" "यहाँ दिए गए उत्पादन किसी भी विशिष्ट बीमारी के निदान, उपचार, रोकथाम या इलाज के लिए नहीं है , यह उत्पाद सिर्फ और सिर्फ एक पौष्टिक पूरक के रूप में काम करती है !" These products are not intended to diagnose,treat,cure or prevent any diseases.
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Nov 11, 2010

मधुमेही और उनके आहार- जरुर पढ़ें |


आइये कल की चर्चा को एक बार फिर से आगे बढाते हुए, शुरुआत करते है मधुमेही का क्या आहार होना चाहिए और क्या नहीं ? चुकी एक ओर जहाँ दुनिया भर में इस रोग से करोड़ों लोग मुश्किल में फंसे हुए है तो दूसरी ओर इस रोग का स्थायी इलाज अभी तक नहीं मिल पाने के कारण दुनिया भर के चिकित्सा विशेषग्य हैरान परेशान है |

मधुमेह के नाम से मशहूर यह रोग वास्तव में 'मधुमेह' न होकर 'विपतियों का मेह' बना हुआ है | इस रोग से जुड़े हर पहलुओं पर चर्चा हमेशा किसी न किसी प्रकार से की जाती रही है | परन्तु आज उस पहलु पर चर्चा करने जा रहे है जिससे आम मधुमेही को विशेष जानकारी नहीं होती है यानि रोगीं को दैनिक उपयोग की वस्तुओं में किन-किन चीज का सेवन करना चाहिए तथा किसका नहीं !

तो आइये चर्चा करते है आहार सम्बंधित वस्तुए रोगी अपने दैनिक उपयोग में क्या अपनाए और क्या नहीं ?
1 . क्या मधुमेही चावल का सेवन कर सकता है ?

> चावल साधारण और जटिल कार्बोहाईड्रेट का मिश्रण है | अतः चावल-दाल के मिश्रण से बनी खिचड़ी खाई जा सकती है | मार्केट में अधिक रेशे वाले ब्राउन चावल भी मिलते है, इनका सेवन किया जा सकता है |
2 . क्या मधुमेही आलू का सेवन कर सकता है ?

>आलू भी चावल की तरह साधारण तथा जटिल कार्बोहाईड्रेट का मिश्रण है, फिर भी इसे सिमित मात्र में खाया जा सकता है | परन्तुं इसे अगर पत्तेदार और रेशेदार सब्जियों के साथ खाया जाये तो बेहतर होगा |
3 . क्या मधुमेही को पपीता खा सकता है ?

> अधपका पपीता खाना बेहतर है जो मीठा नहीं होता | पका पपीता से बचे क्यूंकि वह ज्यादा मीठा होता है |
4 . क्या मधुमेही जामुन खा सकता है ?

> हाईपोग्लाईसीमिक तत्व जामुन में पाया जाता है , जो अग्न्याशय और शर्करा स्तर को घटाता है, अतः जामुन का उपयोग मधुमेही के लिए बेहतर होगा | जामुन का गुठली का 3-3 ग्राम चूर्ण दिन में 3 बार लेने से रक्त शर्करा का स्तर घटता है |
5. क्या मधुमेही के लिए मेथी के बीज उपयोगी होते है ?

> मेथीबीज में हाईपोग्लाईसीमिक तत्व रक्त शर्करा को कम करते है, अतः इनका सेवन उपयोगी है | इसका सेवन सूप,चटनी या सब्जी के रूप में किया जा सकता है | यदि नित्य 12 घंटे पानी में भीगे मेथीबीज का पेस्ट बनाकर दबाई के तौर पर लिया जाए तो शर्करा का स्तर नियंत्रित रखा जा सकता है | दिन भर में 200 ग्राम तक लिए जा सकते है |
6 . करेला मधुमेही के लिए कितना उपयोगी है ?

