" "यहाँ दिए गए उत्पादन किसी भी विशिष्ट बीमारी के निदान, उपचार, रोकथाम या इलाज के लिए नहीं है , यह उत्पाद सिर्फ और सिर्फ एक पौष्टिक पूरक के रूप में काम करती है !" These products are not intended to diagnose,treat,cure or prevent any diseases.

Nov 27, 2010

असाध्य रोग- घरेलु सरल उपचार !

आजकल यह कहना अतिशयोक्ति होगी की आयु पर हम विजय पा सकते है | प्राणी की कब मृत्यु हो जाय, कुछ कहा नहीं जा सकता है | हर क्षण मृत्यु के करीब जा रहे प्राणी की आयु शरद ऋतु के बादल के सामान स्वल्प है, यह तो बुझते हुए लौ की दीपक के समान चंचल है, जो गई हुई देखी जाती है |

सबाल यह नहीं है की आपकी कितनी आयु है पर जितनी भी आयु आप जिए वह सुखकर हो, दिन-हिन् और रोगी बनकर जीना बहुत ही कष्ट देता है | मृत्यु के श्रीजन्हार असंख्य रोगों को शरीर में समा देते है और उसे कष्ट दे-देकर मारने की जुगत में लगे रहते है |


ज्यादातर रोग हमारी खुद की गलतियों के परिणाम होते है | स्वास्थ्य का महत्व भी उस समय ज्ञात होता है जब व्यक्ति बीमार होता है | रोग कोई भी हो - कब्ज़ या कैंसर, सभी रोग ख़राब और आयु का क्षीण करने वाले होते है | जो दूरदर्शी लोग होते है वह हर समय सेहत की अहमियत को ध्यान में रखते है और ऐसे कार्य से बचते है जो अंततः रोगकारक बनें |

रोग अपनी शुरुआती दौर में प्रायः घातक नही होते लेकिन बाद में वे जटिल बनते चले जाते है | कब्ज़ जैसा मामूली सा रोग भी हमारी लापरवाही का परिणाम होता है | वैसे कब्ज़ अपनी प्रारम्भिक अवस्था में बिना नुक्सान पहुंचाए सामान्य उपचारों से मिट जाता है लेकिन यदि लापरवाही बरती जाए तब धीरे-धीरे यह अन्य रोगों का कारण भी बन जाता है |

वर्तमान में कैंसर का भी प्रसार बहुत है | सामान्य विकार बिगरते-बिगरते कैंसर में परिवर्तित हो जाते है | इसे मौत का दूसरा नाम भी कह दिया जाता है | कैंसर के मरीज को देखकर एक स्वस्थ्य व्यक्ति के अंदर से यही शब्द निकलते है " हे भगवान मुझे इस बीमारी से बचाए रखना" |



वैसे इश्वर ने हमें वे सुविधाए दे रखी है जिनसे हम रोगों से बचे भी रह सकते है, रोग निवारण भी कर सकते है और दीर्घायु को प्राप्त कर सकते है , लेकिन जानकारी के अभाव में अथवा लापरवाही वश हम इन सुविधाओं का लाभ न उठाकर विज्ञापनबाजी से प्रचारित उन चीजो का ज्यादा इस्तेमाल करते है जो अंततः स्वास्थ्य के लिए घातक ही सिद्ध होती है | कोल्ड्रिंक्स,वर्गर,पिज्जा इत्यादि अनेक उदाहरण आपके सामने है |

बहरहाल यहाँ उस 'कमाल के नुस्खे' को निचे दिया जा रहा है जो बहुत ही साधारण और घरेलु है | तो आपके लिए लीजिये प्रस्तुत है घरेलु परन्तु असरदार नुस्खा :-
तुलसी और पुदीना की सामान मात्रा को मिलकर बनाये गए चूर्ण का नित्य नियमपूर्वक 5 ग्राम मात्रा दिन में एक बार सेवन किया जाए तो कैंसर जैसे भयंकर बीमारी से सदैव बचा जा सकता है | यह नामुराद बिमारी आपसे दूर ही रहेगी |
अगले क्रम में आपसे इस बनौषधि दोनों के मिश्रण के बारे में विस्तृत जानकारी और शोध के विषय के साथ उपस्थित होंगे !

एलोवेरा जेल रोज पिए और स्वस्थ्य तन-मन के साथ सदैव जियें !

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Nov 17, 2010

अंतर व्यथा - इसे रक्षक कहें या भक्षक |


सच्ची बात तो यह है की अगर ये खाकी और खादी वर्दीधारी सुधर जाए तो देश स्वतः सुधर जाएगा | सोमबार रात की घटना जो दिल्ली वालों को दिल दहला दिया | बात लक्ष्मी नगर के पास ललीता पार्क की है | सोमबार रात के 8 बजे पाँच मंजिला इमारत मलबे के ढेर में तब्दील हो गया ! कोई नहीं जानता की कब क्या हो जाए ? किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा की इस कदर ये पाँच मंजिला इमारत रेत की तरह भरभरा के गिर पड़ेंगे ? सरकारी आंकड़ा के अनुसार अब तक इस हादशा में करीब 70 व्यक्ति ने अपनी जान गवां दी है |

शक्तिशाली भारत को एक ओर जहाँ पड़ोसियों ने कमजोर करने की कोशिस किया, वहीँ हमारे अपने ही लोग भी इस कुकृतियों में शामिल रहे है, यह सौ फीसदी सत्य है ! स्वभाविमान राष्ट्र के लिए सबसे पहली आवश्यकता है, वहां के लोगों का नैतिक स्तर उच्च होना !

वर्तमान में हमारे देश में उच्च नैतिक स्तर वाले भी है लेकिन नैतिकता से गिरे लोगों की अपेक्षा कम है | आज हम किसी भी क्षेत्र की बात करें भ्रष्ट और बेईमान लोगों की कोई कमी नजर नहीं आएगी !राजनीती क्षेत्र की बात करें तो लगता है की पुरे 'कुए में ही भांग' मिली हुई है !चाहे सताधारी हो या विपक्ष, अधिकांश भ्रष्टाचार में लिप्त दिखाई देते है |


हमारा मकसद ऐसे भ्रष्ट आचरण वाले लोगों को सरेआम उजागर करना , जिनके कारण आज 70 बेगुनाहों की मौत हो गई है | प्रशाशन के कुछ भ्रष्ट आचरण वाले अधिकारी की पूरी जिम्मेदारी है जिन्होंने भवन निर्माण कार्य में पाँच मंजिल इमारत बनाने की इजाजत दी थी |साइलेंट किलर है यह खादी और खाकी के वर्दी में लिप्त कुछ भ्रष्ट अधकारी !

