" "यहाँ दिए गए उत्पादन किसी भी विशिष्ट बीमारी के निदान, उपचार, रोकथाम या इलाज के लिए नहीं है , यह उत्पाद सिर्फ और सिर्फ एक पौष्टिक पूरक के रूप में काम करती है !" These products are not intended to diagnose,treat,cure or prevent any diseases.

Aug 30, 2010

स्वास्थ्य के लिए घातक कीटनाशक दवाएं !

हमारे देश में जिस रफ़्तार से कीटनाशक दवाओं का प्रयोग बढ़ता जा रहा है, वह एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है | फसल की उपज को कीड़ों की मार से बचाने के लिए खेतों में अँधा-धुंध जहर छिडकने का प्रचलन में किसान भाई एक दुसरे को पछाड़ने में लगे हुए है |

यह जानकार आप भी अचम्भित हो जायेंगे की अगर कोई व्यक्ति पाँच वर्ष लगातार बैगन अथवा भिन्डी का सेवन अपने आहार में कर ले तो वो निश्चित तौर पर दमा का मरीज बन सकता है | यहाँ तक की उसकी श्वास नलिका बंद हो सकती है |


दरअसल बैगन को तोड़ने के बाद उनकी चमक को कायम रखने के लिए उन्हें फोलिडन नामक कीटनाशक के घोल में डुबाया जाता है, चुकी बैगन में घोल को चूसने की क्षमता ज्यादा होती है, अतः फोलिडन घोल बैगन में चला जाता है | इसी प्रकार से भिन्डी में जब छेदक कीड़े लग जाते है, तो इसके ऊपर भी इसी घोल का छिडकाव बहुत अधिक मात्रा में की जाती है |

चमकते हुए फल या सब्जियां हमें अपनी ओर ज्यादा आकर्षित करती है परन्तु हमें सावधान रहना चाहिए जब बाजार में सब्जी या फल खरीदने जाए | ध्यान रखें चमकता हुआ हरेक चीज अच्छा नहीं हो सकता | तो हमें ज्यादा चमक और हरी दिखने वाली सब्जी से बचना चाहिए |

वैसे आज उगने वाले हर फसल पर कुछ न कुछ कीटनाशक दवाई का प्रयोग करते है | जैसे गेहूं को ही लेते है तो उसके ऊपर भी मैलाथिन नामक पाउडर का इस्तेमाल कीड़ों से बचने के लिए करते है और गेहूं खाने वालो को इस पाउडर के दुष्परिणाम भुगतने पड़ते है , चाहे उसकी मात्रा थोड़ी ही क्यूँ न हो, परन्तु लगातार उपयोग करने से आगे जाकर ना जाने क्या-क्या परेशानी हो सकती है |


विश्व बैंक द्वारा किये गए अध्यन के अनुसार दुनिया में 25 लाख लोग प्रतिवर्ष कीटनाशकों के दुष्प्रभावों के शिकार होते है, उसमे से 5 लाख लोग तक़रीबन काल के गाल में समा जाते है |

चिंता का विषय यह भी है ,जहाँ एक तरफ दुनिया के कई देशो ने जिस कीटनाशक दवाई को प्रतिबन्ध कर दिया है , अपने यहाँ धडल्ले से उपयोग किया जा रहा है | यहाँ तक की अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हमारे देश में कारखाने स्थापित कर बहार के देशों के प्रतिबंधित अनुपयोगी व बेकार रासायनों को यहाँ मंगा कर विषैले कीटनाशक उत्पादित कर रही है |

इनमे से कई कीटनाशकों को विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बेहद जहरीला और नुकसानदेह बताया है जिनमे डेल्तिरन, ई. पी.एन., क्लोरेडेन, फास्वेल आदि प्रमुख है |

दिल्ली के कृषि विज्ञानं अनुसन्धान केंद्र के द्वारा किये गए सर्वेक्षण के अनुसार दिल्ली के आसपास के ईलाकों में कीटनाशकों का असर 2 प्रतिशत अधिक है | लुधियाना और उसके आसपास से लाये गए दूध के सभी नमूनों में डी.डी.टी. की उपस्थिति पाई गई है | यहाँ तक की गुजरात जो देश की दुग्ध राजधानी के नाम से जाने जाते है, वहां से शहर के बाजारों में उपलब्ध मक्खन, घी और दूध के स्थानीय बरंदों के अलावा लोकप्रिय ब्रांडों में भी कीटनाशक के अंश पाए गए है |


विश्व में हमारा देश डी.डी.टी. और बी.एच.सी. जैसे कीटनाशकों का सबसे बड़ा उत्पादक है जबकि डी.डी.टी. कीटनाशक रसायन अनेक देशों में प्रतिबंधित है | हमारे यहाँ जमकर इसका प्रयोग किया जाता है |

आज यह सवित हो चूका है की अगर हमारे खून में डी.डी.टी. की मात्रा अधिक होने पर कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है | साथ ही हमारे गुर्दों, होठों,जीभ व यकृत को भी नुकसान पहुंचता है |
बी.एच.सी. रसायन डी.डी.टी. से ढाई गुना ज्यादा जहरीला होता है | परन्तु हमारे देश में गेहूं व अन्य फसलों पर अधिक उपयोग किया जाता है जो की कैंसर और नपुंसकता जैसी तकलीफ के लिए जिम्मेदार होता है |


आज जरुरत है कीटनाशकों के विकल्प साधनों की जो जैविक नियंत्रण विधि, सामाजिक व यांत्रिक तरीकों को अपनाएं | दुनिया के कई देशों में इनका व्यापक प्रयोग सफलता पूर्वक किया जा रहा है, जिससे कीटनाशकों की खपत एक तिहाई कम हो गई है और उत्पादन भी बढ़ गया है |

अतः आनेवाली पीढ़ी व हमारे स्वास्थ्य के लिए धीरे-धीरे कीटनाशकों के प्रयोग को कम करना अति उतम होगा |

For Aloe Vera products Join Forever Living Products for free as a Independent Distributor and get Aloe Vera products at wholesale rates! (BUY DIRECT AND SAVE UP TO 30%)To join FLP team you will need my Distributor ID (Sponsor ID) 910-001-720841.or contact us- admin@aloe-veragel.com
एलोवेरा के बारे में विशेष जानकारी के लिए आप यहाँ यहाँ क्लिक करें

"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक |
अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
....कुत्ते- कैसे कैसे?

Aug 29, 2010

सुख की तालाश

आज हर कोई सुख पाना चाहता है | सुख ऐसा लक्ष्य है जो जीवन के पलपल में समाहित है | दुसरे जीव इसे सरलता से प्राप्त कर लेते है परन्तु इंसान इस के लिए वैसे ही भटकता रहता है जैसे कस्तूरी के लिए मृग !प्रकृति प्रदत फूलों की सुगंध स्वाभाविक रूप से खिलने के बाद आता है |

मनुष्य जीवन में सुख भी अगर स्वाभाविक रूप से हो तो उसका आनंद आएगा लेकिन जैसे-जैसे जीवन की स्वाभाविकता खोते जाते है , जीवन को कृत्रिम और अप्राकृतिक बनाते जाते है, वैसे वैसे जीवन से सुख का एहसास लुप्त होते जाते है |अतः जीवन को स्वाभाविक रूप से फूलों की तरह खिलने दें तो सुखानंद की अनुभूति स्वतः फूटती रहेगी |

इंसान जबतक बच्चा होता है, पालने पर पड़े-पड़े जोर-जोर से जमकर हवा में हाथ पैर चलाता है और जम कर जीवन का आनंद उठता है | जैसे जैसे इंसान बड़ा होता है , उसपर सामाजिक बंधन, पारिवारिक अनुशासन लादा जाने लगता है और उस के आनंद में अवरोध शुरू हो जाती है | पढ़ाई के दौरान हम प्रतिस्पर्धा सीखते है और फिर ईष्र्याद्वेष भी पनपने लगता है |


यहाँ तक आते-आते मनुष्य जीवन का नैसर्गिक सुख को खोने लगता है | चिंता, तनाव उस के जीवन से सुख की सुगंध को लुप्त कर डालते है , फिर शुरू होती नकली आनंद प्राप्त करने के खेल जो की मनोरंजन के तौर पर खरीद लाते है | पर क्या खुशियाँ जुटाने के लिए जो सुविधा और मनोरंजन देने वाले यंत्र खरीदने से आन्तरिक खुशियाँ मिलती है ? सच तो यह है की इस प्रकार व्यक्ति एक आत्मछल का खेल खेलता है, सुख नहीं पा सकता |

वैसे प्रकृति ने हर मनुष्य के अन्दर किसी न किसी प्रतिभा का बीज रखा होता है | मनुष्य को उस बीज को जानना है, उसे पहचानना है | उसे सींचना और पोषित करना अति आवश्यक है | अपनी प्रतिभा को उचित आयाम देने के लिए आपका लक्ष्य और कार्यक्रम स्पष्ट होना चाहिए , साथ ही आप में लगन,मेहनत, निष्ठा और इमानदारी की कमी भी नहीं होनी चाहिए |

आप अपने परिश्रम और योग्यता के अनुरूप की कुछ पा सकते है, इसलिए आप योग्यता, क्षमता और व्यक्तित्व को विकसित करने के निरंतर प्रयास करने चाहिए | गीता का सार जीवन का भी सार है , " कर्मण्ये वाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन " ! अतः रूचि पूर्वक अपना कार्य करने से जीवन में उत्सुकता और खुशियाँ बनी रहती है |


वास्तविकता तो यह है की आनंद , सुख का जो मूल स्वरूप है तो हम सब के भीतर ही , केवल हमें उसे अपने जीवन शैली,आचरण और व्यव्हार में सुधार कर के सुरक्षित रखना है और ऐसा करके, अपने आप को बचा सकते है अनेक प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों से भी |

For Aloe Vera products Join Forever Living Products for free as a Independent Distributor and get Aloe Vera products at wholesale rates! (BUY DIRECT AND SAVE UP TO 30%)To join FLP team you will need my Distributor ID (Sponsor ID) 910-001-720841.or contact us- admin@aloe-veragel.com
एलोवेरा के बारे में विशेष जानकारी के लिए आप यहाँ यहाँ क्लिक करें

"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक |
तीन तीन खुशखबरियां.... ताऊ टीवी का स्पेशल बुलेटिन!
....कुत्ते- कैसे कैसे?

