वैसे तो समारोह और सेमिनार से मेरा वास्ता पड़ता ही रहता है | जैसा की आप सब जानते है स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े होने के कारण वर्ष में करीब चार बार बड़े स्तर का सेमीनार होता ही रहता है जहाँ की संख्या हजारों में होती है | परन्तु हिंदी ब्लोगर मिलन का समारोह एक अद्धभुत एहसास रहा |
चुकी इस अद्धभुत दुनिया में कुछ महिना पहले ही जुड़ा हूँ , इसीलिए ज्याद जानकारी इस सम्बन्ध में नहीं है | परन्तु इस खुबसूरत दुनिया के समक्ष लाने में जिन्होंने सबसे ज्यादा प्रयास किया है वो हमारे बिच एक चर्चित चेहरा है और वो पुराने मित्र भी है --- जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ रतन सिंह शेखावत जी का | वो मेरे बड़े भाई जैसे है |
जहाँ तक शुरुआत के कुछ पोस्ट भी उन्ही के द्वारा कलमबद्ध किया गया है |अतः मैं सबसे पहले धन्यबाद करना चाहूँगा रतन सिंह जी का जिनके माध्यम से आप जैसे बुद्धिजीवी वर्ग के मध्य थोडा समय गुजारने का अवसर मिला | समारोह में मैंने लोगों को सुना और देखा वो बयां करने वाली बात नहीं है सिर्फ एहसास ही कर सकते है |खासकर वो एक सुखद अनुभूति के विलक्षण पल था |
धन्यबाद मैं समारोह में उपस्थित सभी का करना चाहूँगा | उन सबमे खास-खास लोग जिनके साथ मेरी बात हुई ललित जी, अजय झा जी, धीरज जी,राकेश तनेजा जी, इरफ़ान भाई, डॉक्टर साहेब इत्यादि और हमारे पुराने अजीज मित्र जो करीब एक दशक के उपरांत मिले थे , हमारे अपने जय कुमार झा जी | जय कुमार झा जी के बारे में तो मेरी राय यह है की वो पहले भी एक जुझारू स्तर के व्यक्ति थे और आज भी है | हम दोनों कभी साथ एक कंपनी में काम किया करते थे | आज धन्यबाद करना चाहूँगा एक बार फिर से अविनाश जी का जिन्होंने एक बिछुड़े हुए साथी मिला दिया |
कार्यक्रम के उपस्थित कुछ वरिष्ट ब्लोगर की विचारों की पंख अभी भी मानस पटल पर विचरित कर रही है | चुकी समारोह में मैं थोड़ी देर बाद सिरकत की थी तो ज्यादा लोगों के विचार नहीं सुन पाया | सहगल जी ने ब्लोगिंग के बारे में कहा की वो तनाव कम करने के लिए ब्लोगिंग करते है | बिलकुल सहमत हूँ , तनाव तो कम होना ही चाहिए परन्तु कभी-कभार कुछ व्यक्ति अपनी तनाव को कम करने के प्रयास में अपने साथी ब्लोगर को तनाग्रस्त कर देते है |
स्वस्थ विचारों का आदान-प्रदान होना चाहिए | विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तो होनी ही चाहिए | परन्तु किसी के बारे में ,किसी मजहब,समुदाय के बारे में लिखने से पहले उन्हें जरुर ख्याल रखना चाहिए की कहीं किसी के भावना को ठेंस न पहुंचे |
जैसा की संगीता पूरी जी अपनी बात रखी थी --- यहाँ जितने लोग बैठे है ,सब एक दुसरे से भिन्न है , उनकी सोच, भाषा, प्रान्त, रहन-सहन का तरीका सब एक दुसरे से अलग है |मतलब विचारों की टकराव तो सुनिश्चित है परन्तु हमें उन सब में उस विचारों की प्राथमिकता देनी होगी जो हमारे लिए जरुरी है | चुकी जब लोग अपनी-अपनी बाते करेंगे तब जाकर , उन्ही में से हमें कुछ अच्छे बात निकल कर सामने आएगी |
वैसे भी वर्तमान में देश के सामने समस्याओं का अम्बार है , जिसे मुख्य तौर पर हमें उठाना चाहिए | चाहे वो राजनीति क्षेत्र हो , स्वास्थ्य से सम्बंधित क्षेत्र व और भी ऐसे क्षेत्र है जहाँ समस्या अपनी जड़ें जमा रखी है | हमें उनके बारे में लोगों को अपने पोस्ट के माध्यम से जागरूक करना होगा | उन्हें इसके सम्बन्ध में उचित परामर्श देना होगा ताकि लोगों को इसका उचित लाभ मिल सकें |
संगठनात्मक शक्ति का तो लाभ हमें जरुर मिलेगा | वो चाहे कोई भी क्षेत्र हो, जो संगठित है वो सुरक्षित है, उनके पास जनसमूह की ताकत होती है | अतः मेरी राय आप सबके साथ है, संगठन तो होनी ही चाहिए और सक्रीय व सुचारू रूप से आगे बढे इसके लिए हमें भरसक प्रयत्न करनी चाहिए
मेहनत और इमानदारी से अगर हम एक जुट होकर काम करते है तो कामयाब होना लगभग तय है | निश्चित तौर पर हम कदम दर कदम कामयाबी की बुलंदियों पर पहुँच जायेंगे |
ये आप सब के लिए है : -------------------
"जो सफ़र की शुरुआत करते है, वही मंजिलों को पार करते है
और आप जैसे मुसाफिरों को तो रास्ते भी इन्तेजार करते है |"
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
सेहतमंद होना केवल संपति नहीं है | इसका दायरा तो और भी विस्तृत, विशाल है, हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व ही हमारे सेहतमंद होने पर निर्भर करता है |