आज एक बार फिर से दिल्ली शर्मशार हो गई | ठीक उसी इलाके में अभी तक़रीबन चार या पाँच बिल्डिंग और भी जो कभी भी गिर सकती है परन्तु प्रशाशन की कान पर जूं नहीं रेंगता | उन्हें इसके बारे में ततकाल कदम उठाना चाहिए ! या फिर प्रशाशन दूसरी घटना का इन्तेजार करेगी | क्या आँखे खोलने के लिए इतना कुछ कम है ?


अरे कुम्भकरण भी छे महीने पश्चात् उठ जाया करता था परन्तु लगता है जैसे प्रशाशन सालों भर सोती रहती है और घटना उपरांत तुरंत नींद से जाग जाती है ! अपनी फायदों के लिए ऐसे खुनी खेल बंद करों ! आखिर कब तक लोगों को उनके ऊपर का आशियाना छिनते रहोगे ?

कई घरों के चिराग बुझ गए , कईयों ने अपने परिजनों को खो दिया ? कौन है इनके जिम्मेदार ? क्या उनके बिलखते हुए आत्मा उन्हें कभी माफ़ कर सकेगा ?

आज हम सभी जानते है की अनेकता में एकता राष्ट्र के रूप में विश्व विख्यात हमारा देश आज भ्रष्टाचार में नित नई ऊँचाइयों को छू रहा है | अगर देश का रक्षक ही भक्षक बनने को उतारू हो तो देश की हालात क्या हो सकता है ! भले ही ऐसा कुछ चंद लोग करते हों परन्तु बदनामी का दाग तो दूर-दूर तक अन्य लोगों को भी दागदार बना देता है |

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Nov 11, 2010

मधुमेही और उनके आहार- जरुर पढ़ें |


आइये कल की चर्चा को एक बार फिर से आगे बढाते हुए, शुरुआत करते है मधुमेही का क्या आहार होना चाहिए और क्या नहीं ? चुकी एक ओर जहाँ दुनिया भर में इस रोग से करोड़ों लोग मुश्किल में फंसे हुए है तो दूसरी ओर इस रोग का स्थायी इलाज अभी तक नहीं मिल पाने के कारण दुनिया भर के चिकित्सा विशेषग्य हैरान परेशान है |

मधुमेह के नाम से मशहूर यह रोग वास्तव में 'मधुमेह' न होकर 'विपतियों का मेह' बना हुआ है | इस रोग से जुड़े हर पहलुओं पर चर्चा हमेशा किसी न किसी प्रकार से की जाती रही है | परन्तु आज उस पहलु पर चर्चा करने जा रहे है जिससे आम मधुमेही को विशेष जानकारी नहीं होती है यानि रोगीं को दैनिक उपयोग की वस्तुओं में किन-किन चीज का सेवन करना चाहिए तथा किसका नहीं !

तो आइये चर्चा करते है आहार सम्बंधित वस्तुए रोगी अपने दैनिक उपयोग में क्या अपनाए और क्या नहीं ?
1 . क्या मधुमेही चावल का सेवन कर सकता है ?

> चावल साधारण और जटिल कार्बोहाईड्रेट का मिश्रण है | अतः चावल-दाल के मिश्रण से बनी खिचड़ी खाई जा सकती है | मार्केट में अधिक रेशे वाले ब्राउन चावल भी मिलते है, इनका सेवन किया जा सकता है |
2 . क्या मधुमेही आलू का सेवन कर सकता है ?

>आलू भी चावल की तरह साधारण तथा जटिल कार्बोहाईड्रेट का मिश्रण है, फिर भी इसे सिमित मात्र में खाया जा सकता है | परन्तुं इसे अगर पत्तेदार और रेशेदार सब्जियों के साथ खाया जाये तो बेहतर होगा |
3 . क्या मधुमेही को पपीता खा सकता है ?

> अधपका पपीता खाना बेहतर है जो मीठा नहीं होता | पका पपीता से बचे क्यूंकि वह ज्यादा मीठा होता है |
4 . क्या मधुमेही जामुन खा सकता है ?

> हाईपोग्लाईसीमिक तत्व जामुन में पाया जाता है , जो अग्न्याशय और शर्करा स्तर को घटाता है, अतः जामुन का उपयोग मधुमेही के लिए बेहतर होगा | जामुन का गुठली का 3-3 ग्राम चूर्ण दिन में 3 बार लेने से रक्त शर्करा का स्तर घटता है |
5. क्या मधुमेही के लिए मेथी के बीज उपयोगी होते है ?

> मेथीबीज में हाईपोग्लाईसीमिक तत्व रक्त शर्करा को कम करते है, अतः इनका सेवन उपयोगी है | इसका सेवन सूप,चटनी या सब्जी के रूप में किया जा सकता है | यदि नित्य 12 घंटे पानी में भीगे मेथीबीज का पेस्ट बनाकर दबाई के तौर पर लिया जाए तो शर्करा का स्तर नियंत्रित रखा जा सकता है | दिन भर में 200 ग्राम तक लिए जा सकते है |
6 . करेला मधुमेही के लिए कितना उपयोगी है ?

> मधुमेही के आलावा और भी कई रोगों में करेला उपयोगी है | इसमें पाया जाने वाला इंसुलिन रक्त और मूत्र की शर्करा का कम करता है | यदि प्रतिदिन सुबह खली पेट 125 से 140 मि.ली. करेले का जूस लिया जाये तो परिणाम बेहतर मिल सकता है | यह लीवर और पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है तथा रक्त को शुद्ध व त्वचा रोग में भी लाभ होने लगता है |
7 . नीम की कोपलें मधुमेही के लिए कितनी उपयुक्त है ?

