबतक बहूत सारे ब्यक्ति को वो अपना निवाला बना चूका था |
इस कहर से मरने वालों के संख्या उम्मीद से ज्यादा पहुँच चुकी है |
इसके बाद सारा यूरोप इस बिमारी के प्रकोप से त्राहि -त्राहि कर उठा |
कोई भी देश अछूता नहीं रहा |


प्रत्येक देशों की चिंता सिर्फ यही थी की प्रभावित देशों से जो लोग उनके देश में आयेंगे तो साथ में एन्फ़्लुएन्ज़ा भी लेकर आयेंगे |
जिससे हम भी मुश्किल में पड़ जायेंगे |
यहाँ पर भी कोई शंका नहीं है चुकी हम देशवासी भी आतंक की आशंका से चिंतित हो उठे थे |
हमारा देश भारत भी इस महामारी के चपेट से नहीं बच सका
और न जाने कितने लोग इस फ्लू नामक बीमारी के कारण मर गए
और आगे का पता नहीं| ये बिमारी है ही इतना भयाबह की अगर सही समय पर इसका सही इलाज नहीं किया गया
तो वो जानलेबा भी साबित हो सकती है, इसलिए ये फ्लू वायरस ने सबकी नींद उड़ा दी है |


यह एक श्वसन तंत्र के द्वारा जुड़ी हुई एक बिमारी है जो इन्फ्लुएंजा वायरस ए टाइप से होती है |
यह वायरस (H1-N1) नाम से जाना जाता है |
इसे एक प्रकार से मौसमी बिमारी भी कहा जा सकता है |
अक्सरहां ये रोग वर्षा और शरद ऋतू में होता है --- दस्त,जुकाम,सर्दी,बुखार ,खांसी इत्यादि प्रायः अपनी सर उठाने लगती है |


कभी तो अचानक जोरदार वारिस हो जाती है , तो कभी अचानक धुप खिल जाती है |
इस तरह से जमीन में गर्मी तथा वातावरण में नमी आदि के वजह से मौसमी बीमारियाँ उभरने लगती है|
इसके अलावा कारखानों के द्वारा छोड़ा गया रासायन
.वातावरण में उगलती हुई जहरीली व प्रदूषित धुंआ आदि कारणों से सम्पूर्ण विश्व का मौसमी वातावरण बदल गया है ,
फिर इस वातावरण में वायरस का प्रसार होना स्वाभाविक है |

दुसरी ओर बढ़ते तनाव , जनसँख्या और मिलावटी खाद्यपदार्थ हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रतिकूल असर डालता है |
आधुनिक परिवेश में पाश्चात्य जीवन शैली और अनियमित व स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही
से हमारे आमाशय के पक्वाशय की क्रियाएं बिगड़ी हुई है |

इन्ही सब वजहों से 60 प्रतिशत लोग कब्ज़ और पेट के कई समस्यां से जूझते रहते है |
जिसके कारण न जाने कौन - कौन सी नई - नई बीमारियों,वायरस के उत्पन्न होती है |
पर अब मनुष्य इस तरह के वायरस से लड़ने में सक्षम नहीं रहा , चुकी इम्यून सिस्टम आज के दौर में स्वस्थ नहीं है |
और इन्ही नई बिमारी के देन है स्वाइन फ्लू |


सबसे पहले फ्लू ,फिर बर्ड फ्लू और अब स्वाइन फ्लू आगे ना जाने और कौन सा फ्लू जन्म लेगा |
इन सब विकारों से बचने का एक मात्र उपाय है ,की आयुर्वेदोक्त जीवनचर्या का पालन किया जाये |
यह ना केवल जीवनस्तर सुधारने के लिए प्रेरित करता है बल्कि शारीर को कैसे स्वस्थ रखें ऐसा उपचार भी सुझाता है ?


औषधियों का महाराजा और मानव जाती के लिए संजीवनी कहे जाने वाला एलो वेरा जेल और साथ में आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने वाला बी -प्रोपोलिस

अगर कोई ब्यक्ति तीन से चार महीना तक सेवन करें तो वो वायरस चाहे कुछ हो,
कितना भी भयाबह हो आपके शारीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी मजबूत होगी
की स्वाइन फ्लू जैसे जानलेबा वायरस भी आपके शारीर में घुसपैठ नहीं कर सकता |
इसलिए हमें आज के भाग दौर , तनाव और प्रदूषित माहौल में अगर शारीर को स्वास्थ्य रखना है
तो कुछ विशिस्ट तरह का जेल और पौष्टिक पूरक अवश्य लेना चाहिए ताकि आने वाला समस्या को हम आसानी से चुनौती दे सकें |



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ताऊ .इन

Feb 12, 2010

फील्ड्स ऑफ़ ग्रीन ( FIELDS OF GREEN ) धरती का वरदान


जैसा की नाम है फील्ड्स ऑफ़ ग्रीन : - इस उत्पाद में अलग अलग प्रकार के हरी घास को प्राकृतिक तरीके से मिलाकर गोली तैयार की है |
वो घास है जिसका नाम है --जौ की घास ,अल्फ़ा-अल्फ़ा , गेहूं के ज्वारे ,क्लोरोफिल और केन पेपर |


यह उत्पाद पौष्टिकता से भरपूर है ,यह हमारे शरीर में फलों और सब्जियों की कमी को पूरा करता है |
W.H.O. का कहना है की हमारे खाने में 5% से 7% फल और सब्जियां अवश्य होनी चाहिए |

