" "यहाँ दिए गए उत्पादन किसी भी विशिष्ट बीमारी के निदान, उपचार, रोकथाम या इलाज के लिए नहीं है , यह उत्पाद सिर्फ और सिर्फ एक पौष्टिक पूरक के रूप में काम करती है !" These products are not intended to diagnose,treat,cure or prevent any diseases.

Mar 16, 2014

केजरीवाल का काला सच ??

आम आदमी के संजोयक केजरीवाल आज ऐसे मेहमान ढूंढ रहे है जो इनके साथ बैठकर दस हजार, बीस हजार रुपैये का खाना खा सके ! इस राजनीती में आम आदमी कहाँ बचा है ? केजरीवाल के राजनीती का ये काला चेहरा है जो लोगों के सामने आ रहा है ! दिल्ली की चुनाव जितने के बाद केजरीवाल ने कहा जीत किसकी हुई है - यह आम आदमी की जीत है , जनता बिच में जायेंगे और उनकी सेवा करेंगे !

वो केजरीवाल कहाँ खो गया ? चुनाव से पहले नागपुर के चमचमाते होटल में जब हजारी प्लेट बिछाई जायेगी तो केजरीवाल का विश्वास उन पाखंड के सामने सर झुकाये खड़ा होगा ! आम आदमी की राजनीती जब रईस के रुपैया खरीद लेगा तो परिवर्तन कि बुनयाद हिल नहीं रही होगी ये सबाल परेशान तो करेगा ही ! क्या अरविन्द केजरीवाल दस रुपैये में मिटने वाली भूख पर प्रीमियम वसूलने का फैसल क्या है वो भी हजार से दो हजार गुना ? और जब ये फैसला कर लेते है तो वो यकीन अपनी मौत मर लेते है की आम आदमी की अठन्नीयाँ भी एक आदर्श राजनीती के रस्ते खोल सकते है ! दस हजार का रात्रिभोज उस रिक्से वाले का चंदा मिटा नहीं देगा ? क्या केजरीवाल इस बात का जबाब देंगे की करोड़पतियों की ये जमात बिना अपनी फायदे की उम्मीद के उनके साथ दस हजार का डिनर क्यों करेगी ?

क्या केजरीवाल को बताना नहीं चाहिए कि जब ताकत आम आदमी का है तो रुपैये खास आदमी का क्यों चाहिए ? क्या केजरीवाल ने अब स्वीकार कर लिया है की रुपैये के अम्बार के बिना राजनीती नहीं बदल सकती ? यह सबाल तो बनता है की जिस जनता ने केजरीवाल कि एक पुकार पर उनकी तिजौरी में इतना रुपैया भर दिया था की उन्हें मना करना पड़े , उसी जनता पर उन्होंने फिर से भरोसा क्यों नहीं किया ? क्या केजरीवाल को वाकई आम आदमी पर भरोसा नहीं रहा या फिर आम आदमी को केजरीवाल पर भरोसा नहीं रहा ?

क्या केजरीवाल को अपनी राजनीती से ज्यादा रईस लोगो पर भरोसा हो चला है ? या फिर उन्होंने मान लिया है की राजनीती में रुपैया नहीं तो कुछ भी नहीं ! अगर केजरीवाल को इसी तरह से रुपैये जुटाने थे तो सितारा होटल के कैंडल लाइट डिनर के वजाय शहर के मैदान में चटाई बिछाकर चुनाव का खर्च निकाल सकते थे ! अब यह सबाल तो बनता है की केजरीवाल ने आम आदमी के बीच पचास रुपैये की थाली क्यों नहीं बेचीं और क्या गारेंटी है की आज दस हजार की थाली बेचने बाल कल लाखो की थाली नहीं बेचेंगे और आगे करोड़ों की चन्दा नहीं लेंगे ?

पार्टी का जो मूल मुद्दा था वो कहीं ग़ुम सा हो गया है जैसे भ्रष्टाचार, सुराज्य सुशाशन ये सब कही गायब सा हो गया है ! वास्तव में केजरीवाल का सियासत बुनियादी विश्वास व सहयोग की राजनति थी परन्तु उनके डिनर ने उनकी सोच को भी संकीर्ण किया है ! और उनसे ज्यादा सिमटा हुआ है उनका आत्मविश्वास की सिर्फ सही होने के दम पर सियासत के सामानांतर लकीरे खिची जा सकती है क्योंकि रोटी के पहले कौर के साथ ही रईसों का यह गरूर सातवे आसमान पर पहुच चूका होगा कि राजनीती उनके रुपैये से चलती है ,जिसके खिलाप लड़ने के लिए चौराहो ने केजरीवाल को चमत्कार का सारथी बनाया था !

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Feb 21, 2014

"जान बचे तो लाख उपाय, लौट के झूठे घर को आय "

दरअसल आम आदमी पार्टी की राजनीतिक नीव ही झूठे व लोक लुभावने वायदे से हुई ,जो तर्कसंगत नहीं थे ! आम लोगों की धरना थी की टीम केजरीवाल अन्य पार्टी से अलग काम करेंगे ! जैसा की उन्होंने अपनी एजेण्डे में शामिल किया था ! आम आदमी पार्टी की उम्मीद से कहीं ज्यादा राज्य चुनाव में जीत हासिल की ,अप्रत्यासित जीत के बाबजूद उन्हें बहुमत नहीं मिली परन्तु बिना शर्त काँग्रेस ने समर्थन दिया , फिर रायसुमारी जनता के बिच और ना जाने क्या क्या ड्रामेबाजी किये गए अंततः केजरीवाल साहेब ने जनता पर अपना अहसान जताया और मुख्यमंत्री बनने पर राजी हो गए ! सरकार बनाने और चलाने के प्रति केजरीवाल साहेब शुरू से ही गम्भीर नहीं रहे ! सरकार बनाने का कार्य तो अनिशिचितता से हुई पर उनके काम करने का तौर तरीके से अंत जल्द होगी ये जरुर निश्चित थी !