> कोपलें ही नहीं बल्कि नीम की अन्तर्छाल भी रक्त शर्करा स्तर को कम करती है क्योंकि इसमें हाईपोग्लाईसीमिक तत्व होता है | नीम की पत्तियों और छाल का रस लेना बहुत ही फायदेमंद रहेगा | दोनों की बराबर मात्रा यानि 5 ग्राम को 300 ग्राम पानी में डालकर उबले | पानी जलकर एक चौथाई रह जाये तक छानकर पी लें | ध्यान रहें उपरोक्त रस का सेवन अधिक दिनों तक न करें क्योंकि नीम का ज्यादा सेवन से कामशक्ति प्रभावित हो सकती है |
8 . क्या अलसी का सेवन मधुमेही के लिए उपयोगी है ?

> जी हाँ, मधुमेही के लिए अलसी का सेवन उपयुक्त है | अलसी 25 ग्राम तक मिक्सी में पीसकर आटा में मिलकर इस आटे की रोटी खाई जा सकती है |अलसी का सेवन व्यंजन बनाकर भी किया जा सकता है |
9 . क्या दूध का सेवन मधुमेही को करना चाहिए ?

> यदि ह्रदय रोग की शिकायत न हो तब मधुमेही कम मात्रा में दूध का सेवन कर सकता है | स्किम्ड मिल्क की 500 मि.ली. मात्रा तथा टोंड मिल्क की 200 मि.ली. मात्रा का सेवन किया जा सकता है |
10 . मधुमेही को पनीर का सेवन करना चाहिए ?

> पनीर और छैना जो दूध के ही उत्पाद है, का सेवन मधुमेही कर सकते है, वशर्ते वह ह्रदय रोगी न हों |
11 . चाय-कॉफ़ी मधुमेही के लिए कितनी उपयुक्त है ?

> इन उत्तेजक पेयों में टैनिन और कैफीन नामक तत्व होता है, अतः इनका सेवन कम से कम करना चाहिए | दिन भर में 2 कप चाय या कॉफ़ी बिना चीनी यानि फीकी अथवा कृत्रिम मिठास डालकर ली जा सकती है |

13 . क्या नारियल का सेवन मधुमेही के लिए उपयुक्त है ?

> ह्रदय रोगी के लिए नारियल उपयुक्त नहीं है | यदि केवल मधुमेह है, तब इसका सेवन किया जा सकता है | नारियल का पानी भी दिनभर में दो कप तक पिया जा सकता है |
14 .क्या बादाम का सेवन कर सकते है ?

> केवल मधुमेह होने पर बादाम का सेवन किया जा सकता है | 100 ग्राम बादाम में 58.9 ग्राम वसा पायी जाती है जो 12 चम्मच तेल के बराबर है | अतः यदि ह्रदय रोग और उच्चरक्तचाप भी साथ में है, तब इसका सेवन न करें |
15 . मधुमेही को खजूर का सेवन नहीं करना चाहिए |

> मधुमेही को खजूर का सेवन नहीं करना चाहिए |
16 . क्या अखरोट का सेवन उपयुक्त हो सकता है ?

> मधुमेह में अखरोट का सेवन किया जा सकता है | इसकी 100 ग्राम मात्रा में 64.5 ग्राम वसा होती है जिनसे ट्राईग्लिसराइड की मात्रा बढती है अतः ह्रदय रोग अथवा उच्चरक्तचाप में इसका सेवन करना ठीक नहीं है |
17. डबल रोटी का सेवन कितना उपयुक्त हो सकता है ?

> डबल रोटी भी दो प्रकार की मिलती है, एक तो मैदे से बनी हुई सफ़ेद डबल रोटी, इसकी 100 ग्राम मात्रा में 0.2 ग्राम फाइबर होता है | दूसरी डबल रोटी भूरे रंग की होती है जो आटे की बनती है, इसकी 100 ग्राम मात्र में 1.2 ग्राम फाइबर होता है तथा 245 कैलोरी पायी जाती है | इसलिए सफ़ेद की बजाय भूरी डबल रोटी अधिक उपयुक्त है |

सबसे उपयुक्त होगा अगर आप अपने आहार में एलो वेरा जूस शामिल कर लें | एलो वेरा में मौजूद क्रोमियम,बिटासेल्स और विभिन्न प्रकार के विटामिन्स, मिनरल्स,खनिज जो शरीर के सेल स्तर पर काम करती है और आपके शरीर की जरूरतों को पूरा कर देती है जिससे आप रहते है हमेशा चुस्त और दुरुस्त |

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Nov 10, 2010

प्रथम सुख निरोगी काया ! "नकेल लगाएं निरंकुश रोगों पर "

रोगों की उपस्थिति कोई नई बात नहीं है, प्राचीन से अर्वाचीन कल तक हर युग में रोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही है | बल्कि यह कहना यथार्थ होगा की मनुष्य के उद्भव से पहले रोगों ने अपनी जड़े जमा चुके थे | खोजों से यह पता चला है की रोग फ़ैलाने वाले कुख्यात मच्छड विश्व रंगमंच पर मनुष्य के आगमन से पहले ही आ गए थे | जाहिर सी बात है जब इसका अस्तित्व प्राचीन काल से है तो हर युग -हर काल में मनुष्य इनसे पीड़ित रहा है |

लेकिन वर्तमान में रोगों की व्यापकता जनमानस को त्रस्त कर रखा है | अधिकांस व्यक्ति आज कल किसी न किसी रोग से घिरे नजर आते है | कई रोग तो प्रयाप्त चिकित्सा लेने से मिट जाते है जबकी अनेक रोग चिकत्सा से शांत यानि दबा तो रहते है पर विदा यानि जड़ से खत्म नहीं होते | मेहमानों की तरह उम्र भर खातिरदारी कराते रहते है | जरा सी भी मेहमानबाजी में कमी हुई उनके तेवर चढ़ जाते है और फिर बहुत नुकसान पंहुचा जाते है | ऐसे रोगों में वर्तमान के प्रमुख रोग है ,मधुमेह !

