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May 27, 2010

हिंदी ब्लोगर मिलन का समारोह सुखद अनुभित के विलक्षण पल


वैसे तो समारोह और सेमिनार से मेरा वास्ता पड़ता ही रहता है | जैसा की आप सब जानते है स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े होने के कारण वर्ष में करीब चार बार बड़े स्तर का सेमीनार होता ही रहता है जहाँ की संख्या हजारों में होती है | परन्तु हिंदी ब्लोगर मिलन का समारोह एक अद्धभुत एहसास रहा |

चुकी इस अद्धभुत दुनिया में कुछ महिना पहले ही जुड़ा हूँ , इसीलिए ज्याद जानकारी इस सम्बन्ध में नहीं है | परन्तु इस खुबसूरत दुनिया के समक्ष लाने में जिन्होंने सबसे ज्यादा प्रयास किया है वो हमारे बिच एक चर्चित चेहरा है और वो पुराने मित्र भी है --- जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ रतन सिंह शेखावत जी का | वो मेरे बड़े भाई जैसे है |

जहाँ तक शुरुआत के कुछ पोस्ट भी उन्ही के द्वारा कलमबद्ध किया गया है |अतः मैं सबसे पहले धन्यबाद करना चाहूँगा रतन सिंह जी का जिनके माध्यम से आप जैसे बुद्धिजीवी वर्ग के मध्य थोडा समय गुजारने का अवसर मिला | समारोह में मैंने लोगों को सुना और देखा वो बयां करने वाली बात नहीं है सिर्फ एहसास ही कर सकते है |खासकर वो एक सुखद अनुभूति के विलक्षण पल था |

धन्यबाद मैं समारोह में उपस्थित सभी का करना चाहूँगा | उन सबमे खास-खास लोग जिनके साथ मेरी बात हुई ललित जी, अजय झा जी, धीरज जी,राकेश तनेजा जी, इरफ़ान भाई, डॉक्टर साहेब इत्यादि और हमारे पुराने अजीज मित्र जो करीब एक दशक के उपरांत मिले थे , हमारे अपने जय कुमार झा जी | जय कुमार झा जी के बारे में तो मेरी राय यह है की वो पहले भी एक जुझारू स्तर के व्यक्ति थे और आज भी है | हम दोनों कभी साथ एक कंपनी में काम किया करते थे | आज धन्यबाद करना चाहूँगा एक बार फिर से अविनाश जी का जिन्होंने एक बिछुड़े हुए साथी मिला दिया |

कार्यक्रम के उपस्थित कुछ वरिष्ट ब्लोगर की विचारों की पंख अभी भी मानस पटल पर विचरित कर रही है | चुकी समारोह में मैं थोड़ी देर बाद सिरकत की थी तो ज्यादा लोगों के विचार नहीं सुन पाया | सहगल जी ने ब्लोगिंग के बारे में कहा की वो तनाव कम करने के लिए ब्लोगिंग करते है | बिलकुल सहमत हूँ , तनाव तो कम होना ही चाहिए परन्तु कभी-कभार कुछ व्यक्ति अपनी तनाव को कम करने के प्रयास में अपने साथी ब्लोगर को तनाग्रस्त कर देते है |

स्वस्थ विचारों का आदान-प्रदान होना चाहिए | विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तो होनी ही चाहिए | परन्तु किसी के बारे में ,किसी मजहब,समुदाय के बारे में लिखने से पहले उन्हें जरुर ख्याल रखना चाहिए की कहीं किसी के भावना को ठेंस न पहुंचे |

जैसा की संगीता पूरी जी अपनी बात रखी थी --- यहाँ जितने लोग बैठे है ,सब एक दुसरे से भिन्न है , उनकी सोच, भाषा, प्रान्त, रहन-सहन का तरीका सब एक दुसरे से अलग है |मतलब विचारों की टकराव तो सुनिश्चित है परन्तु हमें उन सब में उस विचारों की प्राथमिकता देनी होगी जो हमारे लिए जरुरी है | चुकी जब लोग अपनी-अपनी बाते करेंगे तब जाकर , उन्ही में से हमें कुछ अच्छे बात निकल कर सामने आएगी |

वैसे भी वर्तमान में देश के सामने समस्याओं का अम्बार है
, जिसे मुख्य तौर पर हमें उठाना चाहिए | चाहे वो राजनीति क्षेत्र हो , स्वास्थ्य से सम्बंधित क्षेत्र व और भी ऐसे क्षेत्र है जहाँ समस्या अपनी जड़ें जमा रखी है | हमें उनके बारे में लोगों को अपने पोस्ट के माध्यम से जागरूक करना होगा | उन्हें इसके सम्बन्ध में उचित परामर्श देना होगा ताकि लोगों को इसका उचित लाभ मिल सकें |

संगठनात्मक शक्ति का तो लाभ हमें जरुर मिलेगा | वो चाहे कोई भी क्षेत्र हो, जो संगठित है वो सुरक्षित है, उनके पास जनसमूह की ताकत होती है | अतः मेरी राय आप सबके साथ है, संगठन तो होनी ही चाहिए और सक्रीय व सुचारू रूप से आगे बढे इसके लिए हमें भरसक प्रयत्न करनी चाहिए

मेहनत और इमानदारी से अगर हम एक जुट होकर काम करते है तो कामयाब होना लगभग तय है | निश्चित तौर पर हम कदम दर कदम कामयाबी की बुलंदियों पर पहुँच जायेंगे |
ये आप सब के लिए है : -------------------
"जो सफ़र की शुरुआत करते है, वही मंजिलों को पार करते है
और आप जैसे मुसाफिरों को तो रास्ते भी इन्तेजार करते है |"

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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

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