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Sep 2, 2010

दिलवालों की शहर है दिल्ली ! ( स्वदेश पर्यटन )


जैसा की मैंने पहले अंश में दिल्ली के कुछ सुप्रसिद्ध पर्यटन स्थल के बारे में संक्षेप में लिखा हुआ है, उसी के विषय में यहाँ आज वृहत रूप से चर्चा करेंगे |
दिल्ली की दर्शनीय स्थल जो दिल्ली की शान है : -

कुतुबमीनार :- कुतुबमीनार के निर्माण को लेकर लोगो में मतभेद है | लेकिन इस सम्बन्ध में कोई शक नहीं की 1199 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस का निर्माण कार्य शुरू करबाया और उस की मौत के बाद दुसरे शासकों ने इसे पूरा किया !

लालकिला :- लाल पत्थरों से बना लाल किला ऐतिहासिक धरोहर ही नहीं, अपितु देश की शान भी है | हर स्वतंत्रता दिवस पर इसी ऐतिहासिक किले की प्राचीर से तिरंगा फहरा कर प्रधानमंत्री जी देशवासियों को संबोधित करते है | 3 किलोमीटर में फैले इस कीले का निर्माण 1638 में मुग़ल बादशाह शारजहाँ ने करबाया , जिसे पूरा होने में पुरे 10 वर्ष लगे | बहादुर शाह जफ़र यहाँ राज करने वाले अंतिम मुग़ल शासक रहे |


जामा मस्जिद :- लाल किला के ठीक सामने सडक के दूसरी ओर स्थित जामा मस्जिद देश की सब से बड़ी मस्जिद है | लगभग 25 हजार लोग इसके विशाल प्रांगन में एकसाथ नमाज अदा कर सकते है |

पुराना किला :- महाभारत काल में पांडवों ने इस का निर्माण कराया था , जिसे तब इन्द्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था | प्राचीन समय के कला का अनूठी मिसाल यह किला अब खंडहर में तब्दील हो चूका है | माना जाता है की कभी इस पुराना किला से शेरशाह सूरी का भी सम्बन्ध रहा था |


चिड़ियाँ घर :- पुराने किला से सटे हुए चिड़ियाँ घर में कई प्रकार के विलक्ष्ण पशु और पक्षियाँ यहाँ के लोगों के आकर्षण का केंद्र है | कई प्रकार के जीवजन्तु के अलावा सफ़ेद बाघ भी यहाँ मिल जाता है | रविबार का दिन यहाँ ज्यादा भीड़ नजर आती है | बच्चों में चिड़ियाँघर के प्रति ज्यादा जिज्ञासा देखनो को मिलाता है |

इंडिया गेट :- तक़रीबन 90 हजार सैनिक जो प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान शहीद हुए थे उनकी याद में 42 मीटर ऊँचे इस शहीद स्मारक का निर्माण 1931 में किया गया था | राजपथ के अंतिम छोर पर बने भव्य दरबाजे को इंडिया गेट कहते है | शहीदों की याद में यहाँ हमेशा अमर जवान ज्योति जलती रहती है |

जंतरमंतर :- कनाट प्लेस के नजदीक संसद मार्ग पर स्थित जंतरमंतर
का निर्माण 1725 में जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह ने कराया था | यहाँ की बनी धुप घड़ी, गृह नक्षत्रों की दशा और खगोलीय घटनाओं से सम्बंधित जानकारी देती है !


राष्ट्रपति भवन :- राजपथ के एक छोड़ पर स्थित 340 कमरों वाले राष्ट्रपति भवन में देश के राष्ट्रपति का निवास स्थान है | आजादी से पहले यह वायसराय का निवास स्थान हुआ करता था | सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहाँ आम जनता को जाने की इजाजत नहीं है | राष्ट्रपति भवन के एक हिस्से में में स्थित मनमोहक फूलो की विभिन्न प्रजातियाँ एवं पेडपौधे से सुसज्जित मुग़ल गार्डेन है | आम जनता को देखने के लिए यह गार्डेन 15 फरबरी से एक महीने के लिए खोल दिया जाता है !


प्रगति मैदान :- यहाँ राष्ट्रिय और अंतरराष्ट्रिय स्तर की प्रदर्शनियों का आयोजन सालोभर होता रहता है | यहाँ 14 से 27 नवम्बर तक चलने वाला अंतरराष्ट्रिय व्यापर मेले के अलावा पुस्तक मेले के चलते इस को खासी शोहरत मिली है | यहाँ विभिन्न राज्यों के स्थायी गुम्बजदार इमारत बने हुए है, जहाँ जा कर सैलानी उन प्रदेशों की प्रगति और वहां की सांस्कृति की झलक देख सकते है |

हुमायूं का मकबरा :- 1565 -1566 के बिच हुमायूं ने अवध के नवाब सफदरजंग की याद में यह मकबरा बनबाया | सफदरजंग एअरपोर्ट के निकट स्थित इस मकबरे को हुमायूं के मकबरा निर्माण परम्परा का अंतिम मकबरा माना जाता है | हुमायूं के अन्य मकबरों की तुलना में यह काफी कम क्षेत्र में बना है |

राष्ट्रीय संग्रहालय :- इंडिया गेट के निकट जयपुर हॉउस में और राष्ट्रपति भवन व इंडिया गेट के बीचोबीच जनपथ रोड पर राष्ट्रीय संग्रहालय के दो अलग-अलग भवन है | दोनों भवनों में पुरातन वस्तुओं, कलात्मकता व पुरातत्वीय वस्तुएं संग्रहित है | संग्रहालय में स्थित वस्तुओं से जुडी बातें जानने के लिए यहाँ फिल्मे भी दिखाई जाती है |