आजकल मधुमेह की महामारी से न केवल व्यक्ति विशेष परेशान है बल्कि चिकित्सा विशेषज्ञों से लेकर सरकारें भी इस रोग को जड़ से नष्ट करने के प्रयासों में लगी हुई है|

एलोपैथी में औषधियों तथा इंसुलिन के सेवन से इस पर काबू तो पाया जा सकता है मातब बस दबाया जा सकता है लेकिन मिटा पाना अभी तक संभव नहीं हुआ है |
कई जड़ी-बूटियां मधुमेह में बढ़ी हुई रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में उपयोगी सिद्ध हुई है, ऐसी वनस्पतियों( Forever Aloe Vera Gel) जिसमे बीटा सेल्स में वृद्धि करने की सामर्थ्य हो जिसमे क्रोमियम भी पाया जाता हो तो मधुमेही का जीवन कुछ आसन हो जाता है क्योंकि बीटा सेल्स की सक्रियता में आ रही लगातार कमी रुक जाती है इससे अग्न्याशय ग्रन्थि ठीक तरह से कार्य कर पाती है |

मधुमेही के लिए तो उचित यह होगा की उसे चिकित्सक के परामर्श पर एलोपैथिक औषधियों का सेवन के साथ ही गुणकारी आयुर्वेदिक औषधियों का साथ सेवन करते रहें ताकि इस रोग के प्रभाव को नियंत्रण में रखकर अपने आहार-विहार के सही पालन करता हुआ रोगों से मुक्ति पाकर दीर्घायु प्राप्त कर सकें |


फॉर एवर लिविंग प्रोडक्ट के मधुमेह पर कारगर " एलो वेरा जेल", "फील्ड्स ऑफ़ ग्रीन", "लाइसियम प्लस", "जिन-चिया" इत्यादि उत्पादों में मधुमेह में अत्यंत उपयोगी और शरीर तथा शरीर में ताकत और जोश को बनाए रखने के लिए लोग री- वाइटल का प्रयोग करते है बिलकुल वही गुण आपको हमारी "जिन-चिया" में मिलेगी और वो भी 100 फीसदी आयुर्वेदिक | अतः शरीर के किसी भी प्रकार की कमजोरी के लिए आप इसका प्रयोग करें और अपनी खोयी हुई शारीरिक ताकत को पुनः प्राप्त करें |

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Nov 2, 2010

दीपावली पर नकली मिठाई से रहें दूर !


हिन्दू रीतिरिवाज के अनुसार, त्यौहार या ख़ुशी के अवसर पर मिठाई न बांटे तो खुशियाँ अधूरी माना जाता है | चाहे अवसर हो, शादी-विवाह का, जन्म-दिन या कोई पर्व मिठाई हमारी प्राथमिकता होती है | वगैर इसके तो कई अनुष्ठान संभव ही नहीं हो सकता है |

पर क्या वर्तमान में जिस तरह से मिठाई को लेकर तरह तरह की भ्रान्तियां और रोज समाचार पत्र में मिलावट खोरो की चर्चा ,क्या लगता है की मिठाई खाना या बाँटना चाहिए ?

शायद नहीं पिछले साल की बात है मेरे कार्यालय में उपहार स्वरूप मिठाइयाँ बांटा गया था | लोगों ने जमकर खाया और अपने-अपने घर को भी ले गए थे | परिणाम बहुत भी भयावह हुआ सुबह बहुत लोग अस्पताल तक पहुच गए | कुछ लोगों को पेट में बहतु तेज जलन और स्वस्थ्य बिगड़ गया और उसे अपोलो में भर्ती कराया गया | उन लोगों की दीपावली अस्पताल के बिस्तर पर ही हुआ | तिन से चार दिन लग गया उनलोगों को सामान्य होने में |

अब कुछ दिन पहले की बात है - 10 टन नकली खोया बाजार में नकली मिठाई पडोसने के काम में लगे हुए है | पुलिस प्रशासन अभी भी मस्स्क्त कर रही है परन्तु उनके पहुच से दूर है | पुलिस की नाकामी के वजह से उनके हाथ में आई 10 टन नकली खोया गायब हो गया |


क्या मजाक है? लोगों की जान की पड़ी है | जाने अनजाने में ये जहर किस किस लोगों तक पहुंचेगी और उनका क्या परिणाम होगा ? इस सबके लिए जिम्मेदार कौन होगा ? सिर्फ इतन कह देने से काम नहीं चलेगा जहाँ पर लोगों की जिन्दगी और मौत का सवाल है | उचित कारबाई होनी चाहिए ताकि नकली खोया से बना हुआ मिठाई लोगों तक न पहुच सके |

भला 10 टन खोया कोई 10 किलो जैसे तो नहीं हो सकता है जो सामने रखी हो और अचानक से गायब हो जायेगा | प्रशासन के क्रियाकलाप पर यह एक संदेह का विषय है | उनकी जांच करके ऐसे भ्रष्ट पुलिस कर्मी को तत्काल निलंबन कर देना चाहिए |


कुछ लोगों के अपने आर्थिक स्वार्थ सिद्ध करने के वजह से आम लोगों में जहर बाँट रहे है | प्रशासन चाहे तो वो ऐसे मिलावटखोरों को अपने गिरफ्त में ले सकती है परन्तु 'चोर चोर मसोरे भाई' वाली कहावत है न, भला कौन अपना नुकसान करें ? आजकल का नारा है "काम अपना बनता भांड में जाय जनता" |

मिलावटी मिठाइयों की भरमार के बाद लोगों में दीपावली पर उपहार स्वरूप चाकलेट बाँटने का चलन बढ़ा है | लेकिन मिलावटखोरों ने चाकलेट को भी अछूता नहीं छोड़ा है | यहाँ तक नामी गिरामी कम्पनी के प्रोडक्ट भी इसके शिकार है |

इसलिए आप ब्रांडेड चाकलेट खरीदने से पहले आप सावधान हो जाइये | चुकी विशेषज्ञों का मानना है की मिलावटी चाकलेट में घटिया किस्म की चीनी, वजन बढाने के लिए कुछ पदार्थ और घटिया रंग मिलाये जाते है जो की स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है |
अतः दीपाली की मिठाइयाँ कहीं आपके जीवन की मिठास के लिए मुसीबत न बन जाय | ऐसे कोई भी मिठाई व चाकलेट खरीदने से पहले आप सावधान रहें | हाँ सबसे अच्छा उपहार हो सकता है वर्तमान में ड्राई फ्रूट |

आप सबों को मेरे और मेरे परिवार की ओर से दीपावली का ढेरो-ढेरो शुभकामना !