उनकी छटपटाहट , हरबराहट में लिए गए तमाम फैसले केजरीवाल के मनसा पर प्रश्नचिन्ह उठ रही है ! क्या वो वाकई दिल्ली के लिए कुछ करना चाहते थे ? क्या वो कार्य पूरा कर लिए जिसके लिए आम जनता ने उन्हें हाथो-हाथ लिया था ? बिजली -पानी ,महिला सुरक्षा,शिक्षा ,रैनबसेरा इत्यादि अनेक प्रकार के समस्याएँ से जूझती दिल्ली को क्या निदान हो गया ?

>क्या वाकई लोकपाल ही दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या थी ? अरे केजरीवाल जी अगर भ्रष्टाचार के विषय से आप वाकई चिंतित थे तो सबसे पहले निचले स्तर से काम करते , जैसे राशन कार्ड जो दिल्ली वालो के लिए सबसे बड़ी समस्या है , राशन दुकान और राशन कार्ड के लिए कभी आप धरना पर बैठते तो शायद दिल्ली के लोगो को भी लगता की वाकई आप कुछ करना चाहते है ! निचले स्तर पर आज भी गरीब लोगो के लिए दो जून की रोटी पर भी मुसीबत हो रही है !

लेकिन आप की छटपटाहट तो शुरू से ही भागने के लिए था ! तंग मानसिकता के परिचायक तब बने जब दो पुलिस वाले को छूटी भेजने के लिए अपने दल बल के साथ धरना पर बैठ गए ! गणतंत्र दिवस पर आपकी टिपण्णी भी आपकी दिमागी दिबलियापन नहीं तो और क्या था ? डेढ़ महीने में आपने हमेशा लाइट कैमरा और एक्शन वाले काम किया है ! काम हो न हो ढोल पीटने वालों को साथ में पहले से लेकर चलते थे !

क्या टीम केजरीवाल बतायगा की सिमरत ली अमेरिकन ( CIA ) एजेंट अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के NGO कबीर में साल 2010 में 4 महीने के लिए काम किया था और उसी दौरान अमेरिका से 86 लाख रुपैये का अनुदान राशि भी मिली थी ! ऐसा क्या काम किया था जिसके बदले उन्होंने अमेरिका से इतनी बड़ी धन राशि मिली थी ! केंद्र सरकार ने कई बार चिट्ठी लिखी है पर ये लोग अभी तक जबाब नहीं दिया है ! आखिर माजरा क्या है ?

भ्रष्टाचार के खिलाप ढोल पीटने वाले ढोली अपनी करतूत क्यों नहीं साफ करती है ? अभी हाल ही हर्षवर्धन जी भी सबाल उठाये है फिर वो मौन क्यों है ? बस दुसरो के बारे में अनाप-सनाप बाते करना ही उनका एक मकसद है ! पर जब खुद ही भ्रष्टाचार के दल-दल में ऊपर से निचे तक फंसा हो तो औरो को भी ऐसा ही समझते है ! एक कहाबत है न " चोरक ध्यान मोटरिये पर " ! जो चोर होते है वो सबको चोर ही समझते है !

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Jan 21, 2014

केजरीवाल का कुचक्र , लुटिया डुबोने पर उतारू !

लगता है दिल्ली की राजनीती में जैसे कबड्डी मैच चल रही हो ! एक तरफ टीम केजरीवाल जो आम आदमी पार्टी के संस्थापक और वर्त्तमान मुख्य मंत्री जी है और सामने प्रतिद्विंदी दिल्ली की पुलिस है और रेफरी यहाँ के केंद्रीय गृह मंत्री सुशिल कुमार शिंदे है ! मैच का परिणाम चाहे जो भी हो जनता की हार हर हाल में सुनिश्चित नजर आ रही है ! जनता अब क्या करें? कहाँ जाएँ ? अपनी दुखड़ा किसके पास लेकर जाये? क्योंकि केजरीवाल जी भूल चुके है की वही यहाँ के मुख्यमंत्री है ! परन्तु व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर अनायास आन्दोलन की कोई खास जरुरत यहाँ नजर नहीं आ रही है ? पहले यहाँ के जनता से किये हुए वायदे को पूरा कर लेते इसके बाद जो आन्दोलन का कीड़ा उनके अंदर है वो भी पूरा कर लेते ! इन सब आपाधापी में जनता बिचारी अपनी भाग्य को कोश रही है की क्या हमने इन्हे सिर्फ रोड छाप राजनीती करने के लिए वोट दिया है या सचिवालय में बैठ कर भी कोई नेक काम जो जनता के हक़ में हो उसकी लड़ाई लड़ी जा सकती है ?

