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Jul 31, 2010

कैंसर का घरेलु उपचार अलसी और पनीर से -2


कैंसर से मुक्ति के घरेलु उपचार के लिए अब आपके समक्ष पुनः दूसरा भाग लेकर उपस्थित है | दरअसल अलसी के तेल में अल्फ़ा-लिनोलेनिक एसिड ( ए.एल.ए ) नामक ओमेगा-३ वसा अम्ल होता है | डॉ बुद्विज ने ए.एल.ए की अद्भुत संरचना की गूढ़ अध्ययन किया | ए.एल.ए में कार्बन के परमाणुओं की लड़ी या श्रृंखला होती है , जिसके एक सिरे से, जिसे ओमेगा एण्ड कहते है, मिथाइल ( CH3) ग्रुप जुड़ा रहता है और दुसरे से, जिसे डेल्टा एण्ड कहते है,कर्बोक्सिल (-COOH) जुड़ा रहता है |

ए.एल.ए. में ३ द्विबंध तीसरे कार्बन के बाद होता है | इसीलिए इसको ओमेगा-३ वसा अम्ल ( N-3) कहते है | ए.एल.ए हमारे शरीर में नहीं बन सकते, इसलिए इनको'आवश्यक वसा' अम्ल कहते है और हमें इनको भोजन द्वारा लेना अति 'आवश्यक' है | ए.एल.ए. की कार्बन श्रृंखला में जहाँ द्वि बंध बनता है और दों हाईड्रोजन अलग होते है , वहां इलेक्ट्रोन का बड़ा झुण्ड या बादल सा, जिसे पाई-इलेक्ट्रोन भी कहते है , बन जाता है | और इस जगह ए.एल.ए. की लड़ मुद जाती है |

इलेक्ट्रोन के इस बादल में अपार विद्युत् आवेश रहता है जो सूर्य ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड से आने वाले प्रकाश की किरणों के सबसे छोटे घटक फोटों,जो असीमित, अनंत, जीवन शक्ति से भरपूर और उर्यवान है, को आकर्षित करते है , अवशोषण करते है | ओमेगा-३ ओक्सिजन को कोशिका में खींचते है, प्रोटीन को आकर्षित रखते है, ये पाई-इलेक्ट्रोन उर्जा का संग्रहण करते है और एक संग्राहक ( केपेसिटर ) की तरह काम करते है | यही है जीवन-शक्ति जो हमारे पुरे शरीर विशेषतौर पर मस्तिष्क, आँखों, ह्रदय, मांसपेशियां, स्नायुतंत्र,कोशिका भितियों आदि को भरपूर ऊर्जा देती है |

डॉ० योहाना बुड्विज का कैंसर रोधी आहार-विहार :- प्रातः ग्लास साँवरक्राट ( खमीर की हुई पतागोभी ) का रस या एग्लास छाछ क ले | साँवरक्राट में कैंसर रोधी तत्व होते है और पाचनशक्ति भी बढाता है | यह हमारे देश में उपलब्ध नहीं है परन्तु इसे घर पर पतागोभी को खमीर करके बनाया जा सकता है |
नाश्ता :- नाश्ते से अध घंटा पहले बिना चीनी की गरम हर्बल या हरी चाय लें | मीठा करने के लिए एक चम्मच शहद या स्टेविया का प्रयोग कर सकते है | यह पीसी हुई असली के फूलने हेतु गरम तरल माध्यम का कार्य करती है |


आगे आपके ' ॐ खंड' जो अलसी के तेल और घर पर बने वसा रहित पनीर या दही से बने पनीर को मिलकर बनाया जाएगा, लेना है | पनीर बनाने के लिए गाय या बकरी का दुध सर्वोतम रहता है | इसे एकदम ताजा बनाए, तुरंत खूब चबा-चबाकर आनंद लेते हुए सेवन करें | ३ बड़ी चम्मच यानि ४५ एम् .एल.अलसी का तेल और ६ बड़ी चम्मच यानि ९० एम्.एल. पनीर का मिश्रण मिक्स़र बिजली से चलने वाले क्रीम की तरह करें और तेल दिखाई देना नहीं चाहिए |
तेल और पनीर को ब्लेंड करने के बाद यदि मिश्रण गाढा रहे तो १ या २ चम्मच अंगूर का रस या दूध मिला लें |
अब दो बड़ी चम्मच अलसी ताजा पीसकर मिलाएं | मिश्रण में स्ट्राबेरी, रसबेरी, जामुन आदि फल मिलाये |
बेरों में एजेलिक एसिड होते है जो कैंसररोधी है |