> मधुमेही के आलावा और भी कई रोगों में करेला उपयोगी है | इसमें पाया जाने वाला इंसुलिन रक्त और मूत्र की शर्करा का कम करता है | यदि प्रतिदिन सुबह खली पेट 125 से 140 मि.ली. करेले का जूस लिया जाये तो परिणाम बेहतर मिल सकता है | यह लीवर और पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है तथा रक्त को शुद्ध व त्वचा रोग में भी लाभ होने लगता है |
7 . नीम की कोपलें मधुमेही के लिए कितनी उपयुक्त है ?

> कोपलें ही नहीं बल्कि नीम की अन्तर्छाल भी रक्त शर्करा स्तर को कम करती है क्योंकि इसमें हाईपोग्लाईसीमिक तत्व होता है | नीम की पत्तियों और छाल का रस लेना बहुत ही फायदेमंद रहेगा | दोनों की बराबर मात्रा यानि 5 ग्राम को 300 ग्राम पानी में डालकर उबले | पानी जलकर एक चौथाई रह जाये तक छानकर पी लें | ध्यान रहें उपरोक्त रस का सेवन अधिक दिनों तक न करें क्योंकि नीम का ज्यादा सेवन से कामशक्ति प्रभावित हो सकती है |
8 . क्या अलसी का सेवन मधुमेही के लिए उपयोगी है ?

> जी हाँ, मधुमेही के लिए अलसी का सेवन उपयुक्त है | अलसी 25 ग्राम तक मिक्सी में पीसकर आटा में मिलकर इस आटे की रोटी खाई जा सकती है |अलसी का सेवन व्यंजन बनाकर भी किया जा सकता है |
9 . क्या दूध का सेवन मधुमेही को करना चाहिए ?

> यदि ह्रदय रोग की शिकायत न हो तब मधुमेही कम मात्रा में दूध का सेवन कर सकता है | स्किम्ड मिल्क की 500 मि.ली. मात्रा तथा टोंड मिल्क की 200 मि.ली. मात्रा का सेवन किया जा सकता है |
10 . मधुमेही को पनीर का सेवन करना चाहिए ?

> पनीर और छैना जो दूध के ही उत्पाद है, का सेवन मधुमेही कर सकते है, वशर्ते वह ह्रदय रोगी न हों |
11 . चाय-कॉफ़ी मधुमेही के लिए कितनी उपयुक्त है ?

> इन उत्तेजक पेयों में टैनिन और कैफीन नामक तत्व होता है, अतः इनका सेवन कम से कम करना चाहिए | दिन भर में 2 कप चाय या कॉफ़ी बिना चीनी यानि फीकी अथवा कृत्रिम मिठास डालकर ली जा सकती है |

13 . क्या नारियल का सेवन मधुमेही के लिए उपयुक्त है ?

> ह्रदय रोगी के लिए नारियल उपयुक्त नहीं है | यदि केवल मधुमेह है, तब इसका सेवन किया जा सकता है | नारियल का पानी भी दिनभर में दो कप तक पिया जा सकता है |
14 .क्या बादाम का सेवन कर सकते है ?

> केवल मधुमेह होने पर बादाम का सेवन किया जा सकता है | 100 ग्राम बादाम में 58.9 ग्राम वसा पायी जाती है जो 12 चम्मच तेल के बराबर है | अतः यदि ह्रदय रोग और उच्चरक्तचाप भी साथ में है, तब इसका सेवन न करें |
15 . मधुमेही को खजूर का सेवन नहीं करना चाहिए |

> मधुमेही को खजूर का सेवन नहीं करना चाहिए |
16 . क्या अखरोट का सेवन उपयुक्त हो सकता है ?

> मधुमेह में अखरोट का सेवन किया जा सकता है | इसकी 100 ग्राम मात्रा में 64.5 ग्राम वसा होती है जिनसे ट्राईग्लिसराइड की मात्रा बढती है अतः ह्रदय रोग अथवा उच्चरक्तचाप में इसका सेवन करना ठीक नहीं है |
17. डबल रोटी का सेवन कितना उपयुक्त हो सकता है ?

