" "यहाँ दिए गए उत्पादन किसी भी विशिष्ट बीमारी के निदान, उपचार, रोकथाम या इलाज के लिए नहीं है , यह उत्पाद सिर्फ और सिर्फ एक पौष्टिक पूरक के रूप में काम करती है !" These products are not intended to diagnose,treat,cure or prevent any diseases.

Apr 8, 2010

Aloe Vera Gel ( एलो जेल पाचन प्रणाली के लिए अचूक औषधि )

आजकल पाश्चात्य शैली के शौचालय का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है क्यूंकि लोगों को इससे सुविधा होती है | शौच जाते समय पैरों या घुटनों को कष्ट नहीं उठाना पड़ता है | फिर आराम ही आराम ,बेफिक्र होकर वहीँ बैठकर अखबार पढो या लैपटॉप पर काम करो या लोगों से मोबाईल पर व्यव्शायिक बाते करों | अब अखबार पढने या अन्य कार्य करने की प्रक्रिया में चाहे मूल क्रिया को ही भूल जाओ | पर क्या वास्तव में ये ठीक है ? शायद नहीं | कितनी विकृत हो गई है हमारी जीवन शैली और हमारी आदतें ? जीवन में सम्पूर्ण परिवर्तन व उपचार के लिए विकृत विचारों के साथ-साथ विकृत जीवनशैली और आदतों को बदलना भी अनिवार्य है |

शौच जाने के पारंपरिक तरीके में हम उकडू बैठकर निवृत होते है |इससे पैरों का व्यायाम भी हो जाता है | हम जितनी बार मल-मूत्र विसर्जन के लिए उकडू होकर बैठकर निवृत होते है उतने ही बार पैरों का ही नहीं कूल्हों तक का सभी अंगों व उपांगों का व्यायाम हो जाता है | पैरों के बल बैठकर शौच जाते समय एक सबसे महत्वपूर्ण योगिक क्रिया भी स्वतः हो जाती है और वो है पवनमुक्त आसन का अभ्यास |जब हम पवनमुक्त आसन करते है तो पीठ के बल लेटकर पैरों को मोड़कर पेट पर दबाव डालते है जिससे आँतों में व्याप्त दुर्गन्धयुक्त वायु बहार निकल जाती है |

उकडू बैठकर शौच जाते समय भी हम पवनमुक्त आसन की अवस्था में ही होते है | शौच के बाद यदि पैरों अथवा जंघावों का दबाव उदर या आंतों पर डालेंगे तो इससे आंतो में व्याप्त दुर्गन्धयुक्त वायु बहार निकल जाएगी | यदि आंतो में मल की मात्र भी बची होगी तो वो भी बहार आ जाएगी और इस प्रक्रिया में हमें पवनमुक्त आसन का पूरा लाभ मिलेगा |


पाश्चात्य शैली के शौचालय में ये लाभ हमें नहीं मिल पाता है बल्कि शारीर के बिभिन्न अंगो की गति कम होने के कारण शरीर में जड़ता ,निष्क्रियता व्याप्त होने लगती है जिससे बीमारी ठीक होने के बजाय और भी बढ़ने लगती है |


पाश्चात्य शैली के शौचालय में एक सबसे बड़ी कमी और भी है और वो है स्वच्छता का आभाव | सार्वजानिक शौचालय में पाश्चात्य शैली के शौचालय का प्रयोग करना अत्यंत घातक है | इनमे न केवल गंदगी के कारण संक्रमण का खतरा बना रहता है अपितु पानी का भी अधिक आवश्यकता पड़ती है अतः पारंपरिक तरीके का शौचालय का प्रयोग करना ही अधिक सुरक्षित व व्यवहारिक तथा स्वास्थ्यप्रदायक है |


एक सबसे खास बात अगर सुबह-सवेरे शौच खुल कर आ जाये तो आपके दिन चर्या स्वतः ठीक हो जाता है
| शरीर में स्फूर्ति और मन अपने कार्य क्षेत्र में लगा रहता है | स्वस्थ्य आंत यानि की स्वस्थ्य तन व मन | आप शारीरिक व मानसिक दोनों रूप में चुस्त और दुरुस्त नजर आते है | मतलब साफ़ है सुबह की दिनचर्या बिलकुल स्वक्ष होना ही चाहिए अन्यथा आप शारीरिक और मानसिक रूप से दिन भर थके-थके से रहेंगे |

अगर किसी भी व्यक्ति को शौच खुल कर नहीं आने की समस्या हो यानि कब्ज़ या गैस से पीड़ित हो तो आप एलो वेरा जेल का नियमित सेवन शुरू करें | आप कुछ ही महीनो में इस तरह की बीमारी से छुटकारा पा सकते है | चुकी कब्ज़ व गैस आपके लिए साइलेंट किलर का काम करता है | 90% बिमारियों का शुरुआत पेट का साफ़ नहीं होने से होता है ,ऐसी मान्यता है | इसीलिए आप अपने आपको एलो जेल के माध्यम से पेट को स्वक्ष रखें फिर आपके जीवन में उर्जा का संचार स्वतः हो जायेगा |

एलोवेरा के कोई भी स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद खरीदने के लिए admin@aloe-veragel.com पर संपर्क करें और ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

"एलोवेरा " ब्लॉग ट्रैफिक के लिए भी है खुराक | Gyan Darpan ज्ञान दर्पण
ताऊ .इन

2 comments

Ashutosh April 8, 2010 at 9:55 AM

aachi jaankaari di aapne.
हिन्दीकुंज

Gyan Darpan April 8, 2010 at 7:28 PM

बढ़िया जानकारी दी है आपने |
कुछ महीने पहले जोधपुर से दिल्ली आते समय ट्रेन में एक योगा की छात्रा मिली थी , चर्चा के दौरान उसने भी यही बताया कि पाश्चात्य शैली के शौचालय बीमारियाँ पैदा कर रहे है , शुगर बढ़ने की बीमारी उस योगा छात्रा के अनुसार पाश्चात्य शैली के शौचालय की ही देन है |

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