Aug 27, 2010

पोषक तत्व या आहारीय पूरक की विशेषता


पौष्टिक और विभिन्न खाद्य पदार्थों वाला संतुलित आहार अच्छी सेहत को प्रोत्साहन देने के लिए महत्वपूर्ण है | क्यूँ न हो? हम जैसा खाते है वैसे ही तो बनते है- शोध लगातार बता रहे है की अच्छा आहार खाने से अच्छी सेहत को बढ़ावा मिलता है और अपौष्टिक आहार से शरीर रोगी बनता है | खाद्य सामग्रियों में हमारे शरीर की चयापचय क्रियाओं के लिए सहायक महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते है | लेकिन, इन पोषक तत्वों को खाने की कमी या गलत प्रकार का भोजन खाने से शरीर में विषैले पदार्थ जमा होने लगते है, जिसकी वजह से दीर्घ अवधि में गंभीर रोग हो जाते है |


अच्छी सेहत अच्छी पौष्टिक से शुरू होती है | वर्तमान कृषि तरीकों से हमारी जमीन और मिट्टी के प्राकृतिक खनिज पदार्थ नष्ट होते है, हमारे शरीर के आवश्यक विटामिनों और खनिज पदार्थों की पूर्ति के लिए हम अब सिर्फ अपने आहार पर निर्भर नहीं रह सकते | इसलिए हमारे स्वास्थ्य की गुणवता में अंतर ला सकने वाले इन महत्वपूर्ण पोषकों की प्रयाप्त मात्रा पाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग पोषक या आहारीय पूरक लेने लगे है |


औषधियां और दवाएं आहारीय पूरकों के अच्छे विकल्प नहीं है | आपातकाल या गंभीर स्थितियों में औषधियां मददगार साबित हो सकती है लेकिन दीर्घ अवधी में या अपने अजैविक स्वाभाव के कारण महत्वपूर्ण " जीवन शक्ति" घटा देती है | रासायनिक दवाओं पर ज्यादा से ज्यादा निर्भरता कुदरत के प्रति हमारे लगाव को नष्ट कर रही है | यदि हम स्वस्थ और बलवान प्रजातियाँ के रूप में जीवित रहना चाहते है, तो हमें प्राकृतिक उत्पादों पर आधारित आहारीय पूरकों के साथ अपने सम्बन्ध पुनः स्थापित करने होंगे |

यह याद रखना चाहिए की दवाएं रोग के मूल कारण को दूर करने की बजाय लक्षणों का उपचार करती है, जो आम तौर पर खाने की गलत आदतों के कारण पाचन प्रणाली में विषैले तत्व जमा होने की वजह से होती है | जबकि पौष्टिक आहार रोगों के छुपे हुए कारणों को दूर कर सकता है और व्यक्ति की दिमाग और शरीर की सम्पूर्णता लौटा सकता है|
संपूर्णतः संतुलित आहार और अच्छी सेहत का परस्पर सम्बन्ध समझ में आने के बाद, हमारा भोजन हमारा आहार बन जाएगा और अच्छी सेहत बनाए रखना, खाने के सही विकल्प चुनना और स्वस्थ जीवनशैली का विषय बन जाएगा |
इसके साथ हम जोड़ना चाहेंगे :-
" अगर आहार गलत होगा, तो दवाओं का कोई फायदा नहीं,
अगर आहार सहीं है, तो दवाओं की कोई जरूरत नहीं "

बढ़िया आहारीय पूरक की बेहतरीन योग्यता की पहचान करते समय गौर किया जाता है की इसमें पशुओं को मारना तो शामिल नहीं है, उसके बाद देखा जाता है की इन उत्पादों का पशुओं पर परिक्षण किया गया है या नहीं, इससे कम्पनी और उत्पादों के निर्माण में शामिल लोगों के नैतिक मूल्यों का पता चलता है |

समय पूरी तरह बदल गया है और प्रकृति अच्छी गुणवता वाली खाद्यन सामग्रियों की ओर लौटने का भरपूर मौका देता है, हम जानते है की फॉरएवर लिविंग प्रोडक्ट्स अत्यधिक प्रामाणिक है और अत्यंत लाभदायक आहारीय पूरकों के साथ-साथ शरीर के लिए अन्य हितैषी उत्पादों का सम्पूर्ण प्रक्रिया अपने एक ही छत के निचे करती है |

इन लाजवाब उत्पादों का उपयोग करके और बढ़ावा देकर ऍफ़ एल पी में हम भारत में आवश्यकता आधारित क्रांति के प्रणेता बनेंगे जो आने वाले समय में काफी आगे निकल चुके होंगे |

हमारे पौष्टिक पूरक उत्पाद उगाए गए या इकट्ठे किये गए सर्वोत्तम स्त्रोतों और सबसे ज्यादा आधुनिक तकनीक के साथ उत्पन्न की गई बेहतरीन सामग्रियों से बनाए जाते है | बेहतर स्वास्थ्य और मानसिक शांति को बढ़ावा देते हुए हर उत्पाद अपने मौलिक पौष्टिक मूल्यों को बनाए रखता है |


फॉरएवर लिविंग प्रोडक्ट्स का पौष्टिक पूरक आपकी सम्पूर्ण आहारीय आवश्यकताओं को पूरा करेंगे | आपकी अच्छी सेहत के लिए बेहतरीन उत्पाद अपने शुद्धता और उच्चतम गुणवता के आश्वासन के साथ हेलथ और नुट्रिसनल इंडस्ट्री द्वारा दिए जा सकने वाले बेहतरीन मानकों के लिए भरोसा कर ऍफ़ एल.पी के उत्पाद जैसे एलो वेरा जेल, और पौष्टिक पूरक लेकर अपनी काया कल्प कर सकते है |

For Aloe Vera products Join Forever Living Products for free as a Independent Distributor and get Aloe Vera products at wholesale rates! (BUY DIRECT AND SAVE UP TO 30%)To join FLP team you will need my Distributor ID (Sponsor ID) 910-001-720841.or contact us- admin@aloe-veragel.com
एलोवेरा के बारे में विशेष जानकारी के लिए आप यहाँ यहाँ क्लिक करें

"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक |
अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

Aug 24, 2010

पालक खाएं खून बढ़ाएं

पालक का पौधा अपने देश के प्रायः सभी प्रान्तों में सुलभता व सस्ते में मिल जाता है | इनमे जो गुण है वैसा और किसी शाक में नहीं होता है | ज्यादातर यह शीत ऋतू में पाया जाता है परन्तु कहीं कहीं किसी और ऋतू में भी इनकी खेती की जाती है
स्वाभाव से यह पाचक, तर और ठंढी होती है | पालक में दालचीनी डालने से इसकी ठंढी प्रकृति बदल जाती है | पालक को पकाने से इसके गुण नष्ट नहीं होते है |

इनके गुण और लाभ है :- पालक में विटामिन ए,बी,सी, लोहा, कैल्सियम, अमीनो अम्ल तथा फोलिक अम्ल प्रचुर मात्रा में पाया जाता है | कच्चा पालक खाने में कडवा और खारा लगता है, परन्तु बहुत ही गुणकारी होता है | दही के साथ कच्चे पालक का रायता बहुत ही स्वादिष्ट और गुणकारी होता है | इसलिए गुणों में पालक अन्य सभी शाकों में सर्वोपरि है | इसका रस यदि पिने में अच्छा न लगे तो इसके रस में आंटा गुंथकर रोटी बनाकर खाने चाहिए | पालक रक्त में लाल कण बढाता है | कब्ज़ दूर करता है | पालक, दाल व अन्य सब्जियों के साथ खायें |

पालक का रस सम्पूर्ण पाचन -तंत्र की प्रणाली ( पेट,छोटी-बड़ी आंतें ) के लिए सफाई-कारक एवं पोषण-कर्ता है | कच्चे पालक के रस में प्रकृति ने हर प्रकार के शुद्धिकारक तत्व रखे है | पालक संक्रामक रोग तथा विषाक्त कीटाणुओं से उत्पन्न रोगों से रक्षा करता है | इसमें विटामिन 'ए' पाया जाता है जो म्यूक्स मेम्ब्रेन्स की सुरक्षा के लिए उपयोगी है |

रोगों में हितकर पालक :-
बाल गिरना :- इसमें पाया जाने वाला विटामिन 'ए' विशेष मात्र में होता है जो बालों के लिए अत्यंत जरुरी होता है | जिसके बाल झाड़ता हो ,वो कच्चे पालक का सेवन करें |

दम, खांसी, गले की जलन,फेफड़ों की सुजन और यक्ष्मा हो तो पालक के रस के कुल्ले करने से लाभ होता है | इसके साथ ही दो चम्मच मेथी कुथ्कर दो कप पानी में तेज उबालते हुए एक कप पानी रहने पर छानकर इसमें एक कप पालक का रस और स्वादानुसार शहद मिलाकर नित्य दो बार पिने से इन सभी रोगों में लाभ होता है | फेफड़ों को शक्ति मिलती है | बलगम पतला होकर बाहर निकल जाता है |

रक्तविकार और शरीर की खुश्की व रक्तक्षीणता :- आधे गिलास पालक के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर 50 दिन पियें | शरीर में इससे रक्त की वृद्धि होगी | गर्भिणी स्त्रियों में इससे लोहे ( आयरन ) की पूर्ति होती है |

यदि प्रतिदिन पालक का रस नित्य 3 बार 125 ग्राम की मात्रा में लिया जाय तो समस्त विकार दूर होकर चेहरे पर लालिमा, शरीर में स्फूर्ति, उत्साह एवं शक्ति का संचार, रक्तभ्रमण तेजी से होता है | निरंतर सेवन से चेहरे के रंग में निखार आ जाता है | रक्त बढ़ता है | इसका रस, कच्चे पते या छिलके सहित मुंग की दाल में पालक की पतियाँ डालकर सब्जी खानी चाहिए | यह रक्त साफ़ और बलयुक्त करता है |

पायोरिया :- पालक का रस दांतों और मसुधों को मजबूत बानाता है | रोगी को कच्चा पालक दांतों से चबाकर खाना चाहिए | प्रातः भूखे पेट पालक का रस पिने से पायोरिया ठीक हो जाता है | इसमें गाजर का रस मिलाने से मसुधों से रक्तस्त्राव होना बंद हो जाता है |

नेत्रज्योति पालक का रस पिने से बढती है |

पथरी :- कई लोग यह मानते है की पालक खाने से पथरी होती है, लेकिन यह निश्चित समझ ले की कच्चे पालक के रस के सेवन करने सा कदापि पथरी नहीं होती |
पालक में ऑक्जेलिक अम्ल पाया जाता है जो पानी में घुल जाता है | पालक में कैल्सियम और फोस्फोरस होता है जो मिलकर कैल्सियम फोस्फेट बनाता है जो पानी में घुलता नहीं है जिससे पथरी बन जाती है | इसलिए पथरी के रोगीओं के केवल पालक की सब्जी नहीं खाना चाहिए | पालक और हरी पते वाली मेथी मिलाकर साग बनाकर खाने से पथरी नहीं बनती है |
अतः पालक खाए शरीर में खून बढ़ाये |

For Aloe Vera products Join Forever Living Products for free as a Independent Distributor and get Aloe Vera products at wholesale rates! (BUY DIRECT AND SAVE UP TO 30%)To join FLP team you will need my Distributor ID (Sponsor ID) 910-001-720841.or contact us- admin@aloe-veragel.com
एलोवेरा के बारे में विशेष जानकारी के लिए आप यहाँ यहाँ क्लिक करें

"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक |
अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

Aug 23, 2010

वर्तमान में रक्षा बंधन त्यौहार

" बहना ने भाई की कलाई में प्यार बांधा है, प्यार के डोर से संसार बांधा है | रेशम के डोरी से , रेशम की डोरी से संसार बाँधा है ||
कल का दिन यानि रक्ष बंधन आप सबको बहुत बहुत बधाई | "रक्षा बंधन" का दिन हम सब भारत वाशियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है | जहाँ हमारी बहने हमारे लिए शुभकामना के लिए इश्वर से प्रार्थना करती है वहीँ हम अपने बहन के सुख, शांति व रक्षा के लिए बचनबद्ध होते है |

परन्तु आज कल के व्यस्त जीवनशैली में लगता है त्यौहार का भी रूप रेखा बदल गया है |
एहसास जो होता था की कल त्यौहार है उसकी तयारी कई दिन पहले ही शुरू हो जाती थी,
परन्तु न तो वो वक्त रहा न ही त्यौहार मनाने का तरीका | वर्तमान में त्यौहार एक औपचारिकता मात्र रह गया है |


पर एक बात जो आज भी है वो है उनकी यादे जो हमेशा से मेरे दिल में है और रहेगा चाहे वो मेरे से कितनी भी दूर क्यूँ न हो परन्तु वो मेरे सांसों में होती है | मैं अंपने बहन से बहुत प्यार करता हूँ | वो सब मेरे से छोटी है, उनके लिए मेरी भगवन से प्रार्थना है की उन्हें कभी भी दुख का साया न पड़े और हमेशा खुश रखें |