ये संभवतः लोग नहीं जानते होंगे की शुगर के रोगियों की खून की नालियों की दीवारों में निरंतर चर्बी व कैल्सियम इकठ्ठा होने की प्रक्रिया चलती रहती है , फलस्वरूप खून की नालियां सिकुड़ जाती है, और उनमे अवरोध आ जाता है जिससे रक्त के प्रवाह बाधित हो जाती है | अगर शरीर के अंगों को शुद्ध खून व ओक्सिजन तथा भोजन प्रयाप्त मात्रा में नहीं मिलेगा तो हार्ट अटैक ( दिल का दौरा ) की सम्भावना प्रबल होगी ही |
मधुमेह रोग के प्रति प्रमुख उतरदायी कारण पाचन प्रणाली का दीर्घ अवधी तक विकृत रहना है | इसके अतिरिक्त अग्न्याशय ग्रन्थी पर पड़ने वाला अतिरिक्त दबाव मधुमेह रोग का कारण है | जब अगन्याश्य ग्रंथि को दीर्घ अवधि तक ज्यादा परिश्रम करना पड़ता है तो एक दिन उसमे शिथिलता आ जाती है और वह आवश्यक मात्र में इंसुलिन नामक स्त्राव का निर्माण नहीं कर पाती है |
शुगर एक मिश्रित प्रभाव वाला रोग है जिससे अनेक प्रकार की शरीर में उलझनें पैदा होती है | विशेष रूप से हार्ट अटैक , आँख के , दांत के रोग, चिकित्सक व रोगी के समन्वय से इसके रोकथाम और चिकित्सा के लिए सभी उपाय कर शुगर को नियंत्रण में कर स्वयं को रोग रहित रखने का कार्य करें तो रोगी को अनेक प्रकार की परेशानी से सुरक्षित रखा जा सकता है |
मधुमेह में सामान्य समस्या डायबिटिक रेटिनोपैथी है, यह मोतियाबिंद तथा ग्लूकोमा है | रोग को शीघ्र पहचान कर समय रहते इसका उपचार से दृष्टि समाप्त होने का भय काफी हद तक कम हो जाता है | केवल नेत्र विशेषग्य ही प्रारंभिक संकेतों से समझ सकता है डायबिटिक रेटिनोपैथी को | अतः सभी मधुमेह रोगियों को अपनी आँखों की जाँच साल में एक बार अवश्य करवा लेनी चाहिए |
आइए हम बारीकी से इसके बारे में क्रमवार समझने का प्रयास करते है |
ह्रदय स्वस्थ होकर तभी धडकेंगे जब ह्रदय की दीवारें स्वस्थ होंगी , दीवारें स्वस्थ तभी होंगी जब उनको शुद्ध रक्त पहुंचाने वाली रक्त नालियां स्वस्थ और बाधा रहित होंगी | इन रक्त नालियों को कोरोनरी धमनी या आर्टरी कहते है |
हार्ट अटैक से सुरक्षित रहने के लिए इन कोरोनरी रक्त नालियों का रख-रखाव ठीक से करें ताकि इन नालियों में शुद्ध रक्त का प्रवाह धारा प्रवाह से बाधा रहित चलता रहें|
यह बात समझ लीजिये की एक बार दिल का दौरा पड़ने के पश्चात् शुगर के रोगी कभी न अंत होने वाले एंजियोप्लास्टी व बायपास के मायाजाल में ऐसा उलझ जाता है की अंत में मौत ही उसे इस चक्रव्यूह से सुरक्षित रख पाती है | आजकल औषधियां है बाजार में ( फॉर एवर लिविंग प्रोडक्ट जो इस तरह के असाध्य माने जाने वाले रोग पर रामबाण का काम करता है ) इसका नियमित सेवन करें तो हार्ट अटैक को रोकने की दशा में लाभकारी सिद्ध होगा | इन सबके अलावा नियमित ब्लड शुगर व ब्लड प्रेशर की जांच पर अपनी पैनी निगाह रखें |
ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए रोगी प्रतिदिन कम से कम दो घंटे टहले, इससे आपके ह्रदय व शरीर के अन्य अंगों को और लाभ मिलेगा | हमेशा चलने का बाहाना ढूंढते रहिये | तनाव कम करने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाइए | स्वयं ही मानसिक तनाव में गिराबत नजर आने लगेगी |
अपने कोलेस्ट्रोल को नियंत्रण करने वाली औषधि ( फॉर एवर का Artic sea-Omega3, फॉरएवर कार्डियोहेल्थ विथ सी ओ क्यू 10 और साथ में एलो वेरा जेल ) का सेवन नियमित रूप से करें | अगर रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्र अधिक है तो इसके नियंत्रण करने के लिए और भी पौष्टिक पूरक औषधि है जो आपके कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित कर सकता है पर इसके साथ-साथ व्यायाम व सही आहार के चुनाव का भी महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है |
यहाँ रोगी को किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए | वह यह सोच ले की शुगर एक साधारण रोग है |
जैसे आया है वैसे चला जायेगा | शुगर से जो रोग उत्पन्न हो रहे है वह किसी साधारण चिकित्सा या नीम हाकिम डॉक्टरों से हो जायेगें |
तो एक बात और भी जान ले :- चिकत्सा भी तभी तक हो सकती है जब तक रोग उपचार की सीमा रेखा में है | इसके बाद मरे हुए को भोजन खिलाने से वह उठ खड़ा नहीं होगा |
अतः शुगर रोग को साधारण मानने की भूल न करें और नियमित जाँच व औषधि से नियंत्रण में रखकर जीवन का सुखद अनुभूति करें |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
