" "यहाँ दिए गए उत्पादन किसी भी विशिष्ट बीमारी के निदान, उपचार, रोकथाम या इलाज के लिए नहीं है , यह उत्पाद सिर्फ और सिर्फ एक पौष्टिक पूरक के रूप में काम करती है !" These products are not intended to diagnose,treat,cure or prevent any diseases.

Mar 19, 2011

एलोवेरा जूस क्यों जरुरी है ?

एलो मात्र एक पौधा नहीं है, मानो कुदरत ने मानव शरीर के कल्याण के लिए विशेष तौर पर इसे धरती पर लाया हो | जितने गुण एलो वेरा में है ,शायद ही किसी और जड़ी-बूटी में एक साथ पाए जाते है | इसलिए इसे औषधियों का महाराजा माना गया है | कई नाम से इसे लोग पुकारते है , कुछ लोग इसे संजीवनी बूटी तो कुछ लोग इसे साइलेंट हीलर, चमत्कारी औषधि आदि भी कहते है |

एलोवेरा का 5000 साल पुराना इतिहास है | पुराने समय में लोग इससे औषधि के रूप में इस्तेमाल करते आ रहे है | पवित्र ग्रन्थ रामायण, बाइबल और वेदों में भी इस पौधे की उपयोगिता के बारे में चर्चा की गई है | मिस्त्र की महारानी क्लीवपेट्रा से लेकर महात्मा गाँधी तक इसका इस्तेमाल करके फायदा उठा चुके है | वर्तमान में एलो वेरा का उपयोग अनेक प्रकार के आयुर्वेदिक औषधीय में बहुतायत से हो रहा है | कोई भी वैद्य,चिकित्सक, व हाकिम इनके गुणों को नकार नहीं सकता | इसे कई नाम से जाना जाता है , जैसे हिंदी में ग्वारपाठा, क्वारगंदल,घृतकुमारी, कुमारी या फिर घी-ग्वार भी कहते है |



वर्षों के शोध के बाद पता चला की एलोवेरा के 300 प्रकार के होते है | इसमें 284 किस्म के एलो वेरा में 0 से 15 प्रतिशत औषधि गुण होते है |11 प्रकार के पौधे जहरीले होते है बाकि बचे 5 विशेष प्रकार में से एक पौधा है जिसका नाम एलो बारबाडेन्सिस मिलर है जिसमे 100 प्रतिशत औषधि व दवाई दोनों के गुण पाए गए है |

जिस तरह हमारे यहाँ (AIIMS DELHI ) एम्स दिल्ली को सब जानते है ठीक वैसे ही अमेरिका में लाइंस पौलिंग इंस्टीच्युट ऑफ़ साइंस एंड मेडिसिन न केवल अमेरिका में बल्कि सारे संसार में परिचित है | डॉ. लाइंस पौलिंग जिन्हें दो बार नोबिल पुरुस्कार से से नाबजा गया था |



कई वर्षों के शोध के बाद पता लगाया इस विशेष प्रकार के एलो बारबाडेन्सिस में समाहित गुणों के बारे में | फिर फॉर एवर लीविंग प्रोडक्ट्स इंटरनेशनल के चेयरमान रेक्स मॉन जो की अमेरिकन है उनके सहयोग से एलो वेरा जेल और साथ में कुछ उत्पाद को बाजार में उतारे जो को मानव जाती के लिए चमत्कारी सिद्ध हुए |

एलोवेरा की खास बात यह है की यह अपना आहार वातावरण से लेता है | आज के वातावरण में प्रदुषण ज्यादा है, और एलोवेरा के पत्ते उसे अपने अन्दर सोंख लेता है | पहले के एलो वेरा कुछ हद तक ठीक था क्योंकि पहले हमारे आसपास इतना प्रदुषण नहीं होता था | आसपास इतना प्रदुषण है की हमारे यहाँ के एलोवेरा जेल को पीना स्वस्थ्य के दृष्टीकोण से ठीक नहीं हो सकता है |