एक बात अक्सर समाचार पत्रों और टेलीविजन की शुर्खिया होती है वो है मिलावटी मिठाई | जब कभी भी त्यौहार का समय आता है इस तरह के मिठाइयाँ की भरमार हो जाता है | मतलब मिलावटखोरों ने अपने बच्चों के लिए मौत का सामन बेच कर अपनी जेब भरने का काम कर रहा है | उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता इस जहर से किसी के जीवन में भूचाल आ जाए |

वैसे ही परेशानी क्या कम है कभी, खसरा और बच्चे का जीवन रक्षक सुई भी उनके लिए मौत का कारण बन जाता है | मतलब अगर बच्चे की जीवन रक्षक दवाइयां भी बच्चे के जीवन को काल का ग्रास बना दे तो क्या करे?
रोज किसी न किसी क्षेत्र से कोई अप्रिय घटना का समाचार आ जाता है |

अब बगैर मिठाई का भला त्यौहार कैसे मनेगी ? लेकिन अगर मिठाई के साथ त्यौहार मनाने की कोशिस की तो ऊपर वाले ही जाने आप स्वस्थ्य रहेंगे या अस्वस्थ्य | यह सब आपके भाग्य पर निर्भर करेगी |

हम सबके तरफ से उन मिलावटखोरो के लिए उपरवाले से प्रार्थना करें की उन्हें सद्बुद्धि दे और मानवता के मूल्यों को समझे | इस तरह के क्रियाकलाप में लिप्त न रहें,समाज में विकाश और एक अच्छे स्वस्थ्य समाज का निर्माण करें जहाँ सुख ,समृधि,प्रेम प्यार और सबके सब खुशहाल रहें |


For Aloe Vera products Join Forever Living Products for free as a Independent Distributor and get Aloe Vera products at wholesale rates! (BUY DIRECT AND SAVE UP TO 30%)To join FLP team you will need my Distributor ID (Sponsor ID) 910-001-720841.or contact us- admin@aloe-veragel.com
एलोवेरा के बारे में विशेष जानकारी के लिए आप यहाँ यहाँ क्लिक करें

"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक |
अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

Aug 21, 2010

फल और मधुमेह

कुछ लोगों का ख्याल है की मधुमेह के रोगियों को कोई भी फल नहीं खाना चाहिए | दरअसल, मधुमेह के रोगियों को रेशेदार फल, जैसे तरबूज, खरबूजा,पपीता और स्ट्राबेरी आदि खाने चाहिए | इन फलों से रक्त शर्करा स्तर नियंत्रित होता है | अपने कम ग्लैसेमिक सूचकांक के कारण इन फलों से धीरे-धीरे शर्करा स्तर बढ़ता है और इससे मधुमेह के रोगियों को काफी लाभ होता है | मौसमी भी बहुत फायदेमंद है क्योकि इसमें मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत सारे खनिज और विटामिन होते है |

मधुमेह के रोगियों को फलों का रस नहीं पीना चाहिए क्योंकि इसमें चीनी या चीनी से बनी चाशनी मिलाई जाती है | इसके अलावा एक ग्लास जूस बनाने में ढेर सारे फल की जरुरत पड़ती है | जूस बनाने में फल का गुदा हट जाता है जिसमे लाभकारी रेशे होते है | सिर्फ आम, सीताफल, चीकू, केले और अंगूर जैसे फल नहीं लेने चाहिए क्योंकि इनसे रक्त शर्करा का स्तर लम्हे अरसे के लिए बढ़ जाता है | इसी वजह से पिंडखजूर और सूखे मेवे भी नहीं लेने चाहिए |


अध्ययन बताते है की ब्लूबेरी ( करौंदा ), अन्नानास, नाशपाती जैसे 75 ग्राम फल आपको 10 ग्राम कार्बोहायड्रेटस देते है | सौ ग्राम अमरुद, मौसमी, आडू, स्ट्राबेरी, पपीता आदि भी 10 ग्राम कार्बोहायड्रेटस देते है | नारियल, रसभरी, गुजबेरी आदि के 150 ग्राम से भी 10 ग्राम कार्बोहायड्रेटस मिलते है |

फलों में शर्करा फ्रक्टोज के स्वरुप में रहती है | मधुमेह के रोगियों के लिए यह एक अतिरिक्त लाभ है क्योंकि फ्रक्टोज की मेटाबोली के लिए इंसुलिन की जरुरत नहीं पड़ती , लिहाजा उसे भली-भांति बर्दाश्त कर लिया जाता है | फल में विटामिन, खनिज और रेशे होते है जिन्हें किसी भी स्वास्थ्यकारी आहार में होना चाहिए | रसदार ( Citrus ) फलों में मौजूद मैग्नेशियम इंसुलिन का एक महत्वपूर्ण तत्व है |


आनार और मैंगोस्टीन में रक्त शर्करा घटाने की क्षमताये है | मधुमेह के रोगियों में इंसुलिन के लिए प्रतिरोध उत्पन्न हो जाता है |
मैंगोस्टीन इस प्रतिरोध को मद्धिम करने और पूर्णतया रोक देने में खास भूमिका निभाता है | रक्त शर्करा की उंच-नीच को घटाकर यह उसे नियंत्रित करता है और मधुमेह के रोगियों में बार-बार संदुष्ण होने की संभावनाए घटाता है |

जब पोमेस्टीन के इस्तेमाल से ग्लूकोज के लिए कोशिकाओं का प्रतिरोध समाप्त हो जाता है
, तो कई मामलों में रक्त शर्करा का स्तर खासी मात्रा में गिर जाता है | लेकिन अधिकांश मामलों में रक्त शर्करा स्तर में कमी कई दिनों या हफ़्तों के बाद ही देखने में आती है | मधुमेह के रोगी का वजन घट जाता है क्योंकि इसकी वजह से न तो भूख में बढ़त होती है और न ही शरीर में तरल पदार्थ रुकते है ( Fluid Retention ) होता है |

तजुर्बे से पता लगता है की पोमेस्टीन से टाइप-2 मधुमेह से उन रोगियों में प्रभावकारी रूप से रक्त शर्करा नियंत्रित हो जाती है, जिनका पैक्रियास थोड़ी-बहुत इंसुलिन पैदा करता रहता है | इसमें क्षमता है की यह शरीर के उतकों में इंसुलिन के लिए पैदा हो गए प्रतिरोध को घटा सकता है | परिणामस्वरूप शर्करा नियंत्रण क्षमता बढ़ जाती है | चुकी टाइप-2 मधुमेह की कई दशाएं होती है, इसलिए इसके रोगियों को सिर्फ 15 एमएल पोमेस्टीन प्रतिदिन से शुरुआत करनी चाहिए | एक महीने बाद इसकी खुराक बढ़ाई जा सकती है , तब तक रक्त शर्करा में होने वाली उंच-नीच में खासी कमी नजर आने लगेगी |

टाइप-1 मधुमेह के रोगी शायद शर्करा का घटना कम अनुभव करें, लेकिन उन्हें भी पोमेस्टीन के इस्तेमाल से एंटीओक्सिडेंट के महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त होंगे | मधुमेह से होने वाली अधिकाँश क्षति स्वतंत्र कोशिकाओं से होती है और पोमेस्टीन के एंटीओक्सिडेंट इन्हें निष्क्रिय बना सकते है |


जड़ी बूटी सम्बन्धी उपचार :-
1 .एलो वेरा जेल :- पैंक्रियास की कोशिकाओं को नवजीवन, शर्करा स्तर को कम करने में सहायक |
2 .बी पोलेन :- इसमें मौजूद पेनेडियम इंसुलिन के क्रियाकलाप के लिए जरुरी होता है , इसके अतिरिक्त इसमें विटामिन और प्रोटीन है|
3 .फील्ड्स ऑफ़ ग्रीन :- इसमें मौजूद मैग्नेशियम इंसुलिन के क्रियाकलाप के लिए जरुरी होता है, मेताबोली को संतुलित करता है |
4 .जिनचिया :- उर्जाकारक,चंगेपन का अहसास,इंसुलिन जैसे क्रियाकलाप के लिए एडेप्तोजेन होता है , कोलेस्ट्रोल में कमी लाता है |
5 .पोमेस्टीन पावर :- शक्तिशाली एंटीओक्सिडेंट, रक्त में शर्करा स्तर की तेजी से होने वाली घटत-बढ़त को कम करता है , जटिलताओं की रोकथाम कर उन्हें घटाता है |

6 .नेचर मीन :- उपयुक्त शारीरिक क्रियकलाप के लिए जरुरी , मधुमेह के पुराने मरीजों को खनिजों का अभाव हो सकता है जिसके लिए यह लाभदायक है |


For Aloe Vera products Join Forever Living Products for free as a Independent Distributor and get Aloe Vera products at wholesale rates! (BUY DIRECT AND SAVE UP TO 30%)To join FLP team you will need my Distributor ID (Sponsor ID) 910-001-720841.or contact us- admin@aloe-veragel.com
एलोवेरा के बारे में विशेष जानकारी के लिए आप यहाँ यहाँ क्लिक करें

"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक |
अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
ऑपरेशन कनखजूरा !

रसौली का इलाज एलोवेरा व पौष्टिक पूरक से करें

कैंसर की बिमारी उस समय होती है जब शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित हो जाती है | अनुपयुक्त जीवनशैली व भोजन को कैंसर के 60 प्रतिशत मामलो के लिए जिम्मेदार माना जाता है | धुम्रपान,एक्सरे का अत्यधिक रेडीएशन, सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों का दुष्प्रभाव, रसायन, अनुपयुक्त भोजन, संदुष्ण,कुछ हरमों और विरासत में मिली जिन विकृतियाँ कैंसर का कारण बन जाती है |

अनियंत्रित असामान्य कोशिका वृद्धि कैंसर पैदा कर देती है और तब ये असामान्य कोशिकाएं बड़ी तेजी से बढ़कर प्रतिरोधक प्रणाली पर हावी हो जाती है | नतीजतन कैंसर जिस्म के दुसरे हिस्से में फ़ैल जाता है |


वर्धन ( Growths ) की दो श्रेणिया है :-
एक - गाँठ, फोड़ा, साधारण ट्यूमर ( रसौली ) इत्यादि |
दो - विशालू रसौली ( Malignant Tumor ) या कैंसर प्रभावित वर्धन ( Canceroucus Growth ) |


गांठ ( Cyst) :- छोटी थैली जैसे वर्धन या रेशेदार उतक ( Fabrous Tissue) में गुहिका ( Cavity ) बन जाती है और उसमे अर्ध-ठोस पदार्थ भर जाता है | यह हानिरहित वर्धन है और आमतौर से त्वचा पर या प्रजनन अंगों से होता है | दर्द के साथ छोटी सी सुजन पैदा होती है, बुखार हो जाता है, लेकिन इससे आगे यह नहीं फैलती | इलाज करने के बाद यह वर्धन दोबारा नहीं होता | कभी-कभी वर्धन संदूषित हो जाता है तो इसका ऑपरेशन करना पड़ता है |

फोड़ा ( Abscess ) :- जब हमलावर बैक्टेरिया को खत्म करने के लिए सफ़ेद रक्त खोशिकाएं कारवाई करती है तो किसी स्थान पर मवाद इकट्ठा हो जाता है | यह शारीर के किसी भी भाग में हो सकता है :- फेफड़े, मस्तिस्क, मसुढे जिगर, स्तन आदि में | फुंसी छोटा फोड़ा है जो किसी बाल के कूप के आसपास ही जाता है | फुंसी बैक्टेरियाई या वायरल संदुष्ण , मधुमेह, अपौष्टिक आहार या संदुष्ण के फैलने से हो सकती है | बड़े फोड़े से मवाद निकालने के लिए इलाज की जरुरत पड़ सकती है |

