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May 26, 2010

मधुमेह रोग ( Diabetes ) और नियंत्रण |


सेहतमंद होना केवल संपति नहीं है | इसका दायरा तो और भी विस्तृत, विशाल है, हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व ही हमारे सेहतमंद होने पर निर्भर करता है |

ये संभवतः लोग नहीं जानते होंगे की शुगर के रोगियों की खून की नालियों की दीवारों में निरंतर चर्बी व कैल्सियम इकठ्ठा होने की प्रक्रिया चलती रहती है , फलस्वरूप खून की नालियां सिकुड़ जाती है, और उनमे अवरोध आ जाता है जिससे रक्त के प्रवाह बाधित हो जाती है | अगर शरीर के अंगों को शुद्ध खून व ओक्सिजन तथा भोजन प्रयाप्त मात्रा में नहीं मिलेगा तो हार्ट अटैक ( दिल का दौरा ) की सम्भावना प्रबल होगी ही |

मधुमेह रोग के प्रति प्रमुख उतरदायी कारण पाचन प्रणाली का दीर्घ अवधी तक विकृत रहना है | इसके अतिरिक्त अग्न्याशय ग्रन्थी पर पड़ने वाला अतिरिक्त दबाव मधुमेह रोग का कारण है | जब अगन्याश्य ग्रंथि को दीर्घ अवधि तक ज्यादा परिश्रम करना पड़ता है तो एक दिन उसमे शिथिलता आ जाती है और वह आवश्यक मात्र में इंसुलिन नामक स्त्राव का निर्माण नहीं कर पाती है |

शुगर
एक मिश्रित प्रभाव वाला रोग है जिससे अनेक प्रकार की शरीर में उलझनें पैदा होती है | विशेष रूप से हार्ट अटैक , आँख के , दांत के रोग, चिकित्सक व रोगी के समन्वय से इसके रोकथाम और चिकित्सा के लिए सभी उपाय कर शुगर को नियंत्रण में कर स्वयं को रोग रहित रखने का कार्य करें तो रोगी को अनेक प्रकार की परेशानी से सुरक्षित रखा जा सकता है |

मधुमेह में सामान्य समस्या डायबिटिक रेटिनोपैथी है, यह मोतियाबिंद तथा ग्लूकोमा है | रोग को शीघ्र पहचान कर समय रहते इसका उपचार से दृष्टि समाप्त होने का भय काफी हद तक कम हो जाता है | केवल नेत्र विशेषग्य ही प्रारंभिक संकेतों से समझ सकता है डायबिटिक रेटिनोपैथी को | अतः सभी मधुमेह रोगियों को अपनी आँखों की जाँच साल में एक बार अवश्य करवा लेनी चाहिए |

आइए हम बारीकी से इसके बारे में क्रमवार समझने का प्रयास करते है |
ह्रदय स्वस्थ होकर तभी धडकेंगे जब ह्रदय की दीवारें स्वस्थ होंगी , दीवारें स्वस्थ तभी होंगी जब उनको शुद्ध रक्त पहुंचाने वाली रक्त नालियां स्वस्थ और बाधा रहित होंगी | इन रक्त नालियों को कोरोनरी धमनी या आर्टरी कहते है |
हार्ट अटैक से सुरक्षित रहने के लिए इन कोरोनरी रक्त नालियों का रख-रखाव ठीक से करें ताकि इन नालियों में शुद्ध रक्त का प्रवाह धारा प्रवाह से बाधा रहित चलता रहें|


यह बात समझ लीजिये की एक बार दिल का दौरा पड़ने के पश्चात् शुगर के रोगी कभी न अंत होने वाले एंजियोप्लास्टी व बायपास के मायाजाल में ऐसा उलझ जाता है की अंत में मौत ही उसे इस चक्रव्यूह से सुरक्षित रख पाती है | आजकल औषधियां है बाजार में ( फॉर एवर लिविंग प्रोडक्ट जो इस तरह के असाध्य माने जाने वाले रोग पर रामबाण का काम करता है ) इसका नियमित सेवन करें तो हार्ट अटैक को रोकने की दशा में लाभकारी सिद्ध होगा | इन सबके अलावा नियमित ब्लड शुगर व ब्लड प्रेशर की जांच पर अपनी पैनी निगाह रखें |

ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए रोगी प्रतिदिन कम से कम दो घंटे टहले, इससे आपके ह्रदय व शरीर के अन्य अंगों को और लाभ मिलेगा | हमेशा चलने का बाहाना ढूंढते रहिये | तनाव कम करने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाइए | स्वयं ही मानसिक तनाव में गिराबत नजर आने लगेगी |


अपने कोलेस्ट्रोल को नियंत्रण करने वाली औषधि ( फॉर एवर का Artic sea-Omega3, फॉरएवर कार्डियोहेल्थ विथ सी ओ क्यू 10 और साथ में एलो वेरा जेल ) का सेवन नियमित रूप से करें | अगर रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्र अधिक है तो इसके नियंत्रण करने के लिए और भी पौष्टिक पूरक औषधि है जो आपके कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित कर सकता है पर इसके साथ-साथ व्यायाम व सही आहार के चुनाव का भी महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है |

यहाँ रोगी को किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए | वह यह सोच ले की शुगर एक साधारण रोग है |
जैसे आया है वैसे चला जायेगा | शुगर से जो रोग उत्पन्न हो रहे है वह किसी साधारण चिकित्सा या नीम हाकिम डॉक्टरों से हो जायेगें |

तो एक बात और भी जान ले :- चिकत्सा भी तभी तक हो सकती है जब तक रोग उपचार की सीमा रेखा में है | इसके बाद मरे हुए को भोजन खिलाने से वह उठ खड़ा नहीं होगा |


अतः शुगर रोग को साधारण मानने की भूल न करें और नियमित जाँच व औषधि से नियंत्रण में रखकर जीवन का सुखद अनुभूति करें |


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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

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