ऍफ़.एल.पी 7500 एकड़ जमीन में बिलकुल प्रदूषित रहित तरीके से खेती करके एलो पौधों की फसल तैयार करती है | यहाँ प्रदुषण का इतना ख्याल रखा जाता है की 200 किलोमीटर तक के आसपास के क्षेत्र में कोई पेट्रौल, डीजल वाली गाडी मोटर नहीं चलती और यहाँ तक वहां अन्दर भी जो गाडी वगैरह चलती है, वो बैटरी से चलती है | इस तरह प्रदुषण का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं होता है |

ऍफ़.एल.पी एलोवेरा को ( IASC ) इंटरनेसनल एलो साइंस काउन्सिल से मान्यता प्राप्त सील उत्पाद की शुद्धता और गुणवता को दर्शाती है | 25 -09 -2005 को टाइम्स ऑफ़ इंडिया में एक आलेख भी छपा था जिसमे एलोवेरा के शुद्धता के लिए सील को अवश्य देख ले | ऐसा एलोवेरा के सम्बन्ध लिखा लेख में लिखा गया था |

इस पौधे की विशेषता यह है की पत्ते को तोड़ने के ठीक तीन घंटे के अन्दर उपयोग कर लेना चाहिए नहीं तो उनमे विद्यमान औषधि + पौष्टिकता के गुण धीरे-धीरे नष्ट हो जाते है | ऍफ़.एल.पी में वैज्ञानिकों की शोध करके इस पौधे के जूस को कुछ जड़ी-बूटी की मदद से इसके जीवन को दो- तिन घंटे से बढाकर चार साल के लिए सुरक्षित कर दिया है |

एलोवेरा जूस कैसे काम करता है ?
एलोवेरा जेल कम से कम 90 -से 120 दिनों के नियमित सेवन से असाध्य कहे जाने वाली बीमारियाँ में लाभ पा सकते है - जैसे Arthritis, Asthma, Diabeties,Heart Problem, High/Low Blood Pressure,Gastric Problem, Constipation, Obesity, Ulcer, Lack of Energy, Thyroid, Kidney Problem, Back Pains, Survical Problem, Parkinson, Colitis, Amoebas, Stress, Tension, Depression, Cholestrol, Pimples, Ladies Problem during pregnancy, Plus all A to Z Problems और तो और Cancer जैसी खतरनाक बीमारी में भी एलो जेल राहत देती है यानि इसके नियमित सेवन से आप हमेशा के लिए तंदुरुस्त रख सकते है |

आप हैरान होंगे की एक एलोवेरा से करीब 220 प्रकार के बीमारियाँ कैसे ठीक हो जाती है ? इससे पहले हम यह जान ले की हमें बीमारियाँ होती क्यों है ? दरअसल हमें जीवित रहने के लिए हवा, पानी और भोजन की आवश्यकत होती है, पहले के समय इसी के सहारे लोग सैकड़ों वर्षों तक जीवित रहता था क्योंकि पहले वातावरण स्वच्छ था लेकिन आज के वातावरण को देखे तो यह तीनो ही चीजें हमें अशुद्ध मिल रही है |

दूसरा आज का खान-पान,हमारी जीवन शैली ,आधुनिकता की दौड़ में इतनी बदल चुकी है की हमें अपने लिए ही वक्त नहीं होता |आज समोसा, पिज्जा ,बर्गर,पेप्सी,चाउमीन मतलब फास्ट फ़ूड हमारे आहार में शामिल हो चूका है तथा नियमित व्यायाम करने का समय भी नहीं बचा है तो यही सब कारण मिलकर मनुष्य को अस्वस्थता की ओर ले जाते है |

चुकी हमारी 90 प्रतिशत बीमारियाँ पेट से उत्पन्न होती है और इन सब बिमारियों का कारण है - हमारी आंते साफ़ ना होना और एलोवेरा में मौजूद सापोनिन और लिग्निन आँतों में जमे मैल को साफ़ करके इनको पौष्टिकता प्रदान करता है | शरीर में किसी भी प्रकार के रोग का होना अन्दुरुनी सिस्टम में गरबरियाँ को दर्शाती है |


एलो मानव शरीर में डोमेक्स का काम करता है , जैसे किचन की नाली जब जाम हो जाती है तो हम नाली में डोमेक्स डालते है और नाली साफ़ हो जाती है और उसी तरह एलो मानव शरीर के अन्दर जाते है आंतो को साफ़ करने का काम शुरू कर देता है | और जैसे जैसे हमारी आंते साफ़ होती है वैसे -वैसे हमें आराम मिलना शुरू हो जाता है | जैसे सूर्य के तेज को हम नाकर नहीं सकते उसी तरह एलो जूस मानव शरीर के अन्दर जाते ही उसे आराम मिले बिना नहीं रह सकता |