जौ की घास :- इसमें कई एंटी-ओक्सिडेंट होता है जैसे सेलेनियम के अलाबा विटा करोटीइन |
इससे शारीर में स्टेमिना बढ़ जाता है | सेक्स सम्बंधित परेशानी में यह ऊर्जा का काम करता है |
यह शारीर के अन्दर स्पष्ट सोंच में सुधार लाता है | लत लगी हुई कोई भी चीज को त्यागने में यह उत्पाद काफी मदद करता है |


अपने दिनचर्या के खान पान में अगर इसे उपयोग करते है तो त्वचा सम्बंधित रोग से या रंग में भी सुधार होता है ,बढती उम्र से जो त्वचा में शुष्कता होती है वो ठीक होती है |
इनमे कई एंजाइम ,कलोरोफिल और बायोफ्लेवोनयोइड होता है |
उददीपन्न विरोधी तत्वों से गेहूं के ज्वारे समृद्ध होने के साथ साथ इसमें अनुकूल क्षमता है |
ये ड्योडओनम और पैंक्रिया की दशाओं के इलाज़ में बहूत ही फायदेमंद है |-

--- कुदरती तौर पर मिला गेहूं के ज्वारे का रस धरती के प्राणी के लिए एक अनमोल पुरस्कार है |
इसके रस में रोगोन्मुलन की अद्भुत शक्ति विद्यमान है |
वैज्ञानिकों ने शोध के बाद पता लगाया की शारीर को निरोग रखने में यह अत्यंत लाभदायक सिद्ध हुआ है |
इसलिए इसे " हरा रक्त " ( Green Blood ) की उपमा दी है |

शारीर के लिए यह प्राकृतिक शक्तिशाली औषधि है |
कार्बोहाइड्रेट,सभी विटामिन,क्षार एवं श्रेष्ठ प्रोटीन युक्त ज्वारे के रस के सेवन से विभिन्न प्रकार के रोगों से इतीश्री कर सकते है |
जो इस उत्पाद को श्रेष्ठ श्रेणी में रखा जाता है |

इसके विधिवत प्रोयोग से कुछ ही समय में आश्चर्यनक परिणाम प्राप्त हुए है |
इसके उपयोग से मूत्राशय की पथरी,ह्रदय रोग,मधुमेह,दांतों के रोग,लकवा,दमा,गठिया,बालो का झड़ना, कब्ज़ मिटती है,शक्ति बल में वृद्धि होती है और थकान नहीं होती है |
हर आयु वर्ग के लोगों को निरोगिता प्रदान करने में सक्षम है

|
यह हिमोग्लोबिन की मात्रा में वृद्धि कर एनीमिया से छुटकारा दिलाने में रामवाण औषधि है जबकि ह्रदय रोग में यह रक्त वसा ( कोलेस्ट्रोल ) की मात्रा कम कर उच्च रक्तचाप नियंत्रित करता है |
यह बच्चों में कृमिज रोग को ठीक करता है|

अल्फ़ा-अल्फ़ा :----- कैल्सियम ,मैगनेशियम,फोस्फोरस,लौह,पोटाशियम,खनिजों का समृद्ध स्त्रोत है |
खासकर प्रोटीन का सर्बोतम स्त्रोतों में से एक है और इसमें क्लोरोफिल,केरोटिन,विटामिन ए ,डी,इ,बी-६ के तथा कई पाचक एंजाइम खासी मात्रा में मिलते है |

गठिया,गाउट और रायूमेटीजम के जड़ी-बूटी संबंधी पारंपरिक इलाज़ में अल्फ़ा-अल्फ़ा को सर्वोत्तम माना जाता है |
भूख और ताकत बढाने,पाचन सुधरने,अनिद्रा दूर करने और तंत्रिका प्रणाली को राहत पहुंचाने में अल्फ़ा- अल्फ़ा का उपयोग किया जाता है |
इंसुलिन की गतिविधि में सुधार लाकर,अल्फ़ा-अल्फ़ा मधुमेह के रोगीओं की मदद करता है |
वह बबासीर,शारीर की दुर्गन्ध और दमा के इलाज में कारगर साबित होता है |


क्लोरोफिल :- यह पौधे का रक्त होता है और वह मानव - रक्त के समान होता है |
यह खून को साफ करके उसकी गुणवता सुधार देता है |
बैज्ञानिक ने सिद्ध कर दिया है की कलोरोफिल बेकार बैक्टेरिया के विकास को कम करता है |
यह रक्तप्रवाह को पुनर्निर्माण करता है ,और शारीर कइ अन्दर जमा हो गए विषैले तत्वों को बेकार बनाकर जिगर का शुध्धिकरण करता है |
यह रक्त शर्करा सम्बंधित समस्याओं का भी समाधान कर दशा में सुधार लाता है |

केन पेपर :----इसमें विटामिन,खनिज और गैर पौष्टिक क्रियात्मक यौगिक है |
शारीर के अन्दर की वाकायदा सफाई करते है |
केन पेपर उदर में हो गए अल्सरों से बहने वाले खून को कम करने या रोकने की सामर्थ्य रखता है |
सर्दी-जुकाम , प्रभावित डायरिया तथा रयुमेतिज्म में फायदा पहुंचाता है |

अंततः यह शरीर से कोलेस्ट्रोल को कम करता है और एक सम्पूर्ण आहार के साथ शरीर को ताकत देता है |अगर कोई ब्यक्ति इसे एलो वेरा गेल के साथ में पौष्टिक पूरक के तौर पर अपने दिनचर्या के आहार में शामिल करता है तो उम्र भर कोई भी असाध्य रोग उन्हें छू नहीं सकता |


