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Jul 1, 2010

नीम का औषधीय गुण


आज मैंने सोचा क्यूँ नहीं कुछ लिखा जाये ? परन्तु तय नहीं कर पा रहा था, फिर ख्याल आया 'नीम' के औषधि गुण के बारे में आपके साथ चर्चा करते है |
नीम जो प्रायः सर्व सुलभ वृक्ष आसानी से मिल जाता है | यह वृक्ष अपने औषधि गुण के कारण पारंपरिक इलाज में बहुपयोगी सिद्ध होता आ रहा है |

नीम को संस्कृत में निम्ब, वनस्पति विज्ञानं में आजादिरेक्ता-इण्डिका ( Azadirecta-indica) कहते है | ग्रन्थ में भी इनके गुण के बारे में चर्चा इस तरह है :-
निम्ब शीतों लघुग्राही कतुर कोअग्नी वातनुत |
अध्यः श्रमतुटकास ज्वरारुचिक्रिमी प्रणतु ||

नीम शीतल, हल्का, ग्राही पाक में चरपरा, ह्रदय को प्रिय, अग्नि, वाट, परिश्रम, तृषा, अरुचि, क्रीमी, व्रण, काफ, वामन, कोढ़ और विभिन्न प्रमेह को नष्ट करता है |

नीम स्वाभाव से कड़वा जरुर होता है परन्तु इसके औषधीय गुण बड़े ही मीठे होते है,
तभी तो नीम के बारे में कहा जाता है की ' एक नीम और सौ हकीम दोनों बराबर है |'
इसमें कई तरह के कड़वे परन्तु स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ होते है , जिनमे मार्गोसिं, निम्बिडीन, निम्बेस्टेरोल प्रमुख है |
नीम के सर्वरोगहारी गुणों से ही यह हर्बल ओरगेनिक पेस्टिसाइड साबुन, एंटीसेप्टिक क्रीम, दातुन, मधुमेह नाशक चूर्ण, कोस्मेटिक आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है | एड्स जैसे भयंकर लाइलाज बीमारी पर भी नीम के उपयोग से काबू पाया जा सकता है |

चैत नवरात्री हमारे लिए नववर्ष का शुभारम्भ होता है | तब दादी माँ के नुस्खे यानि स्वास्थ्य रीती व परम्परानुसार नीम के रस का सेवन ९ दिनों तक प्रातः ही करना चाहिए ताकि हम पुरे वर्ष चुस्त व तंदुरुस्त रहें | वैसे किसी भी मौसम में नीम के पत्ते हमारे शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होता है | इनके अनगिनत गुणों के वजह से अमेरिका ने हमारे नीम को अपने लिए पेटेन्ट करा दिया , निसंदेह यह हमारे लिए गर्व की बात है और भारतीय जीवनशैली व आयुर्वेद की विजय है | नीम हमारे लिए अति विशिष्ट व पूजनीय वृक्ष है |

चैत नवरात्रि पर नीम के कोमल पत्ते होते है, इसिलए इसके कोमल पत्तों को पानी में घोलकर सील बट्टे या मिक्सी में पीसकर इसकी गोली तैयार कर ले, इसमें थोडा नमक और कुछ काली मिर्च डालकर उसे ग्राह्य योग्य बनाया जाता है |
इस गोली को कपडे में छाना जाता है, छाना हुआ पानी गाढ़ा या पतला कर प्रातः खली पेट एक कप से एक गिलास तक सेवन करना चाहिए |
लगातार ९ दिनों तक इसी अनुपात में लेने से पुरे साल की स्वास्थ्य गारंटी हो जाती है |

सही मायने में चैत्र नवरात्री स्वास्थ्य नवरात्री है | यह इन दिनों बच्चों के चेचक से बचाता है यह रस एंटीसेप्टिक, एंटी बेक्टेरियल, एंटीवायरल, एंटीवर्म, एंटीएलर्जिक, एंटीट्यूमर आदि गुणों से भरपूर है | ऐसे सर्वगुण संपन्न अनमोल नीम रूपी स्वास्थ्य रस का उपयोग प्रत्येक व्यक्ति को चैत्र नवरात्री में करना चाहिए , जिन लोगों को बार बार बुखार और मलेरिया का संक्रमण होता है उनके लिए यह रामवाण औषधि है |
वैसे तो आप प्रतिदिन पांच ताज़ा नीम की पत्तियां चबा ले तो अच्छा है, प्रतिदिन इसका प्रयोग करने पर मधुमेह रोगियों के रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाता है |
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अरे.. दगाबाज थारी बतियाँ कह दूंगी !

2 comments

Anonymous

रामबाबू हम तो दातुन भी नीम का हि करते हैँ ।लिखते रहिये,सानदार प्रस्तुती के लिऐ आपका आभार


सुप्रसिद्ध साहित्यकार व ब्लागर गिरीश पंकज जीका इंटरव्यू पढने के लिऐयहाँ क्लिक करेँ >>>>
एक बार अवश्य पढेँ

Gyan Darpan July 2, 2010 at 6:44 AM

नीम तो गुणों की खान है जी !

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