दिल्ली की नव निर्वाचित सरकार जिस प्रकार अपना सचिवालय चौराहे पर लगा रखी है यहाँ तक की कुछ जरुरी कागजाते भी वहीँ पर हस्ताक्षरित किये जाते नजर आ रहे थे ! उससे दिल्ली कि अंतराष्ट्रीय पटल पर केजरीवाल साहेब क्या सन्देश देना चाहती है ? क्या यह देश और सचिवालय जैसे प्रतिष्ठित संस्था की गरिमा के साथ छेड़छाड़ नहीं है ? और तो और आजकल उनकी भाषा भी अनपढ़ और सामयवादी लम्पटवाद जैसे हो रही है ! मानसिक स्थिति जैसे असंतुलित हो गया हो, कुछ भी बोल रहे है ? मुख्यमंत्री जी शिंदे को नहीं पहचानते, और वो कहते है कौन होता है शिंदे मुझे बताने वाले कि मैं कहाँ धरना पर बैठूं , मैं दिल्ली का मुख्यमंत्री हूँ मेरी मर्जी कहीं भी बैठ सकता हूँ , मैं बता सकता हु कि शिंदे को कहाँ बैठना है ? अब यह कितना मर्यादित और संयमित भाषा है हमारे आम आदमी पार्टी की आप ही निष्कर्ष निकाले !

केजरीवाल साहेब को एक बात और मान लेनी चाहिए की "काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ा सकते है " और हाँ महोदय जनता बिलकुल जागरूक है जैसा कि आप जानते है ! आप के लाइट एक्सन और मिडिया प्रेम भी अच्छी तरह से समझने लगे है ! अगर अपनी औकात में समय से पहले आ जाये तो बेहतर होगा वर्ना आम आदमी की ताकत भला आप से अच्छा और कौन जान सकता है ? वो जब सर आँखों बिठा सकता है तो जमीं पर पटकने में भी उन्हें जायदा वक्त नहीं लगेगा !

आम आदमी पार्टी अब आम आदमी के लिए अभिशाप साबित होने लगा है ! आज के तारीख में दिल्ली वासियों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत अगर कोई है तो वो है आम आदमी पार्टी और उनके मुखिया अरविन्द केजरीवाल, जो अनरगल कार्यों और अपने आप को मीडियामय करने के लिए तरह तरह के ड्रामा करने में लगे रहते है !

अपने घरों में खुद आग लगाकर हाथ सेक रहे है और दूसरे लोगों के बारे में बड़ी बड़ी बाते कर रहे है ! जब घर मुखिया को कोई फिर्क नहीं हो तो दूसरा कोई क्यों चिंता करने लगे ?मुख्यमंत्री जी दिल्ली की महिला सुरक्षा को लेकर इतना सख्त है ये पता नहीं था ? जहाँ उनकी रिहायश है, जो उत्तरप्रदेश मे है क्या वो महिला सुरक्षा के दृष्टिकोण से बिलकुल सुरक्षित है ? धरना अब उत्तरप्रदेश में भी तयारी करनी चाहिए ! " करना न धरना , सिर्फ करते रहो धरना "

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Dec 25, 2013

सकारात्मक व रचनात्मक राजनीति आम आदमी की प्राथमिकता हो तो बेहतर ?

तक़रीबन दो हप्ते से चल रही ड्रामा अब क्लाइमेक्स तक पहुँच चुकी है ! कल हाई वोल्टेज ड्रामा आम आदमी पार्टी के अंदर भी देखा गया ! दिल्ली की जनता को शायद इस तरह का ड्रामा कि उम्मीद कम से कम आम आदमी पार्टी के विधायक से नहीं थी ! परन्तु मंत्री पद नहीं मिलने के कारण विनोद कुमार बिन्नी ने जिस तरह से अपना तेवर दिखा कर मीटिंग से भागे बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण और आम आदमी पार्टी पर एक दाग जरुर लगा दिया ! अब चाहे इसके लिए AAP के लोग कोई भी सफाई दे परन्तु जो कुछ भी हुआ इससे यह साबित हो जाती है कि AAP के भी अंदर सबकुछ ठीक नहीं है !

ईमानदारी और नैतिकता की ढिंढोड़ा पीटने वाले AAP के विधायक की कलय खुल गई ! महत्तवकांक्षा व वर्चस्वता जीत कर आये हुए सभी विधायक में होगी ! "AAP" के विधायक भी इन्ही धरती पर पले बढे हुए है , इन्होने भी यही के वातावरण में साँस ली है ! तो वो यहाँ के आबोहवा से अछूता कहाँ रह पायेगा ! इनकी भी जरूरते है , खुद भी समस्या होगी और सबसे बड़ी बात है की जब तक खुद समस्या में घिरी होगी तबतक औरों को कहाँ से समस्या से मुक्त करने का सोचेगा ! AAP के लोग कोई देव लोक से धरती पर नहीं अवतरित हुए है ,जो लोभ , मोह,अर्थ,काम ,वासना इत्यादि से मुक्त हो !

एक लाइन मैंने कभी पढ़ा था , आज जरुर यहाँ रखना चाहूंगा :-

" मंच जबसे अर्थदायक बन गए है , तोतला भी गीत गायक बन गए है ! राजनीती इस कदर गिरने लगी है , जेबकतड़े भी विधायक बन गए है !"

मेरी "आप" के लोगों से गुजारिश होगी कि सरकार बनाने के बाद जो बुनियादी मसला है जैसे बिजली व पानी कि समस्या को प्राथमिकता दे फिर जो भी कानून बनाना चाहते है वो बनाये और जरुर लोगो को साफ सुथड़ी व भयमुक्त,भ्रष्टाचार मुक्त दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरा भारत को बनाये ! स्वागत योग्य होगा अगर आम आदमी पार्टी सकारात्मक व रचनात्मक तरीके से किये हुए वायदे को पूरा करती है ! AAP को सरकार बनाने के लिए बहुत बहुत बधाई !