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ताऊ .इन

Feb 11, 2010

सेहत का दुश्मन है गुटका पान मसाला |



आज के युवा सोसाइटी चाहे लड़कियों का हो या लड़कों की , सभी प्रकार के गुटका पाउच अपने पास रखने में गर्व महसूस करते है |
हर 15 से 20 मिनट में उस पाउच से मासाला निकालता और उसे ले लेते है |
दिन में आठ-दस-बारह पाउच गटक जाने वाले आज के युवा वर्ग को तन मन और धन से निर्जीव / खोखला बना रही है पर वो अपने आपको उस पाउच के साथ मॉडर्न, स्मार्ट के साथ ज्यदा समझदार भी समझते है |


असल में आज के दौर में क्या बच्चे क्या युवा सब इस तरह के ब्यसन की आदि हो गई है वो चाहते है उनके मुंह से गुटका पानमसाला या चुटकी की खुबसूरत मीठी महक आती रहे |

निरंतर पान मसाला ,तम्बाकू ,गुटका का सेवन करने वालों की म्युकिस ग्रंथियों में संकोचन / सिकुडन आ जाती है ,
जिससे कोई भी कड़ी बस्तुएं खाने या चबाने में दर्द होता है |
दरअसल पानमसाला में कई प्रकार के मादक पदार्थ मिलाया जाता है |
गुटका में मेंथोल ( Menthol )पाए जाते है जो मुंह के केंसर के लिए पर्याप्त काम करता है |

मुख्त्यः इसका प्रार्थमिक लक्षणों से मुंह में असमान्य धब्बे पड़ना है,चाहे वो जीभ पर हों या अंदर मुंह के इर्द-गिर्द देखी जा सकती है |
मुंह में रहा गुटका,चुटकी,पानमसाला--गला ,भोजन की नली ,पाचन संस्थान में पहुंचकर पतली तह के रूप में जम जाती है और धीरे-धीरे सुजन का रूप लेने लगता है इसकी तह अन्दुरुनी नर्म त्वचा पर जम जाती है , जो आसानी से साफ़ नहीं होती,आँतों में भी जम जाती है |

अगर लम्बे समय तक यह स्थिति कायम रही तो यह Cancer ( केंसर ) का रूप ले लेता है |
लोग ऐसा करने से पहले ये नहीं सोचते कि लाइलाज रोग को अपने शारीर के अंदर घर कर रहें है |
गुटकों का जहर पूरी तरह से शारीर में फ़ैल जाता है | शारीर में निकोटिन कि मात्रा टेनिन जे साथ बढती जाती है |
केंसर चाहें मुंह का बने या गले का या पाचन प्रणाली का, बात एक ही है परिणाम है लाइलाज रोग से मौत |


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ताऊ .इन

Feb 9, 2010

ग्वार पाठा / एलो वेरा जेल कुदरत का चमत्कार ( एच आई वी / एड्स प्रभावित के लिए )



शरीर के Immune System ( निरोधक प्रणाली ) पर जो वायरस प्रभावित करता है , उसे हयूमन इम्युनोड़ीफिसीएनसी वायरस यानि की एच आई वी कहते है | यह वायरस निरोधक प्रणाली को धीरे धीरे पंगु बना देता है |

इसके शिकार ब्यक्ति को बुखार, फ्लू, डायरिया जैसी बीमारीयों पर काबू पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है , जबकि सामान्य ब्यक्ति की निरोधक प्रणाली इनसे आसानी से निपट लेता है | एच आई वी को एड्स ( एक्वायर्ड इम्यून डिफिसिएंसी सिंड्रोम ) में विकसित होने में 5 से 15 वर्ष लगते है |

यह वायरस शरीर में सबसे पहले टी- कोशिका नामक सफ़ेद रक्त पर हमला करता है | ये कोशिकाएं दूषित होने में शरीर की रक्षा करती है | वायरस जब किसी एक टी-कोशिका का काबू कर लेता तो, वह कोशिका मर जाती है ,और अपने जैसे करोड़ों-अरबों वायरस रक्तधारा के अन्दर छोड़ देता है | ये नए वायरस अन्य टी-कोशिका को संपर्क बनाता है इस तरह से कोशिका की तादाद बुरी तरह से प्रभावित होता है और निरोधक प्रणाली एकदम कमजोर पड़ जाती है|


लगभग 90% मामले में ( Heterosexuality ) पार्टनर बदल बदल कर सेक्स करना एड्स फैलाने में बहूत बड़े जिम्मेदार होता है | यह मां से शिशु में,गर्भ में या मां का दूध पीने से भी संक्रमित होता है | मादक पदार्थों का सेवन करने वालों को लगाईं गई सुई से या अस्पतालों के प्रभावित औजारों से भी एच आई वी फैलाता है | दूसरी संभाबनाएं है प्रभावित रक्त देना या अंग प्रत्यारोपण |

एच आई वी शरीर का जिन पदार्थों से फीता है वे है - रक्त,वीर्य,योनी का रिसाव और मां का दूध | अगर मुंह या मसूढ़ों में छाले,खराश है या जननेन्द्रियों में खुले जख्म वगैरह है तो मौखिक सेक्स से भी प्रभावित हो सकता है |

वैसे एच आई वी पोजिटिव माताओं को चाहिए कि शिशु को अपना दूध न देकर बोतल का दूध पिलाएं |एच आई वी वायरस आसानी से संक्रमित नहीं होता क्यूंकि जिस्म से बाहर आते ही यह तुरंत मर जाता है | प्रभावित ब्यक्ति के साथ उठने बैठने से या स्पर्श ,हाथ मिलाने,छींक आदि से भी इसके संक्रमक का जोखिम नहीं है | एच आई वी आंसू या थूक ,कफ-खांसी,एक ही ग्लास या कप के इस्तेमाल या हवा-पानी के जरिए भी नहीं फैलाता |