इसके नियमित सेवन से आँखों की रौशनी बढती है घुटनों के दर्द , खून साफ़ करने में हकलाने में , दांतों की बिमारियों में पेट की सभी बिमारियों में बालों के झरने में , यादास्त बढ़ाने में वजन कम करने में या बढ़ाने में बहुत फायदा देता है | इसे किसी भी दावा के साथ लिया जा सकता है | इसका किसी भी प्रकार कोई दुष्प्रभाव नहीं है | बच्चे, जवान, बुजुर्ग ( स्त्री-पुरुष) सभी ले सकते है |

अतः एलोवेरा हमें नियमित लेना चाहिए | यह हमारे घर के वैद्य है | अगर कोई बीमार पिएगा तो उसे स्वस्थ्य होने में मदद मिलेगा और कोई स्वस्थ्य व्यक्ति पिएगा तो बीमार ही नहीं होगा |

हजारों लाखों रुपये बीमारी के इलाज में खर्च करने से कई गुना बेहतर है की बीमारी होने के कारण को ही शरीर से बहार निकालने का प्रयास किया जाये | घर बैठे , खाते-पिटे, हँसते-खेलते, बिना कोई ओपरेसन के अपनी व अपने परिजन की समस्त बीमारी के कारणों को आप स्वयं ही समूल नष्ट कर सकते है |

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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

आओ मिलकर होली खेलें- जीवन को खुशियों से भर लें !!

होली महोत्ष्व से पहले यानि की आज होलिका दहन होता होता है | प्रत्येक नगर-गाँव के प्रमुख चौराहों और अतिविशिष्ट स्थानों पर होलिका दहन हर्षो उल्लास से किया जाता है |लोग इसके लिए जलावन का सामग्री इकट्ठा कर शाम के समय उसमे आग लगा देते है और फिर वहां उपस्थिति लोग नाचते गाते हुए उसका परिक्रमा करते है |
होलिका दहन क्यों ?
एक पौराणिक कथा के अनुसार, हिरन्यकश्यप नामक एक राक्षस था | उसे सर्वत्र हिरन्य (कनक) यानि सुवर्ण ही दिखाई देता था | भोग विलास ही उसके जीवन का प्रमुख उद्देश्य था | राक्षस का अर्थ " खाओ, पीओ और मौज करो" वाली मानसिकता का मानव | भोग और स्वार्थ के सिवा उन्हें कुछ भी नहीं दिखाई देता है | स्वयं को भगवन समझने वाला दुसरे भगवन को कैसे स्वीकार करता ?

लेकिन वो कहावत है न - कीचड़ में ही कमल खिलता है और कमल की तरह उसके यहाँ प्रहलाद जैसे भक्त पुत्र का जन्म हुआ | प्रहलाद गर्भ में था तब उसकी माता नारद के आश्रम में रही थी , वहां के संस्कार का असर प्रहलाद पर पड़ा था | परन्तु राक्षसी प्रवृति का पिता यह बात सहन कैसे कर सकता ?

प्रहलाद को मार डालने के लिए अनेक प्रकार के प्रयास किये उनमे से एक प्रयास यह था की उसे जिन्दा जला दिया जाए | प्रहलाद अग्नि में उठकर भागे न इसके लिए उन्होंने बुआ जी के गोद में उसे बिठाया | हिरन्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान मिला था की अग्नि उसे जला नहीं सकेगी ? अपने भाई के आग्रह से होलिका ने प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का निश्चय किया, परिणाम हुआ की होलिका जलकर भष्म हो गई भक्त प्रहलाद हँसता खेलता बाहर आया | अतः यह हमारे लिए होली का एक अनोखा सन्देश देता है |