प्रतिशोध की राजनीती फ़िलहाल AAP के लिए खाई खोदने के सामान होगा ! जिससे पार्टी कि छवि ख़राब होगी व लोगो में गलत सन्देश जायेगा कि वो अपने किये हुए वायदे पूरा नहीं कर पाते इसलिए इस तरह का ड्रामा किया है ! आम जनता यही सोचेगी कि बड़ी बड़ी किताबी बाते सुनने में बहुत अच्छी लगती है पर क्या वाकई इन बातों को अमल में लाना मुश्किल काम है ? आपकी राय जानना जरुर चाहुगा !

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Dec 21, 2013

"आम आदमी पार्टी " की वायदे और इरादे !

आम आदमी पार्टी की मनोदशा आज ठीक उस कहाबत को सपष्ट करती है जैसे " अधजल गगरी छलकत जाय" ! अरविन्द केजरीवाल और उनके टीम खुद के बनाये गए चक्रब्यूह में उलझते जा रहे है ! अमर्यादित भाषा का प्रयोग तो जैसे उनकी रोजमर्रा की बात हो गई है ! आम आदमी पार्टी के लोगों से दिल्ली की जनता कम से कम दूसरे नेता से जरुर अलग सोच रखते है ! लेकिन कुमार विस्वास जिस तरह से उजुल-फिजूल व्यानबाजी करते है उनसे तो यही लगता है कि "AAP" सरकार बनाने से बचना चाहते है !

क्यों नौटंकी करके आम जनता को बेबकूफ बनाना चाहती है ? केजरीवाल जी को समझना चाहिए कि वो वही जनता है जिन्होंने कोंग्रेस और भाजपा जैसे दोनों पार्टी से खपा होकर आपको बहुतमत के करीब लाया है और चाहती है कि सरकार बनाकर अपना दम दिखाए , फिर जो आपने लोगों को सपना दिखाए है उन्हें पूरा करें ! जब समय आ गया है तो कभी SMS-SMS का खेल खेल रहे है तो कभी नुक्कड़ नाटक का सहारा लेकर फैसला लेने का ढिंढोड़ा पिट कर अपनी राजनितिक अपरिपक्ता का परिचय देकर स्वयं को फजीहत करा रहे है !

श्री मान केजरीवाल जी जनता ने आपको अपना मत "आप" के पक्ष में दे दिया है ! आप को जनमत का सम्मान करते हुए अपने किये हुए वायदे अपनी मजबूत इरादे से करना चाहिए ! परन्तु रोज आप नए तरह फालतू नौटंकी से जनता को उलझाने व बेब्कुफ़ बनाने का प्रयास करते है !

अगर जनता "आप" जैसे नौसिखिये को सर आँखों पर बिठा सकती है तो धूल चटाने में भी जरा सा वक़्त नहीं लगेगा ! आज की परिस्थिति में सोचने के बदले "आप " लोकसभा चुनाव के बारे में सोच रहे है ! यही जनता तब भी होंगे श्री मान जी फिर आपकी मानसिकता को समझ चुके होंगे कि आप कितने अवसरवादी है ? और फिर क्या फर्क रहा "AAP", कोंग्रेस व बीजेपी में ? आपका भी नाम अवसरवादी के सूचि में हो जायेगा ! आप से लोगो से अपेक्षा यही है की नौटंकी ना करे और ध्यान अपने किये गए वायदे पर केंद्रित कर लोगों के उम्मीदों पर खरे उतरें !

अंत में एक बात और जरुर रखना चाहूंगा कि "जनमत संग्रह और लोगों कि रायसुमारी "पर ज्यादा उछलने का प्रयास ना करें ! कारण यह है कि अगर 80 प्रतिशत जनता का मत "आप" के यानि सरकार बनाने के पक्ष में है तो वो आपके विरोधी है और वो आपको जांचना व परखना चाहते है और असल में वो जनता आपका है या आपके साथ है जो सरकार नहीं बनाने के बारे में राय रखते है ! तो महाशय शुभचिंतक की संख्या धीरे धीरे आपके नौटंकी से खपा होकर दिनानुदिन घटती जा रही है ,इसके लिए आपको यानि कि टीम केजरीवाल को चिंता होनी चाहिए ! हमारी सहानुभूति आपके साथ रहेगी , ईशवर आपको सद्बुद्धि दे !

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Dec 15, 2013

ये पब्लिक है सब जानती है !

दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी की अप्रत्यासित परिणाम राजीनीति में नए आयाम लेकर आई है ! यह निश्चित रूप से स्वागत योग्य है ! परन्तु समझना होगा कि यह साल भर पहले तैयार हुई नई पार्टी कि जीत नहीं है बल्कि अन्ना ने जो सामाजिक और संसदीय प्रणाली में परिवर्तन के लिए लगातार आंदोलन व अनशन करते रहे और आज भी वो डटे हुए है, उन्ही का नतीजा है ! दरअसल अण्णा के प्रति देश भर में लोगो का विश्वास बीते साल एक जनसैलाव के रूप में देखा गया !दिल्ली में आम आदमी पार्टी कि उम्मीद से ज्यादा परिणाम निश्चित रूप से अण्णा के प्रयास का ही फल है ! भ्रष्टाचार विरोधी कानून जन लोकपाल के लिए अनवरत कोशिस का परिणाम आज अरविन्द केजरीवाल को मिली है ! दिल्ली के जनता को इस बार आम आदमी पार्टी से बहुत ज्यादा अपेक्षा रखती है ! लोग चाहते है कि वो सरकार चलाये,अपनी काबिलियत साबित करके विरोधी पार्टी को जबाब दे , ताकि आने वाली लोक सभा में उन्हे देश भर में और ज्यादा से ज्यादा लोग AAP पर भरोसा कर सके ! पहली बार दिल्ली में देखा गया कि यहाँ विपक्ष में बैठने कि होड़ लगी हुई है ! पहले आप बनाये तो पहले आप बनाये ! दिल्ली के जनता से साथ ये मजाक नहीं तो और क्या कह सकते है ? पहले बड़ी बड़ी बाते करते रहे , हमारी सरकार आएगी तो दिल्ली कि दिशा और दशा सबकुछ बदल देंगे ! आखिरकार दिल्ली के जनता ने अवसर दे ही दिया और परिस्थिति भी अनुकूल है तो उन्हें सरकार का गठन करनी चाहिए परन्तु अरविन्द केजरीवाल अपनी जिम्मेदारी निभाने से भाग रही है ! उल्टा सबाल उनसे पूछ रहे है जिन्होंने बिना शर्त समर्थन की चिट्ठी राजयपाल महोदय को दे दी है ! मसलन पहले उनकी शर्ते मानी जाए , फिर दस दिन दिल्ली में नुक्कड़ नाटक करेंगे अरविन्द केजरीवाल और उनके नौटंकी टीम फिर जो परिणाम नौटंकी के बाद आएगा तो सरकार बना सकता है या नहीं ! मतलब स्वयं निर्णय लेने में असमर्थ है टीम केजरीवाल , उन्हें कुछ भी निर्णय लेने से पहले नुक्क्ड़ नाटक के जरिये जनता के पास जाकर समझेंगे फिर आगे कदम उठाएंगे ! ऐसे कमजोर नेता जिनके पास खुद निर्णय लेने कि क्षमता न हो दिल्ली के मुख्यमंत्री के लायक हो ही नहीं सकता ! अभी मौका मिली है केजरीवाल साहब , कुछ करो वर्ना आने वाले चुनाव में आपके साथ और ज्यादा अच्छा नहीं होने वाला है यह तो लगभग तय लग रहा है ! क्योंकि पब्लिक है सब जानती है !
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May 4, 2013

क्या हिंदुस्तान सिर्फ रुदालियों का देश है ? पाकिस्तान की जंगली कबीलाई सोच !

सरबजीत की साँसों की डोर टूट गई, उसकी धड़कन बंद हो गई ! छे दिन से पूरा हिंदुस्तान जो दुआ मांग रहा था दुआ अधूरी रह गई ! आधी रात के बाद जब देश गहरी नींद में था तभी पाकिस्तान से एक मनहूस खबर आई, खबर सरबजीत की मौत की ! लाहौर के जिन्ना हॉस्पिटल के डॉक्टरों के मुताबिक रात डेढ बजे दिल का दौरा पड़ने से सरबजीत की मौत हो गई ! जाहिर है मौत को कोई तो नाम देना था सो दे दिया दिल का दौरा और ये खुद पाकिस्तान भी जानता है की सरबजीत मरा नहीं बल्कि पाकिस्तान ने ही उन्हें मार डाला वो भी बेहद जालिमाना तरीके से ! पिछले ही हफ्ते 26 अप्रैल को लाहौर के कोर्ट में सरबजीत पर कैदियों ने पत्थडों और धारदार हथियार से हमला कर दिया ! हमले के बाद सरबजीत जिन्ना अस्पताल में कौमा में थे ! हालत पहले दिन से ही नाजुक थी वेंटिलेटर पर उधार की साँसे लेकर पाकिस्तान उन्हें जिन्दा रखा हुआ था ताकि अपनी शर्मिंदगी छुपा सके !

और इक नया गम आया,इक नया जख्म आया, इक नया मातम आया,अब एक बार फिर हम सब उस गम को झेलेंगे, उस जख्म को सहेंगे और उस मातम को मनाएंगे, यानि गम देना पाकिस्तान की आदत सी पर गई है,और उसे सहने की हमारी सिद्धत सी बन गई है ! पता नहीं चलता गुस्सा पडोसी से करूँ या शिकायत अपनों से ! नफरत की बुनियाद पर खिची गई सरहद की लकीर के उस पार,आज भी तेरे कारखाने नफरत ही बनाते!

वाह रे पाकिस्तान मोहब्बत और हकीकत की चादर चढाने हिंदुस्तान आते हो, और पाकिस्तान जाकर बदले में कफ़न बांटते हो ! और वाह रे हमारे नेता और हुक्मरान कमबख्त मौत से पहले किसी के लिए इतनी मोहब्बत नहीं उपजती , सब अब सरबजीत-सरबजीत कर रहे है, संसद से सड़क तक श्रधांजलि दे रहे है तो संसद के बाहर कैमरे पर उसे शहीदों के दर्जे से नवाजा जा रहा है ! ये सब पक्के खिलाड़ी है , सबको पता है माहोल गर्म है, मौका है और दस्तूर भी ऐसे में अपनी अपनी रोटी सेक ले और पला झार ले !

अरे उन्हें चैन की सांस भी लेने नहीं दिया बल्कि उधार की सांसो के साथ छीन ली पाकिस्तान ने ! ये मौत सिर्फ सरबजीत की नहीं , ना ही एक आम हिंदुस्तानी की है बल्कि ये मौत एक कायर देश और कमजोर सरकार की है ! सरबजीत की मौत एक पाकिस्तानी सियासी मज़बूरी थी और सियासत से कोई इस तरह मजबूर हो सकता है इसका अंदाजा नहीं था !