> डबल रोटी भी दो प्रकार की मिलती है, एक तो मैदे से बनी हुई सफ़ेद डबल रोटी, इसकी 100 ग्राम मात्रा में 0.2 ग्राम फाइबर होता है | दूसरी डबल रोटी भूरे रंग की होती है जो आटे की बनती है, इसकी 100 ग्राम मात्र में 1.2 ग्राम फाइबर होता है तथा 245 कैलोरी पायी जाती है | इसलिए सफ़ेद की बजाय भूरी डबल रोटी अधिक उपयुक्त है |

सबसे उपयुक्त होगा अगर आप अपने आहार में एलो वेरा जूस शामिल कर लें | एलो वेरा में मौजूद क्रोमियम,बिटासेल्स और विभिन्न प्रकार के विटामिन्स, मिनरल्स,खनिज जो शरीर के सेल स्तर पर काम करती है और आपके शरीर की जरूरतों को पूरा कर देती है जिससे आप रहते है हमेशा चुस्त और दुरुस्त |

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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

Nov 23, 2009

फ्रीडम FREEDOM

FREEDOM
-इसमे ८५% एलोवेरा है इसलिए एलोवेरा के तो सभी गुण इसमे है ही तथा रीढ की हड्डी व सरवाईकल के दर्द को हटाने मे बहुत मदद करता है ।
-यह गठिया बाय मे लाभदायक है ।
-इसमे ज्लूकोसमाईन कोन्ट्रोडाइन एवं एम . एस. सल्फ़ेट है जो हमारे जोडों मे ग्रीस का काम करता है ।

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ज्ञान दर्पण
ताऊ जी

Nov 22, 2009

एलो बिट्स पिचेज ALOE BITS & PEACHES

ALOE BITS & PEACHES
-इसमे ८५% शुद्ध एलोवेरा है और १५% आडू का रस है जो प्राकृतिक विटामिन ए है ।
-प्राकृतिक विटामिन ए आंखो और शारीरिक वृद्धि के लिए बहुत फ़ायदेमंद है ।
-इसमे एलोवेरा के सभी गुण मौजूद है ।
-यह हमारे शरीर की प्रतिरोधक ताकत को मजबूत करने मे मदद करता है ।
-यह बच्चो के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद है ।

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आखिर फाँस ही लिया हमने रामबाबू सिंह को हिंदी ब्लोगिंग जाल में:ज्ञान दर्पण

ताऊ जी का खूंटा

एलो बेरी नेक्टर ALOE BERRY NECTAR


ALOE BERRY NECTAR
एलो बेरी नेक्टर का सेवन करने के फायदे
-इसमे ८५% शुद्ध एलोवेरा जेल है और १५% क्रेनबेरी और सेब का रस है ।
-यह महिलाओं और बच्चो के लिये बहुत लाभदायक है इसमे जेल के सभी गुण तो है ही साथ ही प्राकृतिक विटामिन –सी भी मौजुद है ।
-पेशाब संबन्धी समस्याओं मे काफ़ी अच्छा होता है ।
-क्रेनबैरी गुर्दे के लिए बहुत फ़ायदेमन्द है ।
-यह अस्थमा ,एगजिमा मे बहुत फ़ायदेमंद है ।
-इसमे प्राकृतिक विटामिन सी है जिसका शुद्ध एलोवेरा के साथ मिश्रण बहुत सारी समस्याओं मे फ़ायदेमंद है ।
-इसको शुगर के रोगी को छोडकर किसी भी रोगी को दे सकते है ।
-महिलाओं मे लिकोरिया , माहवारी आदि बिमारियों मे काफ़ी लाभदायक है ।
-यह जोडों का दर्द व सरवाईकल मे काफ़ी लाभदायक है ।