अगले दिन यानि की कल होली का त्यौहार जो की रंगों का त्यौहार होता है | रंगोत्सव ( धुलैंडी ) जिसमे लोग एक दुसरे के साथ रंग व अबीर लगाकर खुशियाँ मानते है | वैसे तो फाल्गुन का आना स्वतः मालूम हो जाता है जब प्रकृति में बदलाव होने लगते है | ठंढ कम हो जाता है | पेड़ों पर नए पत्ते आने लगते है | आम के वृक्ष मंजरने लगते है | भंवरों का मडराने जैसे प्रकृति में चारो और मादकता की अनुभूति होने लगता है | मनो जहाँ सारा वातावरण सुगन्धित हो गया हो |


कुल मिलकर कुदरत में भी रौनकता दिखाई देने लगती है , जिससे प्राणियों में भी एक अदृश्य शक्ति का संचार होने लगता है | नए जोश, उमंग के साथ प्राणी होली के महा उत्सव के लिए बिन पिए ही मदमस्त दिखाई देते है |अतः होली के रंग को लेकर कर आने वाला फाल्गुन हमें नवजीवन का सन्देश देता है !एक ओर जहाँ होली सद्विचार,सदमिलन,मित्रता, एकता,भाईचारा का पर्व है , दूसरी ओर इस दिन द्वेष -भाव त्याग कर सबसे सप्रेम मिलने का पर्व के रूप में मनाया जाता है |

आप सबको होली की अनंत शुभकामनाएं !!
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Mar 11, 2011

जापान में जलजला - ब्लैक फ्राइडे - सुनामी का तांडव


जापान में आये महाप्रलय में वहां के फ़्लाइओभर,बड़े बड़े जहाज , गारियाँ सबकुछ तेज लह्डों में तिनको की तरह बहते देखे जा रहे है | महाविनाश की यह लीला देखकर दिल दहल जाता है | सुनामी से उठी समंदर की ऊँची ऊँची लह्डों में वहां के बड़ी बड़ी बिल्डिंग भी बेबस नजर आ रही है | करीब 20-30 फिट ऊँची ऊँची लह्ड़े कई द्वीप का नामोनिशान मिटा सकती है |

इससे पहले जापान में अमेरिका द्वारा इस्तेमाल किया गया परमाणु बम वाकई इंसानी रूप में सबसे बड़ी त्रासदी थी परन्तु कुदरत का यह महाविनाश उससे भी कई गुना ज्यादा विनाश लेकर आई है |जहाँ सबकुछ तबाह कर दिया है | सूत्रों के मुताबिक तबाही में नुकसान का अंदाजा लगाना अभी मुश्किल काम है |

अमरीकी भौगोलिक सर्वे के मुताबिक़ भूकंप की तीव्रता 8.9 थी और इसका केंद्र टोक्यो से 400 किलोमीटर दूर था | वैज्ञानिकों का कहना है की यह जापान के इतिहास में सबसे बड़ा भूकम्प में से एक है | उसके बाद ही समंदर में भी हलचल शुरू हुई और देखते ही देखते उत्तर पूर्वी जापान के दो शहरों को पूरी तरह से नस्त नाबुत कर दी है |


इस तबाही में मरने वालों की संख्या 1000 लोगों से भी ज्यादा होने की आशंका की जा रही है | टीवी फुटेज देखने के बाद कलेजा कांपने लगा है ! अगर ऐसा कुछ हमारे दिल्ली में आ जाय तो क्या यहाँ कुछ भी बच पायेगा |

सरकार को इस तरह की आपदा के लिए तैयार रहना चाहिए | मंजर इतना भयावह लगता है जिसे देखकर मतलब सोचकर ही कलेजा कांपने लगा है |

जापान जिसे उगते हुए सूरज का देश कहा जाता है , सुनामी का तबाही ने उसे अँधेरे में धकेल दिया है | जापान के कई शहर सुनामी का जलजला में समाते जा रहे थे | सुनामी के ऊँची ऊँची लहड़ के सामने वहां के बिल्डिंग बौने देखे जा रहे थे | सुनामी का सितम जापानी लोगों के लिए अब तक का सबसे बड़ी तबाही में से एक है |



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अपेंडिक्स है - एलोवेरा जेल लें ओपरेशन से बचें !