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Oct 28, 2010

एलोवेरा है जहाँ तंदुरुस्ती है वहां !

माँ लक्ष्मी पूजन की तैयारी में आज कल लोग ज्यादा व्यस्त है | जहाँ तक निगाहें जाती है , घर में कुछ न कुछ काम, साफ़-सफाई, रंगाई, सजावट इत्यादि चलता देखा जा रहा है | भला हो भी क्यूँ न साल में एक बार तो ऐसे अवसर आते है जब घर के कोने-कोने तक चमकाए जाते है | दरअसल माता लक्ष्मी की स्वागत का मसला है भाई, और जहाँ सफाई है वहां माँ लक्ष्मी की निवास तो जरुर होगी |

अतः मैंने भी अपने घर के कोने कोने को नए रूप और रंग देने में लगा था | आखिर कुछ ही दिनों के बाद जो दीवाली आ रही है | साफ़-सफाई के वजह से घर के सामान अस्त व्यस्त था परन्तु आज कुछ सामान्य सा लग रहा है, तो सोचा क्यूँ नहीं आपलोगों का हाल चाल जान लूँ |

सप्ताह पहले ही हमारे पुरे परिवार के तरफ से आप सब पाठक और मेरे मित्र को दीवाली की हार्दिक बधाई और इश्वर से प्रार्थना है की आपके घर खुशियाँ, सुख, समृधि व धन-धन्य से भरपूर रखे |आप निरोग, सेहत मंद रहें, चुस्त दुरुस्त रहें- यही हमारी शुभकामना है |

पिछले अंश को एक बार फिर से आगे बढ़ाते हुए, जैसा की हमने कहा था एलोवेरा के बारे में लोगों की आम सवाल क्या होता है ? कुछ और अच्छी जानकारी है जो आपके साथ बांटना चाहता हूँ | आइये जानने की कोशिस करते है एलोवेरा कुछ विशिष्ट गुण और क्या है ?:-
आखिर एलो वेरा को क्या चीज इतना विशिष्ट व अद्भुत बनाती है ?
वैज्ञानिक शोध एलो के अनेक ऐसे स्वास्थ्यकारी गुणों की पुष्टि कर चूका है की उनके बारे में जानकर कोई भी कहेगा," यह सच नहीं हो सकता है |" एलो वेरा कई तरह से शरीर की सेहत और स्वास्थ्य लाभ को बढ़ा देता है और वह भी प्राकृतिक रूप से, जिसके सिर्फ अच्छे प्रभाव पड़ते है |


एलो वेरा में सभी प्रकार के पॉलीसेखेराइड्स ( कोशिकाओं को पोषण देने वाली शर्करा की जटिल श्रृंखला ) सहित 250 तत्व होते है | शरीर इसका निर्माण किशोरावस्था तक करता रहता है | इसके बाद हमें ये स्वास्थ्यकारी और बाढ़ जरी रखने वाले पॉलीसेखेराइड्स बाहरी स्त्रोतों से लेने पड़ते है | एलो वेरा यह पौधा है जिसमे स्वास्थ्यवर्धक म्युकोपॉलीसेखेराइड्स का सबसे बड़ा जखीरा पाया जाता है |

केरिंगटन लेबोरटरीज , एक दावा कम्पनी ने एलो वेरा में शर्करा की लम्बी श्रृंखला के विभिन्न आकारों में आश्चर्यनक तत्व दर्ज किये है | डॉ इवान डेनहॉफ की रिपोर्ट के अनुसार छोटी कड़ियों में पॉलीसेखेराइड्स में वे तत्व है जो रक्त शर्करा स्तर का संतुलन बनाए रखने में मदद करते है | शोध अभी भी जारी है परन्तु काफी साबुत मिल चूका है की इंसुलिन रिसेप्टर कोशिकाओं को सुधार देते है |

इसीलिए इसका महत्व टाइप-1 और टाइप-2 मधुमेह के लिए बढ़ जाता है | इसके अतिरिक्त ये मिठाई/शर्करा के तलब को भी संतुलित करते है | शोधों से यह भी पता चला है की इन अपेक्षाकृत छोटे पॉलीसेखेराइड्स में कुछ उद्दीपन-रोधी तत्व भी है जो स्टेराईड्स की तरह काम करते है |


माध्यम आकर के पॉलीसेखेराइड्स में शक्तिशाली एंटी-ओक्सिडेंट पाए गए है | अपेक्षाकृत बड़ी श्रृंखलाओं ( स्टेप,स्ट्रेप, ई-कोली जैसी ) में बैक्टीरिया रोधी तत्व है जो बैक्टीरिया पर सीधे वार करते है | इसी तरह से इनसे हर्पिस,इन्फ्लुएंजा जैसे वायरसों में प्रत्यक्ष लड़ने वाले तत्व भी है | इनसे शरीर के उतकों की नवजीवन प्रक्रिया को प्रेरणा मिलती है |

एलो वेरा का उपयोग करना वह तरीका है जिसके जरिये शरीर की अपनी स्वास्थ्य लाभकारी प्रणालियों को प्रोत्साहित किया जाता है | निरोधक कोशिकाओं की सेना को मेक्रोफेज कमांड करते है, वे ही इस सेना को आदेश देते है की वह कहाँ जाए, कब और कितना जबरदस्त हमला करें और कब युद्ध बंद कर दें |

एक बिल्ली जिसकी औसतन उम्र 6 से 8 साल की होती है | और जहाँ घर की बिल्ली हो जिसे खान-पान का ध्यान रखा जाता है मेरा मतलब है पालतू बिल्ली तो वह ज्यादा से ज्यादा 14 -15 साल तक जी सकती है | परन्तु एक बिल्ली ऐसी भी थी जो अपने जीवन का 31 साल 2 महिना पूरा किया है | लन्दन के घर में एक बिल्ली ने अपने 31 वाँ वर्ष गाँठ मानाने के दो महीने बाद मर गई |बीबीसी समाचार में World's oldest cat and Forever Living Product Aloe Vera Gel