सफल सुखद जीवन के लिए शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक तथा सामजिक, आर्थिक रूप से पूर्ण स्वस्थ होना आवश्यक है | आमतौर पर रोग बाहर से नहीं आते है, हमारे भीतर से ही उत्पन्न होते है | रोग होने की स्थिति में इसके उपचार के लिए हम अनेक प्रकार की उपचार विधियों को अपनाने को बाध्य हो जाते है | रोग होने का सबसे बड़ा कारण हमारा स्वयं का अस्त-व्यस्त जीवन ही होता है | हम अपनी आदते बिगारते है , हम अपनी मानसिकता बिगारते है और परिणामस्वरूप अनेक रोगों को अपने शरीर में स्थान दे देते है | ऐसी स्थिति में कोई भी व्यक्ति न तो जीवन का भोग कर सकता है और न ही सुखों की अनुभूति कर पाता है |
वर्तमान में एक ऐसा ही रोग है जिससे ज्यादातर व्यक्ति पीड़ित है , जिसका नाम आजकल अधिकतर लोगों की जुबान पर होती है जिसका नाम है " एलर्जी" |
एलर्जी जिसे आप भाषा में पिती या छ्पाकी कहते है , इसको आयुर्वेद में शीत-पित रोग के नाम से जानते है | यह रोग प्रायः सर्द-गर्म से होता है, जैसे गर्म कपड़ों या बिस्तर में से निकालकर तुरंत ठंढ में चले जाना या रसोई में खाना बनाकर एकदम स्नान कर लेना आदि |
पेट में कीड़े होने पर भी यह रोग हो जाता है | कुछ लोग को सिंथेटिक कपड़ों के पहनने से, तीव्र रासायनिक सौदर्य प्रसाधन सामग्रियों के प्रयोग करने से तथा आहार द्रव्य या विशेष औषध द्रव्यों के प्रयोग करने से भी यह रोग हो जाता है |
आधुनिक विज्ञानं में इसे एलर्जी के नाम से जानते है | जब कोई शरीर की प्रकृति के प्रतिकूल विजातीय पदार्थ शरीर से स्पर्श करता है या प्रवेश करता है तो शरीर में उसके विरुद्ध एक तीव्र प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है अर्थात फोरेन प्रोटीन के विरुद्ध शरीर की प्रतिक्रिया या एंटीजन एंटीबाडी प्रतिक्रिया होता है | इस क्रिया के फलस्वरूप हिस्टेमिन नामक रसायन का निर्माण होता है, जो उस प्रदेश की रक्तवाहिनियों को फैला देते है जिसके फलस्वरूप वहां लाल-लाल चकते उत्पन्न हो जाते है
परिणामस्वरूप रक्ताधिक्य के कारण खुजली और लालिमा हो जाती है | त्वचा में चुभन, खुजली एवं दाने पड़ जाते है खुजली बहुत अधिक होती है | परिणामस्वरूप घबराहट एवं बेचैनी भी हो जाती है |
विस्तृत विश्लेषण के बाद यह पता चला है की सभी रोग मन्दाग्नि से होते है | इस रोग में भी मन्दाग्नि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्यूंकि आम विष ही दोष या विकार पैदा करके कफ एवं वायु के द्वारा अनुबंधित होकर शीत-पित पैदा करता है | जिनकी जठराग्नि ठीक होती है, उन्हें इस प्रकार के रोग नहीं होते | इस एलर्जी के और भी अनेक कारण हो सकते है | गंभीर होने पर एलर्जी त्वचा में एग्जिमा जैसे गंभीर रोगों को भी जन्म देती है |
इसके अतिरिक्त कभी-कभी एलर्जी अपना कार्यक्षेत्र भी बदल लेती है, जैसे त्वचा की एलर्जी श्वसन-तंत्र में भी प्रवेश कर जाती है, परिणामस्वरूप दमा जैसे रोग हो जाते है |
श्वसन तंत्र की एलर्जी में अधिक छिक आना, नाक में खुजली, नाक से अधिक स्त्राव निकलना, खाँसी एवं श्वास लेने में कष्ट जैसे लक्ष्ण मिलते है |
ये लक्ष्ण यदि अधिक दी तक रहे तथा बार-बार एलर्जी के अटैक होते रहे तथा एलर्जी उत्पन्न करने वाले कारण दूर न हों, उनका बार-बार शरीर संपर्क होता रहे तो उसे एलर्जिक ब्रोंकाइटिस कहते है और तब यह कष्टदायक रोग श्वासरोग में बदल जाता है |
अतः एलर्जी की घातकता को कम नहीं आंकना चाहिए | इस रोग से बचने के लिए आहार एवं विहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्यूंकि प्रत्येक ऋतू में आयुर्वेद के बाताये उपायों के अनुसार रहन-सहन करने पर व्यक्ति रोगों से बच सकता है |
उपायों पर जरुर ध्यान दे :
>गर्मियों में धुप से आकर पसीने से भीगे हुए एकदम स्नान या ठंढी जगह ए.सी. आदि में न जाए |
>ठंढे वातावरण से एकदम धुप में न जाए |
>विरुद्ध आहार, जैसे-मछली-दूध कभी भी सेवन न करें |
>रासायनिक द्रव्यों का, रासायनिक सौन्दर्य प्रसाधन सामग्रियों का सेवन सावधानीपूर्वक करें |
इन सबके अलावा हमारे पास कुछ पौष्टिक पूरक है साथ में एलोवेरा जेल का सेवन करें जो निचा दिया जा रहा है :
१.एलोएवर जेल
२.गार्लिक थाइम
३.बी पोलेन
उपरोक्त बातों पर सावधानी पूर्वक अमल करें और, अपनी दिनचर्या को, आदत को सुधारे | रोग स्वतः दूर हो जायेगा और आप पुर्णतः स्वास्थ्य हो जायेंगे | 