साधारण रसौली ( Ordinary Tumour ) :- जब अनियंत्रित और अकारण कोशिकाओं का असामान्य वर्धन होता है, तो आमतौर से त्वचा के निचे वसायुक्त उतक, रक्त या मांसपेशी के उतक में एक कड़ी सुजन-सी हो जाती है | यह सुजन हानिरहित होती है | इसमें न पीड़ा होती है और न ही संदुष्ण होता है | जब इसे निकल दिया जाता है, तो दोबारा नहीं होती या फैलती है |


फाइब्रायड्स (गर्भाशय रसौली )(Fibroids ) :- यह गर्भाशय का अहानिकारक वर्धन है जिससे श्रोणीय ( Pelvic ) पीड़ा और मासिकधर्म के दौरान भरी रक्तस्त्राव होता है | अन्य लक्ष्ण है पेट में सुजन, पीड़ा और बार-बार पेशाब लग्न, गर्भाशय उतक में असामान्य वर्धन आदि | अन्य समस्या है गर्भाशय का निचे खिसकना और अनुर्वरता |

कई महिलायें 35 और 55 की उम्र के बिच इस दशा के कारण हिस्टेरेक्टमी करा लेती है यानि गर्भाशय निकलबा देती है | इसके बाद मासिक धर्म बंद हो जाता है और महिला गर्भवती नहीं हो सकती है |

सामान्यतया यां ऑपरेशन कराना अनावश्यक होता है और शायद इससे नुकसान भी होता है क्यूंकि रजोनिवृति के बाद भी एंडीक्राईन प्रणाली में गर्भाशय अहम् भूमिका निभाता है |

हिस्टेरेक्टमी से लम्बे अरसे में काफी जोखिम पैदा हो जाते है, जैसे कामुकता में कमी, सम्भोग के दौरान दर्द, हताशा का भाव, और डिम्ब ग्रंथियों को छोड़ दिए जाने के बाद भी असमय रजोनिवृति | फाइब्रायड्स( गर्भाशय रसौली ) के अब कई अन्य उपचार उपलब्ध है | डिंब-ग्रंथियों, गर्भाशय या सर्विक्स के कैंसर के उपचार में ही हिस्टेरेक्टमी कराना आवश्यक होता है |

जड़ी बूटी सम्बंधित उपचार के लिए निचे दिए जा रहे है :- ( गांठ, फोड़ा, रसौली तीनो के लिए उपचार एक ही है )
1 . एलो वेरा जेल
2 . गार्लिक थाइम
3 . बी प्रोपोलिस
4 . रोयल जेली
5 . पोमेस्टीन पॉवर
उपरोक्त आहारीय पूरक लेकर आप ऐसे रोग से मुक्ति पा सकते है | यह उत्पाद 100 प्रतिशत सुरक्षित है और इनका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है |

For Aloe Vera products Join Forever Living Products for free as a Independent Distributor and get Aloe Vera products at wholesale rates! (BUY DIRECT AND SAVE UP TO 30%)To join FLP team you will need my Distributor ID (Sponsor ID) 910-001-720841.or contact us- admin@aloe-veragel.com
एलोवेरा के बारे में विशेष जानकारी के लिए आप यहाँ यहाँ क्लिक करें

बगैर चीर फाड़ रसौली का इलाज आधुनिक तकनीक-यूट्रीन फाइब्रोइड एंबोलाइजेशन से |
"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक |
अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

Aug 19, 2010

दिव्य स्वास्थ्य रक्षक वनौषधि अर्जुन-1


चलिए फिर से आपको मैं अर्जुन वृक्ष की छाल के औषधि गुण के बारे में चर्चा करते है - किस प्रकार से मानव जाती के लिए बहुपयोगी औषधि है |

अर्जुन वृक्ष की छाल ह्रदय के लिए है ही बेहतर , इसके सेवन से ह्रदय के मांसपेशियों को मजबूती मिलता है और इसके आलावा यह शक्तिवर्धक, रक्त स्तम्भक एवं प्रमेह नाशक भी है | यह नाडी की क्षीणता में वृद्धि, पुराणी खांसी, श्वास आदि विकारों में भी हितकर है | इसे मोटापे को रोकने वाला तथा हड्डियों के टूटने पर उस अंग की हड्डी को स्थिर करके रक्त संचार को सामान्य रूप से चालू करके हड्डियों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला पाया गया है |

रासायनिक तत्व :-
अर्जुन वृक्ष की छाल में पाए जाने वाले सक्रिय रासायनिक तत्व है, विटा साइटो सटेराल, अर्जुनिक एसिड और फ्रीडलीन | अर्जुन अम्ल ग्लूकोज के साथ संयुक्त होकर एक ग्लुकोसाइड बनाता है जिसे ' अर्जुनेटिक ' कहा जाता है | यह छाल का सबसे महत्वपूर्ण रसायन है |

इनके अलावा अर्जुन छाल में पाए जाने वाले अन्य महत्वपूर्ण घटक है:-
1. खनिज लवण :-
अर्जुन छाल में 34% के लगभग तो अकेला कैल्सियम कार्बोनेट ही पाया जाता है | इसके अतिरिक्त इसमें सोडियम, पोटेशियम, मैग्नेशियम और एल्युमिनियम आदि अन्य क्षार भी पाए जाते है | इन्हीं खनिज लवण की प्रयाप्त उपलब्धता के कारण ही अर्जुन छाल ह्रदय की मांसपेशियों में सूक्ष्म स्तर पर कार्य करके अपना औषधीय प्रभाव प्रकट करती है |

2. अर्जुन छाल में 20 से 25 प्रतिशत भाग टैनिन्स से बनता है | अर्जुन के छाल में पाए जाने वाले दो प्रमुख टैनिन है :- पायरोगेलाल और केटेकाल |

3. इसके अतिरिक्त अर्जुन छाल में अन्य कई पदार्थ भी पाए जाते है , जैसे :- कार्बोहाईड्रेट, रंजक पदार्थ, विभिन्न अज्ञात कार्बनिक एसिड और उनके ईस्टर्स|

ह्रदय रोगों में :- ह्रदय में शिथिलता या विकार आ जाने पर अथवा ह्रदय का आकर बढ़ जाने पर अर्जुन छाल का अत्यंत बारीक चूर्ण दुध में गुड़ के साथ उबाल कर क्वाथ बना कर पिलाया जाता है |

पुरानी खांसी में :- अगर पुरानी खांसी उपचार के बाद भी नियंत्रण में न हो तो अर्जुन की छल बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो सकती है | खांसी के लिए अर्जुन का छाल का उपयोग निम्न प्रकार से करना चाहिए |

अर्जुन की छाल को सर्वप्रथम बारीक़ पिस ले और उसे कीसी कांच या मिटटी के वर्तन में भरकर 24 घंटे के लिए रख दें और फिर उसे खरल में डालकर 2 -3 घंटे तक अच्छी तरह घोंट कर धुप में सुखा ले | इसे पुनः पिस व छान कर किसी स्वच्छ पात्र में भर कर रख लें |

इस चूर्ण को आधी से एक चम्मच की मात्र में थोड़े से पानी में उबल कर 1 से 2 चम्मच शहद मिलकर दिन में तिन बार पिने से लगभग सभी प्रकार की खंसियों में आराम आ जाता है , जहाँ तक की क्षय रोग की उस खांसी में भी, जिसमे बलगम के साथ रक्त मिश्रित होकर आता है |

खुनी पेचिश :- इसमें अर्जुन की छाल को बकरी के दूध में पीसकर दूध और शहद मिलकर पिलाने से शीघ्र आराम आ जाता है |

हड्डी की टूटन या घाव में :- शरीर के किसी अंग विशेष की हड्डी टूट जाने पर भी अर्जुन की छाल शीघ्र लाभ करती है |

बवासीर में :- बवासीर में अर्जुन छाल को हारसिंगार के फुल तथा बकायन के फलों के साथ अत्यंत बारीक चूर्ण बनाकर 4 -4 ग्राम की मात्रा में दिन दो से तिन बार नियमित रूप से सेवन करते रहने से बवासीर के साथ आनेवाला रक्त गिरना बंद हो जाता है तथा बवासीर के मस्से सिकुड़ने लग जाते है |

For Aloe Vera products Join Forever Living Products for free as a Independent Distributor and get Aloe Vera products at wholesale rates! (BUY DIRECT AND SAVE UP TO 30%)To join FLP team you will need my Distributor ID (Sponsor ID) 910-001-720841.or contact us- admin@aloe-veragel.com एलोवेरा के बारे में विशेष जानकारी के लिए आप यहाँ यहाँ क्लिक करें
"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक |
अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

दिव्य स्वास्थ्य रक्षक वनौषधि अर्जुन

अर्जुन- इसे लोग धवल,ककुभ तथा नदीसर्ज ( नदी-नालों के तट पर होने के वजह ) भी कहा जाता है | साधारण बोलचाल की भाषा में इसे कहुआ तथा सादड़ों नाम से जाना जाता है | यह एक सदाबहार वृक्ष है जिसे अलग-अलग भाषा व प्रान्त में अलग-अलग नाम से जाने जाते है जैसे- संस्कृत में - ककुभ,हिंदी में - अर्जुन,बंगला में-अर्जुन गाछ,तेलगु में- तेल्लमदिद, कन्नड़ में मदिद, तेलगु में- तेल्लमदिद, तमिल में -मरुदमरभ या बेल्म, अंग्रेजी में - अर्जुन वृक्ष कहा जाता है | वानस्पति नाम टर्मिनेलिया अर्जुन है |

अपने देश के लगभग प्रत्येक प्रान्त में पाया जाता है , खास कर बिहार, उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमालय के तराई वाले क्षेत्र और शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में नालों , सड़क के किनारे एवं बाग़-बगीचों में पैदा होता है | यहाँ तक की दिल्ली के इंडिया गेट में भी इसके वृक्ष है | यह एक सदा हरि रहने वाला वृक्ष है |

अर्जुन वृक्ष की छाल का ही मुख्य रूप से औषधि के रूप में उपयोग होता है | इसके छाल उतारने के लिए कम से कम दो वर्ष ऋतुएँ चाहिए | एक वृक्ष में छाल तिन साल के चक्र में मिलती है | छाल उतरने के बाद पुनः छाल आ जाती है | इसकी छाल ऊपर से सफ़ेद, अन्दर से चिकनी, मोती तथा हलके गुलाबी रंग की होती है और कई बार वर्ष में स्वतः निकलकर निचे गिर पड़ती है | छाल का स्वाद कसैला, तीखा होता है | इसमें गोदने पर एक प्रकार के दूध सा निकलता है |

वसंत ऋतू में वृक्ष पर नए पते आते है जो छोटी-छोटी टहनियों पर लगे होते है | इसके पते अमरुद के पते के आकर का 6 से 20 से.मी.लम्बे आयताकार होते है | वृक्ष पर पते आते ही शाखाओं पर फुल भी आते है | अर्थात अर्जुन वृक्ष पर वसंत ऋतू या वैशाख या जयेष्ट मॉस में सफ़ेद-पीले हरियाली युक्त छोटे-छोटे फुल मंजरियों में आते है | इनमे हलकी सुगंध भी होती है | इसके फल लम्बे-अंडाकार 5 या 7 धारियों वाले जेष्ठ से श्रावण मास के बीच लगते है और शरद ऋतू में पकते है | स्वाद कसैला होता है | फल ही अर्जुन वृक्ष का बीज है | अर्जुन वृक्ष का गोंद स्वच्छ , भूरा-सुनहरा सा व पर्दाश्क होता है | यह गोंद भी खाने के काम आता है तथा ह्रदय के लिए हितकारी माना जाता है |