अब आप कहेंगे भाई ये क्या बिल्ली की कहानी लेकर बैठ गए | दरअसल ये खबर मैं नहीं यह बीबीसी की पहली खबर थी साल 11 जुलाई 2001 की, दुनिया का सबसे बूढी बिल्ली नाम स्पाइक और uk में थी | जब उनसे पूछा गया की लम्बे उम्र का राज क्या है ,तो उन्होंने बताया मैं पिछले दस साल फॉर एवर लिविंग प्रोडक्ट का एलो वेरा उनके आहार में शामिल करती रही है | और वो लगातार स्वस्थ्य रही है जीवन के अंतिम दिनों में भी वो स्वस्थ्य थी | अतः एलो वेरा के विशिष्ट गुणों के वजह से ही हमारे कोशिकाओं की नवजीवन प्रदान होता रहता है और हम हमेशा जवान और स्वस्थ्य नजर आते है |
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Oct 17, 2010

क्या होता है एलो वेरा के बारे में आम सवाल? आइये जानते है !

एक बार फिर से एलोवेरा के सम्बन्ध में जानकारी लेकर उपस्थित हो रहा हूँ | दरअसल अपने देश के विभिन्न प्रान्तों से इस उत्पाद के बारे में फोन आता रहता है | कुछ लोग घर के गमले में लगे एलो वेरा ( ग्वारपाठा) के बारे में जानना चाहते है की वो उसका जूस किस तरह से निकले और पियें | कुछ लोग उसे खाने और सब्जी बनाने के विधि पूछते है वगैरह वगैरह | तो मैंने सोचा क्यूँ नहीं आज इस पोस्ट के माध्यम से लोगों के मन की भ्रांतियां को दूर किया जाय ? तो पेश कर रहा हूँ कुछ अति विशिष्ट जानकारी जो हम सबके लिए बहुपयोगी है |

क्या सामान्य और स्वस्थ्य लोगों को एलो जेल लेना चाहिए ?
जी हाँ , एलो वेरा जेल एक अच्छे और उत्तम किस्म का आहार माना जाता है | यह मानव शरीर के लिए पोषक का भंडार है, शरीर के निर्विषीकरण के लिए बहुत ही उपयोगी है और सभी को इसकी जरूरत है | आज के वातावरण में जहाँ प्रदूषित पदार्थ का जमावड़ा है जैसे आहार से लेकर वायु , पानी सबके सब प्रदूषित है जिसके कारण शरीर में टोक्सिन जमा हो जाता है और इसी को डीटोक्सीफाई करने के लिए एलो वेरा जेल समर्थ है |यह कोशिकाओं को नवजीवन प्रदान कर उन्हें स्वस्थ रखता है |
जैसे मोटरगाड़ी को सुचारू रूप से चलाने के लिए नियमित रूप से सर्विसिंग कराना जरुरी होता है, ठीक उसी प्रकार से एलो वेरा जेल मानव शरीर के लिए काम करता है | गाडी के कल-पुर्जों के मुकाबले हमारे शरीर के कल-पुर्जे कहीं ज्यादा विशिष्ट, अनोखे, अद्धभुत, अनमोल है और उनकी देख-भाल करना , संभालना निहायत जरुरी है |


कितने दिनों तक एलो वेरा जेल उपयोग करना चाहिए ?
एक स्वस्थ व्यक्ति को एलो वेरा जेल कम से कम छह से आठ बोतलें पिने की सिफारिश की जाती है | ऊर्जा स्तर, सामान्य स्वास्थ्य, मुड और चुस्ती-फुर्ती में सुधार नजर आने लगेगा | परन्तु बीमार व्यक्ति के लिए तो शरीर की निरोधक प्रणाली को उस पर काबू पाने के लिए अतिरिक्त पोषाहार की जरुरत पड़ेगी | एलो वेरा जेल के उपभोग की अवधि व्यक्ति की बीमारी, उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करेगी |

क्या लगातार एलो वेरा लेने से इसकी लत पड़ सकती है या इम्युनिटी पैदा हो सकती है ?
जी बिलकुल नहीं, एलो वेरा की आदत या लत नहीं पड़ती चुकी यह बुनियादी रूप से पौष्टिक आहार है, कोई सिंथेटिक दवा ( ड्रग्स) नहीं | इसलिए इसके पिने से किसी भी प्रकार का कोई दुष्परिणाम या इम्युनिटी प्रतिक्रिया होने का सवाल ही नहीं पैदा होता |

क्या किस दूसरी दवाओं के साथ हम एलो वेरा ले सकते है ?
एलो वेरा आँतों की सफाई करके ग्रहण करने की क्षमता और आत्मसात्करण को बढाता है | इससे अन्य दवाओं को ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है जिसकी वजह से दवा की खुराक मानी जा सकती है | अगर ऐसे लक्षण दिखाई दे तो अपने डॉक्टर से सलाह करके खुराक की मात्रा घटाई भी जा सकती है | कई मामलों में जब शरीर की निरोधक प्रणाली का स्तर बढ़ने लगता है, तो दवाओं की मात्रा वैसे भी धीरे-धीरे घटाई जाती है | ऐसा वक्त आ सकता है जब दवाओं की शायद जरूरत ही नहीं रहे |


बाजार में एलो वेरा के कई ब्रांड मिलते है, जो हमें किस ब्रांड का इस्तेमाल करना चाहिए ?
भारत में एलो वेरा के कई निर्माता है | किसी भी उत्पादन की साख जमने में समय लगता है, खासकर जब मामला सेहत से सम्बंधित हो | जो उत्पाद लगातार अच्छा होता है,वह लगातार अच्छे परिणाम देता है |

भारत में निर्मित होने वाले अधिकांस एलो वेरा का उपयोग सौन्दर्य प्रसाधन उद्योग करता है | पिने वाले एलो वेरा जेल की गुणवता ऐसी होनी चाहिए जो एलो के ताजे-ताजे काटे गए पते से निकलने वाले जेल का मुकाबला कर सकें | जाहिर सी बात है, इसके लिए विशेष प्रकार की प्रक्रिया की समझ व जानकारी होनी चाहिए | इसे सब लोग नहीं कर सकते | लिहाजा ऐसी जेल का चुनाव करें जिसमे ये सभी तत्व मौजूद हो |