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ज्ञान दर्पण
ताऊ जी

ग्वार पाठे ( एलोवेरा) की खासियत

1.DETOXIFICATION ( निर्विकरण )
2.REPAIR ( HEALING ) ( मरम्मत )
Detoxification को समझने के लिए हमे पहले यह समझना जरुरी है कि टोक्सिन क्या होते है ।
आज हमारे समाज मे चारों तरफ़ बीमारियां बूरी तरह फ़ैल रही है । एक बार जो बिमारी शरीर मे लग जाती है ,वह जाने का नाम नही लेती है । बी.पी., शुगर ,माइग्रेन जैसी बीमारियां तो लाख दवाई खाने के बाद भी बढ जाती है तथा अन्त मे विकराल रुप धारण कर लेती है । यदि हम पेट मे तेजाब बनने ,गैस बनने या कब्ज रहने की बात करें तो यह भी ठीक नही होती है । हम जीवन भर डाक्टर बदलते रहते है लेकिन बीमारी स्थाई रुप से कभी ठीक नही होती है । कभी आपने सोचा है कि ये बीमारियां हमारे शरीर मे आई कहां से ? इन सभी बीमारियों का मूल कारण है टोक्सीन यानि “ जहर “ । लेकिन यह जहर हमारे शरीर मे आया कहां से ? हमने तो अपनी समझ से जहर कभी खाया ही नही । यह जहर हमारे शरीर मे हवा, पानी व खाना तीनों के साथ जा रहा है । तथा एक कारण हमारी जीवन शैली का विकृत होना भी है । और काफ़ी बडी संख्या उन लोगो की है , जो रात को जमकर खाना खाते है और सो जाते है । तथा खाते समय उनका ध्यान टी.वी. पर होता है , खाना जीभ के स्वाद के अनुसार खाते है । इसी कारण हम जो भी खाते है वह पूरी तरह पचता नही है और मल के रुप मे हमारी आंतो मे चिपक जाता है । यह इतना मजबूत होता है कि कोई मेडिसन इस पर असर नही करती है । इसी मल को टोक्सिन या जहर कहते है ।
ALOEVERA
इस जहर को पूरी तरह यहां से बाहर निकाल देता है और इस जहर के कारण जो हमारी कोशिकाएं खराब हो गई है उनकी मरम्मत करने मे मदद करता है । इसी तरह यह लगभग २०० बीमारियों मे चरम सीमा तक लाभ पहुंचाता है । यहां तक कि आज जो ३०-४० साल की उम्र मे लोगों को जोडों का दर्द हो रहा है , उसमे यह काफ़ी लाभ पहुंचाता है , जबकि जोडों के दर्द का दुनियां मे कोई ईलाज नही है ।
एलोवेरा के स्वास्थ्य वर्धक उत्पाद
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Nov 21, 2009

