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Apr 23, 2010

तुलसी मानवजाति के लिए बहुपयोगी औषधि |

आयुर्वेद के समस्त औषधियों और जड़ी-बूटियों में तुलसी का अहम् भूमिका है | तुलसी से कोई अपरिचित नहीं है ,बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी जानते है | इसकी दो प्रजातियाँ होती है - सफ़ेद और काली | तुलसी में बहूत से गुण है | "राजबल्ल्भ ग्रन्थ" में कहा गया है ---- तुलसी पित्तकारक तथा वाट कृमि और दुर्गन्ध को मिटाने वाली है, पसली के दर्द खांसी, श्वांस, हिचकी में लाभकारी है | इसे सभी लोग बड़ी श्रद्धा एवं भक्ति से पूजते है|

भारतीय चिकित्सा विधान में सबसे प्राचीन और मान्य ग्रन्थ "चरक संहिता" में तुलसी के गुणों का वर्णन एकत्रित दोषों को दूर करके सर का भारीपन, मस्तक शूल, पीनस, आधा सीसी, कृमि, मृगी, सूंघने की शक्ति नष्ट होने आदि को ठीक कर देता है | भारतीय धर्म गर्न्थों में तुलसी के रोग निवारक क्षमता की भूरी-भूरी प्रशंसा की गयी है ----
तुलसी कानन चैव गृहे यास्यावतिष्ठ्ते |
तदगृहं तीर्थभूतं हि नायान्ति ममकिंकरा ||
तुलसी विपिनस्यापी समन्तात पावनं स्थलम |
क्रोशमात्रं भवत्येव गांगेयेनेक चांभसा ||

तुलसी से मृत्युबाधा दूर होती है | उसकी गंध का प्रभाव एक कोस तक होता है | जब इससे रोगों की निवृत हो जाती है ,तब यम की बाधा तो हटती ही है, क्यूंकि रोग ही तो यम के दूत बन कर आते है | वैज्ञानिकों द्वारा यह प्रमाणित हो चूका है की तुलसी के संसर्ग से वायु सुवासित व शुद्ध रहती है |


पौराणिक कथाओं में तुलसी को प्रभु का भक्त बताया गया है | भगवन के आशीर्वाद से ही तुलसी ( पौधे के रूप में ) घर-घर में विराजमान रहने लगी |मंदिर में भगवान् का चरणामृत देते समय पुजारी तुलसी पात्र के साथ गंगाजल देते है और प्रसाद के सभी पदार्थों में तुलसी पत्र डाला जाता है |

क्युकी यह 'अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम' अर्थात यह अकाल मृत्यु से बचाती है और सभी रोगों को नष्ट करती है | मृत्यु के समय तुलसी मिश्रित गंगाजल पिलाया जाता है जिससे आत्मा पवित्र होकर सुख-शांति से परलोक को प्राप्त हो | इसीलिए लोग श्रधापुर्वक तुलसी की अर्चना करते है, सम्मान इसका ऐसा होता है की कार्तिक मास में तो तुलसी की आरती एवं परिकर्मा के साथ-साथ उसका विवाह किया जाता है |

अनुसंधान कर्ताओं ने पाया है की पेट-दर्द, और उदार रोग से पीड़ित होने पर तुलसी के पत्तों का रस और अदरक का रश संभाग मिलकर गर्म करके सेवन करने पर रोग का प्रभाव हट जाता है | तुलसी के साथ में शक्कर अथवा शहद मिलकर खाने से चक्कर आना बंद हो जाता है | सिरदर्द में तुलसी के सूखे पत्तों का चूर्ण कपडे में छानकर सूंघने से फायदा होता है |

वन तुलसी का फुल और काली मिर्च को जलते कोयले पर दल कर उसका धुना सूंघने से सिर का कठिन दर्द ठीक होते देखा गया है | केवल तुलसी पत्र को पिस कर लेप करने, छाया में सुखाई गयी पत्तियां के चूर्ण को शुन्घने से सिर दर्द में काफी आराम पहुँचता है |
छोटे बच्चे को अफरा अथवा पेट फूलने की शिकायत प्रायः देखि गयी है, जिसमे तुलसी और पान पत्र का रस बराबर मात्रा में मिलाकर इसकी दस-दस बूंद सुबह दोपहर शाम बराबर देते रहने से काफी आराम मिलता है | दांत निकलते समय बच्चों को जोर से दस्त लग जाते है इसमें भी तुलसी पत्ते का चूर्ण शहद में मिलाकर से लाभदायक होता है | बच्चों को सर्दी और खांसी की शिकायत होने पर तुलसी पत्र का रस उपयोगी सिद्ध होता है |

तुलसी के आसपास का वायुमंडल शुद्ध रहने के कारण प्रदुषण अन्य रोगों का पनपने का मौका नहीं मिलता है | पेय जल में यदि तुलसी के पत्तों को डालकर ही सेवन किया जाए तो कई तरह के रोगों से बचा जा सकता है |
तुलसी को संस्कृत भाषा में 'ग्राम्य व सुलभा इसलिए कहा गया है की यह सभी गांवों में सुगमता -पूर्वक उगाई जा sakti है और सर्वत्र सुलभ है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए आरोग्य प्राप्त करने की दृष्टि से इसका आरोपण सभी घरो में होना चाहिए |
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