" "यहाँ दिए गए उत्पादन किसी भी विशिष्ट बीमारी के निदान, उपचार, रोकथाम या इलाज के लिए नहीं है , यह उत्पाद सिर्फ और सिर्फ एक पौष्टिक पूरक के रूप में काम करती है !" These products are not intended to diagnose,treat,cure or prevent any diseases.

Sep 2, 2010

हिंदुस्तान का दिल है दिल्ली !

जय श्री कृष्णा !
सपनो की नगरी दिल्ली की अपनी अलग पहचान है | यहाँ भारत के भिन्न भिन्न प्रान्त से आये लोग अपने लिए जीविकोपार्जन करते है | राजनीती गहमागहमी की शहर दिल्ली, का बिता हुआ कल अपने में कई यादे समेटे हुए है | सदियों से यहाँ शासन करने वाले शासक में परिवर्तन होते रहे है और प्रत्येक नए शासक के दौर में दिल्ली एक नए रूप में उभरकर सामने आती रही है |अनंगपुर के आसपास और आरावली की पहाड़ियों की चट्टाने इस बात की पुष्टि करती है की यहाँ आदि मानवों का बसेरा भी रहा था |

ईसापूर्व कोई हजार वर्ष पहले के काली मिट्टी से बने बरतनों के अवशेषों से इस बात की पुष्टि हुई है की महाभारत काल में यह पांडवों की राजधानी इन्द्रप्रस्थ रही होगी | ईसापूर्व तीसरी सदी के मध्य यहाँ मौर्य शासकों का तो 11वीं सताब्दी में तोमर वंश के शासक अनंगपाल का शाशन रहा | भारत की सबसे ऊँची पत्थर की इमारत कुतुबमीनार की नींव डालने वाला कुतुबद्दीन ऐबक 1206 में यहाँ का पहला मुग़ल बादशाह बना |


इसके बाद खिलजी, तुगलक और लोदी वंशों ने क्रमशः राज किया | 16वीं सताब्दी में हुमायूं ने यहाँ दीनपनाह की नींव रखी थी जो आज पुराना किला है | लेकिन बाद में शेरशाह सूरी ने इसे दुबारा पुराने किले के रूप में तैयार कराया |

यहाँ अकबर और जहाँगीर के शासन में भी निर्माण कार्य होते रहे थे लेकिन 1639 में शाहजहाँ की बनाई गई मुगलों की राजधानी शाहजहानाबाद 1857 तक बतौर मुगलों की राजधानी के रूप में मशहूर रहा |


1911 में अंग्रेज दिल्ली से शासन कार्य करने लगे | इस दौरान उन्होंने भी कई निर्माण कार्य कराये दिल्ली के बीचोबीच आज का कनाट प्लेस अंग्रेजों की ही देन है |

आज के आजाद भारत में भी निर्माण कार्य बहुत तेजी से चल रहा है | फ़्लाइओवर और मेट्रो ने दिल्ली शहर को एक बार फिर नया रूप दे दिया है | वर्तमान में राष्ट्रमंडल खेल के कारण सडको, फ़्लाइओवर और मेट्रो के निर्माण कार्य में दिन और रात चल रहा है | यमुना किनारे बसी दिल्ली को दो भागों में बांटा गया है - पुराणी दिल व नै दिल्ली |

यहाँ दर्शनीय स्थल बहुत सारे है जैसे कुतुबमीनार,लालकिला,जामामश्जिद,पुराना किला, चिड़ियाँघर , इंडिया गेट, जन्तर मन्त्र, राष्ट्रपति भवन,प्रगति मैदान, आपुघर,हुमायूं का मकबरा, सफदरजंग का मकबरा, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्स म्यूजियम, देश में महान विभूतियों की समाधियाँ यमुना नदी से सटे है |


दिल्ली के आसपास आगरा, मथुरावृन्दावन, सूरजकुंड, बड़खल व सोहना जैसे पर्यटन स्थलों पर सुविधानुसार जा कर घुमने का आनंद लिया जा सकता है | इन दिनों दिल्ली में मेट्रो द्वारा भूमिगत और सड़क से ऊपर की यात्रा का आनंद लिया जा सकता है | दिल्ली में चांदनी चौक, करोल बैग,कनात प्लेस, सरोजनी नगर मार्किट मुख्य है, जहाँ आप खरीददारी भी कर सकते है |

और भी बहुत कुछ है जिसके बारे में मैं अगले अंश में चर्चा करेंगे , खासकर पर्यटन स्थल की खासियत और उनसे जुडी कुछ यादें | अगले भाग के लिए इन्तेजार कीजिये और आज का पावन पर्व जन्माष्टमी की आप सब को बहुत बहुत बधाईयाँ |

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ताऊ और ताऊ की भैंस अक्सर ये बाते करते हैं....!
....कुत्ते- कैसे कैसे?

1 comments

Daisy May 31, 2021 at 5:06 PM

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