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इन दिनों मौसम ने जिस तरह से अपना रुख बनाए हुए है ऐसे में मौसमी बीमारियों के अलावा गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ा है | कुछ दिनों से लगातार तापमान में दिख रही तेजी दिल के मरीजों के लिए नुकसानदायक है | गर्मी में उच्च रक्तचाप, बढे कोलेस्ट्रोल, मधुमेह व मोटापे के शिकार व्यक्तियों खासकर बुजुर्गों को स्वास्थ्य के प्रति विशेष सावधानी बरतने की जरुरत है |
चिकित्सक की मानना है कि गर्मी में दिल का दौरा अधिक पड़ता है, जिसका मुख्य कारण है डिहायड्रेसन, जिसे आमतौर पर लोग नजर अंदाज कर देते है जो जानलेबा साबित हो सकता है | अधिक समय तक तेज धुप या गर्मी में रहने से रक्त चाप में गिरावट आ सकती है | उसके अनुसार तीव्र मौसम का सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों को ही होता है | बुजुर्गो के मेटाबोलिज्म और ह्रदय में युबाओं की तरह मौसम के अनुकूल खुद को ढालने कि क्षमता नहीं होती है |
गर्मी के दिनों में हर साल हजारों लोग कार्डियो वैस्कुलर शॉक ( ह्रदय रक्त वैहिका ) आघात के कारण मौत के ग्रास बन जाते है | इसे कार्डियो वैस्कुलर इन्सल्ट भी कहा जाता है | जिसे बोलचाल कि भाषा में इसे डिहायड्रेसन भी कहा जाता है |
यह तब होता है जब शरीर में तरल पदार्थ कि कमी हो जाती है, जिससे व्यक्ति आघात की अवस्था में चला जाता है उनके अनुसार रक्तचाप और मधुमेह रोगियों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक होता है |
विशेषज्ञों के मुताविक बहुत अधिक गर्मी या बहुत अधिक सर्दी में दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक होने का कारण स्पष्ट तो नहीं है, पर मानना है कि अधिक गर्मी या अधिक सर्दी में शरीर के तापमान को 98.6 डिग्री फारेनहाईट बनाए रखने के लिए मेटाबोलिज्म को अधिक काम करना पड़ता है, जिसे ह्रदय पर जोर पड़ता है |
गर्मी से बचाव का उपाय :-
>तेज धुप में निकलने से बचे |
>गर्मी के कम से कम छह लिटर पानी पियें |
>अधिक मात्र में तरल पदार्थ का सेवन करें |
>तरल पदार्थ पानी की कमी पूरा करने के साथ-साथ सोडियम और नमक की पर्याप्त मात्र बनाए रखता है |
>डिहाईड्रेसन होने पर लस्सी, शर्बत व दाल का पानी , चीनी नमक का घोल या ओ आर एस का घोल का सेवन करना चाहिए |
आज कल के आग उगलती धुप से बचने के लिए आप हमारी कंपनी का एलो वेरा जेल के साथ गार्लिक थायम व आर्टिक सी का जरुर सेवन करें और अपने ह्रदय को स्वस्थ्य रखें |
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फॉरएवर लिविंग ने पश्चिम के गोल्डेन चिया या शक्तिदाता और पूर्व से "टौनिकों का राजा" मानी जाने वाली जिन्सेंग, नामक दो प्राचीन जड़ी-बूटियों को मिलकर हमारी तनावपूर्ण, व्यस्त जीवनशैली के लिए हमें आधुनिक चमत्कार पेश किया है | जिन -चिया शताब्दी की शुरुआत में दक्षिण पश्चिमी भारतियों द्वारा उसकी जीवन पुष्टिकारक शक्ति के लिए उपयोग किया जाने वाला प्राकृतिक आहार गोल्डेन चिया और रहस्यमयी और तंदुरुस्ती प्रदान करने वाली क्षमताओं के लिए सदियों से प्रख्यात जिन्सेंग का मिश्रण है |
मैजिक ऑफ़ चिया के लेखक जेम्स ई.स्कीर समझाते है की दरअसल चिया बहुत से प्राचीन समाजों का मुख्य आहार था | इसमें अन्य अनाजों के मुकाबले प्रोटीन की मात्र ज्यादा है और सभी आवश्यक अमीनो एसिड्स का सही संतुलन है | गोल्डेन चिया या अमेरिकन सेज काल्सियम, बोरों, विटामिन ए, बी सी और ई, एमिलेस , एंटी-ओक्सीडेन्ट्स से भरपूर है और ओमेगा-3 तेल से ओमेगा-6 तेल तक का असाधारण बढ़िया अनुपात है |
चिया के बीजों में लाभकारी लॉंग चेन ट्राईग्लिसेरायाड्स (एल सी टी ) है जो ह्रदय की दीवारों पर से कोलेस्ट्रोल कम करने में मदद करता है | इससे मधुमेह का सहयोगी मने जाने वाले कार्बोहायड्रेट को धीरे-धीरे, काफी समय लगाकर परिवर्तन करने की इसकी क्षमता ए सहनशीलता को मजबूती मिलती है | इसमें एस्ट्रोजेन जैसा पदार्थ भी है जो रजोनिवृत ( मेनोपॉज ) कार्यों में मदद करता है, सचर बेहतर बनाता है , एक शक्तिशाली एंटी-ओक्सीडेन्ट्स है और बीजों को एज्टेक्स और मयानों में शक्तिवर्धक आहार की उपयोग किया जाता था |
जिन्सेंग को चीनी शब्द जेन-शेन से लिया गया है, जिसका मतलब है " मनुष्य जैसा आकर" पुराने चीन की मान्यता थी कि " आदर्श" जिन्सेंग जड़ मानव शरीर का प्रतिनिधित्व करती है , पौधा बहुत सम्मानीय था क्यूंकि मन जाता था कि पुरे शरीर के लिए रामबाण औषधि है |