कुछ समय बाद शरीर इस वायरस के प्रतिरोध में प्रतिराक्षियाँ ( Antibodies ) बनाना शुरू कर देता है | जब खून जाँच में ये प्रतिरक्षी पाए जाते है तो उन्हें एच आई वी पोजिटिव माना जाता है | इससे प्रभावित ब्यक्ति का धीरे-धीरे वजन में गिरावट,डायरिया ( दस्त ) न्युमोनिया,बुखार ,त्वचा-कैंसर आदि होने लगते है | एड्स के ज्यादातर मरीजों का अंत इन प्रभावित बीमारियों से होता है न कि वायरस की वजह से |

एच आई वी / एड्स में रोगी को पोषक पूरक के माध्यम से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर ,इस रोग से लड़ने में काफी सहायक भूमिका निभा सकते है | जैसा की हमने कई बार बता चुके है कि हमारे विश्व स्तरीय एलो वेरा जेल और साथ में लाइसियम प्लस पूरकों में सफ़ेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को प्रोत्साहन करने की योग्यता है | एलो वेरा जेल पौष्टिक है,आत्मसात्करण को सुधारता है और कोशिकाओं को नवजीवन प्रदान करने की क्षमता है |

एच आई वी वायरस की वृद्धि और उसे कोशिकाओं के साथ जुड़ने से रोकने में कुछ फल ज्यादा कारगर साबित हुआ है जैसे अनार,मैन्गोस्टइन ,स्ट्राबेरी ,ब्लूबेरी ,ब्लेकबेरी आदि | और ये सब गुण से संपन्न है हमारा उत्पाद जिसका नाम है पोमेसटीइन पावर जो जबरदस्त एंटी-ओक्सिडेंट होने के कारण फ्री रेडिकल से नुक्सान को काफी हद तक कम कर सकते है ,जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रोत्साहन मिलता है जिसके फलस्वरूप रोगी के सामान्य स्वास्थय में सुधार आने लगता है |

कंडोम का इस्तेमाल और साथ में दोनों पार्टनरों की जननेन्द्रियों में एलो जेली लगा लेने से संक्रमण को कम किए जा सकते है |
रोगीओं को अपने आवश्यक पोषाहार के लिए पूरकों का इस्तेमाल करना हितकर होगा | उर्जाकारी पूरक के लिए बी-पोलेन और न्यूट्रीसन सेक लिया जा सकता है चुकी प्रभावित ब्यक्ति कई बीमारियों और हताशा के कारण ठीक से खाना नहीं खाते |

एच आई वी वायरस / एड्स के इलाज़ के लिए अब तक कोई दवाई नहीं ढूंढा जा सका है | ऐसा माना जाता है कि अगर वायरस कि तीव्र गति पर अंकुश लगाया जा सके तो एड्स में परिवर्तन होने के समय को बढाया जा सकता है | पोषक पूरक जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने और रोगी को जीवन काल बढाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है |

ये आंकडा अपने आप में भयावह है की प्रत्येक 24 घंटे में 8,000 लोग इस हत्यारी एच आई वी / एड्स के वजह से मर रहे है | वैसे इस असाध्य ,हत्यारी बीमारी का इलाज़ ढूंढने के लिए आजकल ब्यापक शोधकार्य चल रहा है |

इसिलए रोगी अगर प्राकृतिक पोषक आहार लेकर थोड़े लम्बे अरसे तक जीवन जी सके और इसी बीच कोई सकारात्मक नतीजे आ जाएँ , तो इसका फायदा उन्हें मिल सकेगा |पर आपको इस रोग से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए | और साथ में कुछ विश्व स्तरीय उत्पाद है जो प्रभावित ब्यक्ति को इस्तेमाल करना चाहिए :-
1. Aloevera Gel - :- निरोधक क्षमता को बढाने के लिए,कोशिकाओं को नवजीवन,
2. Pomestin Power :- जबरदस्त एंटी- ओक्सिडेंट ,एच आई वी कोशिकाओं के वृद्धि में कमी करना |
3. Lycium Plus :- शक्तिशाली एंटी-ओक्सिडेंट ,सफ़ेद रक्त कोशिकाओं में वृद्धि
4. Bee Pollen :- उर्जाकारक, विटामिनो तथा प्रोटीन से भरपूर |
5. Royal Gelly :- विटामिन -बी और बी-12 से भरपूर तनाव दबाब में कमी और अच्छे अहसास में वृद्धि , रोग की बढ़ने को धीमी कर सकता है |
6. Artic sea :- निरोधक कार्यकलाप में सुधार,एड्स के वजह से मांसपेशियों में होने वाली पतनशीलता को घटाता है |
7 Nature Min :- जिंक और तम्बा प्रदान करती है ,जो निरोधक प्रणाली तथा वजन बरकरार रखने में मदद करती है | जिंक खासकर न्युमोनिया और फंगल प्रभावों से लड़ने में सहायता करता है ,जिसके शिकार एड्स के रोगी आमतौर से हो जाता है |

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ताऊ .इन

Feb 5, 2010

राजनीती का घिनोना चेहरा |

इन दिनों समाचार पत्र और मिडिया वालों की मसाला समाचार से कुपित होकर मैंने आज अपने लेख को राजनीती के तरफ मोड़ा हूँ | यह मेरी ब्याक्तिगत राय जो मेरे मन में उभर कर आया है जो आपके समक्ष पेश कर रहा हूँ | मैं भाषाबाद और प्रान्तबाद से बढ़कर अपने आपको सर्वप्रथम हिन्दुस्तानी मानता हूँ फिर कोई और राज्य, जिला क़स्बा मोहला |

मर्यादा को तार-तार करती ,मराठा मानुष के हक़ के नाम पर पथभ्रष्ट करती हुई कुछ मुठ्ठी भर राजनेता जो अपने आपको हिन्दुस्तान और संविधान दोनों से उपर समझती है | उनके जहर उगलते भाषा जैसे लगता है मानसिक दिवालिया हो गई है |