अरे उसे मारना ही था तो उसके नाम का फांसी का फंदा पहना देता, कम से कम तुम्हारे मुल्क की कानून और अदालत की इज्जत तो बच जाती पर वाह रे पाकिस्तान सजा अदालत सुनाती है और जरदारी हिंदुस्तान के साथ सियासत-सियासत खेलते है , मोह्बात-मोहब्बत का खेल खेलते है और सरबजीत की मौत कैदियों के हाथों दिलवा देते है वो भी पथड़ मारकर , आखिर कब उबरेगी पाकिस्तान इस जंगली कबीलाई सोच और कानून से ,पर पाकिस्तान से सिर्फ शिकायत क्यों ?

वो तो पराया है,पडोसी है, हमारा अपना घर कहाँ दुरुस्त है ,हमारा घर का मुखिया भी कौन से ताकतवर है जो उनपर भरोसा करे, अरे जिस सख्स और सरदार के पास सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानियों की ताकत है वो इतना कमजोर कैसे हो सकत है ? ऐसे में भले ही थप्पड़ नहीं जरा जरा सकता पर बिना थप्पड़ जरे ही इस थप्पड़ की गूंज दुनिया को दहला सकता है पर क्या करे सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानियों को लीड करने वाला ही जब अपना मुह नहीं खोलेगा तो कौन डरेगा हमसे ?जरा सोचिये अगर सरबजीत के मसले पर पहले दिन से ही हम दहाड़े होते तो पाकिस्तान की ये हिम्मत होती की कोई सरबजीत को छू भी पाता , पर क्या करे ? कितना धिक्कारे पाकिस्तान को और उनके मुल्क को चलाने वाले को !

"परिंदों ने कभी रोका नहीं रास्ता परिंदों का,खुदा दुनिया में जाकर खुद कहा होता तो अच्छा था!" क्या कहूँ और किस से कहूँ ? पड़ोसी से शिकायत है पर खुद हमारे अपने कंधे भी तो इतने मजबूत नहीं की खुद हम किसी को सहारा दे सके ! मातम है तो मनाना होगा ,मौत पर रोने का दस्तूर है , रोने वाले तो रो लिया ! पर क्या पाकिस्तान से हमेशा तोहफे में हमें गम ही मिलेगा ? क्या हिंदुस्तान सिर्फ रुदालियों का देश है ? मुश्किल यह है की सवाल पूछे भी तो किस से ? क्योंकि सियासत के पगडंडियों पर कोहरा शरहद के उस पार भी है और शरहद के इस पार भी !

सरबजीत के परिवार लाहौर जिन्ना अस्पताल उनसे मिलने गया परन्तु हालात देख कर वो मंगलबार को ही वापस आ गया और वो सोनिया गाँधी व प्रधानमंत्री जी से मिलने गए परन्तु तबतक सरबजीत हमलोगों से बहुत दूर चला गया ! पर इस से पहले भारत सरकार मानवीय आधार पर सरबजीत का बेहतर इलाज के लिए भारत भेजने की पाकिस्तान सरकार से अपील की थी लेकिन पाकिस्तान ने अपील ठुकरा दी !

हां अब पाकिस्तान ने जरुर सरबजीत को लौटा दिया है पर उखड़ी सांसों के साथ मुर्दा क्योंकि जिन्दा सरबजीत पाकिस्तान के नाम का था ताकि पाकिस्तान उसपर जुल्म ढा सके अब लाश उनके लिए किस काम का ? लिहाजा बेरहम ने रहम के नाम पर लाश भारत को सौप दिया ताकि कहने में रहे की देखो हम इतने भी जल्लाद नहीं है !

और अपनी सरकार भी कम नहीं सोचा चलो इसी को हम अपनी जित मान लेते है ! लिहाजा एयर इंडिया की पूरी खाली विशेष विमान लाहौर भेजा और सरबजीत अमृतसर ले आया गया और इस तरह 23 लम्बे साल बाद सरबजीत अपने घर लौट आया अब जिन्दा या मुर्दा क्या फर्क पड़ता है वैसे भी हम लोग हर गम,हर जख्म , हर सरबजीत को भुलाते ही तो आये है ! तो इस सरबजीत को कबतक याद रखेंगे ? दो चार दिन और बस यही न !!!

राजनीति बचाने का सबाल इस समय नेताओं के लिए बहुत जरुरी होता है कितना अजीब इतेफाक है की एक कमजोर सरकार चलाने वाली पार्टी का उपाध्यक्ष शोक संतप्त परिवार के लोगों को मजबूती देने पहुंचे थे ! सलमान खुर्शीद साहेब देश की विदेश मंत्री जी कड़वा बोलने के लिए विख्यात है लेकिन अच्छा लगता कभी कुछ काम का भी बोलते थोडा और अच्छा लगता अगर काम करते हुए देश को नजर आते !

भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में देश के प्रधानमंत्री बाजपेयी जी की सरकार थी और पार्टी के लौह पुरुष लाल कृष्ण आडवानी जी गृह मंत्री ,फिर क्या हुआ ? कुछ भी तो नहीं बदला ?इन 23 सालों में पाकिस्तान नहीं बदला, हम नहीं बदले हमारी सियासत नहीं बदली हमारी सोच नहीं बदली हमारा सच नहीं बदला , और जब कुछ नहीं बदला तो सरबजीत का मुकद्दर कैसे बदल जाता इसीलिए पाकिस्तान ने उस पर लिख दिया मौत !

तेईस साल से हर रात सरबजीत के लिए इन्तेजार की रात थी और सुबह की सूरज देखकर रोज ये सोचता की उनके लिए भी नया नूर लेकर आएगा लेकिन उन्हें नहीं पता था की दिल्ली में बैठे रौशनी के देवताओं की कलम की रोशनाई सुख चुकी है दर्द पर रोने का दस्तूर है सो रोने वाले रो रहे है इस मौके पर हमें ये पूछने का हक़ बनता है की क्या हिंदुस्तान रुदालियों का देश है परन्तु मुश्किल है की ये सवाल पूछे भी तो किस से क्योंकि सियासत के पगडंडियों पर कोहरा उधर भी है और इधर भी !

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Jan 30, 2013

पाकिस्तान की नापाक सोच !!

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो, क्या गम है जिसको छुपा रहे हो .........

पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मालिक का शाहरुख़ खान का सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जाहिर करने के पीछे उनका मकसद क्या है ? क्या नसीहत देना चाहते है रहमान मालिक ? नसीहत अगर देना ही तो वो अपने देश में पनाह दे रहे आतंकी संगठन पर दे, जिन्हें वो अपने सरजमीं पर हरेक नुकड़ व चौराहे पर दुकान की तरह चला रहे है ! पाकिस्तान की हालत दिन व दिन बद से बदतर होता चला जा रहा है , उन्हें सहारे की जरूरत है ! परन्तु वैशाखी के सहारे चलने वाले ये आतंकी देश क्या अपने देश के नागरिक को सहारा देगा ? लोगों को ऐसे ही बेबकूफी वयांवाजी कर उलझा कर अपनी राजनीती रोटी सकते है ! पाकिस्तान को किसी दुसरे मुल्क के बारे अपनी टांगे नहीं अड़ाना चाहिए ! पर बेअकल ये लोग अपनी बेबकूफी कहाँ वाज आते है!

दरअसल दुनिया जानती है हमारे देश में आज मुसलमान भाई जितना सुरक्षित है ,शायद ही किसी और देश ,खासकर पाकिस्तान में हो सकते है ! आज हमारे देश को सुरक्षा के मुद्दे पर नसीहत दे रहे है , अरे खुद अपनी गिरेवान में झांक कर देख सर से पाँव तक नफरत के दल-दल में फंसा हुआ है ! पडोसी देश के नाते उन्होंने अगर कोई काम किया है तो सिर्फ और सिर्फ नफरत, आतंक और देश में असिथिरता !आज शाहरुख़ के लिए भारत सरकार से सुरक्षा मांगने वाले रहमान मालिक को , अपने लोगों के लिए सुरक्षा की चिंता होनी चाहिए ! देश की चहुमुखी विकाश व उन्नति को शायद पाकिस्तान पचा नहीं पा रहे है, इसलिए वो अपनी मानसिक स्थित खो बैठे है !

"चोर के दाढ़ी में तिनका " आज गृह मंत्री भी वहां के आतंकी संगठन के मुखिया हाफिज सईद के साथ सुर में सुर मिलाया ! हम उन्हें बता देना चाहते है की भारत देश ही एक मात्र ऐसा देश है जहाँ प्रत्येक समुदाय के लोग चाहे वो हिन्दू हो, मुसलमान हो, सिख हो या ईसाय , हर एक लोग साथ मिलकर सौहार्द पूर्वक रहते है और एक दुसरे को सांस्कृतिक व धार्मिक धरोहर को सम्मान करते है ! अनेकता में एकता हमारे देश ने एक मिशल कायम की है ! यही बाते इन आतंकी देश को गले नहीं उतरता है ! उनकी क्षुद्र मानसकिता नजर आती है ! हम चाहते है " जियो और जीने दो " ! धर्म के आधार पर बांटने का काम मत करो, और इस घटिया कोशिस के लिए रहमान मालिक को शर्म आनी चाहिए ! और इस तरह से दुसरे मुल्क के बारे में घटिया बयानबाजी के लिए माफ़ी मंगनी चाहिए !

अंत के एक बात कहना चाहूँगा की भारत को अगर खतरा है तो पाकिस्तान के हाफिज सईद से, आतंकवाद , रहमान के ISI agent से व खुद पाकिस्तान से न की अपने देश के लोगों से !

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Dec 30, 2012

आत्ममंथन :- एक और महाभारत ( अंतर्मन )

आज की घटना से सम्पूर्ण राष्ट्र शर्मशार हो गई है ! वहशी व दरिन्दे लोगों की हरकत ने देश को कलंकित कर दिया ! आखिर इस तरह के रेप की घटना बार-बार क्यों होती है ? क्या कोई इसके गहराई तक जाने का प्रयास किया ? रेप घृणित कार्य का ही पर्याय है ! आखिर इतने बेख़ौफ़ होकर ये लोग मौज मस्ती के नाम पर किसी भी लड़की के साथ जबरदस्ती कुकर्म कर डालते है !

क्या है मानसिकता ?कौन है ऐसे लोग? क्या वो अपने ही समाज के लोग है या वो दूसरी दुनिया से आये हुए है ? है कोई जबाब ? कोई जबाब नहीं है ? जबाब होता तो इस तरह की घटना पुनरावृति कभी नहीं होती परन्तुं यहाँ बारम्बार हो रही है और होती रहेगी !