चीन के शुरूआती बादशाहों ने इसकी जड़ों को शारीरिक और मानसिक रोगों के लिए टॉनिक प्रोत्साहक के रूप में कई उपयोगों वाला घोषित किया, इसके अलावा, इसे प्रजनन शक्ति और यौनेच्छा बढाने के लिए और सबसे महत्वपूर्ण है कि शरीर को शक्तिशाली बनाने के लिए उपयोग किया जाता था |
जड़ी-बूटियों पर दर्ज कि गई पहली चीनी पुस्तक में, शेन नंग ने कहा " जिन्सेंग पाँच धातुओं के लिए टॉनिक है :-
पाशविक भावनाओं को शांत करता है, आत्मा को स्थिर करता है, डर से बचाता है, अनैतिक शक्तियों को नष्ट करता है आँखों को तेज करता है और दृष्टि को सुधारता है, समझ को फायदा पहुँचाने वाले दिल को खोलता है, और यदि कुछ समय तक लिया जाए तो शक्ति, ताकत और लम्बी आयु देता है |
एक जो महत्वपूर्ण बात है वो आपके सामने रखना चाहूँगा :- दरअसल बाजार में उपलब्ध रिवाइटल ( Revital ) जो आजकल ज्यादा लोग इससे प्रभावित होता है |
शारीरिक कमजोरी में ज्यादातर लोग इस दवाई का प्रयोग में लाते है | अगर आपने गौर से देखा हो तो उसके पाकेट पर भी गोल्डेन शिया लिखा रहता है | पर वो आयुर्वेद से सम्बन्ध नहीं रखता है | वो रासायनिक विधि से तैयार किया गया गोल्डेन शिया होगा |
पर अगर आपको वास्तविक में जड़ी-बूटी से तैयार किया गया गोल्डेन शिया व जिन-शेंग का मिश्रण चाहिए जिसका नाम है फॉर एवर जिन चिया |
आपके शिरीर पर किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं करेगी | तन और मन कि शक्ति के लिए और मधुमेही के लिए अति-उपयोगी उत्पाद है |
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Gin-Chia®
Two ancient herbs: golden chia from the West and ginseng from the East, give your body back what your busy lifestyle takes out. Both herbs are powerful antioxidants with vitamins A, B1, B2, C, and D, plus thiamine, riboflavin, calcium, iron, sodium, potassium, capsicum,zinc, copper, magnesium, and manganese. Combined,they can act to increase stamina and endurance, and can support healthy circulation. 100 tablets.
Rs. 771.34 | .075 | 12
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गतिशील जीवन की गर्दिश से प्रत्येक मनुष्य घबराता है | अपने जीवन को तिल-तिल विनाश की ओर जाते हुए कोई नहीं देखना चाहता है | आज चिकत्सा जगत जितनी उन्नति कर ली है , रोग भी उतनी ही उन्नति करती जा रही है |
पर पहले के अपेक्षा अब थोड़ी राहत की बात यह है की, पहले असाध्य माने जाने वाले रोग भी अब सहजता से मिटाए जाते है | इन रोगों में 'ह्रदय रोग' का नाम सबसे पहले आता है | धीरे-धीरे शरीर में घुसता हुआ यह रोग सांसों की डोर को तोड़कर मनुष्य को मृत्यु की गोद में सुला देता है |
भारत में ह्रदय रोग का प्रसार अन्य देशों से बहुत ज्यादा है दूसरा यहाँ चिकित्सा व्यवस्थाओं की सुविधा आवश्यक से बेहद कम है | पुरे देश में ह्रदयरोगीओं की बढती जा रही संख्या के अनुरूप इसकी चिकित्सा सुविधा बड़े शहरों में ही उपलब्ध है और है भी इतनी खर्चीली की आम व्यक्ति के बर्दाश्त से बाहर लगती है |
ऐसे में आपको जानकर बेहद ख़ुशी होगी की हमारी कंपनी जिसका नाम है फोरेवर लिविंग प्रोडक्ट एक नया उत्पाद जिसका नाम है ' फॉरएवर कार्डियोहेल्थ विथ सी ओ क्यू 10'
आइये नए उत्पाद के बारे में चर्चा करें और इसके विषय में जानकारी ले ताकि हम अपने आपको ह्रदय रोग की घातक बीमारियों से बचा सकें |
मानव के सम्पूर्ण जीवन काल में , किसी भी व्यक्ति का ह्रदय 3.5 बिलियन (अरब) बार धड़कता ( संकुचित होता है और फैलता ) है | दरअसल हर दिन एक औसत ह्रदय 100, 000 बार धड़कता है और लगभग 2,000 गैलन ( 7,571 लीटर ) रक्त को पंप करता है |
सी ओ क्यू 10 पर थोड़ी रौशनी डाले :- यह एक तरह का एंजायम है , जो माईटोकानड्रीया यानि हमारे शरीर की हर कोशिका के पावर प्लांट में प्राकृतिक रूप से तैयार होता है | यह शरीर की तथाकथित "एनर्जी करेंसी" यानि एडिनोसिन ट्रायफोस्फेट ( ए टी पी ) के उत्पादन में सहभागी बनकर कैमिकल एनर्जी के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, साथ ही, यह ऐसे उतकों में भरी सान्द्रता में पाया जाता है, जो बहुत अधिक उर्जा का उपयोग करते है जैसे हमारा ह्रदय |
अनुसनधान से पता चला है कि ह्रदय के स्वास्थ्य के लिए सी ओ क्यू 10 बहुत महत्वपूर्ण है क्यूंकि यह कोलेस्ट्रोल को कम करने, एथेरोस्कलेरोसिस को रोकने और ब्लड प्रेशर को भी कम करने में सहायक हो सकता है | सी ओ क्यू 10 स्तर बढती उम्र में साथ कम हो जाता है, जबकि इस उम्र में इसकी बहुत ज्यादा जरुरत है |
फॉरएवर कार्डियोहेल्थ विथ सी ओ क्यू 10 - गहन अनुसन्धान के बाद तैयार किया गया खास फार्मूला है,ताकि ह्रदय संबंधी स्वास्थ्य के लिए आपको तिन महत्वपूर्ण पोषण सहायता मिल सके :- a) यह स्वस्थ्य होमोसिस्टीन स्तर को बढ़ने में मदद करता है , b) कोएंजायम क्यू 10 की आपूर्ति करता है, ताकि कोशिकाएं पूरी कार्यकुशलता से काम कर सकें, c) यह ह्रदय के लिए लाभदायक एंटीओक्सीडेन्ट्स उपलब्ध कराता है |
शरीर में प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाला होमोसिस्टीन का स्तर बढ़ जाने से यह आपकी रक्तवाहिनियों में इन्फ्लामेसन पैदा करके, इन्हें नुकसान पहुंचा सकता है, क्यूंकि ऐसे में बी विटामिन और फॉलिक एसिड पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाते| फॉरएवर कार्डियोहेल्थ में मौजूद बी विटामिन ( विटामिन बी 6, बी 12 और फॉलिक एसिड ) होमोसिस्टीन का स्तर स्वस्थ और निम्न श्रेणी में बनाए रखने में मदद करता है | इसके कारण ह्रदय स्वस्थ्य रहता है और रक्तवाहिनियों सुचारू रूप से कम करती है |
कोशिका स्तर पर उर्जा ( ए टी पी ) के उत्पादन में सी ओ क्यू 10 की महता को देखते हुए यह कहा जा सकता है की इसका सही स्तर बनाए रखने से अंगों तथा मांसपेशियों की सर्वोतम कार्यकुशलता प्राप्त की जा सकती है | कोएंजायम क्यू 10 सेल्युलर पावर स्टेंसन को उत्प्रेरित करता है, जो कोशिकाओं का स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए आवश्यक है, एंटीओक्सीडेन्ट्स के रूप में यह शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स को भी नष्ट करने में सहायक है |
फॉरएवर कार्डियोहेल्थ में कई चुनी हुई वनस्पतियों ( ग्रेप सीड, हल्दी, बासवेलिया और ऑलिव पतियाँ ) के सत्व है | अध्ययनों से पता चला है की ये ह्रदय की रक्त्वहिनिओन के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है |
ग्रेप्स ( अंगूर ) में पाए जाने वाले कैमिकल्स, विशेष रूप से ओलिगोमेरिक प्रोएंथोसियानीडीन कोम्प्लेक्स ( ओ पी सी ) बहुत शक्तिशाली एंटीओक्सीडेन्ट्स के रूप में प्रमाणित हुए है, मनुष्य से सम्बंधित रिपोर्ट और प्रयोगशाला परिणामों से पता चला है की ग्रेप सीड एक्स्ट्राक्ट, ऐसे व्यक्तियों के लिए लाभदायक हो सकते है, जो उच्च कोलेस्ट्रोल जैसी ह्रदय की बीमारियों से ग्रस्त हों |
अनुसन्धान के अनुसार, करक्यूमिन, जो हल्दी का एक सक्रीय गुण है, ख़राब कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर को कम करने और रक्त संचार बेहतर बनाने के साथ-साथ ब्लड कलौटिंग बनना रोकने में मदद करता है | इस तरह से दिल का दौरा पड़ने से रोकने में सहायक हो सकता है |
बासवेलिया, जिसे सामान्य भाषा में बासवेलिक एसिड भी कहते है , उसमे मौजूद सक्रीय सुजनरोधी घटक कई तरह से सुजन को कम करता है | साथ ही, ये जोड़ों तक रक्त का प्रवाह बेहतर बनाने में मदद भी करता है |
ऑलिव लीफ एक्स्ट्राक्ट में मौजूद फ्लेवोनाईड्स सुजन रोधी विशेष गुण है | यह एक्स्ट्राक्ट शरीर की रोगप्रतिरोधक शक्ति बढाकर, बिमारी से लड़ने की क्षमता बढाता है | अन्य अनुसन्धान से पता चला है ऑलिव लीफ एक्स्ट्राक्ट के विशेष गुणों के कारण ब्लड प्रेशर कम हो सकता है और रक्त प्रवाह बेहतर होया हिया, साथ ही कोलेस्ट्रोल भी कम होता है |
इसके अलावा इसमें ह्रदय के लिए स्वास्थ्यकारक मिनरल्स मेग्नेसियम और क्रोमियम के साथ लेसिथिन भी शामिल किया है , जो रक्तवाहिनियों को ल्युब्रिकेट कंरने और फाइट - मोबिलाइजिंग के अपने खास गुणों के लिए जाना जाता है ,इसमें शक्तिशाली एंटीओक्सीडेन्ट्स विटामिन सी और इ भी है |
तो बस इन सारे गुणों को अपने एलो-वेरा जेल के अगले गिलास में डालिए और इस अद्भुत एलो-लीफ के सारे लाभ पाइए | एक पैक में आपकी सुविधा के लिए एक महीने के लिए 30 अलग-अलग पैकेट मौजूद है | बस खोलिए, डालिए,हिलाइए और पी जाइए--------- आपका ह्रदय, आपका शुक्रगुजार होगा
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
अब तक दादी-नानी व ग्रामीण इलाके के बड़े बुजुर्गों के घरेलु नुस्खों के तौर पर इस्तेमाल किये जाने वाले रसोई घर के मसालों में औषधीय गुणों को वैज्ञानिकों ने भी मान्यता दे दी है |
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न प्रयोगों से यह साबित हो गया है कि मसालों और जड़ी-बूटियों में कैंसर, मधुमेह, रक्तचाप और याददाश्त को दुरुस्त करने से लेकर जुकाम तक का इलाज करने के गुण विद्यमान है | ओहायो स्टेट युनिभर्सिटी मेडिकल सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव मेडिसिन के मेडिकल डायरेक्टर " एम.डी : ग्लेन ऑकरमैन और चीनी औषधि विज्ञानं ने भी इन बातों कि पुष्टि की है कि मसाले और जड़ी-बूटियां कई असाध्य रोगों का इलाज करने की ताकत रखते है |

सब्जियों में तडका लगाने के लिए बहुतायत से इस्तेमाल होने वाले जीरे में कैंसर की रोकथाम करने की ताकत है | इस मसाले में करक्यूमिन एंजायम मौजूद रहता है जो कैंसर के ट्यूमर को नई रक्त शिराओं का विकास करने से रोकता है | दी एसेंशियल बेस्ट फ़ूड की लेखक दाना जाकोबी ने ऑकरमैन के हवाले से बाताया की मितली की शिकायत होने पर अदरक रामबाण औषधि का काम करती है |
इसा पूर्व चौथी सदी में चीनी चिकत्सा दस्तावेजों में भी बीमारी के इलाज़ में अदरक की महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने का उल्लेख मिलता है और आधुनिक चिकित्सा अध्ययनों ने अदरक के इन गुणों को साबित किया है | चिकत्सकों का कहना है की अदरक में एक ऐसा तत्व मौजूद होता है जो शरीर में उस नर्व को बंद कर देता है जो मितली आने की सुचना तंत्रिका तंत्र को देता है |
इसी प्रकार तुलसी के पौधे में एंटीओक्सिडेंट गुण बहुतायत में होते है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाते है | गरम मसाले में पड़ने वाली दालचीनी में एक ऐसा तत्व पाया जाता है जो कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया करने में मदद करता है | इसके परिणामस्वरूप ब्लडशुगर में 18 से 20 प्रतिशत की कमी आती है |
इसी प्रकार जायफल ब्लडप्रेशर को कम करने, लौंग जोड़ों के दर्द को कम करने तथा हल्दी शरीर के फोड़े-फुंसी की टीस को कम करने और अजवायन कफ को कम करने में मददगार होती है |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !
शरीर के बाहरी हिंस्सों की साफ-सफाई के लिए मनुष्य तरह-तरह के साबुन व शैम्पू का उपयोग करते है | परन्तु अंदरूनी हिस्सों के लिए क्या कभी सोचा है ? सालों-साल से शरीर के अंदरूनी हिस्सों में विषैले पदार्थ अपना वसेरा बना रखा है |
दिनचर्या में लिया गया जहर ( Toxin ) आंत के सूक्ष्म छिद्र पर विषाक्त तत्वों का लेप चढ़ जाता है ,फलस्वरूप विटामिनयुक्त खाना खाने के बाद भी शरीर को पर्याप्त मात्र में विटामिन नहीं मिल पाता है | इसलिए कई लोगों का शिकायत होती है की हम खाना तो स्वथ्प्रद खाते है पर शरीर को कुछ होता ही नहीं |
चुकी आंत से चिपका विषाक्त तत्व जो छिद्र को बंद कर दिया है, जिसके माध्यम से शरीर के अंगों को अपेक्षित विटामिन पहुँचाया जाता है |
वैसे हमारे शरीर के अंदरूनी हिस्सों की सफाई के लिए कुछ प्राकृतिक उपकरण होते है , जिसका नाम है :- यकृत, गुर्दे और निचला आमाशय ( गैस्ट्रोइंटेसटाईनल ) मार्ग | यह सभी मिलकर शरीर से जहरीले पदार्थों को बहार निकालते है |
पर प्राकृतिक तंत्र की कार्यक्षमता समय के साथ लगातार विषाक्त पदार्थ को बहार निकालने के वजह से कम होती जाती है |
कारण साफ है आज कल का स्वास्थ्य रहित भोजन और विकृत जीवन शैली इस प्राकृतिक तंत्र की प्रकिया को अक्रिय कर देते है | अतः आपको एक नियत अन्तराल के पश्चात् शरीर की आंतरिक सफाई की आवश्यकता हो सकती है |
इसके लिए अपने भोजन में कुछ स्वास्थ्यवर्धक तत्वों को शामिल करें ताकि विषाक्त पदार्थ को बहार करने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने वाले तत्वों को भी निकाल सके और अपने अंगों को दुवारा स्वस्थ्य भी कर सकते है |
मनुष्य को कुछ महीनो के अन्तराल पर दो से तिन सप्ताह तक क्लींजर डाईट लेना चाहिए या जब भी शारीरिक प्रणाली में बाधित के आशंका हो तब | जैसे गैस, या कब्ज़ का शिकायत लगातार होने लगे ,सिरदर्द या पाचन प्रणाली सम्बंधित समस्याएं हो तो आप क्लींजर डाईट जरुर प्रयोग करें |
अगर आपके भोजन में तैलीय , मीठी या रिफाइंड पदार्थों का शामिल हो, धुम्रपान व शराब का ज्यादा सेवन कर रहे हों तो निश्चित ही शरीर को विषरहित बनाने के लिए सफाई की सख्त जरुरत है |
आप अपने दैनिक आहार में कुछ चीजों को शामिल करके शरीर के टोक्सिन से मुक्त करने में सफल हो सकते है |
आज के सबसे सफल आयुर्वेदिक औषधियां है जो हमारी पाचन प्रणाली के लिए बेहद जरुरी है |
जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ, सर्वश्रेष्ठ पेय पदार्थ जो कुदरत का अनमोल तोहफा है मनुष्य के लिए जिसका नाम है ग्वार पाठा, कुमारी, घृतकुमारी, और सबसे मशहूर नाम है आज का वह है एलो वेरा जूस | शरीर से जहर निकाल कर आंत की सफाई इस तरह से कर देता है जैसे की एक छोटे बच्चे की आंत होती है |
बिलकुल नई और एकदम दुरुस्त , इसके बाद आप स्वयं को स्वतः स्वस्थ्य के साथ-साथ चुस्त और चेहरे पर निखार देख सकते है |
एलोवेरा जूस के माध्यम से आप शरीरिक व मानसिक रूप से कोई भी परेशानी में फायदा ले सकते है | दुनिया में एकमात्र यह औषधि है जो शरीर के किसी भी प्रकार के रोग में उपयोग कर सकते है |
220 प्रकार के रोग जैसे कब्ज़ से लेकर कैंसर तक के रोगी एलोवेरा जेल और हमारी कंपनी के पौष्टिक पूरक को अपने जीवन में प्रयोग कर उचित लाभ उठा सकते है |
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आहार्र्च्छगतीति आयु अर्थात जो लगातार कम होती है उसे आयु कहते है | वृद्धावस्था जीवन की ऐसी वास्तविकता है जो घटती आयु एवं निरंतर अग्रसर होती क्षीणता को दर्शाती है | मतलब यह है की आयु का क्षरण या लगातार कम होना ही वृद्धावस्था कहा गया है |
समय के साथ-साथ उम्र का बढ़ना तो लाजमी है , पर बुढापा अचानक नहीं आता बल्कि यह प्रक्रिया 30 की उम्र के बाद शुरू होती है | इस अवधि में शरीर की कोशिकाओं में लाखों सूक्ष्म परिवर्तन आते है उनमे से कुछ हमें स्पष्ट दिखाई देते है जैसे :- त्वचा पर झुर्रियां, बालों में सफेदी,मांसपेशियां में ढीलापन आदि |
आयुर्वेद वृद्ध या जरा- चिकित्सा विज्ञानं को प्रमुखता देता है जिसे आधुनिक विज्ञानं जिरियोट्रिक्स कहता है | जिरियोट्रिक्स शब्द ग्रीक शब्द है, जेरी अर्थात वृद्धावस्था एवं येट्रिक्स अर्थात केअर या ध्यान रखना है | इसका अर्थ होता है वृद्धों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना | अर्थात कोशिकाओं का बूढ़ा होना ही वृद्धावस्था है |
संतुलित आहार से बढती उम्र में अपने आपको स्वस्थ्य रख सकते है :- आवश्यकता है कुछ आहार में परिवर्तन की, जैसे जरुरत से ज्यादा मात्रा में भोजन नहीं करें ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है | आयुर्वेद में स्पष्ट उल्लेख है की भोजन करते समय आमाशय का एक तिहाई हिस्सा भरना चाहिए बाकि रिक्त रखना चाहिए जिससे अन्न का पाचन व्यवस्थित होता है | भोजन में विटामिन, प्रोटीन, खनिज तत्वों की भरपूर मात्रा होनी चाहिए , गरिष्ठ भोजन, तेल, घी, शर्करायुक्त पदार्थ न खाएं |
नियमित व्यायाम :- रोज नियमित रूप से हल्का व्यायाम करना मनुष्य को कई प्रकार के रोगों से दूर और फुर्तीला बनाए रखता है | सुबह खुली हवा में पैदल टहलना एक सर्व्श्रेस्थ व्यायाम है | सुबह की हवा में ऑक्सीजन की मात्र अधिक होती है |
प्रयाप्त निद्रा :- आज के ज़माने में कई लोगों को नींद नहीं आती है ऐसे लोग मानसिक बिमारियों क शिकार हो जाते है |आयुर्वेद में निद्रा का विशेष महत्व दिया है समृद्ध स्वास्थ्य, सौन्दर्य व चिरतरुण बने रहने के लिए रात्रि में सात-आठ घंटे की नींद जरुरी है |
तनावमुक्त जीवन शैली :- रोग की जड़ मानसिक तनाव को समझा जाता है | मानसिक स्वास्थ्य अगर अच्छा नहीं है, तो मनुष्य कुंठित आयुष्य जीता है | तनाव मुक्त रहने के लिए अच्छे दोस्तों के साथ रहें, मधुर संगीत सुने, अच्छा साहित्य पढ़ें, खुद को व्यस्त रखे क्युकी खाली दिमाग शैतान का घर होता है |
रसायन चिकत्सा :- आज कई ऐसे अद्भुत औषधियां पाए जाते है जिनका आयुर्वेद चिकत्सा में प्राचीन काल से ही किसी न किसी प्रतिष्ठित ग्रन्थ में उल्लेख किया गया है | उनमे से एक औषधि है जो आज के युग में मानव जाती के लिए प्रकृति का वरदान साबित हो रहा है | वो कोई और नहीं, जी हाँ एलो वेरा ही है | जिनका गुणगान कई ग्रन्थ, प्राचीन इतिहास और आज हर घर के लिए एक आवश्यक हो गया है |

एलो वेरा जूस सर्वगुण सम्पन्न है , शरीर के लिए जरुरी पूर्ण पोषक तत्व है | एलोवेरा जेल के सेवन से शरीर का अन्दुरुनी तौर पे सफाई हो जाता है जिससे मनुष्य का पाचन प्रणाली एक दम दुरुस्त हो जाता है | रोज 50 ML सुबह और शाम अगर खाली पेट सेवन किया जाय तो निश्चित तौर पर मनुष्य तन व मन से स्वस्थ्य रहेगा |
एलो वेरा जेल के अन्दर एक और भी गुण है जिसका नाम है एंटी-एजिंग | मतलब एलोवेरा सेवन करने वाले सदा शारीरिक व मानसिक रूप से जवान रहेंगे | मनुष्य यदि चिरतरुण बनाना चाहता है तो उन्हें प्रकृति के अनमोल उपहार ( एलो जेल ) का नित्य सेवन करना ही चाहिए |
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