आप चाहें तो आधा कप कटे हुए अन्य फल भी मिला लें | इस कटे हुए मेवे, खुबानी, बादाम, अखरोट,किशमिश, मुनक्के आदि सूखे मेवे से सजाये | मूंगफली वर्जित है | मेवे में सल्फर युक्त प्रोटीन वसा और विटामिन होते है |
दिन भर में कुल शहद ३-५ चम्मच से ज्याद नहीं लेना चाहिए |

याद रहें शहद प्राकृतिक व मिलावट रहित हो | डिब्बा बंद या परिष्कृत न हो | दिन भर में ६ या ८ खुबानी के बिज अवश्य ही खाएं | इनमे विटामिन बी-१७ होता है जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता है | यदि फिर भी भूख लगी हो तो टमाटर,मुली, ककड़ी अदि का सलाद के साथ कुटू, मुली,बाजरा आदि साबुत अनाजों के आते की बनी रोटी ले लें | कुटू को बुद्बिज ने सबसे अच्छा अन्न माना है | गेहूं में ग्लूटेन होता है और पचने में भरी होता है अतः इसका प्रयोग तो कम ही करें |


सुबह १० बजे :- नाश्ते के १ घंटे बाद घर पर ताजा बना गाजर, मुली, लौकी,चुकंदर,आदि का ताजा रस लें | गाजर और चुकंदर यकृत को ताकत देते है और अत्यंत कैंसर रोधी होते है |

दोपहर का खाना :- खाने के आधा घंटा पहले एक गरम हर्बल चाय लें | कच्ची सब्जियां जैसे चुकंदर, शलजम, मुली, गाजर,गोभी, पता गोभी, शतावर, बिंदी आदि के सलाद को घर पर बनी सलाद ड्रेसिंग या ओलियोल्क्स के साथ ले | ड्रेसिंग को १-२ चम्मच अलसी के तेल व १-२ चम्मच पनीर मिश्रण में एक चम्मच सेब का सिरका या निम्बू के रस और मसाले डालकर बनायें | सलाद मीठा करना हो तो अलसी के तेल में अंगूर, संतेरे या सेब का रस या शहद मिलकर ले |
यदि फिर भी भूख हो तो आप उबली या भाप में पकी सब्जियों के साथ एक-दो मिश्रित आटे की रोटी ले सकते है | सब्जियों व रोटी पर ओलियोलक्स ( इसे नारियल,अलसी के तेल,प्याज, लहसुन से बनाया जाता है ) भी डाल सकते है | मसाले, सब्जियों व फल बदल-बदलकर लें | रोजाना एक चम्मच कलौंजी का तेल भी लें | भोजन तनावरहित खूब चबा-चबाकर खाएं |

ॐ खंड की दूसरी खुराक :- अब नाश्ते की तरह ही बड़ी चम्मच अलसी के तेल व ६ बड़ी चम्मच पनीर के मिश्रण में ताजा फल, मेवे और मसाले मिलकर लें | यह अत्यंत आवश्यक है | हाँ, पीसी हुई अलसी इस बार न डालें |

दोपहर बाद :- अनानास,चेरी या अंगूर के रस में एक चम्मच अलसी को ताजा पीसकर मिलाएं और खूब चबा, लार में मिलाकर धीरे-धीरे चुस्कियां ले लेकर पियें | चाहे तो आधा घंटे बाद एक गिलास रस और ले लें |

तीसरे पहर :- पपीता या ब्लू बेर्री ( नीला जामुन) रस में एक चम्मच अलसी को ताजा पीसकर डालें खूब चबा-चबाकर, लार में मिलकर धीरे-धीरे चुस्कियां लेकर पियें | पपीते में भरपूर एंजाइम होते है |
सायंकालीन भोजन : - शाम को बिना तेल डाले सब्जियों का शोरबा या अन्य विधि से सब्जियां बनायें | मसाले भी डालें | पकने के बाद ईस्ट फ्लेक्स और औलियोलाक्स डालें | इस्ट फ्लेक्स में विटामिन 'बी' होते है जो शरीर में ताकत देते है | टमाटर,गाजर,चुकंदर,प्याज,पालक,पता गोभी,हरी गोभी,आदि सब्जियों का सेवन करें | शोरबे को आप उबले कुटू,भूरे चावल, रतालू,आलू,मसूर, राजमा, मटर.साबुत दालें या मिश्रित आटे के साथ ले सकते है |

शेष हम चर्चा करेंगे अगले अंश में जिसमे होगा परहेज और कुछ जानकारियां जो लगभग कैंसर रोगीओं के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है |
अतः बने रहिये मेरे साथ अगले और इस कड़ी की आखिरी अंश के लिए |


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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

1 comments

naresh singh August 1, 2010 at 7:17 PM

रोचक व् अदभुत जानकारी है |

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