अपेंडिक्स क्या है ? यह छोटी आँतों और बड़ी आँतों के बिच की कड़ी है | इसमें एक छोटी से थैलिनुमा जो शेह्तुत के आकर की होती है जो आँतों से बाहर की ओर निकली रहती है | इसी को अपेंडिक्स कहते है | दरअसल पहले इसके कार्य प्रणाली के बारे में नहीं मालुम था की क्या मनुष्य के लिए अपेंडिक्स जुरुरी है या नहीं | अक्सर चिकित्सक अपेंडिक्स को हटा देने में ही भलाई समझते थे , इससे मरीजो को कोई समस्या नहीं आती है, मतलब यह एक आँतों के बिच में गैरजरूरी चीज समझा जाता था |

परन्तु चिकित्सक ने अपेंडिक्स पर शोध के बाद पाया की यह स्वस्थ्य शरीर के लिए जरुरी भी है | इससे मनुष्य के पाचन प्रणाली के लिए अच्छे वाले बैक्टेरिया को जमा करके रखने वाली थैली है जिससे कारण जब लम्बे समय से रोगों के वजह से जब शरीर के बैक्टेरिया में कमी हो जाती है तो अपेंडिक्स का काम पाचन प्रणाली को सुदृढ़ रखना होता है |


दरअसल अपेंडिक्स की थैली एक ओर से खुली और दुसरे ओर से बंद होती है | छोटी आँतों से बचा हुआ कण अगर उसमे जाकर फंस जाता है और ज्यादा दिनों तक एकत्रित होकर सड़ने-गलने लगते है फिर सुजन हो जाता है जिसके कारण जबरदस्त दर्द मध्य रात्रि के आसपास शुरू होता है जो की कभी तेज कभी धीमा परन्तु लगातार करीब चार घंटे तक होता रहता है |

इसके मुख्य कारण होता है लम्बे समय तक कब्ज़ का रहना , पेट में पलने वाला परजीवी व आँतों के रोग इत्यादि से अपेंडिक्स की नाली में रुकावट आ जाता है |

भोजन में रेशे का न होना या कमी भी इस समस्या के लिए जिम्मेदार होता है | जब यह अपेंडिक्स में लगातार रुकावट की स्थिति बनी रहे तो सुजन और संक्रमण के बाद यह फटने की स्थिति में हो जाती है फिर तो यह बहुत ही भयावह हो सकता है |


इसके लक्षण पेट के दाहिने भाग के निचे अचानक तेज दर्द का होना , उलटी आना, जी मचलाना , जीभ के ऊपर सफ़ेद आवरण का होना , हलकी बुखार का होना | शुरू में अपेंडिक्स का दर्द नाभि के निचे से उठता है और बाद में दाहिने टांग के ऊपर पेट में होता है |

दर्द बहुत बढ़ जाने पर ओपरेशन आवश्यक हो जाता है | यदि यह शुरूआती अवस्था में हो या ऐसे लम्बे अरसे है जिसके दौरान दर्द उठता है फिर चला जाता है, तो पोषक तत्वों व जड़ी बूटी से रोगी को काफी मदद मिल सकती है |

एलो वेरा आधारित जड़ी बूटी के माध्यम से रोगी का इलाज संभव है जो की निचे दी जा रही है :-
1 Aloevera Gel - भोजन के कणों को हटता है और निर्वाशिकरण करके शरीर के पाचन प्रणाली व पौष्टिकता प्रदान करता है !
2 Pomesteen Power - सुजन विरोधी, पीड़ा निवारक है !
3 Bee Propolis - प्राकृतिक एंटी बायोटिक ,
4 Garlic Thyme - एंटी-बायोटिक, मांसपेशी को रहत पहुंचाती है |

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Mar 10, 2011

एलोवेरा जूस शरीर के लिए अमृत तुल्य - आइये जानते है क्यों ?



आज आपके साथ चर्चा करते है एलो वेरा जूस में समाहित विशिष्ट तत्व जिसके सेवन से मनुष्य के शरीर निरोग रहता है | सुन्दर,चुस्त व दुरुस्त सेहत के लिए मनुष्य अपने दैनिक आहार में इस जूस को शामिल करें | आखिर क्या गुण है एलो वेरा जूस में जो मानव जाती के लिए आज के युग का अमृत तुल्य माना गया है ?