अगर एलो जेल वास्तव में इतना कारगर है तो हर कोई इसकी चर्चा क्यूँ नहीं करता ?
बाजार में कई तरह के जेल उपलब्ध है और उनकी गुणवता में भी अंतर पाया जाता है | हाँ ये थोडा महंगा उत्पाद है | इसके अलावा अच्छी गुणवता के बारे में जानकारी का आभाव या अच्छे माल की उपलब्धि न होने के कारण लोगों को जो मिल जाता है वही खरीद लेते है | जब मन मुताविक परिणाम नहीं मिलते, तो एलो वेरा की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती है | हमारे देश के डॉक्टर को एलो वेरा और पोषक पूरकों सम्बंधित जानकारी बहुत थोड़ा है | इसलिए अक्सर वे लोगों मतलब मरीजों को ऐसे पूरकों और उत्पादों का उपयोग करने से मना करते है |

मरीज भी इस समस्या में इजाफा करते है | वे इस 'चमतकारी पौधे' से चमत्कार की उम्मीद करते हुए, आनन्-फानन नतीजे चाहते है | अक्सर जब दुसरे इलाज से परेशां हो जाते है , तो वे पोषक चिकित्सा को अंतिम विकल्प के रूप में अपनाते है | मरीजों को पोषक चिकित्सा के काम करने के तरीके के बारे में बताया जाना चाहिए | यह बताया जाना चाहिए की पहले साकारत्मक परिवर्तन नजर आने में कितना वक्त लगेगा | शुरुआती चरणों में उनका तब तक उचित निर्देशन करना चाहिए, जब तक वे इलाज द्वारा हुए फर्क को खुद महसूस न करने लगे |

पोषक पूरकों द्वारा इलाज के नतीजे आनन-फानन में देखने को क्यूँ नहीं मिलता ? क्या खुराक बढ़ने से नतीजा जल्दी मिल सकते है ?
पोषक पूरक प्राकृतिक उत्पाद है और इनके द्वारा दी जाने वाला इलाज किसी एक बीमारी के लिए नहीं होता | प्रकृति किसी समस्या को ठीक करने में अपना वक्त लेती है और वह कई कारको पर निर्भर करती है | जो लक्षण देखने में आते है वे हो सकते है किसी गहरा गई समस्या से सम्बन्ध रखते हो या फिर यह समस्या पोषकों के आभाव से सम्बंधित हो जिसे ठीक करने में समय लगता है | पोषकों के ग्रहण करने की प्रक्रिया का नियन्त्रण शरीर के हाथ में होता है | शरीर अतिरिक्त खुराक को बाहर निकाल देता है |
विकाश और मरम्मत के बारे में मानव शरीर के अपने नियम है | गर्भाधान से शिशु के जन्म और फिर किशोरावस्था तक पहुँचने में समय लगता है | इस तरह से हर एक चीज का समय निर्धारण किया गया है | मानव शरीर बढ़ने और विकसित होने में समय लगता है | यह समय प्रकृति के प्रक्रियाओं द्वारा नियंत्रित है | अतः धैर्य व संयम रखें और प्रकृति को अपने समय लेने दे | और भी है जिसके बारे में चर्चा अगले भाग में करेंगे |

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Oct 15, 2010

ग्लुकोसामिन सल्फेट आर्थराइटिस ( जोड़ों के दर्द ) के लिए अचूक औषधि !

कार्टिलेज के निर्माण की प्रक्रिया में ग्लुकोसामिन एक महत्वपूर्ण तत्व है | यह एक सामान्य सी अमीनो शर्करा ( Amino Sugar ) होती है जो प्रोटोग्लाइकन ( Protoeoglycans ) बनाती है | ये प्रोटोग्लाइकन हमारे कार्टिलेज में लचीलापन लाते है | दर्द निबारक दवाएं और एस्प्रिन सिर्फ दर्द निबारक का कार्य करती है पर इसके विपरीत ग्लुकोसामिन कार्टिलेज को बनाने का काम करती है |

दुनिया भर में रिसर्च के बाद पता चला की ग्लुकोसामिन लेने से न सिर्फ दर्द और सुजन से आराम होता है बल्कि कार्टिलेज को होने वाली नुकसान भी रुक जाती है | इससे भी उत्साहवर्धक बात यह सामने आई की जोड़ों में नई कार्टिलेज बनानी शुरू हो जाती है |


इस प्रकार इस विषय पर होने वाले सारे शोध अध्ययन में पाया गया की आर्थराइटिस के वे सभी रोगी, जो 1500 से 2000 मिली ग्राम ग्लुकोसमिन सल्फेट लेते है , तो इन्हें जबरदस्त फायदा होता है और खास बात यह है की किसी प्रकार का कोई दुष्परिणाम भी नहीं होता है | सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है की जब इन मरीजों ने ग्लुकोसमिन लेना बंद कर दिया, उसके बाद भी महीनो तक उनके जोड़ो में दर्द नहीं हुआ |

जहाँ तक बाजार की दबाएँ है, जो अक्सर Gastrointestinal bleeding और लीवर को नुकसान पहुंचाती है और बिमारी को बढ़ने से बिलकुल नहीं रोक पाती है | यहाँ तक की कई मामलो में तो और भी बढ़ा देती है, फिर भी पूरी दुनिया में क्यूँ इतनी मात्रा में खाई जाती है ? पर वर्तमान में ख़ुशी की बात है की काफी डाक्टर अपने रोगियों को ग्लुकोसामिन सल्फेट दे रहे है |


अब आपको जानकार और भी ख़ुशी होगी की हमारे पास ऐसा उत्पाद है जिसके अन्दर ग्लुकोसमिन सल्फेट के अलावा कोंड्रोयटिन सल्फेट , एम्.एस.एम् ( मेथेल-सल्फोनिल-मीथेन ), विटामिन-सी इत्यादि सब के सब एक ही बोतल में बंद है !
इस उत्पाद का नाम है फॉर एवर फ्रीडम ! जी हाँ इसका साफ-साफ मतलब होता है जोड़ो के दर्द से सदा के लिए आजादी !