भारत में अर्जुन वृक्ष की कम से कम 15 प्रजातियाँ है | सभी वृक्षों की औषधीय क्षमता अलग-अलग होता है | इसी कारण यह पहचान करना बहुत जरुरी है की कौन से वृक्ष की छाल औषधि रूप में ह्रदय रक्तवह संस्थान पर कार्य करती है |

औषधीय गुण वाले अर्जुन वृक्ष
की छाल अन्य पेड़ों की छाल की तुलना में कहीं अधिक मोती तथा नरम होती है | रेशा रहित यह छाल अन्दर से रक्त जैसी लाल रंग की होती है | पेड़ पर से छाल चिकनी चादर के रूप में उतरती है ,क्यूंकि अर्जुन का ताना काफी मोटा होता है |

संग्रह विधि :- औषधि रूप में आमतौर पर अर्जुन वृक्ष की छाल ही उपयोग की जाती है | अतः इसकी छाल को अच्छी तरह से सुखा कर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर या फिर चूर्ण के रूप में ढक्कनदार पात्रों में भर कर ठंढे स्थानों पर रखा जाता है | इस प्रकार संग्रहित की गई अर्जुन वृक्ष की छाल 2 वर्ष तक प्रभावशाली बनी रहती है |


औषधि गुण :- प्राचीन आयुर्वेद शास्त्रियों में वागभट्ट ही ऐसे एकेले वैद्य थे जिन्होंने सबसे पहली बार इस औषधि के ह्रदय रोगों में उपयोगी होने की विवेचना की थी | उनके बाद चक्रदत और भाव मिश्र ने भी अर्जुन वृक्ष की छाल को ह्रदय रोगों की महौषधि स्वीकार किया | चक्रदत ने ऐसा माना है की घी,दूध या गुड़ जे सतग ही अर्जुन वृक्ष की छाल का चूर्ण, नियमित सेवन करता है, उसे हृदयरोग,जीर्ण ज्वर,रक्त पित जैसे रोग कभी नहीं सताता और वह चिरंजीवी होता है |

अतः मानव जीवन के लिए अर्जुन वृक्ष एक वरदान स्वरूप है | विस्तार में इसके औषधि गुण के बारे में हम अगले अंश में चर्च करेंगे | चुकी इसके औषधि गुण की लिस्ट बहुत लम्बी है तो इंतज़ार कीजिये अगले अंश की |

For Aloe Vera products Join Forever Living Products for free as a Independent Distributor and get Aloe Vera products at wholesale rates! (BUY DIRECT AND SAVE UP TO 30%)To join FLP team you will need my Distributor ID (Sponsor ID) 910-001-720841.or contact us- admin@aloe-veragel.com एलोवेरा के बारे में विशेष जानकारी के लिए आप यहाँ क्लिक करें
"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक | अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

Aug 17, 2010

एलोवेरा ( ग्वारपाठा,घ्रित्कुमारी) पियें -खुशहाल जीवन जियें

आधुनिक जीवनशैली में स्वस्थ्य व सेहतमंद किस तरह से रहा जा सकता है ? कैसे रखे अपने आपको चुस्त और दुरुस्त ?

जबकि आज हम सब एक मानव मशीन की तरह दिन-रात काम में व्यस्त रहते है | दिन में आराम की बात छोडिये यहाँ रात को भी करबटें बदलते बीत जाते है | मानसिक परेशानी का ऐसा सबब है की रात बगैर नींद की गोली से आराम करना कुछ लोगों के लिए मुश्किल हो जाती है | आखिर क्या है यह ? और क्यूँ बेचैन है ?

इन सबका कारण है मनुष्य भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए शारीरिक सुख दाव पर लगाए हुए है | जबकि आज के समय में हम सब में आर्थिक रूप से बहुत कुछ पा लिया है परन्तु शारीरिक कीमत को भी चुकाना पड़ा है | दूसरी सबसे अहम् बात है समय के आभाव, जो की सबसे बड़ी समस्या है | लोगों को अपने खाने-पिने का भी समय दे पाना मुश्किल हो रहा है | इसी वजह से आज फास्ट फ़ूड कम्पनी खूब फल - फुल रही है |

इन सभी समस्या के पीछे हमारी विकृत आहार ही है | डिब्बा बंद खाना व जंक फ़ूड , जिसे परिरक्षित करने के लिए बहुत ही हानिकारक रासायन मिलाया जाता है | एक ऐसा रसायन जो अगर कुते खा ले तो वो भी चंद मिनटों में ढेर हो जाये यानि मौत भी हो सकती है | जिसे हमलोग बड़े चाव से खाते रहते है |


जरा सोंचे क्या होगा जब इस तरह से रासायन हमारे शरीर में प्रवेश करेगा ? नुक्सान के अलावा कुछ नहीं कर सकता है | वर्तमान समय में ज्यादातर लोग पेट के परेशानी से ग्रस्त है जैसे कब्ज़ , गैस, अल्सर ,बवासीर इत्यादि ,ये सभी के सभी गलत खान-पान के नतीजा है |
अगर एक बार पेट की परेशानी शुरू हुई तो मेडिकल साइंस में इसके इलाज ढूंढ़ते रह जाओगे | ढूंढते रह जाओगे, मतलब जिन्दगी भर दवाइयां खाते रहो परन्तु पूरी तरह से काबू नहीं कर पायेंगे | फिर शुरू होगी कुछ असाध्य रोग जैसे मधुमेह, रक्तचाप, ह्रदय रोग , गठिया इत्यादि ये सब के सब पेट की बिमारी कब्ज़ , गैस की देन है |


अतः हमें अपने आहार में परिवर्तन करना चाहिए | खाना में भरपूर मात्र में पौष्टिक तत्व हो, फाइबर युक्त हो, जिससे आपके पेट में कब्ज़ नहीं बनेगा और आप हमेश तरोताजा महसूस करेंगे |

एक और वनौषधि जो पेट के किसी भी प्रकार के रोग से लड़ने के लिए रामवाण है | कितना भी पुराना से पुराना कब्ज़ व गैस की परेशानी हो , आप उससे छुटकारा पा सकते है |

जी हाँ एक बार फिर से मैं बात करने जा रहा हूँ विश्व प्रसिद्ध व मनुष्य शरीर के लिए अमृत तुल्य " स्थिरीकरण एलो वेरा जेल " अपने जीवन के दैनिक आहार में शामिल करें और बहुत सारे बिमारी चाहे वो पेट की हो , त्वचा की , बाल की, या शरीर के किसी भी अंग की ,उसमे बहुत ज्यादा लाभ मिल सकता है |

शुद्ध और तजा एलो जेल जो ऍफ़.एल.पी
प्राकृतिक रूप से परिरक्षित कर जूस 4 साल के बाद भी एक ताजा पते के जूस के बराबर पौष्टिक मिलेगा |
दुनिया में शुद्ध एलो वेरा के सबसे बड़े उत्पादक होने के बाबजूद उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है गुणवता को कायम रखना | अपने स्वस्थ्य व सेहत के लिए लाखो लोग जिन उत्पादों पर निर्भर करते है, उनका उत्पादन करने व गुणवता और शुद्धता के सर्वोच्च मनको पर खरे उतरना सबसे बड़ी चुनौती है और ये बखूबी बड़ी ही जिम्मेदारी के साथ निभा रहे है |


इन सबके वाबजूद , ऍफ़.एल.पी एलो जेल को कई तरह की प्रतिष्ठा दिलाई है | इस उद्योग में प्रतिष्ठित इंटरनेसनल एलो साइंस काउन्सिल , सिल औफ़ अप्रूवल पाने वाली यह पहली कंपनी थी |

शुद्धता का यह अति सम्मानीय सबूत इस बात की आश्वासन है की हर उत्पाद में डाले गए शुद्ध एलो की गुणवता और मात्र किसी भी तरह से दुसरे दर्जे की नहीं है | इसके आलावा , ऍफ़. एल.पी के एलो वेरा पेय पदार्थों को अन्तराष्ट्रीय स्वीकृति और उत्कृष्टता के प्रमाण के तौर पर इंटरनेसनल कोशेर और इस्लामिक सिल्स औफ़ अप्रूवल मिली हुई है |

अतः हमारी कंपनी ऍफ़.एल.पी , दुनिया के 9 .5 मिलियन से भी अधिक वितरक को उच्च गुणवता वाले एलो वेरा आधारित स्वास्थ्य और सौन्दर्य उत्पाद प्रदान करने पर ध्यान केन्द्रित करते है |

हमें गर्व है की हमारे उत्पादों ने पूरी दुनिया के 145 से भी अधिक देशों के लाखों लोगों को लाभान्वित किया है और ऐसे ही गुणवता व उत्कृष्टता के लक्ष्य को जारी रखने का वादा करते है |

For Aloe Vera products Join Forever Living Products for free as a Independent Distributor and get Aloe Vera products at wholesale rates! (BUY DIRECT AND SAVE UP TO 30%)To join FLP team you will need my Distributor ID (Sponsor ID) 910-001-720841.or contact us- admin@aloe-veragel.com एलोवेरा के बारे में विशेष जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें


"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक | अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

Aug 14, 2010

अनेकता में एकता की पहचान है भारत

कल 15 अगस्त यानि हमारा स्वाधीनता दिवस | भारत स्वतंत्रता दिवस की 63 वीं वर्षगाँठ कल मनाने जा रही है | स्वत्रता दिवस को हमलोग राष्ट्रीय पर्व के रूप में मानते है | हम भारत वासियों के लिए यह आजादी एक सदी से भी ज्यादा दमनकारी शासन के बाद अगस्त 1947 में हासिल हुई | तो स्वाभाविक ही हमारे लिए बहुत बड़ा त्यौहार है और इसे हम सब मिलकर जश्न की तरह मानते है | हमारा मन तो अभी से भी हर्षोल्लास में विचरण करने लगा है | कल सुबह सबेरे ही राष्ट्र गान के साथ हमारे देश के प्रधान मंत्री लालकिला के प्राचीर से तिरंगा फहराएंगे | उसके बाद वो देश को संबोधित भी करेंगे |

हमारे राष्ट्रध्वज के तीनो ही रंग हम सब के लिए प्रेरणा के प्रतिक है | स्वतंत्रता दिवस के इस अवसर पर तिरंगे के रंगों के जरिये दर्शाया जाता है , हमारे लोकतंत्र, न्याय और खुशहाली का | प्रगति पथ पर हमारा देश सदा अग्रसर रहे यही हमारी शुभकामाएं होगी |

वो एक स्लोगन जो अकसर टेलीविजन और समाचार पात्र में देखने व सुनने को मिल जाता है " प्राउड टू बी इंडियन " | खुद को भारतीय होने में गर्वान्वित होनी चाहिए | भला हो भी क्यूँ न ? परन्तु इसमें क्या खास बात है, अपने देश में रहने वाले के दृष्टिकोण से वो देश उनके लिए महान है और होनी भी चाहिए |

परन्तु खास बात यह है की अपना देश भारत ही पूरी दुनिया में अकेली देश है जहाँ विविधताओं में एकता है | धर्म , क्षेत्र, भाषा, जाती और संस्कार आदि के सन्दर्भों में हमारे देश में जो विविधता नजर आती है, शायद ही किसी और देश में देखने को मिले | इन्हीं विविधताओं के वजह से हमारा देश अनेकता में एकता के जनक के रूप में जाना जाता है |

भौगोलिक दृष्टिकोण से भी हमारे देश में उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक में इतने परिवर्तन है की कहीं पहाड़ , तो कहीं पठाड, तो कहीं रेतीली तो कहीं जमीनी, यहाँ तक की एक प्रान्त से दुसरे प्रान्त तक पहुँचते ही मौसम भी बदल जाती है जैसे कहीं बहुत ज्यादा गर्मी है, तो कहीं बहुत ज्यादा ठंढ ,तो कहीं बरसात तो कहीं सूखाग्रस्त | अतः जमीनी विविधताओं के कारण भारत में मौसम सम्बन्धी अंतर भी दुसरे देशों से अलग बनाते है |