ग्वार पाठे में पाए जाने वाले तत्व

ग्वार पाठे की बारबडेनसिस जाति , जिसको ३ साल तक पोल्युशन रहित क्षेत्र मे उगाया जाता है
ग्वार पाठे के स्टैब्लाईजड एलो वेरा जेल मे निम्न तत्व पाए जाते है :-
1-लिगनिन :- शरीर के अन्दर बहुत तेजी से अन्दर तक चला जाता है ।
2-सेपोनिन :- वानस्पतिक साबुन है ( वेजिटेबल कटर ) सेपोनिन लिगनिन के साथ मिलकर टोक्सिन के नीचे तक चला जाता है तथा वहां से उन्हे साफ़ कर देता है ।
3-एन्थर्क्येनिनस:- यह आसानी से हमारे पाचन तन्त्र के द्वारा सोख लिया जाता है । यह हमारे पाचन तन्त्र मे जाकर अति सुक्ष्म कीटाणुओं व दर्द को खत्म करने मे मदद करता है । इनमे आलाहिन एवं इमोडिमो नामक तत्व होते है जो प्राकृतिक दर्द निवारक के रुप मे काम करते है , जो काफ़ि महत्त्वपूर्ण है । यह एन्टी बायटिक, एन्टी पियोरेटिक, एन्टि पायर्टिक , एन्टी एलर्जिक , एन्टी फ़न्गल ,एन्टी इन्फ़लेमेंट्री , एन्टी सेपटिक के रुप मे राहत पहुंचाते है । यह एक एन्जाइम्स का समूह है ।
4-विटामिन :- विटामिन हमारे पाचन के लिए अति आवश्यक तत्व है । यह हमारे मैटाबालिज्म को स्वस्थ रखने मे मदद करते है । एलोवेरा मे लगभग सभी विटामिन पाए जाते है । विटामिन ए (बीटाकेरोटिन) ,सी एवं ई के अलावा इसमे विटामिन बी१२ भी पाया जाता है । जो काफ़ी कम पौधो मे पाया जाता है । विटामिन-बी १२ शाकाहारियों के लिए अति आवश्यक है ।
5-एन्जाईम :- हमारे शरीर मे यह भी महत्त्वपूर्ण तत्व है जो हमारे शरीर की किसी भी क्रिया के लिए आवश्यक है । यह एक तत्व को एक जगह से दूसरी तक ले जाने का कर्य करते है । यह हमारे शरीर मे उत्प्रेरक का काम करते है । एलोवेरा मे नौ प्रकार के महत्त्वपूर्ण एन्जाईम होते है ।
6-मिनरल :- हमारे शरीर मे विटामिन के साथ मिलकर हमारे शरीर के विकास ,वृद्धि व उसको बनाए रखने मे अति महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते है । मिनरल वह माहौल तैयार करते है जिनमे विटामिन बेहतर काम कर सके । एलो वेरा मे मुख्य रुप से कैल्शियम , फ़ास्फ़ोरस ,पोटेशियम ,आयरन ,सोडियम ,क्लोरिन , मैंग्नीज , मैग्नीशियम कोपर , क्रोमियम ,जिन्क आदि पाये जाते है ।
7-लिपिड :- इसमे मोनो व पोलीसेकाराईड पाई जाती है । यह हमारे शरीर के ईम्यून सिस्ट्म को ठीक रखने तथा निर्विषिकरण मे सहायक है । कुछ पोलीसेकराईड सेल के अन्दर एक लाइन बना लेती है तथा विजातीय तत्वों को आने से रोकने का काम करती है । इन्हें इम्यूनोडिलेटर भी कहते है ।
8-फ़ैटी एसिड :- एलोवेरा मे cholesterol, conpeteol ,B .sirostero और lupeol फ़ैटीएसिड पाये जाते है । यह एन्टी इन्फ़ेलेनेटरी एजेन्ट के रुप मे काम करते है ।
9-Salicyclic acid :- एलोवेरा मे पाया जाने वाला यह तत्त्व एस्प्रीन की तरह होता है । यह एन्टी इन्फ़ेलेमेटरी व एन्टी बैक्टीरियल होता है ।
10-अमिनो एसिड :- अमिनो एसिड हमारे शरीर मे बिल्डिन्ग ब्लोक की तरह काम करता है । हमारे शरीर की सभी कोशिकाएं प्रोटीन की बनी है तथा इसमे काफ़ी तरह का प्रोटीन लगा है । हमारे शरीर मे २२ तरह के अमिनो एसिड की आवश्यक्ता होती है जो कि नाना प्रकार के प्रोटीन बनाने मे सक्षम है । इन २२ अमिनो एसिड मे ८ जरुरी होते है तथा १४ गैर जरुरी होते है । एलोवेरा जेल मे लगभग सभी पाये जाते है । एलोवेरा जेल अपने आप मे एक चमत्कार है । यह एक एन्टी सेप्टिक ,एन्टी फ़न्गल, एन्टी बैक्टिरियल ,एन्टी वायरल है तथा एन्टी बायटिक है । यह कोशिकाओं की मरम्मत करने तथा उसको स्वस्थ रखने मे काफ़ी मदद करता है । डा. लाइनस पौलिंग इंस्टिट्यूट ओफ़ साइंस एण्ड मेडिसन – पोलो आलो यूनिवर्सिटी ओफ़ ओक्लाहोमा मे तथा ओक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ( डा.पीटर आथरटन) मे आज भी एलोवेरा पर रिसर्च हो रहा है ।हजारों यूनिवर्सिटीयों मे आज भी इस पर रिसर्च हो रही है ।
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प्रकृति की अनमोल भेंट