जिस तरह से बीते दिनों में उनकी साख महाराष्ट्र और मराठों के बिच गिरी है लगता है बौखला गए है | ओछी राजनीती के साथ वेलगाम जुवान भी उनकी गिरती हुई मानसिकता को दर्शाती है | सरकार और समाज दोनों ही ऐसे राजनीतिज्ञों के लिए जिम्मेदार है |

क्यूँ नहीं कोई ठोस कदम उठाता है की फिर से कोई राजनेता अपनी जहरीली और समाज को तोड़ने जैसे संबाद समाचार पत्र और मीडिया के सामने ना कर सकें | प्रत्येक दिन कोई नई मुद्दा मराठी के नाम पर सड़क और सिनेमा घरों में हंगामा करता है और सरकार मूक दर्शक बनकर तमाशबीन की तरह आनन्द उठाती है |

इलेक्ट्रोनिक मीडिया भी इस तरह के समाचार को परोसने में आग में घी का काम करती है | उनको तो मसाला चाहिए अपनी चैनल की रेटिंग बढाने के लिए | कोई फर्क नहीं पड़ता इन चैनल वालों को ? जहर उगलती समाचार से लोगों की मस्तिस्क पर चाहे कोई भी प्रभाव डाले ? अरे अगर कोई ब्यक्ति चाहे वो जितने मर्जी श्रेष्ठ और प्रभावशाली हो लोगों के बीच में अलगाव वादी बात करता है ,भडकाव बात करता है तो आप गैरजिम्मेदाराना बात लोगों के सामने क्यूँ परोसते है |

मेरे दृष्टकोण में घृणित समाचार को परोसने के लिए ये समाचार चैनल वाले भी बराबर के जिम्मेदार है | उन्हें वहिष्कार करना चाहिए ऐसे असामाजिक और गैरजिम्मेदार बक्तब्य देने वालों को | इससे ज्यादा खुबसूरत तो हमारे समीर लाल जी का उड़नतस्तरी चैनल है जो वाकई सच को उजागर करती है ना की मसाला बनाकर लोगों के मस्तिस्क के साथ खिलवाड़ |

क्या कोई ब्यक्ति संबिधान से भी बड़ा हो सकता है ? सरकार क्यूँ चुप है ? क्या जब तक कोई बहूत बड़ा हंगामा महारास्ट्र के अंदर ना हो जायेगा तब तक उनकी नींद नहीं खुलेगी ? आखिर क्या मजबूरी है वहां की सरकार को ? सब अपनी अपनी राजनीती रोटी सकने के लिए वहां के जनता को असली मुद्दा से ध्यान भटका कर जहरीली राजनीती करके अपने आपको वहाँ के रहनुमा और उनके हिमायती बने रहना चाहते है |

लोकतंत्र का नित्य प्रतिदिन हत्या हो रही है ,जिसे जो पसंद है वह कर रहा है ,सरकार नाम के कोई चीज है ऐसा नहीं लगता |ऐसे क्या कम तकलीफ है अपने इस देश में | रोज कहीं ना कहीं आतंकबाद अपना सर उठाता रहता है | देश को कमजोर करने वाली ताकत अक्सर इस तरह के मुद्दे में देश को उलझाये रखने की कोशिस करता रहता है ताकि वो अपनी गलत मंसूबा को अमलीजामा वखुबी दे सकें |

अभी जिस तरह से हमारे राजनेता आपस में देशद्रोह जैसे शब्द का प्रयोग कर रहे है जो अलगाव वादी ताकत होगी उनकी आत्मा तृप्त हो रहा होगा और वो जश्न में डूबा होगा, उनकी आत्मा से आवाज आ रही होगी --- लगे रहो ,डंटे रहो ,जब तक सबकुछ क्षीण-भिन्न ना हो जाए |

और वो दिन दूर नहीं जब हमारे देश में पकिस्तान और अमेरिका जैसा आतंकबाद विश्व मानचित्र में हमें दिखाएंगे की वो देखो ----------- तुम्हारा महाराष्ट्र , तुम्हारा राजस्थान, तुम्हारा बिहार, बंगाल |
जब घर के लोग ही आतंक की भाषा बोलने लगे तो बाहर वाले से क्या उम्मीद कर सकता कोई ? समय रहते ही अगर ऐसे कमजोर करने वाली ताकत पर अंकुश नहीं लगाया गया तो एक दिन हमारे पास दो दो हिन्दुस्तान होंगे और ना जाने और भी ज्यादा |

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ताऊ .इन

एलोवेरा (फ.ल.पी ) एक संजीवनी है असाध्य रोगों के लिए |



यह घटना कोई डेढ़ साल पहले की है ,मेरे ख्याल से वो जून 2008 का महीना था | कार्यालय के काम से मैं अपने एक मित्र के साथ बाज़ार जा रहे थे | रास्ते में मेरे एक परिचित मिला जो जमशेदपुर से आये हुए थे | उनके साथ मेरी बातचीत होने लगी और जब पता चला तो मैं सन्न रह गया |

कुछ देर की वार्तालाप के उपरान्त उनकी आँखे भर आई | दरअसल वो एक जवान पुत्र के पिता थे जिनका उम्र लगभग 24 साल था | अपने पुत्र के भविष्य को लेकर वो बहूत ज्यादा हताश और निराश थे क्यूंकि उनको मौथ केंसर था | चुकी कुछ समय पहले ही उनका ओपरेसन हुआ था और फिर कई बार रेडिएसन और कीमोथेरेपी भी हो चुका था | वो भी दिल्ली में अपनी पहचान बना चुकी जो अस्पताल है जिनका नाम है बत्रा हॉस्पिटल |

पर हालात में परिवर्तन के वजाय अत्यधिक चिंताजनक और परेशानियाँ अपितु पहले से कहीं बहुत ज्यादा महसूस करने लगे थे | जब मैंने उनकी थडथडात्ती जुवान और आँखों में छलकती हुई आंसू देखा तो मेरी भी आंखे नाम हो गई आखिर हो भी क्यूँ नहीं क्यूंकि वो कार्यरत थे जमशेदपुर ,पर निवाश स्थान उनका था दरभंगा | रिहाइश उनका मेरा ज्यादा दूर नहीं था सो मैंने कहा श्रीमान जी आप चिंता ना करें |

हमारे कम्पनी के पास कुछ ऐसा उत्पाद है जो इस तरह के असाध्य रोग पर अचूक और बहूत तीब्र गति से काम करती है | मैं उनके साथ उनके निवाश स्थान पर गया | मरीज को देखा और मैंने सोचा की इस स्तर पर जिसको केंसर का चौथा स्तर कहते है और जहां इतने बड़े हॉस्पिटल में देख-रेख चल रहा है , भला मैं क्या कर सकूंगा |

चुकी हालात ज्यादा ही चिंताजनक था |मरीज के मुह बिलकुल अबरुद्ध था | पानी पिने में भी वो असहज महसूस करते थे , खाने के नाम से सिर्फ तरल पदार्थ मतलब जूस ही जैसे तैसे उनको चम्मच के द्वारा दिया जाता था | पर मेरे मन में एक दृढ विश्वाश और आंतरिक शक्ति था जो बता रहा था आगे बढ़ो और अपना उत्पाद दो |

मरीज को रेडियो और केमोथेरेपी से बिलकुल शरीर झुरझुर कर दिया था | चेहरा और बाल बिलकुल जला दिया था वो अजीबो गरीब परिस्थिति में था लेकिन एक बात जो महत्वपूर्ण था वह की वो जूस वगैरह पी रहा था |

फिर हमने अपने और भी सदस्य मिलकर इस मरीज के बारे में अध्यन किया फिर अपना उपचार शुरू कर दिया | शुरू के कुछ दिन में कोई खास फर्क नहीं पड़ा पर उम्मीद की किरण मेरे अंदर जाग गई क्युकी उत्पाद से उनके शरीर में कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ा | ठीक एक महीने बाद मरीज के हालात में एक थोड़ी बहूत सुधार नजर आने लगा | मरीज के मुह खुलने लगा और जूस के साथ वो दलिया भी लेने लगा |

यह देखकर ऐसा लगा की हमने आधी जंग जीत गए और देखते ही देखते कोई पाँच महीने बाद वो ब्यक्ति पूरी तरह से तंदुरुस्त हो गए | जब आखिरी बार दिल्ली आया था और AIIMS में जाँच करबाया तो उनके शरीर में इस बिमारी का कोई भी लक्षण नहीं पाया गया जिससे उनके परिवार में खुशियों की लहर छा गई |

जहां तक मेरा प्रश्न है तो मैं शुक्रगुजार हूँ फ.ल.पी के प्रोडक्ट का जिन्होंने मेरे होसले को और भी बुलंदियों पर पहुंचाया | इस तरह से मुझे लगा की मेरी जिन्दगी सार्थक हो गई ,वरना कहाँ ऐसा अवसर मिलता की आप किसी ब्यक्ति के काम आए | अंत में यही कहना चाहूँगा की फ.ल.पी. के उत्पाद एक संजीवनी की तरह काम करती है और ये चमत्कार से कम नहीं है |


उपचार में जो हमने मरीज को दिया था वो निम्नलिखित है :-
1. Aloe Vera Gel
2. Bee Propolis
3. Garlic Thyme
4. Fields Of Green
5. Pomestin Power
6. Lycium Plus
7. Royal Gelly
8. Aloevera gelly cream :- वास्तविक में यह उत्पाद चेहरे में पिम्पल, काला धब्बा ,और फेस सफाई के लिए होता है , पर हम इसे पेट में अल्सर और केंसर के मरीज को खिलाते भी है ताकि पेट के आंतरिक सुजन को जल्द से जल्द ठीक कर सकें | यहाँ के हरेक उत्पाद प्राकृतिक है , किसी भी उत्पाद का कोई दुस्प्रभाव नहीं है , यह एक तरह से साइलेंट हिलर का काम करता है जबकि बाजार का दवाई साइलेंट किलर का | चुकी 40% दवाई आजकल नकली है | इस लिए आप एलो वेरा और अगर फ.ल.पी का हो तो किसी भी प्रकार के रोग से लड़ सकते है |

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ताऊ .इन

Feb 3, 2010

कब्ज ( Constipation ) के लिए रामबाण है एलो वेरा जूस |

आज मैं जिस रोग के बारे में बात कर रहा हूँ ,वर्तमान समय में अधिकतर लोग इस रोग से पीड़ित है और ऐसे रोगी हर घर हर मोहल्ला में ज्यादा देखा जाता है |

सुबह बिस्तर छोड़ने के कुछ समय पशचात प्राकृतिक रूप से या अपने आप मल विसर्जन होना ही चाहिए ,यह मनुष्य का प्राकृतिक क्रिया है | यदि ऐसा नहीं होता तो उसे कब्ज ( Constipation ) नामक रोग कहा जायेगा | और इस रोग के कारण अनेक दुसरे प्रकार के रोग भी उत्पन्न होते है |


कब्ज के कारण जैसा की नाम से ही लगता है शौच खुलकर नहीं आना ,बार बार थोडा थोडा आना ,सिरदर्द होना,अनिद्रा,आलस्य,भूख नहीं लगना ,पेट में भारीपन.गैस बहूत बनना,कमजोरी लगना,काम में मन नहीं लगना एवं उत्साह में कमी ,ऐसे कई प्रकार के लक्षण साबित करता है की ब्यक्ति कब्ज़ से पीड़ित है , और कब्ज अगर ज्यादा दिन तक रहा तो वो ब्यक्ति निश्चित ही बाबासीर से भी पीड़ित हो सकता है | बाबासीर का जन्मदाता है कब्ज़ अगर कब्ज नहीं तो बाबासर भी नहीं हो सकता है |


आजकल के नौजवान इस भ्रम में रहते है की हमें कोई रोग हो ही नहीं सकता पर आरोग्य रहने के लिए आँतों का कार्य अति महत्वपूर्ण है | नशे के आदि लोग जैसे शराब,बीडी,गांजा,भांग,अफीम,चरस,या अधिक चाय या काफी से भी कब्ज बढती है | तेज मिर्च मासाला ,बासी भोजन,सुबह देर तक सोना,रात को देर तक जागना,तली चीजें खाना,सुबह का ब्यायाम नहीं कर पाना अधिक खाना या अल्प आहार लेना भी कब्ज का कारण को जन्म देता है |

आँतों को पर्याप्त पोषक नहीं मिलने से आंत में गर्मी और दुर्बलता आ जाती है | दिन भर के कुढन और प्रसंचित होकर भोजन नहीं कर पाना ,थोडा बहूत खा भी लिया तो वह शरीर को नहीं लगता है तथा कब्ज के शिकार हो जाता है | समय पर शौच नहीं होने से दूषित मल आँतों में फंसा रहता है,जिससे बायु अबरोध, और दूषित बायु तत्व रक्त में मिलकर अनेक बीमारियाँ उत्पन्न करते है | ज्यादा गरिष्ठ भोजन और प्रतिदिन गरिष्ठ भोजन भी कब्ज का कारण बन सकता है |

उपचार साफ़ है जिस कारण से रोग होता है उनका त्याग करना | उपरोक्त सारी बातों को जानने के बाद यह समझ में आता है की अगर दिनचर्या में,खानपान में सुधार इस तरह से करें की सुबह अपने आप शौच हो जाए |


अर्थात ,स्वास्थ्य रहना है या स्वास्थय की रक्षा करना है तो बिस्तर से उठकर सारी चिंताओं को छोड़कर विधिवत शौच करें ताकि मन तथा शरीर दोनों स्वास्थ्य और प्रफुल्लित रहें |

इस रोग को शरीर से मुक्त करने के लिए आप हमारे विश्व प्रसिद्ध एलो वेरा जेल का प्रयोग करें, नित्य सुबह खाली पेट अगर कोई ब्यक्ति बिना कोई गर्म चाय या पानी पिए प्रतिदिन 40 से 50ML सेवन करता है ,रात को भोजन से एक घंटा पहले या एक घंटा बाद फिर आधे घंटे बाद दो गिलास गुनगुना पानी अवश्य पियें | और साथ में हमारे पास कुछ टेबलेट है जैसे की गार्लिक थाइम और फील्ड्स ऑफ़ ग्रीन ,जो सुबह के नाश्ते और रात्री भोजन के बाद लेने से इस तरह के रोग से हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा |

इस बात का जरूर ध्यान रखें की सुरुआत पहले कब्ज से होती है ,फिर गस्ट्रिक, इसके बाद बबासीर ,रक्त चाप,ह्रदय रोग और भी अनेक प्रकार के बीमारियाँ का जन्म देती है | इसलिए अगर आपका पेट स्वस्थ्य है तो आप तन तथा मन दोनों से स्वस्थ्य रहेंगे |

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ताऊ .इन

Feb 1, 2010

औषधियों का महाराजा है एलो वेरा जेल ( जांचा परखा हुआ जेल ही अपनाएं ,नकली से साबधान )



आज एलो वेरा रास्ट्रीय व अंतररास्ट्रीय स्तर पर दुनिया के हर वर्ग ,हर गाँव में अपना पहचान बनाया हुआ है |एलो वेरा युक्त तेल, साबुन,सेम्पू, और सौंदर्य प्रसाधन के बारे में ब्याब्शायिक विज्ञापन रोज दूरदर्शन और समाचार पत्र के माध्यम से करोड़ों लोगों के मस्तिस्क में अपना स्थान बना चुकी है |आज के दौर में सौंदर्य प्रसाधन की कम्पनी के लिए अपने उत्पाद के साथ एलो वेरा युक्त लगाने मात्र से उनके उत्पाद बाजार में जल्दी से लोगों के प्रिय हो जाते है |

लेकिन एलो वेरा युक्त उतपाद में जैसे की त्वचा से सम्बंधित क्रीम,या तेल है तो उनमे एलो वेरा की मात्रा कम से कम 80% होनी चाहिए |परन्तु जितने भी उत्पाद बाज़ार में मिलता है उसके अंदर एलो वेरा की प्रतिशत मात्रा 0.05% के लगभग होता है | इसके कारण जो हमारी त्वचा में एलो वेरा जेल का प्रभाव पड़ना चाहिए वो नहीं हो सकता है |मसलन एलो वेरा जेल इतना कम मात्रा में होता है की वह त्वचा के अंदर जो निचली सतह है वहां तक पहुँच ही नहीं पाता |