डौल्स म्यूजियम :- आईटीओ के पास बहादुरशाह जफर मार्ग पर स्थित इस संग्रहालय में विश्व के लगभग 85 देशों की 600 गुडियाएँ राखी गई है | देश के विभिन्न राज्यों की पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित ये गुड़ियाएं बच्चों को बेहद पसंद आती है | सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक यह संग्रहालय सोमवार के अलावा सभी दिन खुला होता है |

समाधियाँ :- देश की महान विभूतियों की समाधियाँ जमुना नदी से सटे रिंग रोड के दूसरी ओर स्थित है | राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की राजघाट, लालबहादुर शास्त्री की विजय घाट, इंदिरा गाँधी की शक्ति स्थल,तथा राजिव गाँधी की समाधि वीरभूमि पर बनाई गई है | इन समाधियों के आसपास लगे हरी भरी घास पर बैठकर पर्यटक अपनी थकान मिटाते है |

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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

हिंदुस्तान का दिल है दिल्ली !

जय श्री कृष्णा !
सपनो की नगरी दिल्ली की अपनी अलग पहचान है | यहाँ भारत के भिन्न भिन्न प्रान्त से आये लोग अपने लिए जीविकोपार्जन करते है | राजनीती गहमागहमी की शहर दिल्ली, का बिता हुआ कल अपने में कई यादे समेटे हुए है | सदियों से यहाँ शासन करने वाले शासक में परिवर्तन होते रहे है और प्रत्येक नए शासक के दौर में दिल्ली एक नए रूप में उभरकर सामने आती रही है |अनंगपुर के आसपास और आरावली की पहाड़ियों की चट्टाने इस बात की पुष्टि करती है की यहाँ आदि मानवों का बसेरा भी रहा था |

ईसापूर्व कोई हजार वर्ष पहले के काली मिट्टी से बने बरतनों के अवशेषों से इस बात की पुष्टि हुई है की महाभारत काल में यह पांडवों की राजधानी इन्द्रप्रस्थ रही होगी | ईसापूर्व तीसरी सदी के मध्य यहाँ मौर्य शासकों का तो 11वीं सताब्दी में तोमर वंश के शासक अनंगपाल का शाशन रहा | भारत की सबसे ऊँची पत्थर की इमारत कुतुबमीनार की नींव डालने वाला कुतुबद्दीन ऐबक 1206 में यहाँ का पहला मुग़ल बादशाह बना |


इसके बाद खिलजी, तुगलक और लोदी वंशों ने क्रमशः राज किया | 16वीं सताब्दी में हुमायूं ने यहाँ दीनपनाह की नींव रखी थी जो आज पुराना किला है | लेकिन बाद में शेरशाह सूरी ने इसे दुबारा पुराने किले के रूप में तैयार कराया |

यहाँ अकबर और जहाँगीर के शासन में भी निर्माण कार्य होते रहे थे लेकिन 1639 में शाहजहाँ की बनाई गई मुगलों की राजधानी शाहजहानाबाद 1857 तक बतौर मुगलों की राजधानी के रूप में मशहूर रहा |


1911 में अंग्रेज दिल्ली से शासन कार्य करने लगे | इस दौरान उन्होंने भी कई निर्माण कार्य कराये दिल्ली के बीचोबीच आज का कनाट प्लेस अंग्रेजों की ही देन है |

आज के आजाद भारत में भी निर्माण कार्य बहुत तेजी से चल रहा है | फ़्लाइओवर और मेट्रो ने दिल्ली शहर को एक बार फिर नया रूप दे दिया है | वर्तमान में राष्ट्रमंडल खेल के कारण सडको, फ़्लाइओवर और मेट्रो के निर्माण कार्य में दिन और रात चल रहा है | यमुना किनारे बसी दिल्ली को दो भागों में बांटा गया है - पुराणी दिल व नै दिल्ली |

यहाँ दर्शनीय स्थल बहुत सारे है जैसे कुतुबमीनार,लालकिला,जामामश्जिद,पुराना किला, चिड़ियाँघर , इंडिया गेट, जन्तर मन्त्र, राष्ट्रपति भवन,प्रगति मैदान, आपुघर,हुमायूं का मकबरा, सफदरजंग का मकबरा, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्स म्यूजियम, देश में महान विभूतियों की समाधियाँ यमुना नदी से सटे है |


दिल्ली के आसपास आगरा, मथुरावृन्दावन, सूरजकुंड, बड़खल व सोहना जैसे पर्यटन स्थलों पर सुविधानुसार जा कर घुमने का आनंद लिया जा सकता है | इन दिनों दिल्ली में मेट्रो द्वारा भूमिगत और सड़क से ऊपर की यात्रा का आनंद लिया जा सकता है | दिल्ली में चांदनी चौक, करोल बैग,कनात प्लेस, सरोजनी नगर मार्किट मुख्य है, जहाँ आप खरीददारी भी कर सकते है |

और भी बहुत कुछ है जिसके बारे में मैं अगले अंश में चर्चा करेंगे , खासकर पर्यटन स्थल की खासियत और उनसे जुडी कुछ यादें | अगले भाग के लिए इन्तेजार कीजिये और आज का पावन पर्व जन्माष्टमी की आप सब को बहुत बहुत बधाईयाँ |

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ताऊ और ताऊ की भैंस अक्सर ये बाते करते हैं....!
....कुत्ते- कैसे कैसे?