मौसम की इस विविधता के कारण मनुष्य के शारीरिक बनावट में भी काफी अंतर होता है | ऊँचे-ऊँचे पहाड़ पर रहने वाले लोग अकसर छोटे कद-काठी के होते है ,तो ज्यादा गर्मी झेलने वाले पूर्व और दक्षिण क्षेत्र के लोगों का रंग काला होता है तो ठन्डे प्रदेश के लोग लम्बे और ज्यादा गेहुआ यानि गोरे-गोरे होते है |


मौसम के आधार पर पहनावा भी एक प्रान्त से दूसरी प्रान्त का अलग नजर आता है | अगर पंजाब और जम्मू कश्मीर के तरफ जाए तो वहां के औरते शलवार और कमीज व पुरुष पठानी सूट पहनते है वहीँ मध्य उतर दक्षिण भारतीय महिला साड़ी को ज्यादा तबज्जो देती है और पुरुष धोती व कुर्ता को ज्यादा पसंद करते है |

पहनावे के बाद अब खान-पान को ही लीजिये तो इसमें भी बहुत तरह के व्यंजन है जो प्रान्त के अनुरूप बताना बड़ा ही मुश्किल है | दुनिया के जितने प्रकार के व्यंजन बनते होंगे इससे कहीं ज्यादा प्रकार के व्यंजन अकेले हमारे यहाँ बनते है | हमारे देश के अनोखी बात यह है की यहाँ के हर एक प्रान्त का खाना वहां के जाती धर्म और भौगोलिक संरचना से जुड़ा हुआ है |

हमारे देश की एक और अनोखी बात है की अपने-अपने धर्मो के अनुरूप पूजा अनुष्ठान करते है कोई कभी भी अपनी मान्यताओं या रिवाजों को अन्य पर थोपने की कोशिस नहीं करते है | भारत में दुनिया के तमाम धर्म,जाती के मानने वाले लोग यहाँ के नागरिक के रूप में रह रहें है |


संयुक्त राष्ट्र के सूचि में अबतक 5036 भाषा की मान्यता है जिसमे 4 हजार से भी ज्यादा अपने देश भारत में अकेले बोली जाती है | इससे बड़ा गवाही और क्या हो सकता है - भाषा, रंग-रूप, आहार- विचार , व्यवहार हर मामले में हम दुनिया से अलग है , जो हमें औरों से हटकर नजर आती है और यही विविद्ता हमारे भारतीय होने की निशानी है |

हमारे देश ही एक मात्र ऐसा देश है जहाँ प्रेम को परमात्मा के तुल्य माना जाता है | एक तरफ चमत्कारों को अंजाम देने वाला ताकतवर देवता हमारे आराध्य है तो दूसरी ओर प्रेम क्रीडा करने वाले कन्हैया को अपना भगवन माना है |


इसे हमारे देश की महानता ही कहेंगे जहाँ मंदिर और मस्जिद आस-पास बनाए जाते है और जहाँ ईद में हिन्दू सेवैयाँ खाते है ,तो होली में मुसलमान भाई गुजिया | अतः जो व्यक्ति ऐसे मौसम, माहौल और लोकतंत्र में रहता है जो अनेकता में एकता है , उन्हें दुनिया की किसी भी कोने के अपने आप को स्थापित करने में कठिनाई नहीं होगी | और वो स्वतः ही दुनिया में सर्वश्रेष्ठ कहलाने योग्य बन सकता है |

For Aloe Vera products Join Forever Living Products for free as a Independent Distributor and get Aloe Vera products at wholesale rates! (BUY DIRECT AND SAVE UP TO 30%)To join FLP team you will need my Distributor ID (Sponsor ID) 910-001-720841.or contact us- admin@aloe-veragel.com एलोवेरा के बारे में विशेष जानकारी के लिए आप यहाँ यहाँ क्लिक करें
"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक | अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

Aug 11, 2010

मिट्टी के औषधीय गुण


मिट्टी आसानी से हरेक जगह उपलब्ध हो जाती है इसीलिए उसे उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता है | परन्तु मिट्टी के एक टुकड़े को यदि प्रयोगशाला में जाँच कराया जाय तो उसमे अनेकों प्रकार के क्षार , विटामिन्स, खनिज, धातु, रासायन रत्न, रस आदि निकालेंगे |

क्या आपने कभी अनुभव किया है मिट्टी में एक बहुत ही खास गुण होता है |
शरीर के जिस भाग में गीली मिट्टी के लेप लगाकर बांधा जाय तो उस अंग विशेष का विषैला अंश खींचकर मिट्टी में चला जाता है | मिट्टी के अंदर विश्हरण शक्ति होता है | रोगुक्त अंग पर गीली मिट्टी के बाँधने के कुछ देर पश्चात् खोला जाय तो मिट्टी में मनुष्य के शरीर का विष बहुत अधिक मात्रा में मिलेगा |

औषधियां कहाँ से आती है? जबाब होगा पृथ्वी , मतलब सारे के सारे औषधियां के भंडार होता पृथ्वी | अतः जो तत्व औषधियों में है, उनके परमाणु पहले से ही मिट्टी में उपस्थित रहते है | मिट्टी के उपयोग द्वारा स्वस्थ्य सुधारने में हमें बहुत सहायक साबित हो सकती है इसके लाभ से बंचित न रहे, और निर्दोष,पवित्र भूमि पर पैदल यानि नंगे पाँव चलना चाहिए |


हरियाली , हरी भरी छोटी-छोटी घास पर नंगे पाँव टहलना शरीरी के लिए बहुत ही ज्यादा अच्छा होता है | जमीन पर सोने के लिए मुलायम बिस्तर लगाया जाय तो बहुत ही अच्छा है , यदि ऐसा नहीं हो सकेगा तो चारपाई जमीन से बिलकुल करीब हो ताकि मिट्टी से निकलने वाली वाष्प अधिक मात्रा में मिलता है |


सैम्पू और साबुन से स्नान करने का प्रचलन फैशन के इस दौर में बढा है | वैसे मिट्टी का प्रयोग साबुन के अपेक्षा हजार दर्जे अच्छा है | साबुन में मौजूद कास्टिक सोडा त्वचा में खुश्की पैदा करता है जबकि मिट्टी में यह बात नहीं है ,वह मैल को दूर करती है , त्वचा को कोमल , ताजा, चमकीली एवं प्रफुल्लित कर देती है | शरीर पर मिट्टी लगाकर स्नान करना एक अच्छा उबटन माना जाता है |

दिनों में उठने वाली घमौरियां और फुंसियाँ इससे दूर हो सकती है | सिर के बालों को मुल्तानी मिट्टी से धोने का रिवाज अभी तक मौजूद है | इससे मैल दूर होता है,काले बाल, मुलायम, मजबूत और चिकने रहते है तथा मस्तिस्क में बड़ी तरावट पहुँचती है |

साफ़ स्थान की मिट्टी चिकित्सा कार्य में उपयोग किया जाता है | खासकर चिकनी मिट्टी सर्वोत्तम माना गया है | इसकी पट्टी प्रायः हर बीमारी में फायदा करती है | ऐसा भ्रम न मन में पालें की इससे ठंढ लग जाएगी | यह अनेक परिक्षण के बाद गलत साबित हुआ है |


अन्दुरुनी भाग के विकार में जहाँ दबा का असर ठीक तरह से नहीं पहुंचा सके, वहां मिट्टी के उपचार से अच्छे परिणाम की उम्मीद की जा सकती है | इससे आप गुर्दे की खराबी,मूत्राशय रोग,पेट के भीतरी फोड़े,गर्भाशय सम्बंधित विकार,मासिक धर्म की अनियमितता व पेडू की सुजन,दिल की धड़कन के तीव्र होना या अति मंद हो जाना,फेफड़ो का क्षय रोग,जिगर व लीवर की सुजन व दर्द आदि शरीर के अधिक भीतर भाग में होने वाले रोगों में, उदर या छाती पर मिट्टी की पट्टी बांधने से भीतरी विष धीरे-धीरे खिंच जाता है और वे प्राण घातक रोग अच्छे हो जाते है |

पेट दर्द,कब्ज़, आँतों का दाह, पेचिश, जलोदर आदि के लिए पेट पर मिट्टी का लेप लगाकर बांधने से बहुत फायदेमंद साबित होता है | फुंसी, फोड़ा,जख्म, गाँठ, गिल्टी, नासूर, सुजन, खुजली, दाद, दर्द आदि के लिए उस स्थान पर मिट्टी बंधनी चाहिए जहाँ तकलीफ हो | मसूढ़ों के दर्द में गाल के ऊपर आस-पास मिट्टी बांधनी चाहिए |


जहरीले जानवर के काटे हुए स्थान पर मिट्टी की टिकिया या लेप तुरंत फायदा पहुंचाती है | बर्र, बिच्छु, ततैया,मधुमक्खी, कनखजूरा, चूहा,मेढक,छिपकली , मकड़ी,कुता, बन्दर आदि के काट लेने पर उस स्थान पर मिट्टी की टिकिया बांध देनी चाहिए, दर्द शीघ्र बंद हो जाएगा और जहर नहीं चढ़ने पायेगा |


For Aloe Vera products Join Forever Living Products for free as a Independent Distributor and get Aloe Vera products at wholesale rates! (BUY DIRECT AND SAVE UP TO 30%)To join FLP team you will need my Distributor ID (Sponsor ID) 910-001-720841.or contact us- admin@aloe-veragel.com एलोवेरा के बारे में विशेष जानकारी के लिए आप यहाँ यहाँ क्लिक करें
"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक | अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी ! <>/font

Aug 10, 2010

Forever Lean™


चलिए आज आपके साथ हम चर्चा करते है वर्तमान समय की ज्वलंत समस्या " मोटापा" जी हाँ ज्यादातर लोगों की परेशानी है बढ़ते वजन | तो किस तरह से आप अपने वजन को नियंत्रण में रख सकते है | फॉर एवर लिविंग प्रोडक्ट्स ने एक नया उत्पाद शामिल किया है जो आपके वेट को नियंत्रण में रख सकता है | जिसका नाम है "फॉरएवर लीन" |
"फॉरएवर लीन" दो ऐसी क्रांतिकारी सामग्रियों को इकठ्ठा करती है , जो शरीर को वसा और कार्बोहायड्रेट से कैलोरीज का शोषण कर वजन घटाने में मदद कर सकती है |

इन सामग्रियों में से सबसे पहली बहुत अनूठी,वसा सोखने वाला फाइबर है, जिसे कैक्टस के पौधे, ओपेन्शिया फिकस-इंडिका से निकाला जाता है , इसे इंडियन फिग, नेपाल या प्रिकली पेयर के नाम से भी जाना जाता है | शोधों से पता चला है की इस अनूठे फाइबर में पौधों के अन्य प्रकारों की तुलना में वसा को जोड़ने की अत्यधिक क्षमता है |


फॉरएवर लीन का दूसरा अनूठा घटक है फेसोलस बल्गारिस पौधे से खास तौर पर निकला गया प्रोटीन, इस पौधे को ह्वाईट किडनी बिन्स के नाम सभी जाना जाता है | यह प्रोटीन स्टार्च को शर्करा में बदलने वाली एंजाइम क्रिया को अस्थायी रूप से रोककर शरीर द्वारा छोटी अंत में शर्करा के शोषण को धीमा करने का काम करता है |

ये दोनों नए क्रन्तिकारी घटक मिलकर आपकी शरीर की वसा एवं कार्ब की शोषण प्रक्रिया को धीमा कर आपको अपने आदर्श वजन के लक्ष्य को पाने में मददगार हो सकते है |


फॉरएवर लीन में क्रोमियम ट्रायक्लोराइड है | क्रोमियम बहुत ही महत्वपूर्ण ट्रेस मिनरल बन जाता है जो जी. टी. ऍफ़. ( ग्लूकोज टालरेंस फैक्टर ) का सह घटक की तरह काम करके रक्त में शर्करा को नियंत्रित करने की शरीर की कुदरती क्षमता में मदद करता है | यह खास तौर पर सामान्य चयापचय के लिए महत्वपूर्ण है |

इस पूरक का अधिकतम प्रभाव पाने के लिए, यह याद रखना जरुरी है कि आपको अपने वजन के लक्ष्य को पाने और बरक़रार रखने के लिए अपने समग्र वजन नियंत्रण कार्यक्रम में पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम को शामिल करना पड़ेगा |

OTHER INGREDIENTS :-
Geletin, Water, Microcrystalline Cellulose, Stearic Acid, Croscarmellose Sodium, and Silicon Dioxide.