लिग्निन :- एक गुदे जैसा पदार्थ जो एलो वेरा की पत्तियों की जेली में शामिल सेलुलोज के साथ पाया जाता है | इसकी उपस्थिति इस बात का सूचक है की यह मनुष्य की त्वचा में गहराई तक जाने की अत्यधिक क्षमता रखता है |

सैपोनिंस :- इसकी खोज 1951 में एक घटक के रूप में की गई जिसमे एलोवेरा लीफ जूस की मात्रा 2 .91 प्रतिशत शामिल थी | सैपोनिंस ग्लाइकोसाइड्स है जिनमे न केवल आँतों की सफाई करने की क्षमता है बल्कि शैम्पू जैसे कास्मेटिक्स में प्राकृतिक झाग पैदा करने वाले उच्चकोटि के प्राकृतिक साबुन एजेंट भी है |

एन्थ्राक्विनोंस :- अलोइन-कैथोटिक और एमिटिक , बारबैलोइन -एंटीबायोटिक और कैथोरटिक , आइसोबारबैलोइन-एनालजेसीक और एंटीबायोटिक , अन्थ्रानाल , अन्थ्रासिं, अलोईटिक एसिड - एंटीबायोटिक, अलो अमोडीन-बैकटीरिसाइड और लक्झेटिव, सिनैमिक एसिड- जर्मीसाइड और फंगीसाइड, इस्टर ऑफ़ सिनैमिक एसिड- एनालजेसीक और अन अस्थेटिक, इस्टीरियोल आयल - ट्रेकुलाईजिंग , क्रिसोफेनिक एसिड - स्किन फंगस , अलो अल्सिन-गैस्ट्रिक सीक्रेशन रोकता है , रेजिस्टनाल |

मोनो और पॉली सैकेराईड्स :- एल्ड़ोनेन्टोज, सेलुलोज, ग्लूकोज, एल रैमनोज, मैनोज !

अमीनो एसिड :-
आवश्यक अमीनो एसिड - आइसोल्युसिन, ल्युसिन, लाइसिन, मैथीओनिन, फेनिल लोनीन,थियोंइम, वैलिन

सेकेंडरी :- एलोनिं, आज़िरनीन,एस्पार्टिक एसिड, ग्लुटामिक एसिड , ग्लिसरीन, हिस्टीडाइन, हाइड्रोक्सीप्रोलाइन्स, प्रोलाइन , प्रोलाइन, सेरिन, टाइरोसीन !
इनआर्गनिक / इन्ग्रेडिएन्ट्स/मिनरल्स :- कैल्सियम, फास्फोरस,पोटैशियम,आयरन,सोडियम,क्लोरिन,मैंगनीज, मैंग्नेशियम,कापर, क्रोमियम, जिंक !

विटामिन्स :- विटा ए-कैरोटिन , विटा बी-उत्तकों में वृद्धि, रक्त और उर्जा उत्पन्न करता है ! विटा सी- कीटाणुओं को रोकने, घाव भरने और स्वस्थ्य त्वचा के निर्माण में सहायक होता है ! विटा एम्- रक्त निर्माण में सहायक , नियान्सिमेंनाइड- मेटाबोलिज्म का नियंत्रक ! कोलाइन - मेटाबोलिज्म में सहायक !

एन्जाइम :- फास्फेट - एमाइलेज, ब्रैडीकाइनेज- इम्यून बिल्डिंग , कैटालेज - तंत्र में पानी संग्रह की सुरक्षा , सेलुलोज - सेलुलोज डाइजेशन, क्रिएटिव फास्फो काइनेज - मस्कुलर एन्जाइम , लाइपेज- पाचन, न्युक्लियोटाईडेज, अल्केलाइन फोस्फेट, प्रोटिएज- प्रोटीन को उनके संघटक तत्वों में हाइड्रोलाइज करता है !

अतः इन्हीं सब उपरोक्त विशिस्ट गुणों के कारण एलो वेरा जूस वर्तमान में तहलका मचा दिया है | वह चाहे किसी भी प्रकार के रोग हो उसमे अचूक साबित हो रही है | यहाँ तक की प्राकृतिक चिकित्सा में एलो वेरा जूस कब्ज़ से लेकर कैंसर तक के मरीजों के लिए एक अत्यंत लाभकारी औषधि है | नित्य नियमित एलो वेरा जूस का सेवन मनुष्य जीवन के लिए काया कल्प कर देती है |

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