इसे घी ,कवार गन्दल, ग्वारपाठाद्ध , धृत कुमारी ,कुमारी ,मुसव्वर, केतकी व अन्य कई नामो से जाना जाता है ।
यह एक ऎसा पौधा है जो लगभग पुरे संसार मे पाया जाता है । संसार मे जितने भी धर्म ग्रन्थ है लगभग सभी मे इसका सम्मानपुर्वक उल्लेख है । हमारे विष्णु पुराण मे, महाभारत मे वेदों मे इसका धृत कुमारी के नाम से उल्लेख है । हमारे आर्युवेद मे इसे जडी बूटियों का महाराजा कहा जाता है ।
हम यदि अपने बुजुर्गों से बात करे तो हमें मालुम होगा कि वे इसे काफ़ी इस्तेमाल करते थे । कोइ इसके लड्डू खाता था तो कोइ इसका हल्वा बनाकर खाता था । हमारे यहां विषेश कर राजस्थान मे इसकी सब्जी आज भी बनाकर खाई जाती है । दुनियां के सभी देशों के पास इसका काफ़ी पुराना इतिहास है ।मिश्र मे ममी के इसका लेप लगाकर ही लम्बे समय तक सुरक्षित रखते थे । क्लयोपेट्रा जो दुनियां की सबसे सुन्दर महिला थी इसी का लेप लगाती थी । सिकन्दर ने एक लडाई केवल इसी के लिये लडी थी ।
महात्मा गांधी इसका अपने लम्बे उपवासों मे उपयोग करते थे । १८३५ से वैग्यानिक इसके उपर निरन्तर अनुसन्धान कर रहे है । अमेरिका के एक विख्यात अनुसंधान केन्द्र डा. लाईनस पोलिंग इंस्टीट्युट ने इस पौधे मे पर २६ साल रिसर्च किया । उन्होने इस पर रिसर्च इसलिए किया क्योंकि इस पौधे मे एक गुण यह भी है कि इसमे हर जगह अलग- अलग रोगो से लडने की क्षमता है । जो पौधे यू.पी. बिहार मे होते है उसमे जोडों का दर्द ठीक करने की ताकत होती है ,जो पौधे राजस्थान मे होते है उनमे दमे के रोग को जड से काटने की ताकत होती है । जो पौधा रुस मे होता है उसमे त्वचा के रोग
ठीक करने की ताकत होती है । उन्होने पुरी दुनियां मे ३०० प्रकार के पौधे ढूंढे । उनमे से २८५ पौधे ऎसे थे जिनमे ०- १५% दवाओं के गुण थे ११ पौधे ऎसे थे जिनमे जहर था । ४% पौधे ऎसे थे जिनमे ९०% से १००% दवाओं के गुण थे । इसमे एक ऎसा पौधा भी था जिसने १००% गुण थे । उसका वैग्यानिक नाम बारबडेसिस मिलर है । उस पौधे को यदि हम ३ साल तक बिना रासयनिक खाद व किटनाशक तथा पोल्युशन के उगाये तो इसमे दो गुण अपने आप आ जाते है ।
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एलोवेरा जेल के १० खास फ़ायदे