इस कैप्सूल को भोजन या नाश्ता करने से तुरंत पहले एक दिन में चार कैप्सूल तक पानी के साथ लें | एक डिब्बा में 120 कैप्सूल होते है |

> यह न्यूट्री-लीन वेट मनेजमेंट का अभिन्न अंग है |
> क्लीन 9 और न्यूट्री-लीन के अन्य घटकों के साथ मिलकर सम्पूर्ण कार्यक्रम के रूप में लिए जाने पर बेहतरीन नतीजे देती है |
> वसा और कार्बोहाईड्रेट्स कि कैलोरीज के शोषण को रोकने में मदद करती है |
> शर्करा कि कैलोरीज के शोषण को अस्थायी रूप से रोकती है |
> क्रोमियम शरीर को सामान्य चयापचय से रक्त शर्करा नियंत्रित करने में मदद करता है |
Forever Living Products - Forever Lean™
PRODUCT CODE# 289 CC 0.195 MRP 2118.67

For Aloe Vera products Join Forever Living Products for free as a Independent Distributor and get Aloe Vera products at wholesale rates! (BUY DIRECT AND SAVE UP TO 30%)To join FLP team you will need my Distributor ID (Sponsor ID) 910-001-720841.or contact us- admin@aloe-veragel.com एलोवेरा के बारे में विशेष जानकारी के लिए आप यहाँ यहाँ क्लिक करें
"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक | अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

Aug 9, 2010

स्वस्थ्य आहार सेहत की पहचान


वर्तमान समय में लोगों की व्यसत्ता के कारण सभी जंक फ़ूड कंपनियों की मौज हो रही है | कुछ तो लोगों की मज़बूरी और कुछ जीभ के स्वाद के कारण फास्ट फ़ूड जैसे बर्गर , पिज्जा, चिप्स, तली-भुनी चीजों, चाकलेट,पेस्ट्री-केक, और कोल्ड ड्रिंक में अपनी रूचि बढ़ाने लगे है | पर क्या शरीर के लिए ये भोजन स्वस्थ यानि हितकर है ? बिलकुल नहीं ! यह हमारे शरीर में बिभिन्न प्रकार के समस्या पैदा करते है | सही कारण है लोगों की तनावपूर्ण जिन्दगी ओर उचित खान-पान के आभाव |

स्वस्थ्य शरीर के लिए हमें स्वस्थ्यप्रद आहार की जरुरत होती है | स्वस्थ्य शरीर पर ही चेहरे की खूबसूरती निर्भर करती है | सिर्फ सौन्दर्य प्रसाधनों से ही शरीर सुन्दर नहीं बनाया जा सकता, इसके लिए सबसे जरुरी है आहार में पौष्टिकता का होना | संतुलित भोजन न केवल आपकी सेहत के लिए लाभप्रद है , बल्कि यह आपकी त्वचा के लिए भी फायदेमंद है |

वैसे तो त्वचा को नुकसान पहुँचाने कई कारण होते है | पर अधिकांश परिस्थितियों में अस्वस्थ त्वचा के लिए उचित खान पान ही उतरदायी होता है | भोजन की अनियमितता तथा पौष्टिकता की कमी का सीधा प्रभाव हमारी त्वचा पर पड़ता है जो लोग फल ,हरी सब्जियां प्रचुर मात्रा में लेते है उनकी त्वचा जवान ओर चमकदार रहती है | अतः स्वस्थ्य त्वचा पाने के लिए संतुलित व ताजे भोजन को अपनी आदत में शामिल करना जरुरी है |

खाने में रेशेदार चीजों को अपने भोजन में शामिल करें | ये रेशे अंकुरित अनाज , सब्जियों, फलों में काफी प्रचुर मात्र में होते है | उनसे पाचन क्रिया ठीक रहती है | शरीर के लिए जरुरत विटामिन्स व खनिजों भी फलों व सब्जियों में अधिकांशतः मिल जाता है | विटामिन्स और हमारे शरीर के बिच बहुत ही गहरा सम्बन्ध है | सभी विटामिन्स का हमारी त्वचा व सौन्दर्य पर प्रभाव पड़ता है |


विटामिन्स ए से त्वचा चमकदार व खिली खिली रहती है | नाख़ून ,बाल,हड्डियों और दन्त मजबूत होते है | मुहांसे से बचाव रहता है | यह दूध,क्रीम,दही,मक्खन,पनीर,अंडा,मछली,मुर्गी के गोश्त,पीले फलों और हरी पतेदार सब्जियों से कैरोटिन के रूप में प्राप्त किया जा सकता है | शरीर के लिए ओक्सिजन का होना जरुरी है , ठीक उसी प्रकार से त्वचा के लिए विटामिनस का होना जरुरी है |



विटामिन्स बी के सेवन से त्वचा स्वस्थ्य रहती है | बालों का झाड़ना रुक सकता है | आँखें स्वस्थ्य रहती है | यह हरी पतेदार सब्जियों, चाबल, आंटा, अंडा, मछली,दूध, दही,केले आदि से प्राप्त किया जा सकता है |
,


विटामिन सी की कमी से असमय झुर्रियों का सामना करना पड़ता है | इससे बचने के लिए साइट्रस फलों का सेवन बेहतर होता है जैसे संतरा,मौसमी,निम्बू,आंवले का सेवन बेहतर होता है | इसके अलावा सेब, पपीता,अन्नानास,टमाटर,अंगूर, शकरकंद, शलजम,गाजर आदि इस विटामिन्स के अच्छे स्त्रोत है |



उम्र बढ़ने के साथ-साथ विटामिन इ की आवश्यकता होता है ऐसा त्वचा विशेषज्ञों का मानना है | यह त्वचा की चमक बरक़रार रखते है | इसकी कमी से त्वचा प्राकृतिक चमक खो कर झुर्रीदार, धब्बेदार हो जाती है | अतः अपने खाने में मूंगफली, काजू, बादाम, खजूर, नारियल पानी आदि अवश्य शामिल करें |


आपके शरीर के लिए पारम्परिक भोजन प्रणाली ही उचित है | उसमे ज्यादा बदलाव की जरुरत नहीं है | खाने में ज्यादा साबुत आनाज ,ताजे फल,मौसमी फल,सब्जियां जो हमारे शरीर की जरुरत को ज्यादा बेहतर तरीके से पूरा करते है | रोजाना ४५ मिनट का व्यायाम करें | तनाव मुक्त रहे और भरपूर नींद साथ में बेहतर जरुरी है |


पानी त्वचा के लिए सर्वश्रेष्ठ औषधि है |
यह न केवल आपको ताजगी देता है,बल्कि त्वचा को आभा भी प्रदान करता है इसलिए अधिक से अधिक पानी पियें | पानी का अहम् काम शरीर से विषैले तत्वों को बहार निकलना है | पानी शरीर में उर्जा का संचार करता है | आज के जीवनशैली के लिहाज से पानी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है |

खाना खाने से पहले कितना भी पानी पी सकते है | खासतौर पर वजन काम करने में जुटे लोगों के लिए यह फायदेमंद होता है | खाना खाने से पहले पानी पिने से भूख कम लगती है | खाने के बाद अगले ४५ मिनट तक पानी न पिने की कोशिस करें |

एक महत्वपूर्ण जानकारी जो शरीर से विश्हरण के लिए जरुरी है वो है एलोवेरा , नित्य सेवन करें और जिन्दगी भर सुखी व निरोग रहें | सुबह खली पेट ६० ml तक पिए और पेट के बीमारी जैसे गैस,कब्ज़ से लेकर बिभिन्न प्रक्रार के असाध्य रोग से मुक्ति पायें | यह मानव जाती के लिए अमृत तुल्य है |
For Aloe Vera products Join Forever Living Products for free as a Independent Distributor and get Aloe Vera products at wholesale rates! (BUY DIRECT AND SAVE UP TO 30%)To join FLP team you will need my Distributor ID (Sponsor ID) 910-001-720841.or contact us- admin@aloe-veragel.com एलोवेरा के बारे में विशेष जानकारी के लिए आप यहाँ यहाँ क्लिक करें
"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक | अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

Aug 7, 2010

वेट मैनेजमेंट से बढ़ते वजन पर अंकुश लगाये !


मोटापा यानि की बढ़ते वजन की समस्या वर्तमान समय की सबसे बड़ी समस्या है | विकृत जीवनशैली व डिब्बा बंद खान-पान का ज्यदा स्वाद लेना , अधिक मात्रा में खाते रहना, हर वक्त कुछ न कुछ खाते रहना , दिन भर बैठे-बैठे काम करना, शारीरिक श्रम कम करना,व्यायाम न करना,आलसी प्रवृति का होना, दिन में सोना,ज्यदा तेलिय आहार का सेवन करना,मांसाहार तथा अंडा का सेवन करना, वंशानुगत प्रभाव, व हार्मोनल असंतुलन आदि कारणों से शरीर में चर्बी बढ़ने को मोटापा कहते है | एक बार मोटापा आ जाय दो दूर करना कठिन हो जाता है इस तरह मोटापा सौन्दर्य के साथ-साथ सेहत का भी दुश्मन है |

तो आइये आज हम आपके साथ चर्चा करते है वेट मैनेजमेंट की महत्व के बारे में :-
आज, पहले से कई गुना ज्यादा लोग अपने वजन और स्वस्थ जीवनशैली जीने के प्रति जागरूक हो गए है , वेट मैनेजमेंट का मतलब है अपने शरीर के वजन को स्वस्थ्य स्तर में रखना, जब वजन को नियंत्रण करने की बात है, तब नियमित व्यायाम और पौष्टिक आहार महत्वपूर्ण है, वेट मैनेजमेंट योजना इस पर निर्भर करती है की आपका वजन स्वस्थ्य स्तर से ज्यादा हा या कम !

आदर्श वेट मैनेजमेंट के लिए सुझाव :- अपने वजन का सफलतापूर्वक प्रबंधन के लिए, इस बुनियादी दिशानिर्देशों का पालन करें :-
> पौष्टिक, संतुलन आहार अपने जीवन शैली में आपनाए !
> अपना मनचाहा वजन बनाए रखने के लिए अपने आहार को अपनी शारीरिक गतिविधि के साथ संतुलन करें !
> जीवनशैली में स्थायी तौर पर बदलाव को प्रोत्साहन देने के लिए अपने खाने की आदतों को धीरे-धीरे ठीक करें !
> शराब पिने से बचना चाहिए , चुकी वजन बढ़ाने में बहुत ही सक्रीय भूमिका निभाती है !
> अपने व्यस्त कार्यक्रम और भागमभाग वाली जीवनशैली के साथ सही सेहत बनाए रखना बहुत ही मुश्किल काम है ! कुछ लोग आज के तेजी से भागते जीवन में आहार का पालन कर पाना नामुमकिन काम मानते है !
> तो आप किसे आदर्श आहार मानेगे? इसका स्वाद बढ़िया होना चाहिए, पालन करने में आसन होना चाहिए, शक्ति के स्तर बढाने वाला होना चाहिए और उससे आपका वजन पर जरुर नियंत्रण होना चाहिए यानि घटना चाहिए !