अगर एलोवेरा युक्त क्रीम जिसके अंदर कम से कम 80% एलो वेरा जेल है तो वो त्वचा के तीसरी सतह जिसको हाइपो डर्मिस कहा जाता है वहां जाकर वो अपना काम करेगा और उपरी त्वचा जिसे डर्मिस कहा जाता है जो रोज मरता है उसका स्थान निचे की सतह ले लेता है | अगर तीसरी सतह स्वास्थ्य और जवान होगा तो आपके त्वचा हमेशा जवान नजर आयेंगे|

हमारा कोई भी उत्पाद जो त्वचा के लिए बनाया गया है जैसे की एलो वेरा जेली ,एलो प्रोपोलिस क्रीम इत्यादि ,पर आपको जानकार ख़ुशी होगी की हमारे इस क्रीम के अंदर 97% एलोवेरा होता है |

आज जिस विषय को लेकर मैं चर्चा करने वाला हूँ वो है - क्या हमारे देश के सैकड़ों साल पुरानी कम्पनी (जो अपने देश में आयुर्वेदिक के नाम से प्रसिद्ध है ) को एलोवेरा के गुण के बारे में नहीं मालूम होगा ? क्या वो अपने कम्पनी के लिए जड़ी बूटी पर शोध करना बंद कर दिया है ? आखिर क्या बात हो सकती है ?

जिस पौधा को औषधियों का महाराजा कहा जाता है ,यहाँ तक की उनके जेल को मानव जाती के लिए अमृत के सामान माना जाता है | हम आपको नाम बताना चाहेंगे डावर, झंडू,वैद्यनाथ ,हमदर्द इत्यादि और भी कई आयुर्वेदिक कम्पनी है ,पर इनके द्वारा बनाया गया एलोवेरा जेल कहीं भी बाज़ार में नहीं मिलता |

ऐसा नहीं है की वो चाहता ही नहीं की वो बाज़ार में एलोवेरा जेल को लाए,पर जूस को स्थरीकरण कर के ज्यादा दिन तक सुरक्षित रखने का जो सूत्र है वो संभतः नहीं है | ये कोई गन्ने का जूस नहीं की कोई भी ब्यक्ति उसे मशीन से निकालकर बोतल बंद करके ग्राहक तक पहुंचा देगा |

रिलाइंस जैसा कम्पनी पिछले पाँच साल से लगातार इस पर शोध करके करोड़ों बर्बाद कर चुके है पर उन्हें जूस को ज्यादा दिन तक सुरक्षित रखने का विधि नहीं मिल पाया और फिर वो इसके विषय में शोध करना छोड़ दिया | हमारा मतलब सिर्फ और सिर्फ यह है की जब इतने बड़े बड़े कम्पनी ( डावर, झंडू,वैद्यनाथ ,हमदर्द ) इस जूस को अपने ब्रांड नाम जोड़कर अपना नाम ख़राब नहीं करना चाहती,इसलिए वह इस जूस को बाज़ार में नहीं लाया है |

खास बात यह है की एलो पौधों में जो सबसे उत्तम वेराइटी है जिसका बोटानिकल नाम एलो बारबाड़ेंसिस मिल्लर है ,वही एक पौधा है जिसके अन्दर १००% दवाई का और पौषटिक गुण पाया जाता है |ये सबसे पहले प्रदूषित रहित क्षेत्र में खेती होनी चाहिए क्यूंकि वो अपना आहार बातावरण में उपस्थित हवा इत्यादि से लेते है | और वो कम से कम तीन से चार साल में जाकर वो सारे गुण को अपने जेल के अंदर ला पाता है | इसके कटाई के बाद तीन से चार घंटे के अंदर ही उसे जूस निकालने वाली प्लांट तक पहुँच जाना चाहिए वरना वो हवा के साथ ओक्स़ीकरन होकर उसके अंदर के सारे गुण समाप्त हो जाता है |

सिर्फ और सिर्फ यही वजह है जिसके कारण आयुर्वेदिक के नाम से मशहुर कम्पनी एलो वेरा जूस में अपना हाथ नहीं रखना चाहता है | क्यूंकि अगर वो इसके गुण को एलो वेरा जूस के बंद बोतल के अंदर कम से कम साल दो साल तक सुरक्षित नहीं रख पाये, तो उनका नाम खराब होगा | और वो ऐसा करके अपनी प्रतिष्ठा को दाव पर नहीं लगाना चाहते |

जेल को सुरक्षित रखने और ज्यादा लम्बे समय तक जूस में कोई खराबी न आये इसलिए उसमें कीटनाशक दवाई,साइट्रिक एसिड और केमिकल का सहारा लेते है | पर उसके बाद जूस की जो गुणवता है वह खराब हो जाती है और वो पिने लायक नहीं होता बस सिर्फ नाम ही रह जाता है एलो वेरा जेल की | आजकल हर कोई अपने अपने नाम से इस जूस को बाज़ार में उतार रहे है चाहे उसके अंदर एलोवेरा का गुण हो या नहीं पर वो तो ग्राहक को सस्ते के नाम पर बेच रहे है | उसके साथ धोखा कर रहे है |

आप अपने रूपये की मूल्य को जाने और सही ब्रान्डेड जूस ही अपनाए , जिससे आपके शरीर का निर्वाशिकरण करके आपको स्वास्थ्य रखने में मदद करेगी |पैसा आपका है ,समस्या आपकी है ,निर्णय भी आपको ही लेना है की जो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ और उत्तम क्वालिटी वाला जूस लें या बाज़ार में उपलब्ध कोई भी जो सस्ती है | पर साबधान करना चाहूंगा नकली एलो वेरा जेल से | पैसा तो आखिर पैसा है अगर सस्ते का माल खरीद कर पीते है पर वो आपके किसी समस्या का समाधान नहीं कर पाता, ब्रान्डेड जूस शायद आपके जीवन में जिस मकसद से आप पी रहे है वो पूरा कर सके |


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