१- शरीर निर्माण के ब्लोक – एमिनो एसिड हमारे शरीर के निर्माणक ब्लोक है । इनमे आठ जो महत्त्वपूर्ण है और जिनका निर्माण शरीर द्वारा नही हो सकता , वे एलोवेरा के पौधे मे पाए जाते है । एलोवेरा जूस के रोजाना सेवन से इन महत्त्वपूर्ण एमिनो एसिडों के कारण आपका शरीर दुरुस्त और सेहत बरकरार रहती है ।
२-जलन और सुजन रोधी गुण- एलोवेरा के १३ कुदरती तत्व जो किसी भी साइड इफ़ेक्ट के बगैर जलन अय्र सुजन को रोकते है । एलो जोडों और मांसपेशियों को गतिशील रखने मे भी सहायता कर सकता है ।
३- विटामिन की रोजाना खुराक – एलोवेरा मे विटामिन ए. बी१,बी६,बी१२, सी और फ़ोलिक एसिड तथा नियासिन पाये जाते है । शुद्ध एलोवेरा जेल से बने एलोवेरा जूस की रोज एक खुराक पीने से बेहतर और क्य ,जो इस कमी को पूरा करने के साथ –साथ ओक्सीकरण के तनाव का सामना करने के लिए शरीर के प्रतिरक्षण तन्त्र का निर्माण भी करता है ।
४- खनिज पदार्थों ( लवणों) की रोजाना खुराक - एलोवेरा जूस मे कैल्सियम ,सोडियम,आइरन,पोटैशियम , क्रोमियम , मैग्निशियम ,मैंगनीज , तांबा और जस्ता आदि खनिज लवण पाए जाते है । कुदरत का एक अनमोल खजाना ! एलोवेरा जेल शरीर की जरुरतॊं को पूरा करने वाला एक कुदरती और फ़ायदेमंद जरिया है ।
५- कोलोजेन और इलैस्टिन की मरम्मत- एलोवेरा शरीर के निर्माण ब्लोक के इस्तेमाल से , बढती उम्र के असर का सामना करने मे त्वचा इन पोषक तत्वो का लाभ उठा सकती है । शुद्ध एलोवेरा जेल से बने एलोवेरा जूस के रोजाना इस्तेमाल से आपकी त्वचा की जरुरते पुरी होती है ।
६- वजन और उर्जा स्तर पर नियंत्रण – हमारे भोजन मे बहुत सी गैर जरुरी चीजें भी होती है ,जिनकी वजह से हममे आलस और थकान आ सकती है । शुद्ध एलो जेल से बने एलोवेरा जूस रोजाना पीने से अन्दर से भरपूर तन्दुरुस्ती का अहसास होता है , उर्जा का उच्च स्तर मिलता है और वजन शरीर के अनुकूल रहता है ।
७- प्रतिरक्षण ( रोग रोधी) क्षमता और क्रिया मे सहायक – एलो वेरा प्रतिरक्षण तन्त्र को कुदरती तौर पर मदद पहुंचाता है । प्रतिरक्षण क्षमता बढाने वाले गुणो से लैस एलो वेरा शरीर को ग्रहण करने की अपार शक्ति देता है । रोजाना ३० से ५० एम एल जेल पीने से आपके प्रतिरक्षण तन्त्र की जरुरतें पूरी होंगी ।
८- हाजमे को दुरुस्त रखने मे मददगार – एलोवेरा जूस मे कुदरती विषैलेपन को दूर करने की क्षमता होती है । शुद्ध एलोजेल से बने एलोवेरा जूस रोज पीने से आंते दुरुस्त रहती है , प्रोटीन ग्रहण करने की क्षमता बढ्ती है तथा नुकसानदेह बैक्टीरिया कम होते है ।
९- जल्द फ़ायदा करे - एलोवेरा फ़ाइब्रोब्लास्ट की क्षमता को बढाता है । ये मामुली जलन ,घावॊं खरोंचो, धूप की जलन और खाज –खुजली को कम करने ( बचाव ) मे भी मदद करता है ।
१०- स्वस्थ और स्वच्छ दांत – एलोवेरा आपके मूंह और मसूढों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है । इसे अपने दांत के डाक्टर के रुप मे अपनाएं ।
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