आपके के लिए अच्छी खबर यह है की फॉरएवर लिविंग प्रोडक्ट्स ने कठोर और अनुशासित आहार कार्यक्रम को बनाने और पालन करने में शामिल सभी काम अपने जिम्मे ले लिए है | हम आपको वेट मैनेजमेंट प्रोडक्ट्स का रेंज पर आगे विस्तृत जानकारी देंगे जो आपके वेट मैनेजमेंट लक्ष्य हासिल करने में सहायक होगा !

ये कार्यक्रम इस धारणा पर आधारित है की आप कितना खाते है, इस बात से फर्क नहीं पड़ता बल्कि इस बात से फर्क पड़ता है की आप क्या खाते है? कार्यक्रम के दिशानिर्देशों का पालन करें और आपके शरीर को उर्जा उत्पन्न करने, विकास को बढ़ावा देने, आपके शरीर की हर प्रणाली के स्वस्थ्य विकास और उचित कार्यों के लिए आवश्यक सभी कार्बोहायड्रेट, विटामिन्स, खनिज पदार्थ और प्रोटीन मिलेंगे !

यदि आप फिट रहना चाहते है या यदि आपने अपना आदर्श वजन हासिल करना चाहते है या संतुलित मांस-पेशियाँ बनाना चाहते है तो वेट मैनेजमेंट प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले ! इस कार्यक्रम में स्वस्थ्य, पौष्टिकता से भरपूर आहार का स्त्रोत शामिल होता है जिससे आपको वजन घटाने में मदद मिल सकती है !

हमारे वेट मैनेजमेंट प्रोडक्ट्स में एलो वेरा जेलस, फॉरएवर गर्सिनिया प्लस, फॉरएवर लाईट शेक्स और फॉरएवर लीन का समावेश है ! हमारे कार्यक्रम को और भी आसान बनाने के लिए , हमने अपने बेहतरीन वेट मैनेजमेंट प्रोडक्ट्स को अपने कुछ पौष्टिक पूरकों के साथ कोम्बो पैक्स कर दिया है, इसका पालन करने के निर्देश भी आसान है जो आपको आपके आदर्श वजन की ओर ले जायेंगे !
अगले अंश में हम इसे सम्बंधित एक-एक करके सारे उत्पाद के बारे में चर्चा करेंगे तब तक पढ़ते रहिये और अगर, कोई किन्तु-परन्तु मन में हो तो आप जरुर बात करें |

एलोवेरा के कोई भी स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद 15 % छूट पर खरीदने के लिए admin@aloe-veragel.com पर संपर्क करें और ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें
"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक |
अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

Aug 3, 2010

आँवला शरीर के लिए अमृत तुल्य |


चिक्तिसा परामर्श हेतु हमसे संपर्क करने वालो में सर्वाधिक संख्या उन रोगियों की होती है जो उदर रोगों से पीड़ित होते है - जैसे अपच,भूख न लगना, गैस, एसिडिटी और सबसे मुख्य रोग कब्ज़ | अनियमित दिनचर्या और अनुचित आहार-विहार के अलावा मानसिक तनाव, नाना प्रकार के कारणवश होने वाली चिंता का सीधा प्रभाव नींद और पाचन संस्थान पर पड़ता है और व्यक्ति अनिद्रा तथा अपच का शिकार हो जाता है और इस स्थिति का निश्चित परिणाम होता है कब्ज़ होना | कब्ज़ कई व्याधियों की जड़ होती है जिसमे बवासीर, वात प्रकोप, एसिडिटी, गैस और जोड़ों का दर्द आदि व्याधियां कब्ज़ के ही देन होती है |

तो आज मैं चर्चा करने जा रहे है जिसमे सारे रोगों को दूर करने की शक्ति है,जो की ठंढी प्रकृति का है तथा इसकी विशेषता यह है की सूखने पर भी इसके गुण नष्ट नहीं होते | इसे आप हरा या सुखा किसी भी रूप में खाकर इसके सामान गुण का लाभ उठा सकते है | जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ आयुर्वेद में मशहूर बनौषधि जिसका नाम है " आँवला"

संस्कृत में आँवले को अमरफल, आदिफल, आमलकी , धात्री फल आदि नामों से पहचाना जाता है | लेतीं नाम :- एम्ब्लिका ओफिसिनेलिस( Emblica officinalis )

आँवला सर्दी की ऋतू में ताजा मिलता है | नवम्बर से मार्च तक अवाला ताजा मिलता रहता है | जनवरी-फ़रवरी में आवला अपने पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है |

जो आंवला आकर में बड़ा होता हो, गुदे में रेशा नहीं हो, बेदाग और हलकी-सी लाली लिए हुए हो, वह आँवला सबसे उत्तम होता है | वैसे सर्दियों में ही इसका मुरब्बा, अचार, जैम आदि बनाए |


आँवले में विटामिन- सी ( "C") पाया जाता है | एक आँवले में विटामिन- सी की मात्रा चार नारंगी और आठ टमाटर या चार केले के बराबर मिलता है | इसलिए यह शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति में महत्वपूर्ण है | विटामिन-सी की गोलियों की अपेक्षा आँवले का विटामिन-सी सरलता से पच जाता है |

आँवले में पाए जाने वाले कार्बोहायड्रेटस में मुख्य है रेशेदार 'पेक्टिन' | यह रक्तवाहिनियों के विकारों को नष्ट करने में सक्षम है | यह फल मधुरता और शीतलता के कारण पित को शान्त करता है |यह फल पितनाश्क होने के कारण पित-प्रधान रोगों की प्रधान औषधि है |


आँवले में ५८ मि .ग्रा. कैलोरी, ०.५ मि .ग्रा. प्रोटीन, ५० मि .ग्रा. कैल्सियम, १.२ मि .ग्रा. लोहा, ९ मि .ग्रा. विटामिन , ०.०३ मि .ग्रा. थायोमिन, ०.०१ मि .ग्रा. रिबोफ्लोविन, ०.२ मि .ग्रा. नियासिन, ६०० मि .ग्रा. विटामिन-सी |

आँवले के गुद्दे में जल ८१.२ प्रतिशत, कार्बोहाईड्रेट १४.१ प्रतिश, खनिज लवण ०.7 प्रतिशत, रेशा ३.४ प्रतिशत, वसा ०.१ प्रतिशत और फास्फोरस ०.०२ प्रतिशत होता है | आँवले में कई विटामिन होते है , जिनमे प्रमुख है - विटामिन -सी, यानि स्कार्बिक एसिड | आँवले में गेलिक एसिड, टैनिन और आल्ब्युमिन भी मौजूद होते है |


कब्ज़ में आँवला रात को एक चम्मच पिसा हुआ पानी या दूध के साथ लेने से सुबह शौच साफ़ आता है , कब्ज़ नहीं रहती | इससे आंते और पेट हलकी और साफ़ रहता है |

आंतरिक शक्ति बढ़ने वाली औषधियों का प्रधान घटक आँवला ही है | आँवले में एक रसायन होता है, जिसका नाम सकसीनिक अम्ल है | सकसीनिक अम्ल बुढ़ापे को रोकता है और इसमें पुनः यौवन प्रदान करने की शक्ति भी होती है | इसमें विद्यमान विभिन्न रसायन बीमार और जीर्ण कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में अपना अच्छा योगदान देते है |


आँवले के नियमित सेवन से नेत्रज्योति और स्मरणशक्ति बढती है | यह गर्भवती महिला के लिए हितकर है | इससे ह्रदय की बेचैनी, धड़कन, मेदा, रक्तचाप,दाद आदि में लाभदायक है |

मधुमेह के रोगीओं के लिए :- सूखे आँवले और जामुन की गुठली समान मात्रा में पिस ले | इसकी दो चम्मच नित्य प्रातः भूखे पेट पानी के साथ फंकी लें | मधुमेह में निश्चित तौर पर फायद होगा | मधुमेह रोगीओं के लिए आँवले का ताजा रस लाभप्रद होता है | इसके सेवन से रक्त में शक्कर बनाना कम हो जाता है | आँवला पाउडर १ चम्मच दो बार पानी या दूध के साथ लेने से मधुमेह में लाभ होता है |

वैसे तो आंवले शरीर के सम्बंधित अधिकांश रोगों से लड़ने में कारगर है , परन्तु मैं यहाँ कुछ रोग जो वर्तमान में ज्यादा लोग ग्रसित है उसके बारे में बताते है :-

उच्च रक्तचाप :- आँवले में सोडियम को कम करने की क्षमता होती है | इसलिए रक्तचाप के रोगी के लिए आँवले का उपयोग लाभदायक है | यह रक्त बढाने और साफ़ करने में सहायक है तथा इससे शरीर को आवश्यक रेशा मिलता है |

ह्रदय एवं मस्तिस्क की निर्बलता :- आधा भोजन करने के पश्चात् हरे आंवलों का रस ३५ ग्राम पानी में मिलकर पी लें, फिर आधा भ्जोजन करें | इस पारकर २१ दिन सेवन करने से ह्रदय एवं मस्तिस्क की दुर्बलता दूर होकर स्वास्थ्य सुधर जाता है | स्मरण-शक्ति बढती है |

कोलेस्ट्रोल , ह्रदय रोग से बचाव :- एक चम्मच आँवले की फंकी नित्य लेने से ह्रदय रोग होने से बचाव होता है | कच्चे हरे आँवले का रस चौथाई कप, अध कप पानी, स्वादानुसार मिश्री मिलकर पीते रहने से कोलेस्ट्रोल कम होकर सामान्य हो जाता है , जिससे ह्रदय रोग से बचाव होता है |

सुन्दर संतान :- नित्य एक आँवले का मुरब्बा गर्भावस्था में सेवन करते रहने से मान स्वस्थ्य रहती हुई सुन्दर, गौरवर्ण संतान को जन्म देगी |

नेत्र-ज्योतिवर्धक :- एक कांच का गिलास पानी से भरकर नित्य रात को उसमे एक चम्मच पिसा हुआ आँवला दल दें | प्रातः बिना हिलाए आधा पानी छानकर उससे नेत्रों को धोये तथा बचा हुआ आधा पानी आँवले सहित पियें | इस तरह लगातार चार महीने सेवन करने से नेत्र ज्योति बढ़ जाएगी |

हस्त-मैथुन :- हस्त-मैथुन से धातु पतली हो गई हो तो , सबसे पहले मेरा युवकों को सलाह है की हस्त-मैथुन की आदते छोड़ दें | इस तरह से लोग अक्सरहा शारीरिक व मानसिक दोनों प्रकार की दुर्बलता का शिकार हो जाते है फिर निम् हाकिम के चक्कर में फंसते जाते है | इसलिए ऐसी कोई परेशानी हो तो आप सही चिकित्सक के पास जाए और उचित परामर्श लें | यहाँ आप आँवले तथा हल्दी को समान मात्रा में पीसकर , घी डालकर सकें और भुने | सिकने के बाद इसमें दोनों के वजन के बराबर पीसी हुई मिश्री मिला ले | एक चाय की चम्मच भरकर सुबह-शाम गर्म दूध से फंकी ले तो धातु दुर्बलता दूर होगा |

एलोवेरा के कोई भी स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद 30 % छूट पर खरीदने के लिए admin@aloe-veragel.com पर संपर्क करें और ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें
"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक |
अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !