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Apr 9, 2010

जड़ी-बूटी ( अलसी/तीसी दिव्य शक्ति से भरपूर )


मेरी जिज्ञासा तीसी के बारे में इसलिए बढ़ा जब सुना की इसके अंदर अपार शक्ति है जैसे की प्रोटीन्स,विटामिन,ओमेगा-३ ओमेगा-६,लिग्नेन ,फैबर इत्यादि -------
आजकल अलसी ( तीसी ) के बारे में समाचारपत्र,टीवी ,इंटरनेट के माध्यम से बहूत कुछ सुनने को मिल रहा है | यह शीत ऋतू में पैदा होने वाली एक वर्षीय तिलहन फसल है | अपने देश में इसका पैदावार काफी मात्रा में होती है | अलसी यानि तीसी के फुल नीले रंग का होता है | इसके पाँच हिस्से होते है ,इनमे चपटे व भूरे रंग के बीज होते है | इन्ही बीजों को निकालकर खाद्य पदार्थ बनाने व तेल निकालने के लिए किया जाता है | विश्व स्वास्थ्य संगठन ( W.H.O.) ने अलसी को सुपर स्टार फ़ूड का दर्जा दिया है |

तीसी की ढेरो प्रजातियाँ पायी जाती है | कुछ प्रजातियाँ गर्म मौसम में भी उगाए जाते है |बीज से तेल व खली प्राप्त की जाती है | इसके तेल से बिभिन्न प्रकार के खाद्य सामग्री तैयार की जाती है जो अत्यंत स्वादिष्ट व कोलेस्ट्रोल रहित होते है |

अलसी का बोटानिकल नाम है लिनम युजिटेटीसिमम ( Linum Usitatissimum ) यानि अति उपयोगी बीज है | इसे अंग्रेजी में लिनसीड ( Linseed ) या फ्लेक्स्सीड (Flexseed), गुजराती में जवास,कन्नड़ में अगसी,बिहार में तीसी,बंगाल में तिशी ,तेलगु में अविसी जिन्जालू,मलयालम में चेरुचना विदु,तमिल में अली विराई और उड़िया में पेसी कहते है |

तीसी में प्रचुर मात्रा में रोगनिवारक व पोषक तत्व पाए जाते है
जिनमे कर्बोहाईड्रेट , शुगर ,रेशा, वसा,प्रोटीन, विटामिन्स , कैल्शियम, पोटाशियम,मैग्नेशियम,फोस्फोरस, लोहा, जस्ता, आदि प्रमुख है | इसके अलावा प्रत्येक १०० ग्राम तीसी में ऊर्जा ५३० कैलोरी पायी जाती है |

पहले इसका प्रयोग भोजन, कपडा, व रंगरोगन बनाने के लिए होता आया है | अलसी में अपार पोष्टिक तत्व है | यह बचपन से बुढ़ापे तक के लोगों को फायदेमंद है | महात्मा गाँधी ने स्वास्थ्य पर भी शोध किया व बहूत से पुस्तक भी लिखी | उन्होंने अलसी पर भी शोध किया, इसने चमतकारी गुणों को पहचाना और एक पुस्तक में लिखा था ------" जहाँ अलसी का सेवन किया जायेगा ,वह समाज, स्वास्थ्य व समृधि रहेगा |

तीसी में लिग्निन और ओमेगा-३ वसा अम्ल पाया जाता है ,यह कई तरह के ट्यूमर को बढ़ने से रोक देता है | एक शोध से यह पता चला है की इसमें कैंसर रोधी तत्व भी पाए जाते है |स्तन कैंसर व प्रोस्टेट कैंसर में भी उपयोगी है | यह डायबीटिज में रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखता है | इससे रक्त संचार में वृद्धि होती है और खून ज्यादा गाढ़ा नहीं होने देता जिससे उसमे थक्के नहीं जमते | यह ह्रदय रोगी के लिए उपयुक्त पथ्य है,सर्दी-जुकाम में भी उपयोगी है | तीसी खाने वाले व्यक्ति को ह्रदय घाट की सम्भावना बहूत कम रहती है |


यह थोड़ी मिठास के साथ हल्का सुगन्धित होता है,यह तैलीय,उष्ण,शक्तिवर्धक,भरी तथा कामशक्ति को बढ़ाने वाला है | थोड़ी मात्रा में ली गई तीसी वात,कफ, पित, और नेत्र रोगों में लाभकारी है |

हमारे शारीर के स्वास्थ्य संचालन के लिए ओमेगा-३ व ओमेगा-६ दोनों ही आवश्यक होते है | अब यूँ मान लीजिये ओमेगा-३ नायक,और ओमेगा-६ खलनायक है | ठीक उसी प्रकार जैसे एक अच्छी फिल्म के लिए नायक और खलनायक दोनों ही आवश्यक है | पिछले कुछ दशकों से हमारे भोजन में ओमेगा-६ की मात्रा बढती जा रही है | और ओमेगा-३ की कमी होती जा रही है |

मल्टीनेसनल कंपनियों द्वारा परोसे जा रहे डिब्बा बंद फ़ूड व जंक फ़ूड ओमेगा-६ फैटी एसिड से भरपूर होते है | शोध से पता चला है की हमारे विकृत हुई आहार शैली से हमारे भोजन में ओमेगा-३ की कमी और ओमेगा-६ बढ़ोतरी के वजह से हम हाई ब्लडप्रेशर, हार्ट अटैक,स्ट्रोक,डायबिटिज, मोटापा, गठिया, डिप्रेसन, दमा, कैंसर आदि रोगों के शिकार हो रहे है | ओमेगा-३ की यही कमी रोज 30-60 ग्राम अलसी ( तीसी) खाकर आसानी से पूरी कर सकते है |
इसी कारण अलसी को सुपर स्टार फ़ूड का दर्जा दिलाते है |

अलसी हमारे दिमाग को शांत,चित्प्रसन्न रखता है | तनाव दूर होता है,बुद्धिमता व स्मरण शक्ति बढती है तथा क्रोध नहीं आता | इससे एक दैविक शक्ति और एनर्जी का प्रवाह होता है | अलसी बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रंथि, सेक्स उतेजना में कमी ,शीघ्रपतन आदि में भी बहुत ही लाभदायक है | यदि माँ के स्तन में दूध नहीं आ रहा है तो उसे अलसी खिलाने के 24 घंटे के भीतर ही स्तन में दूध आने लगता है | यदि माँ अलसी सेवन करती है तो उसके दूध में ओमेगा-३ प्रयाप्त मात्रा में रहेगा जिससे बच्चा अधिक बुद्धिमान व स्वस्थ्य पैदा होता है | एक शोध से यह भी पता चला है की जल्दी ही लिग्नेन एड्स का सस्ता,सरल और कारगर इलाज साबित होने वाला है |

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ताऊ .इन

6 comments

Gyan Darpan April 9, 2010 at 3:45 PM

ये अलसी क्या तिल को ही कहते है ?

Rambabu April 9, 2010 at 5:16 PM

ये अलग चीज है | अलसी तिल से आकार में थोडा बड़ा होता है |

Chaya Panwar August 23, 2010 at 4:34 AM

आपका यह लेख अलसी उपयोग को प्रोत्साहित करेगा और लोगों को सस्ते में अच्छा स्वास्थ्य मिलेगा। आभार!

नरेन्द्रनाथ चतुर्वेदी November 10, 2010 at 9:21 PM

aap bahut aacha likh rahe hen

धर्मेन्द्र राय November 22, 2012 at 7:20 PM

राम बाबु जी मै माउथ कैन्सर का मरीज हू २ साल पहले ऑपरेशन हुवा था मै तिशी का प्रयोग कैसे करू मेरा gmail adress hai draibjp@gmail.com

धर्मेन्द्र राय November 22, 2012 at 7:21 PM

राम बाबु जी मै माउथ कैन्सर का मरीज हू २ साल पहले ऑपरेशन हुवा था मै तिशी का प्रयोग कैसे करू मेरा gmail adress hai draibjp@gmail.com

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