आखिर रेप करने वाले का किसीने क्या उखाड़ लिया ? पिछले साल तक़रीबन 600 से ज्यादा लोग रेप केस में पकडे गए थे ,लम्बे समय तक केस चलता रहा और बाद में सबके सब बड़ी हो गए ! कुछ केस थोडा संगीन था तो उसे हमारे ही देश की प्रथम राष्ट्रपति प्रतिभा जी ने जीवन दान दे दिया !

आजतक किसी भी रेपिस्ट को सजा मिली है जो कोई ऐसे अपराध करने के लिए एक दफा सोचने पर मजबूर हो ! उनके जहन में डर हो , की रेप करना एक अपराध है ऐसा करने से उन्हें सजा भी मिल सकती है ! इतिहास में आजतक किसी भी रेपिस्ट को कठोर सजा नहीं मिली है और यही विडंबना है इस देश की जहाँ अपराधी खुलेआम मौज मस्ती करते है ! उन्हें मालुम है उनका कानून कुछ भी नहीं कर सकता है !

कहाँ है कानून ? कहाँ है प्रशाशन ? क्या ये सब वर्तमान में ध्रितराष्ट्र की भूमिका में है ? अरे कुछ शर्म करो ! अंधे और गूंगे बनकर बैठे क्या सोच रहे हो ? और कौन सी बड़ी घटना को आमंत्रित करने की सोच रहे हो ? सरकार सचमुच में अंधी है , उन्हें सिर्फ और सिर्फ अपनी फ़िक्र है , भांड में जाय प्रजा, उन्हें तो राजनैतिक लाभ हो तो फटा-फटा कदम उठा लेते है अन्यथा वो अंधे बने बैठे रहते है ! ध्रितराष्ट्र तो वास्तव में जन्मजात अँधा था परन्तु आजकी सरकार तो गांधारी बनी बैठी है उसने अपने आँखों पे काली डाल रखी है ! कुछ भी उन्हें दिखाई नहीं दे रहा है !

आज हम सब इसके लिए जिम्मेदार है ! अपने देश में शर्म आ रही है की ऐसे लोगों को हमने संसद में बिठा रखा है ! ऐसे सम्बेदन हीन व्यक्ति हमारा प्रतिनिधत्व कर रहा है !अपनी आँखों पर से काली पट्टी को खोलो और जागो , सोचो देश किस ओर जा रही है ? बचाओ अपने देश को, देश की आबरू को , जो चंद मनचले लोग अपनी जायदाद समझते है ! वो कानून को अपनी रखैल से ज्यादा कतई नहीं समझते !

कौन है जिम्मेदार ? क्यों नहीं देश में सख्त कानून बन सकते ? अरे जब कानून बनाई गई थी तब शायद इस तरह के बात से वो लोग अनभिग्य थे ! क्या मालूम था की अपने देश में भी राक्षसों का समूह बसेंगे और भेडिओं के तरह हमारी माँ ,बहन,बहु ,बेटी की आबरू को सरेआम तारतार करेंगे ! शायद वो ख्वाब में भी ऐसी सोच नहीं लाये होंगे , कारण वो युग था जब स्त्री के लिए सम्मान, इज्जत दी जाती थी, उन्हें शक्ति स्वरुप मानते थे ! आज युग बदल गया है, लोग अपने घर के बहु ,बेटी, माँ,बहन को नहीं छोड़ते तो अनजान स्त्री के साथ कैसा वर्ताव कर सकते है यह घटना आपके सामने है !

आज सम्पूर्ण राष्ट्र , छोटे शहर से लेकर बड़े शहर तक लोग प्रदर्शन कर रहे है ! क्या वो सिर्फ अपने लिए मांग रहे है ? क्या उन्हें इसके बारे में खुद ठोस कदम नहीं उठानी चाहिए ? जब सार देश इन्साफ की गुहार लगा रहे है तो सरकार क्यों नहीं समझने का प्रयास करते है ! गुनाहगारों के लिए सख्त कानून का प्रावधान क्यों नहीं करते ?

क्यों डरते है सख्त कानून बनाने से ? सिर्फ समाचार चैनल पर बड़ी बड़ी बाते करने से कुछ नहीं होगा, वक्त आ गया है कुछ सोचो , इस लचर व बीमार कानून व्यवस्था को बदल दो ! जो खुद ही बीमार हो वो किसी मर्ज का भला कैसे इलाज हो सकता है ?

मत सोचो मानवाधिकार के बारे में , उन्होंने तो और हमारे देश की कानून व्यवस्था को बदल के रख डाला है ! मानवाधिकार के लोग जिसमे खासतौर पर महिला पुर्वाग्रस्त रोगी जैसे ही होती है ! वो सिर्फ गुनाहगारो को कैसे बचाया जाए ? उन्हें तो अपने देश की मान,सम्मान से ज्यादा आतंकबादी व रेपिस्ट ज्यादा अच्छे लगते है ! अब तो देश हर तबके के लोग, बच्चे,बूढ़े जबान सिर्फ सख्त कानून व्यवस्था की मांग कर रहे है ! तो सरकार के तरफ से क्या देरी हो रही है ! अबकी बारी सरकार को झुकना ही होगा !

अंत में मैं बस इतना कहना चाहूँगा की सरकार को ऐसे क्षण में कानून में परिवर्तन लाकर , रेपिस्ट को जल्द से जल्द व कड़ी से कड़ी सजा दे देनी चाहिए ताकि आने वाले लोग इस तरह के घृणित कार्य करने के लिए वो हजार दफा सोचे !

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