फॉर एवर फ्रीडम :-
दर्द से राहत देने, सुजन में कमी व सिनोवायल द्रव में सुधर करने, कार्टिलेज की हिफाजत करने और उसे नया जीवन प्रदान करने के अलावा जोड़ो के लचीलेपन और गतिशीलता को बढाता है ! 70 किलोग्राम वजन वाले व्यक्ति को हर दिन 100 एम्.एल से 120 एम्.एल तक रोजाना सुबह के नाश्ते और रात के भोजन के पश्चात् लेना चाहिए !


भोजन के तुरंत बाद लेने से पेट में हो सकने वाली हलकी जलन की सम्भावना खत्म हो जाती है ! एक से दो महीने में दर्द से राहत नजर आने लगेगा, मगर यह इस पर निर्भर है की क्षति कितनी और किस तरह की है ! इसके अलावा फॉर एवर फ्रीडम में एलो वेरा जेल, संतरे का रस कंसन्ट्रेट, विटामिन-सी और विटामिन-ई का उच्च प्रतिशत होता है !


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Oct 14, 2010

आर्थराइटिस ( जोड़ों के दर्द ) में दिव्य औषधि है एलोवेरा !

विगत तिन दिन पहले यानि 12 अक्टूबर वर्ल्ड आर्थराइटिस दिवस के रूप में मनाया जाता है | आर्थराइटिस के नाम से मन में जोड़ों के दर्द के बारे में खौफनाक ख्याल उभरने लगते है | एक पुरानी कहावत के अनुसार आप दो चीजों पर पूरा भरोसा कर सकते है, ये आना लगभग तय है मतलब अवश्य आएँगी | एक जन्म और मृत्यु | पर वर्तमान मानसिक पटल पर एक और चीज चित्रित हो रही है जिन्हें अवश्य जोड़ देनी चाहिए जिसका नाम है "आर्थराइटिस" |

वर्तमान में छोटे उम्र यहाँ तक की बच्चों में यह बिमारी बड़े पैमाने पर अपना पैठ बना लिया है | जबकि कुछ दशक पहले यह सिर्फ 50 के बाद ही जोड़ों में दर्द की शिकायत मिला करता था | परन्तु अब तो यह 25 -30 साल में जैसे आम हो गया है |

एक सर्वे के अनुसार हमारे यहाँ भारत में हर पांच में से एक भारतीय किसी न किसी आयु वर्ग में आर्थराइटिस से पीड़ित है | और ऐसे में इस की भयावहता को लेकर चिंता करना की कहीं मैं भी इसका शिकार न बन जाऊं और आशंकित हो भी क्यूँ न? क्यूंकि सर्वे तो साफ़ साफ़ बता रहा है की हर पांच में से एक व्यक्ति पीड़ित हो सकता है |



सुबह उठने पर जोड़ों में दर्द, हलकी सुजन और अकड़न वर्तमान में यह सबसे ज्यादा मरीजों में पाई जाती है | इसका शिकार कोई भी हो सकता है, वो स्त्री हो या पुरुष , शरीर के किसी भी जोड़े में हो सकती है, यहाँ तक की गर्दन और कमर के निचले हिस्से में भी | यह बिमारी बढ़ जाने से काफी असहनीय तकलीफ , दर्द और यहाँ तक की विकलांग भी बना सकता है |

आर्थराइटिस आमतौर पर जोड़ों के कार्टिलेज के क्षय की बिमारी है | पर यह जोड़ की उपरी सतह और हड्डी के अंदर भी असर दाल सकती है | इस बिमारी से कार्टिलेज घिसने लगता है और हड्डी पद दबाव पड़ने लगता है | हड्डी पर अतिरिक्त दबाव के कारण हड्डी का घनत्व बढ़ने लगती है |

अपने कभी सुना होगा की उसने घुटना बदलवाया है क्यूंकि उसकी हड्डी पर हड्डी आ गई है | इसी को वैज्ञनिक भाषा में जोड़ो में कार्टिलेज का एकदम खत्म हो गई है ऐसा माना जाता है | यह बिमारी आमतौर पर वजन उठाने वाले जोड़ों,घुटने और कुल्हे के जोड़ों में ज्यादा होती है और वजन बढ़ने , ज्यादा काम करने, चोट लगने के कारण बढती जाती है |


आर्थराइटिस का पारंपरिक उपचार :-
रोगीओं को आमतौर पर डाक्टर एस्प्रिन और बिना स्टीरियोइड की एंटी इन्फ्लेमेट्री दवाएं दे दी जाती है | ये दवाएं जोड़ों के दर्द और सुजन से तो कुछ देर के लिए राहत दिला देती है परन्तु इनके गंभीर दुष्परिणाम होते है |

पेट का अल्सर, और पाचन तंत्र में रक्त-स्त्राव इसी के दुष्प्रभाव का परिणाम है | सबसे बड़ी सम्स्य यह है की ये दवाएं सिर्फ कुछ समय के लिए दर्द कम करती है और बिमारी के मूल कारण को बिलकुल असर नहीं करती |


एलोवेरा और उसके कुछ विश्वसनीय उत्पाद है, जो जोड़ों के दर्द से बिलकुल छुटकारा दिला सकता है , जो की निचे दी जा रही है :-
1 . एलोवेरा जेल
2 . पोमेस्टीन पॉवर
3 . फोरेवर फ्रीडम
4 . गार्लिक थाइम
5 . हीट लोसन और एम्.एस.एम्जेल :- सुजन वाले स्थान पर दोनों को मिलाकर मालिश करना चाहिए |

अतः आर्थराइटिस दिवस के अवसर पर आइयें हम सब मिलकर इस खौफनाक रोगों से डटकर मुकाबला करें |
आहार विहार और नियमित घुटनों का व्यायाम करने से इस रोग से उत्पन्न दर्द को कम किया जा सकता है | परन्तु उपरोक्त उत्पाद के नियमित चार से छः महीने तक सेवन से इससे पूरी तरह से छुटकारा पाया जा सकता है |


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